तिल का तेल (Sesame Oil):
पेकोटी विधि (Pechoti method) क्या है?
- नाभि में तेल लगाने की प्रक्रिया को आयुर्वेद में पेकोटी विधि कहा जाता है। इस विधि में औषधीय तेलों की मदद से बीमारी या शारीरिक समस्या का इलाज किया जाता है। इस प्रक्रिया को ध्यानपूर्वक घर पर भी आजमां सकते हैं।
आयुर्वेदिक इलाज में नाभि की मदद से शरीर की कई समस्याएं दूर की जाती हैं। नाभि के पीछे पेकोटी ग्रंथि पाई जाती है। पेकोटी ग्लैंड शरीर की नसों और अंगों से जुड़ी होती है।
शरीर की समस्याएं दूर करने के लिए पेकोटी विधि का सहारा लिया जाता है। पेकोटी विधि का मतलब है नाभि में तेल डालना। आयुर्वेद की मानें, तो नाभि में तेल डालने से शरीर की कई समस्याओं को दूर किया जा सकता है।
तिल का तेल (Sesame Oil) इतिहास (History)
- तिल की खेती सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान की गई थी और यह मुख्य तेल उत्पादक फसल थी। 2500 ई. पू. के आसपास शायद यह मेसोपोटामिया को निर्यात किया गया था और अक्काडियन तथा सुमेरियनों में ‘एल्लू’ के रूप में जाना जाता था।
- तिल के बीज, तेल के लिए संसाधित पहली फसलों में से एक होने के साथ ही सबसे पुराने मसालों में भी एक थे।
- वास्तव में,‘एन्नाई’ शब्द जिसका तमिल भाषा में अर्थ तेल है, की जड़ें तमिल शब्द एल (L) और नेई (nei) से जुड़ीं हैं, जिसका अर्थ तिल और वसा होता है।
600 ई.पू. से पहले, असीरियाईयों द्वारा भोजन, मरहम और औषधि के रूप में तिल के तेल का प्रयोग किया जाता था, हिंदू मन्नत के दीपों में इसका प्रयोग करते थे और इसे पवित्र तेल मानते थे
नानी और दादी के द्वारा नाभि पर तेल लगाना (Pechoti method)
- यह सभी जानते हैं कि बचपन से ही नानी और दादी हमारी नाभि पर तेल लगाती रही हैं. दरअसल, बुजुर्गों को पहले से ही पता है कि नाभि पर तेल लगाने के कितने ज्यादा फायदे हैं.
- तभी तो बचपन में बच्चे की मालिश करते हुए उसकी नाभि में तेल जरूर लगाया जाता है. वहीं आयुर्वेद में भी कई छोटी-बड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए नाभि पर तेल लगाने की सलाह दी जाती रही है.
इसे बैली बटन थेरेपी (belly button therapy in ayurveda) भी कई जगह कहा जाता है. सच तो ये है कि नाभि को शक्ति का केंद्र बिंदु माना गया है.
कहते हैं कि इससे हमारे शरीर की कई तंत्रिकाएं आपस में जुड़ी हुई हैं. इसलिए नाभि पर तेल डालने से शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की कई तरह की समस्याओं में आराम मिलता है.
कुछ लोग नाभि पर सरसों का तेल, कुछ घी तो कुछ लोग नारियल का तेल डालना पसंद करते हैं, जैसे कि उनके घर के बुजुर्गों ने किया होता है.जानते हैं
पेकोटी विधि (Pechoti method) का सही तरीका और फायदे
- पेकोटी विधि यानी नाभि पर तेल लगाने के लिए नाभि के अंदर कुछ बूंदें डालकर उंगलियों की मदद से नाभि पर मालिश करें। रूई में तेल डालकर भी नाभि पर लगा सकते हैं। तेल को 20 से 30 मिनट तक लगा रहने दें। फिर साफ पानी से नाभि को साफ कर लें।
पेकोटी विधि (Pechoti method) के लिए कौनसा तेल लगाएं?
- पिंपल्स से छुटकारा पाने के लिए रोजाना नाभि में नीम के तेल की बूंदे डाल सकते हैं। एक्ने (acne) का इलाज करने के लिए सरसों के तेल का भी इस्तेमाल किया जाता है।
- पाचन तंत्र मजबूत करना चाहते हैं या कब्ज, एसिडिटी, गैस आदि समस्याओं से परेशान हैं, तो आपको नाभि में सरसों का तेल लगाना चाहिए।
- आंखों में या त्वचा में रूखापन है, तो आपको नारियल तेल का इस्तेमाल करना चाहिए। नारियल तेल की 5 से 6 बूंदे काफी होंगी।
- जोड़ों का दर्द या मांसपेशियों के दर्द से छुटकारा पाने के लिए नाभि में जैतून या शुद्ध तिल का तेल डाल सकते हैं।
- फटे होंठों की समस्या दूर करने के लिए सरसों का तेल इस्तेमाल कर सकते हैं। फटी एड़ियों की समस्या दूर करने के लिए भी सरसों का तेल फायदेमंद माना जाता है।
- ग्लोइंग त्वचा के लिए बादाम के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस विधि से त्वचा में रौनक बढ़ती है।
नाभि में तेल लगाना फायदेमंद है लेकिन तेल की ज्यादा मात्रा का इस्तेमाल न करें। तेल लगाते समय नाभि या पेट पर ज्यादा जोर न दें।
जोड़ों के दर्द में मिलेगा आराम (joint pain oil)
सर्दियों में ज्यादातर लोग जोड़ों में दर्द (joint pain) की समस्या से परेशान रहते हैं. जोड़ों में दर्द होने पर हमारी रोजमर्रा के कार्य प्रभावित होने लगते हैं. जैसे- खड़े होना, बैठना, चलना और झुकना वगैरह करने में सक्षम नहीं रह पाते हैं.
- ऐसे में अगर आप नाभि पर तिल का तेल लगाने से जोड़ों में दर्द की समस्या को दूर कर सकते हैं. आयुर्वेद में नाभि पर तिल का तेल (Sesame Oil) लगाने से आप जोड़ों के दर्द में काफी हद तक राहत पा सकते हैं.
वात दोष शांत करे
आयुर्वेद में तिल के तेल को अहम स्थान दिया गया है। तिल के तेल का उपयोग खाने, मालिश करने और नाभि पर डालने के लिए किया जा सकता है। नाभि पर तिल का तेल लगाने से शरीर में बढ़ा हुआ वात दोष शांत (vat dosh ke lakshan) होता है।
- हमारा शरीर वात, पित्त और कफ से मिलकर बना होता है। इनमें से किसी भी एक का असंतुलन होने पर शरीर कई रोगों से घिर जाता है। इससे मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द से संबंधित समस्याएं दूर होती हैं।
- रात को नाभि पर तिल का तेल लगाने से कुछ दिनों में वात दोष से राहत पाया जा सकता है।
वात दोष के लिए कौन सा तेल अच्छा है?
सादा, भुना हुआ तिल का तेल वात दोष के लिए पारंपरिक अभ्यंग तेल माना जाता है। (आयुर्वेद वास्तव में इसे “तेलों का राजा” मानता है।)
पित दोष precaution
- तिल के तेल की तासीर बहुत गर्म होती है। आयुर्वेद के अनुसार पित्त प्रकृति के लोगों को कभी भी तिल के तेल से मालिश नहीं करनी चाहिए। इससे उनकी त्वचा को नुकसान पहुंच सकता है।
इंफेक्शन से बचाए
- हम अकसर नाभि की सफाई करना भूल जाते हैं। ऐसे में नाभि पर मैल, गंदगी और कई तरह के बैक्टीरिया जमा हो जाते हैं। इससे नाभि पर संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है।
- ऐसे में आप इंफेक्शन से बचने के लिए रोज रात को नाभि पर तिल का तेल लगा सकते हैं। इससे नाभि में जमा गंदगी निकल जाती है और संक्रमण से बचाव होता है।
सर्दी-जुकाम ठीक करे
- नाभि एक ऐसा केंद्रीय बिंदु है, जिससे शरीर की कई तंत्रिकाएं जुड़ी होती हैं। ऐसे में नाभि पर रोजाना तिल का तेल लगाने से सर्दी-जुकाम या खांसी की समस्या को भी दूर किया जा सकता है।
- तिल के तेल की तासीर गर्म होती है, इससे सर्दी जुकाम में आराम मिलता है।
विटामिन ई का अच्छा स्रोत
- तिल के तेल में टोकोफेरोल होता है। यह विटामिन ई का ही एक रूप है। इस वजह से तिल के तेल को विटामिन ई का अच्छा स्रोत माना जाता है।
- इसके अलावा, टोकोफेरोल यानी विटामिन ई एंटीऑक्सीडेंट्स की तरह कार्य करता है, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाकर कई बीमारियों के जोखिम को कम कर सकता है।
फ्री रेडिकल्स की वजह से शरीर में कैंसर सेल्स के बढ़ने व हृदय रोग का जोखिम हो सकता है
अर्थराइटिस से राहत दिलाए (Pechoti method)
- अर्थराइटिस की समस्या को गठिया के नाम से भी जाना जाता है। इस परेशानी को कम करने में काले तिल का तेल मदद कर सकता है। तिल के तेल में मौजूद लिग्नैन्स एंटीइंफ्लेमेटरी प्रभाव प्रदर्शित करते हैं।
- इसके कारण यह शरीर में होने वाली इंफ्लेमेशन और इससे संबंधी बीमारियां जैसे अर्थराइटिस को कम कर सकता है। साथ ही इससे अर्थराइटिस के लक्षण को कम करने में भी मदद मिल सकती है
- तिल की तासीर में गर्म होती है, इसलिए सर्दियों में इस तेल (Sesame Oil) से नाभि की मालिश करना बेहद ही फायदेमंद है.
- नाभि पर रात को तेल लगाना अधिक लाभदायक भी माना गया है.
ऐसा करने से रातभर नाभि पर तेल लगा रहता है, इससे नाभि तेल को अच्छे से सोख लेती है. इसके लिए आप नाभि पर 3-4 बूंदें तिल के तेल की डाल लें. ऐसा रोजाना करने से आपको काफी हद तक लाभ मिलेगा.
तिल के तेल के नुकसान (Pechoti method)
कई बार तिल के तेल का उपयोग नुकसानदायक भी हो सकता है।
संवेदनशील लोगों को तिल के तेल के उपयोग से एलर्जी हो सकती है
इस लिहाज से अगर कोई ब्लड शुगर कम करने वाली दवाओं का सेवन कर रहे हैं, तो उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए। इससे ब्लड शुगर स्तर अधिक कम हो सकता है।
तिल के तेल में कैलोरी अधिक होती है, जिस वजह से अधिक सेवन के कारण शरीर का वजन बढ़ सकता है।
Disclaimer
इस लेख की सामग्री व्यावसायिक चिकित्सा सलाह (professional medical advice), निदान (diagnosis) या उपचार(ट्रीटमेंट) के विकल्प के रूप में नहीं है।
- चिकित्सीय स्थिति के बारे में किसी भी प्रश्न के लिए हमेशा चिकित्सीय(doctor कंसल्टेशन) सलाह लें।
उचित चिकित्सा पर्यवेक्षण(without proper medical supervision) के बिना अपने आप को, अपने बच्चे को, या किसी और का इलाज करने का प्रयास न करें।
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Information Compiled by- Dr. Vishal Goyal
Bachelor in Ayurvedic Medicine and Surgery
Post Graduate in Alternative Medicine MD (AM)
Email ID- [email protected]
Owns Goyal Skin and General Hospital, Giddarbaha, Muktsar, Punjab
“Pechoti method in hindi-तिल तेल से पेकोटी विधि करने के फायदे” पढने के लिए आपका धन्यवाद…