depression in hindi: विशेष रूप से मानसिक और शारीरिक शक्ति का हास ही उदासीनता या अवसाद है। इसमें कुछ भी करने को जी नहीं करता है। नींद की अधिकता।
कभी-कभी यह सुस्ती इतनी गहरी हो जाती है कि कानों से सब कुछ सुनते हुए भी पलकें नहीं उठती हैं। अन्दर चेतना कार्यरत रहकर भी बाहरी चेतना पूर्ण शक्तिहीन जान पड़ती है। depression in hindi के सभी पहलुयों का पूरा व् सही विवरण, समाधान नीचे दिया गया है
डिप्रेशन के कारण (depression in hindi)
depression in hindi: मानसिक तनाव का ही परिवर्तित रूप “अवसाद” (डिप्रेशन) है। यह हम पहले ही जान चुके हैं। इसका मुख्य कारण हमारी इच्छा की अनन्तता और आपूर्ति की सीमितता है।
- हम जो कुछ पा लेना चाहते हैं, वे सब कुछ हमें मिल नहीं जाता। इच्छायें असीम हैं, उपलब्धता के साधन सीमित हैं। परिणामतः हम तनावग्रस्त हो जाते हैं।
- बराबर एक विषय के सम्बन्ध में सोचते-सोचते तंत्रिका-तंत्र में शिथिलता आ जाती है जिससे पूरा शरीर ही शिथिल हो जाता है। मन भी अन्दर से सुस्त हो जाता है।
इसके अतिरिक्त भी कई कारण हैं जैसे…
- अधिक बच्चों का जन्म लेना या
- दो बच्चों के बीच का अन्तराल कम होना
- जीवन में कुछ विपरीत घटना का घटित होना जिसने मानसिक तनाव को पैदा किया हो
- रोगों की उग्रता या लम्बी बीमारियों से ग्रस्त होना
स्टेरॉयड वर्ग की औषधि का प्रयोग अधिक एवं लम्बे समय तक करना।
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कठिन डिप्रेशन (Major depression)
depression in hindi: अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि आने वाले दिनों में प्रत्येक वर्ष आबादी का 15% लोग कठिन डिप्रेशन (Major depression) के शिकार हुआ करेंगे।
- पुरुषों के अपेक्षा स्त्रियाँ अधिक (दुगुनी संख्या में) डिप्रेशन ग्रस्त हो रही हैं। इसका मुख्य कारण है कि पुरुष अपनी तनावपूर्ण भावनाओं को जहाँ-तहाँ प्रकट कर बहुत हद तक तनावमुक्त हो जाते हैं अतः वे डिप्रेशन ग्रस्त कम होते हैं
जबकि स्त्रियाँ स्वभाव से ही संवेदनशील होने के कारण अधिक तरह की भावनाओं के केन्द्र में होती हैं जबकि संकोच बस उन्हें व्यक्त करने का क्षेत्र सीमित होता है। फलतः मानसिक दबाव बढ़ने से वे डिप्रेशन ग्रस्त हो जाती हैं।
- एक और तथ्य सामने आया है कि यद्यपि सब तरह के समाज में पलने वाले लोग इसके शिकार हो रहे हैं लेकिन सामान्य के अपेक्षा विकसित कहे जाने वाले समाज के लोग अधिक डिप्रेशन ग्रस्त हो रहे हैं।
आय के हिसाब से सब आयु के लोग इससे ग्रस्त हो रहे हैं लेकिन 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग अधिक प्रभावित हो रहे हैं। वृद्धावस्था में बच्चों तथा परिवार के सदस्यों का अपनो से दूर होना भी बुढापे मे डिप्रेशन के कारण हैं।
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डिप्रेशन का लक्षण (depression in hindi)
इस रोग से ग्रस्त होने पर रोगी उदास, खिन्न एवं मुर्झाया हुआ चेहरा लिए होता है।
- अनिद्रा
- भूख न लगना
- दैनिक अंग संचालन या क्रियाकलाप में शिथिलता
- निराश हीनभावना से ग्रस्त
अपने को असुरक्षित समझना आदि मुख्य और ऐसे कारण हैं जिनसे रोगी को देखते ही रोग का परिचय मिल जाता है। कुछ रोगी भविष्य की चिन्ता से ग्रस्त आंसू बहाते देखे जाते है तो कुछ अपनी पिछली भूल (गलतियों) पर पश्चाताप करते हुए।
- चित्त बराबर व्याकुल एवं घबराया हुआ प्रतीत होता है। ऐसी घबराहट अधिक आयु वालों में विशेषतः देखी है। पारिवारिक एवं सामाजिक सम्बन्धों से अलग कटे-कटे से रहने लगते हैं।
- एकान्त स्थान को अधिक पसन्द करते हैं, बल्कि दिन और सप्ताह नहीं, महीनों तक घर से बाहर नहीं निकलना चाहते हैं।
- अपने दैनिक कार्यों से भी कतराने लगते हैं।
प्रकाश की अपेक्षा अन्धेरा पसन्द करते हैं। डिप्रेशन पीडित रोगियों में 80% से अधिक नये शारीरिक लक्षण प्रदर्शित करते हैं।
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घातक डिप्रेशन (major depression)
इससे ग्रस्त रोगियों में कम से कम दो सप्ताह पूर्व से ही मानसिक स्तर गिर जाता है इसके इलावा अन्य लक्षण जैसे…
- उदास रहने लगते हैं
- भूख में परिवर्तन
- सोंने के तौर-तरीकों में परिवर्तन
- तन्द्रा का भाव
- अंगों में शिथिलता या कम्पन का भाव
- कामेच्छा का अभाव
- चंचलचित्त
- अकारण अपने को दोषी समझना
आत्महत्या या मृत्यु के बारे में सोचते रहना (जो कि भाव, आचार-विचार से भी प्रकट हो सकते हैं) आदि लक्षण प्रकट होते हैं। कुछ रोगियों में शीघ्रता से माँसपेशियों की शिथिलता और भ्रम देखने के लक्षण भी पाये जाते है।
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डिप्रेशन से नुकसान
depression in hindi: ऊपर कई लक्षणों की चर्चा की जा चुकी है जिनके आधार पर रोगी को देखते ही रोग को पहचानना कठिन नहीं होता है। इनमें से कुछ ऐसे लक्षण हैं जो प्रायः देखते ही और निश्चितता बढ़ जाती है।
- रोगी पराये ही नहीं अपनों से भी कटता हुआ, अपनी दुनिया छोटी करता जाता है।
- मन ही मन अपने आपको बराबर कमजोर होते हुए अनुभव करता है।
- आत्मविश्वास की पूर्ण कमी।
- छोटे से छोटे काम के लिये भी हिम्मत नहीं जुटा पाता।
- एक झलक में ही शारीरिक एवं मानसिक शिथिलता प्रकट होती है।
- हर समय नकारात्मक या निराशावादी वाक्यों का प्रयोग करते हैं।
वह समझते हैं कि मस्तिष्क के अन्दर एक टेप चल रहा है जो कि अनवरत रूप से ही चलता रहता हैं।
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क्या डिप्रेशन का इलाज है
अवसाद या डिप्रेशन के रोगी में किसी उग्र प्रकार के कष्ट, शारीरिक दुर्लक्षण या ज्वर लक्षण आदि नहीं देखे जाने से परिवार के अन्य सदस्य इसे रोग मानते ही नहीं।
अधिक से अधिक उन्हें मार्गदर्शित किया भी जाए तो उनका उत्तर होता ही “अपने आप ठीक हो जायेगा” जबकि रोग से अधिक उनकी यह भूल होती है।
- परिणाम यह होता है कि धीरेधीरे बुद्धि की जड़ता बढ़ती जाती है और अन्त में रोगी बोलना, खाना-पीना और चलना फिरना भी बन्द कर देता है। यहाँ तक पहुँच जाने के बाद चिकित्सा भी जटिल हो जाती है।
- अतः रोगी के प्रति परिवार के सदस्यों का व्यवहार सदभावना से ओत-प्रोत होना चाहिये। प्रत्येक सदस्य को अपने रिश्ते के अनुसार प्रेम और आदर का प्रदर्शन करना चाहिये।
चिकित्सा के निर्देश का पूर्ण पालन किया जाना आवश्यक है। औषधि की पूरी मात्रा और चिकित्सक निर्देशानुसार पूरी अवधि तक दवा सेवन करानी चाहियें। इन निर्देशों का पालन प्रारम्भ से ही किया जाये तो चिकित्या कठिन नहीं होती है। रोगी स्वस्थ हो जाता है।
नोटः
चिकित्सकों को याद रखना चाहिये कि तनाव के अतिरिक्त भी डिप्रेशन के कुछ अन्य कारण हैं जैसे…
- थायरॉयड ग्रंथि सम्बन्धी रोग (Hypothyroidism)
- स्टेरॉयड का अधिक दिन तक सेवन
- हॉरमोन चिकित्सा
- गर्भनिरोधक दवाओं का सेवन
- अनेक पीड़ानाशक औषधियों का सेवन
- उच्च रक्तचाप की दवाओं का सेवन आदि ।
अतः यदि डिप्रेशन आदि के कोई लक्षण या इतिहास नहीं मिले तो इन कारणों पर ध्यान केन्द्रित करें और तदनुसार चिकित्सा कार्य प्रारम्भ करें।
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डिप्रेशन की सबसे अच्छी दवा
1. एनाफ्रानिल Anafraniil (नोवार्टिस)-
- यह 10 और 25 मि.ग्रा. की टिकिया उपलब्ध है। मूल औषधि क्लोमीप्रामिन हाइड्रो. होती है। डिप्रेशन (Depression) में सफलता पूर्वक दी जाती है।
प्रारंभ में 10 मि.ग्रा. नित्य रात को दें। जब तक सन्तोषजनक सुधार नहीं हो जाता है, धीरे-धीरे मात्रा बढ़ा कर 30-150 मि.ग्रा. तक दैनिक विभाजित मात्राओं में या एक ही मात्रा में रात को सोने से पहले दें। अधिकतम मात्रा 250 मि.ग्रा. दैनिक से अधिक न बढ़ायें।
2. एण्टोडेप Antidep (टॉरेण्ट) –
- यह 25 और 75 मि.ग्रा. के कैप्सूल आते हैं। इसमें मूल औषधि इमिप्रामिन हाइड्रो. होती है। डिप्रेशन नाशक उत्तम औषधि है। प्रारंभ में 75 मि.ग्रा. नित्य रात को दें। इसे धीरे-धीरे बढाकर 300 मि.ग्रा. नित्य कई विभाजित मात्राआ में दें।
3. साइटोपाम Citopam (सनफार्मा)-
- यह 10, 20 और 40 मि. ग्रा. की टिकिया आती है। इसमें सिटैलोप्राम मूल औषधि होती है। यह घातक डिप्रेशन की चिकित्सा में भी सफलतापूर्वक प्रयोग की जा रही है।
प्रारंभ में 20 मि.ग्रा. की एक ही मात्रा नित्य एक बार रात को सोते समय दें। सन्तोषजनक सुधार एक सप्ताह में स्पष्ट न हो तो प्रत्येक 2-3 सप्ताह के अन्तर पर 10 गि.ग्रा. की वृद्धि आवश्यकतानुसार करते जाएं। लेकिन अधिकतम 60 मि ग्रा. दैनिक मात्रा से अधिक न दें।
4. डेमोलॉक्स Demolox (वाईथ)-
यह 50 और 100 मि. ग्रा. की टिकिया आत है। मूल औषधि एमोक्आपिन होती है। यह डिप्रेशन की विशिष्ट औषधि है। वयस्क को प्रारम्भ में 100-150 मि.ग्रा. नित्य दें। निर्वाहक मात्रा 150-250 मि.ग्रा. दैनिक है। अधिकतम 300 मि. ग्रा. दैनिक। वृद्धों को 25 मि.ग्रा. नित्य 2 बार। बच्चों में इसका प्रयोग न करायें।
5. डेपनॉन Depnon (ऑर्गेनॉन) –
- यह 10 और 30 मि.ग्रा. की टिकिया है। मूत्र औषधि मियानसेरिन हाईड्रो. होती है। मानसिक एवं स्नायुविक डिप्रेशन में सफलतापूर्वक प्रयोग की जा रही है। वयस्क को 30-60 मि.ग्रा. नित्य विभाजित मात्राओं में या नित्य रात को एक ही मात्रा में सोने से पहले दें। वृद्धों में मात्रा कम दें।
6. डेपसोनिल Depsonil (साराभाई पीरामल)-
- इसकी 25 मि.ग्रा. की टिकिय आती है। मूल औषधि इमिप्रामिन हाईड्रोक्लो. होती है। यह डिप्रेशन (Depression) में पूरे भरोसे के साथ दी जाती है।
मात्रा 75-150 मि. ग्रा. नित्य विभाजित मात्राओं में दें। निर्वाहक मात्रा 25-75 मि.ग्रा. लगातार कम से कम 4 सप्ताह तक दे
7. डेपसोनिल डी जेड Depsonil DZ (साराभाई-पीरामल) –
- इसमें इमिप्रामिन और डायजियाम दोनों मिल होते हैं। अत इसकी कार्य क्षमता बढ़ जाती है। डिप्रेशन, अगों का कम्पन एवं चिन्ता दूर करने की उत्तम औषधि है।
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8. डेपसोनिल डी जेड फोर्ट (Depsonil D Z Forte)-
फोर्ट भी आती है।
- मात्रा-व्यस्कों को 1 टिकिया नित्य 3 बार तक दें। यदि एक सप्ताह तक भी संतोषजनक लाभ न हो तो धीरे-धीरे मात्रा बढ़ायें। लाभ हो जाने पर न्यूनतम मात्रा का प्रयोग करे
9. फ्लैविक्स Flavix (वॉकहाईट) –
- यह 25, 37.5 और 75 मि.ग्रा. की टिकियों में आती है। मूल औषधि वेनला फैक्सीन हाइड्रो. होती है। इसे घातक डिप्रेशन में भी प्रयोग करने से लाभ होते देखा गया है। यह इस रोग की चमत्कारी औषधि है। अधिक चिन्ताग्रस्त रोगियों को देने से भी लाभ होता है।
- मात्रा- 37.5 मि.ग्रा. वयस्कों को नित्य दो बार दें। सन्तोषजनक लाभ न होने पर 75 मि.ग्रा. तक नित्य दो बार दें। ध्यान रहे, कई सप्ताह तक औषधि प्रयोग के बाद भी लाभ न होने पर ही मात्रा बढ़ायें। 8 सप्ताह तक औषधि चलाने के बाद भी लाभ न होने पर औषधि सेवन बन्द कर दें एवं रोगी को अस्पताल में भर्ती करवा दें। औषधि से लाभ हो जाने की स्थिति में धीरे-धीरे मात्रा कम करते जाएं।
10. फ्लूएंक्सॉल Fluanxol –
- यह फ्लूपेन्थिक्सॉल हाईड्रो. की टिकिया है जो कि 0.5 मि.ग्रा. और 1 मि.ग्रा. की आती है। यह चिन्ता जनित डिप्रेशन एवं सामान्य अवसाद की उत्तम औषधि है।
- मात्रा- 1 से 2 मि.ग्रा. एक ही मात्रा में नित्य सवेरे दें। अधिकतम 3 मि.ग्रा. तक विभाजित मात्राओं में दें। वृद्धों को 0.5 मि.ग्रा. नित्य सुबह एक मात्रा दें। अधिकतम 2 मि. ग्रा. नित्य विभाजित मात्राओं में दें। बच्चों में इसका प्रयोग न करें।
11.फ्लूडैक Fludac (कैडिला फार्मा) –
- इसमें मूल दवा फ्लूओएक्सेटिन हाइड्रो. होती है जो कि 20 मि.ग्रा. के कैप्सूल में आती है। यह शामक प्रभाव डाले बिना ही डिप्रेशन से मुक्त कराने वाली उत्तम औषधि है। अतः जहाँ शामक प्रभाव की जरुरत नहीं हो लेकिन डिप्रेशन को दूर करना हो वहाँ इसी का प्रयोग करें।
- मात्रा-सामान्यतः 20 मि. ग्रा. का एक कैप्सूल नित्य दें। अधिकतम 80 मि. ग्रा. तक नित्य दें। बच्चों में इसका प्रयोग न करायें। वृद्धों को 20 मि. ग्रा. नित्य दें। अधिकतम दैनिक मात्रा 60 मि. ग्रा. तक।
नोटः-यूनिक कं. की फ्लूफ़ान (Flufran) और वॉकहार्डट् की प्लैटिन (Platin) इसी के समकक्ष है।
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12. फ्लूवॉक्सीन Fluvoxin (सन फार्मा) –
- यह फ्लूबॉक्सामिन मेलियेट की टिकिया है जो कि 50 और 100 मि. ग्रा. की आती है। यह घोर डिप्रेशन (M. Depression) में भी प्रयोग करने से स्थिति सामान्य हो जाती है। अतः जहाँ अन्य अवसाद हर (Antidepressant) सफल नहीं हो, वहां भी इस पर भरोसा किया जा सकता है।
- मात्रा-घोर अवसाद (Major depression) की स्थिति में 50 मि. ग्रा. नित्य सप्ताह तक। यदि कोई स्पष्ट लाभ नहीं हो तो दूसरे सप्ताह 100 मि. ग्रा. नित्य दें।
- इसी क्रम से प्रति सप्ताह 50 मि. ग्रा. की मात्रा बढ़ायें। जब तक कि औषधि का प्रभाव स्पष्ट न हो जाए। लाभ हो जाने के बाद निर्वाहक मात्रा 100-200 मि. ग्रा. नित्य दें। इसे विभाजित मात्राओं में बाँट कर दें।
अधिकतम 300 मि. ग्रा. प्रतिदिन दी जा सकती है। ध्यान रहे जितनी कम मात्रा से लाभ दिखलाई दे। पहले उसी मात्रा का प्रयोग करें जब तक लाभदायी प्रमाणित हो।
13. लाइकैब Licab (टॉरेण्ट) –
- यह लिथियमकार्ब की टिकियाँ है जो 300 मि. ग्रा. की आती है। यह डिप्रेशन की किसी भी अवस्था में उपयोगी है।
मात्रा-प्रारंभ में 600 से 900 मि. ग्रा. नित्य विभाजित मात्राओं में दें जब तक कि ब्लड लेवल (Blood Level) 1-1.55 एम. इक्वी. प्रति ली. न हो जाये।
14. मिरताज़ Mirtaz (सन फार्मा)-
- यह 15 और 30 मि. ग्रा. की टिकियाँ आती हैं जिसमें मूलतः मिरताजापिन होता है। यह घातक डिप्रेशन (Major Depression) में भी लाभदायी है।
- मात्रा-15 मि. ग्रा. नित्य एक बार रात में सोने से पूर्व दें। लाभ देखते हुए मात्रा का निर्धारण करें। सामान्यतः 15-45 मि. ग्रा. नित्य दो विभाजित मात्राओं में दें या एक ही शाम को दें।
- अधिकतम मात्रा 60 मि. ग्रा. दैनिक है। जब लक्षणमुक्त हो जाए तब धीरेधीरे मात्रा कम करते हुए 4-6 सप्ताह तक चिकित्सा जारी रखें। बच्चों को सेवन न करायें।
15. नारेबॉक्स Narebox (जीडस न्युरोसाईन्सेज) –
- यह रिबॉक्सेटीन की टिकियाँ है जो 2 और 4 मि. ग्रा. की आती हैं। उग्र से उग्र डिप्रेशन (Major Depression) में भी फलदायी औषधि है।
- मात्रा-4 मि. ग्रा. की मात्रा नित्य दो बार दें। यदि आवश्यक हो तो 3-4 सप्ताह बाद 10 मि. ग्रा. तक दैनिक मात्रा बढ़ा दें। अधिकतम 12 मि. ग्रा. दैनिक मात्रा है। बच्चों को न दें।
16. प्रोथियाडेन Prothiaden –
- यह डोथियेपिन की टिकियाँ हैं जो 25 और 75 मि. ग्रा. की आती हैं। यह चिंतासहित या चिन्तारहित डिप्रेशन की औषधि है।
मात्रा-75 मि.ग्रा. नित्य विभाजित मात्राओं में या एक ही मात्रा में रात को सोने से पूर्व दें। इससे अधिक मात्रा (150 मि. ग्रा. प्रतिदिन तक) यदि देनी हो तो पूर्ण सावधानी एव दक्ष चिकित्सक की निगरानी में ही देने की व्यस्था करें। बच्चों को प्रयोग न कराये।
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17.रिमारेक्स Rimarex (सन फार्मा)-
- यह मोक्लोबेमाईड की टिकियाँ हैं जोकि 150 और 300 मि. ग्रा. की आती हैं। यह घातक डिप्रेशन एवं निराधार सामाजिक भय (जो अवसाद का ही एक रूप हैं) की उत्तम औषधि है।
- मात्रा- प्रारंभ में 300 मि. ग्रा. नित्य दो विभाजित मात्राओं में भोजन के बाद दें। अधिकतम दैनिक मात्रा 600 मि. ग्रा. से अधिक न दें।
जहाँ निराधार (अकारण) सामाजिक भय हो वहाँ दो विभाजित मात्राओं में नित्य 300 मि. ग्रा. लगातार तीन दिन तक दें। इसके बाद 300 मि. ग्रा. नित्य दो बार (कुल 600 मि. ग्रा.) नित्य लगातार 8-12 सप्ताह तक दें।
इसके बाद यकृत क्रिया पर पैनी नज़र रखते हुए मात्रा कम (1/2) और फिर (1/3) करते जाएं। अन्त में सामान्य मात्रा में भी इसी क्रम से कम करते जाएं। बच्चों में इसका प्रयोग न करें।
18. सारोटेना Sarotena (लेण्डबेक) –
- यह एमिट्रिप्टीलीन हाइड्रो. की टिकियाँ हैं जो 10, 25 और 50 मि. ग्रा. की उपलब्ध है। यह डिप्रेशन एवं इससे उत्पन्न समस्त उपसर्गों को दूर करने में पूर्ण सफल है।
- मात्रा-वयस्क को प्रारंभ में 10-25 मि.ग्रा. नित्य 3 बार । प्रत्येक दूसरे या तीसरे दिन 10 से 25 मि. ग्रा. की मात्रा तब तक बढ़ाते जाएं जब तक संतोषजनक एवं अनुकूल सुधार न हो जाए।
- अधिकतम 150-200 मि. ग्रा. दैनिक मात्रा दें। वृद्धों को प्रारंभ में 10 मि. ग्रा. नित्य 3 बार दें। निर्वाहक मात्रा 50 से 100 मि. ग्रा. नित्य रात को सोने से पहले एक ही मात्रा दें।
19. सेन्सिवल Sensival (वालेस) –
- यह नौरट्रिप्टीलीन हाईड्रो. की टिकियां 25 मि. ग्रा. की आती है। यह उन्माद युक्त डिप्रेशन (मानसिक विकार सहित अवसाद) की उत्तम औषधि है। मात्रा- 1 से 3 टिकियाँ नित्य (प्रत्येक 8 घंटे बाद 1 टिकिया) दें।
20. सेरटा Serta (यूनिकेम) –
यह सरट्रालीन हाईड्रो. की टिकियाँ हैं जो 25, 50 और 100 मि. ग्रा. की आती हैं। यह डिप्रेशन की चिकित्सा एवं डिप्रेशन से बचाव (Prevention) दोनों ही दृष्टि से प्रयोग की जा रही है।
- मात्रा – प्रारंभ में 50 मि. ग्रा. नित्य एक बार रात में सोने से पूर्व दें। सामान्य निर्वाहिक मात्रा 50 मि. ग्रा. नित्य। यदि संतोषजनक लाभ न हो और मात्रा बढ़ाने की आवश्यकता दो तो प्रत्येक 2-4 सप्ताह के अन्तराल पर 50 मि. ग्रा. की मात्रा बढायें।
- अधिकतम दैनिक मात्रा 200 मि. ग्रा. से अधिक नहीं दें। पूर्ण लाभ हो जाने पर मात्रा कम करते जाएं एवं कम से कम प्रभावी मात्रा का ही प्रयोग करें। 8 सप्ताह से अधिक प्रयोग न करें।
21. स्पेक्ट्रा Spectra (शॉलेस) –
- यह डॉक्सेपिन की टिकियाँ है 10, 25 और 75 मि. ग्रा. की आती हैं। यह मात्र डिप्रेशन (Depression) में ही प्रयोग की जाती है।
मात्रा – सामान्य अवसाद में 30 से 50 मि. ग्रा. नित्य विभाजित मात्राओं में दें। अधिकतम मात्रा 75 मि. ग्रा. ही दैनिक, प्रारंभिक अवस्था में दें। लाभ को देखते हुए बाद में 100 मि. ग्रा. तक भी नित्य 3 बार विशेष परिस्थिति में दी जा सकती है हो।
यदि अवसाद के साथ अनिद्रा की भी शिकायत हो तो नित्य रात को सोने से पहले 150 मि. ग्रा. की अधिकतम मात्रा एक साथ ही दें बच्चों में प्रयोग न करें।
22. स्टैबलॉन Stablon (सर्डिया) –
- यह टायानेप्टीन (Tianeptine) की 12.5 मि. ग्रा. की आती है। यह चिन्ताजनित डिप्रेशन (Anxiodepressive state) की उत्तम औषधि है।
- मात्रा – 1 टिकिया नित्य 3 बार भोजन से पहले दें। वृद्धों को नि मात्र सुबह-शाम दें।
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23. सरमॉण्टिल Surmontil (निकोलस पीरामल)-
- इसमें मूल औषधि ट्राइमिग्रामिन है जो 10 और 25 मि. ग्रा. की टिकियाँ में आती हैं। यह अनिद्रा या बाधित निद्रा के साथ अवसाद की उत्तम औषधि है। इसमें रोगी सोते-सोते जग जाता है। शांतिपूर्ण नींद का पूर्णत: अभाव होता है। चिंता एवं अंगों की कम्पन भी दूर हो जाती है।
- मात्रा – 50-100 मि. ग्रा. नित्य रात को सोने से पहले (2 घंटा पूर्व ही) नयूनतम प्रभावी मात्रा का ही प्रयोग करें। अधिक मात्रा की आवश्यकता जान पड़े तो रोगी को अस्पताल में भेज दें। क्योंकि इससे अधिक इसको दक्ष चिकित्सक के निर्देशन में ही दिया जाता है।
24. ट्रिप्टोमर Tryptomer (मेरिण्ड)-
- यह एमिट्रिप्टीलीन हाईड्रो. की टिकिया 10, 25 और 75 मि. ग्रा. की आती है। यह डिप्रेशन एवं डिप्रेशन जनित रोग की उत्तम औषधि है।
- मात्रा – 10 से 25 मि.ग्रा. नित्य 3 बार दें। प्रत्येक दुसरे या तीसरे दिन यदि आवश्यक जान पड़े तो 10-25 मि. ग्रा. की मात्रा बढ़ायी जा सकती है। जब तक कि पूर्ण लाभ नहीं हो अधिकतम मात्रा 150 से 200 मि. ग्रा. की प्रतिदिन की है।
- वृद्धों को प्रारंभ में 10 मि. ग्रा. नित्य 3 बार दें। निर्वाहक मात्रा 50 से 100 मि.ग्रा. नित्य रात को सोने से पहले दें।
25. वेनलोर Venlor (सिपला) –
- यह वेनलाफैक्सिन हाईड्रो. के कैप्सूल हैं जो 25, 37.5 और 75 मि. ग्रा. के उपलब्ध हैं। घोर चिन्ता के कारण नींद एवं व्यवहार की अनियमितता, चिंताजनित डिप्रेशन आदि में प्रयोग किये जाते हैं।
मात्रा – 37.5 मि. ग्रा. नित्य दो बार। संतोषजनक लाभ जब तक नहीं हो तंब तक, धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाते जाएं। अधिक से अधिक 75 मि. ग्रा. नित्य दो बार तक दें। मात्रा की वृद्धि कई सप्ताह के बाद ही करें जबकि सामान्य मात्रा (प्रारंभिक 37.5×2) से लाभ न हो।
- यदि 8 सप्ताह तक नियमित रूप से औषधि सेवन करने के बाद भी लाभ न हो ता औषधि देनी बन्द कर दें। रोगी को अस्पताल में भर्ती करना आवश्यक समझकर अस्पताल भेज दें।
26. जेट Xet (जाइड्स न्यरोसाईन्सेज) –
- यह पैरॉक्जेटीन की टिकियाँ 10, 30 और 40 मि. ग्रा. की आती हैं। यह चिन्ता जनित डिप्रेशन, अकारण समाजिक भय, खुले स्थान में रहने से भय सदृश उपसर्गों में भी उपयोगी है। भरोसे के साथ सेवन करायें। अवश्य लाभ मिलेगा।
मात्रा- प्रारंभिक अवस्था में 20 मि. ग्रा. नित्य एक बार सूबह जलपान के बाद दें या भोज़न के साथ ही दें। यदि मात्रा बढ़ाने की आवश्यकता हो तो धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाये। कम कम दो सप्ताह के अंतराल पर 10 मि. ग्रा. की वृद्धि किया करें। अधिकतम 5 मि.ग्रा. नित्य दें।
आयुर्वेदिक मेडिसिन फॉर डिप्रेशन एंड एंग्जायटी
• अग्नितुण्डी वटी (रस)- स्नायुतंत्र की शिथिलता को दूर करके शरीर में नयी स्फूर्ति लाने वाली औषधि है। 1 से 2 गोली गरम जल के साथ नित्य सुबह शाम दें।
- चौंसठ प्रहरी पीपल – डिप्रेशन, तन्द्रा, बेहोशी आदि में इसका नस्य देने से शीघ्र लाभ होता है।
- शृंगराजासव – इसके सेवन से मानसिक और शारीरिक सुस्ती दूर हो जाती है, शरीर की प्रत्येक क्रियाओं में, संस्थानों की कार्यक्षमता में सुधार होता है। स्मरण शक्ति की वृद्धि होती है। 15 से 30 मि. ली. नित्य भोजन के बाद दिन में 2 बार।
- दशमूल क्वाथ – जब अनिद्रा और प्रलाप के साथ अवसाद के लक्षण हों तो इसका प्रयोग पूर्ण लाभदायक है। 15 से 30 मि. ली. नित्य दो बार भोजन के बाद।
अश्वगन्धारिष्ट –
यह स्नायुविक शक्तिवर्धक औषधि है। स्त्री-पुरूष, बाल-युवा, सभी के लिये समान रूप से उपयोगी है। चिंता, चित्त की घबराहट, डिप्रेशन, स्मरण शक्ति की दुर्बलता आदि में सफलता पूर्वक दी जा रही है। 15 से 30 मि. ली. दिन में 2 बार भोजन के बाद। अनुपात में जल समान मात्रा मिलाकर पिलायें।
- नवरत्नकल्पामृत रस – इसे गावजवाँ या अर्जुनारिष्ट के साथ नित्य दो बार सेवन कराने से मस्तिष्क और हृदय की दुर्बलता दूर हो जाती है। डिप्रेशन, अनिद्रा एवं चिंता सदृश उपसर्ग मिट जाते हैं।
- महानारायण तेल – इस तेल से सर्वांगों की मालिश एवं नस्य देने से लाभ होता हैं।
लौहासव – इसके सेवन से रक्त की वृद्धि होती है, यकृत क्रिया में सुधार और रक्त परिभ्रमण सुचारु रूप से होने लगता है जिससे कोशिकायें साफ और स्वस्थ हो जाती हैं। इस प्रकार शरीर की सभी क्रियायें नियमित हो जाती हैं। स्नायुतंत्र की शिथिलता दूर हो जाती है, चेतनशक्ति जागृत हो उठती है।
डिप्रेशन की आयुर्वेदिक पेटेण्ट औषधियाँ
स्ट्रेसकॉम Stress Com (डाबर) – 1 से 2 कैप्सूल नित्य 2 बार दूध के साथ इस से चिन्ता, स्नायुविक दुर्बलता, अनिद्रा, एकाग्रचित्तता में कमी के साथ होने वाली डिप्रेशन दूर होता है।
ट्रासीना Trasina (डेज कं.) –
- 1-2 कैप्सूल नित्य दो बार दें। इसके सेवन से थकावट, अनिद्रा, काम शक्ति (संभोग शक्ति) में कमी, डिप्रेशन आदि दूर हो जाते हैं।
एलर्ट Alert (वासु क.)- 1 से 2 कैप्सूल नित्य 2 बार। इससे तनाव एवं अनिद्रा का डिप्रेशन दूर होता है।
- केमेन्टोज Kamentose(अजमेरा) – 1 से 2 टिकियाँ नित्य 3 बार लेने से उच्च रक्तचाप के साथ उत्पन्न डिप्रेशन में भी लाभ होता है।
- नूबेक्स Nubex (ट्रियो) – 2-4 कैप्सूल नित्य दूध के साथ लेने से यह चिंता, मानसिक थकान एवं अनिद्रायुक्त डिप्रेशन में लाभ होता है।
- मेधावी Medhavee (कोरल क.) – नित्य 3 बार 2-2 टिकियाँ दें। इससे अनिद्रा, चिन्ता एवं एपिलेप्सी (मिर्गी) के साथ होने वाले डिप्रेशन में भी लाभ होता है।
- विटालिफ Vitalyf (लाईफ लाईन) – 1-1 कैप्सूल नित्य 2-3 बार दें। इसके सेवन से चिन्ता, मानसिक दुर्बलता, स्नाय दुर्बलता, संभोग शक्ति में कमी आदि के साथ उत्पन्न डिप्रेशन दूर होते हैं।
नारड्रिल Nardril (हिमालय) – चिन्ता एवं उत्तेजना को दूर करके शांति प्रदान करने वाली औषधि है। 1-2 टिकियाँ नित्य दो बार।
सेर्पिना टेबलेट्स Serpina Tablets (डिप्रेशन की दवा हिमालया) –
उच्च रक्तचाप के साथ होने वाले अवसाद में इसे दिया जाता है। 2 टिकियाँ नित्य 2-3 बार अथवा आवश्यकतानुसार।
- ट्राक्विनिल टेबलेट Traquinil Tables (चरक)- यह स्नायु विकार की उत्तमोत्तम औषधि है। अनिद्रा, उत्तेजना, उच्च रक्तदाब एवं डिप्रेशन में भरोसे के साथ दी जाती है। 2 गोली 2-3 बार। फोर्ट भी आती है।
- हिप्नोटेन्सन टेबलेट Hypnotensan Tablet (झण्डू) – उच्च रक्तदाब जनित स्नायु दुर्बलता या अवसाद की उत्तम औषधि है। 2 टिकियाँ नित्य 2-3 बार दें।
- दिमाग दोषहरी (वैद्यनाथ) – वहम (भ्रम), किसी भी प्रकार का भय, चित्तभ्रम, स्मृतिभ्रम, मस्तिष्क एवं तंत्रिका तंत्र की दुर्बलता आदि के साथ या स्वतंत्र रूप से होने वाले डिप्रेशन की उत्तम औषधि है। 1-2 गोली आवश्यकतानुसार नित्य 2-3 बार।
डिप्रेशन की बायो चिकित्सा (डिप्रेशन का इलाज)
- फ़ेरम फास(ferrum phos)- 12 x
- कैली फास(kali phos)- 30 x
- कल्केरिया फास(cal. phos.)- 12 x
- नेत्रुम मुर(Nat. mur)- 200 x
इन सभी को सामान मात्रा में लेकर मिळाले व गरम पानी के साथ नित्य दिन में तीन बार इसका सेवन करें।
डिप्रेशन की होम्योपैथिक दवा
एसिड फास (Acidphos) 23, 200-स्नाय दुर्बलता के साथ बराबर सोये रहने की इच्छा। इसे एसिड पिकरिक के साथ पर्याय क्रम से दें। पूर्णलाभ होगा।
- एनाकार्डियम ओ. (Anacardium ori.) 6 व 30-एक प्रकार का वहम जिसमें रोगी बराबर कस्में खाता है। बराबर उदास, सुस्त एवं मस्तिष्क कमजोर रहता है।
एक्टिया स्पाईकेटा (Actaea spicata)– 3x, 30-बातचीत करते, खाते-पीते, चलते-फिरते अवसन्न हो जाता है।
- एण्टिम टार्ट (Antim Tart) 3x, 200 – बराबर औंघाई और सुस्ती, बराबर सोये रहने की इच्छा।
आर्जेण्टम मेट. (Argentum Met) 200 – हमेशा पड़े रहने की इच्छा, एकांत में (अकेले) रहने की इच्छा।
- क्लोरीनम (Chlorinum) 3,6 – चरम सीमा पर पहुंची सुस्ती हो, वहां भी यह लाभदायी है।
क्लीमेटिस (Clematis Erecta) 3, 30 – औंघाई की अधिकता, बराबर सुस्ती रहना।
- कॉकलस इण्डिकस (Cacculus Indicus) 3x, 200 – सिर में चक्कर एवं सारे शरीर में सुस्ती छाई रहे।
जेल्सिमियम सेम्पर (Gelsemioum Semper) 2x से 200 – अवसाद या सस्ती चक्कर एवं औंघाई यदि एक साथ हो तो इसका प्रयोग करें।
- लिलियम टिग. (Lilium Tig.) 3x से 30 – उदासीनता ऐसी कि किसी भी स्थान पर स्थिर नहीं रह सकता। इससे ऊँची शक्ति का प्रयोग न करें।
मर्क. पेरेनिस (Merc. Perenis) 3,6 – औंघाई की अधिकता, सारे शरीर में थकावट का अनुभव।
मार्फिनम (Morphinum) 3x, 6x –
अति निद्रालुता, लेकिन गहरी नींद का पूर्ण अभाव । रोगी अधिकतर अर्द्ध जाग्रत अवस्था में लेटे रहता है।
- नक्स मॉस्केटा (Nux Moschata) 6, 30, 200-बराबर नींद में डूबे रहना। आलस्य, डिप्रेशन, औंघाई एवं आछन्नाभाव की अधिकता।
एसाई (Asai) 3x, 6x, 30, 200-बराबर निराशा के भाव में डूबे रहना, भविष्य के प्रति अधिक सजग एवं चिंतित, भविष्य की असफलता के बारे में ही बराबर सोचना एवं इससे भयभीत रहना।
- ट्राईको सैन्थस डी. (Trichosanthes D-) 3x, 6x, -बराबर हताशा का भाव, डिप्रेशन एवं उदासीनता से ग्रस्त।
टाइफोफेब्रीनम (Typhofebrinum) 200-शक्ति या क्रम का ही प्रयोग करें। 200 एवं इससे ऊँची शक्तियों का प्रयोग बार-बार उचित नहीं। एक से दो मात्रा का प्रयोग करके प्रतीक्षा करें। यह नोसोड श्रेणी की दवा है। इसका रोगी सदा बैचेन, निराश, मृत्यु भय से ग्रस्त, लोगों से कटे कटे अलग रहना, यहाँ तक कि अपने बच्चों एवं पत्नी से भी अलग रहता है।
- कार्बोनियम ऑक्सी. (Carnboneum Oxy.)3,6 – लम्बी अवधि तक औंघाई एवं तन्द्रा का भाव इसका निर्देशक लक्षण है।
मैनसिनेला (Mancinella) 6, 30 – रोगी बराबर चिन्ताग्रस्त रहता है। एक चिन्ता का चिन्तन समाप्त हुआ नहीं कि दूसरी चिन्ता का मस्तिष्क में उदय हो जाता है। रोगी को स्वयं ऐसा अनुभव होता है कि कहीं मैं पागल न हो जाऊं।
डिप्रेशन दूर करने का उपाय (psychotherapy)
depression in hindi: डिप्रेशन या मानसिक तनाव को कम करने के लिए मनोचिकित्सक द्वारा मरीज की मानसिक स्थिति का सही से आंकलन कर बातचीत के द्वारा उसका इलाज किया जाता है इस चिकित्सा को मनोवैज्ञानिक चिकित्सा भी कहते हैं
मानसिक अवसाद या डिप्रेशन को दूर करने के लिए कई प्रकार की साइकोथेरेपी इस्तेमाल की जाती है जैसे कि संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (cognitive behavioral therapy) या पारस्परिक चिकित्सा इत्यादि
साइकोथेरेपी में कई प्रकार के मुद्दों पर बातचीत की जाती है जैसे कि भिन्न भिन्न प्रकार की समस्याओं से निपटने के लिए बेहतर तरीकों की खोज करना, ऐसे मुद्दों की पहचान करना जो मानसिक अवसाद को बढ़ाते हैं तथा उनका सही से हल निकालना
आपके जीवन में नकारात्मक व्यवहारों को सकारात्मक व्यवहारों में बदलने की कोशिश करना, स्वस्थ जीवन जीने की कला सिखाना आत्मविश्वास की भावना पैदा करना, योग व प्राणायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करना इत्यादि
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अस्वीकरण (depression in hindi)
इस लेख की सामग्री व्यावसायिक चिकित्सा सलाह(professional medical advice), निदान(diagnosis) या उपचार(ट्रीटमेंट) के विकल्प के रूप में नहीं है।
- चिकित्सीय स्थिति के बारे में किसी भी प्रश्न के लिए हमेशा चिकित्सीय(doctor कंसल्टेशन) सलाह लें।
उचित चिकित्सा पर्यवेक्षण(without proper medical supervision) के बिना अपने आप को, अपने बच्चे को, या किसी और का इलाज करने का प्रयास न करें।
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- “depression in hindi ” के लेखक: डॉ. वी .के. गोयल आयुर्वेदाचार्य B.A.M.S. M.D.(AM)
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सन्दर्भ:
https://www.webmd.com/drugs/2/drug-1305/clomipramine-oral/details–clomipramine role in डिप्रेशन
https://medlineplus.gov/druginfo/meds/a682389.html- imipramine HCl study
https://www.1mg.com/drugs/citopam-10mg-tablet-56979–citopam डिप्रेशन study
https://www.practo.com/medicine-info/demolox-50-mg-tablet-37785-demolox डिप्रेशन इलाज़
https://www.nhs.uk/medicines/venlafaxine/-venlafaxine anti-depression study
https://go.drugbank.com/drugs/DB00875-Flupentixol treat schizophrenia and Depression
https://www.medicalnewstoday.com/articles/322413- FLUOXETINE Depression study
https://en.wikipedia.org/wiki/Fluvoxamine-Fluvoxamine एंटी डिप्रेशन इफेक्ट्स
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK519059/- Mirtazapine antidepressant इफेक्ट्स
https://www.rxlist.com/nortriptyline-hydrochloride-drug.htm–nortriptyline-hydrochloride एंटी डिप्रेशन study
https://www.webmd.com/drugs/2/drug-7031/surmontil-oral/details–surmontil एंटी डिप्रेशन इफेक्ट्स
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