Rheumatoid Arthritis in Hindi

Rheumatoid Arthritis in Hindi-गठिया रोग के कारण, लक्षण व उपचार के सारे विकल्प

Rheumatoid Arthritis in Hindi: रूमेटाइड अर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है जिसमें प्रभावित व्यक्ति के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity) शरीर की संधियों (joints) के विपरीत एंटीबॉडीज का निर्माण करना शुरू कर देती है जिस कारण संधियों (joints) के आसपास सूजन (inflammation) तथा दर्द की शिकायत रहने लगती है

समय रहते अगर इस स्थिति से ना निपटा जाए तो आगे चलकर संधियों के आकार तथा एलाइनमेंट को भी काफी नुकसान झेलना पड़ता है कई व्यक्ति हाथ पैर हिलाने में असमर्थ हो जाते हैं जोड़ पूरी तरह जकड़ (stiffness) जाते हैं 

रोगी की स्थिति बड़ी ही दर्दनाक तथा दयनीय हो जाती है आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में रूमेटाइड अर्थराइटिस को आमवात की संज्ञा दी गई है

  • कम शब्दों में कहें तो रूमेटाइड अर्थराइटिस एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर की रक्षा करने वाली इम्यूनिटी (immunity) ही शरीर के जोड़ों (joints) की दुश्मन बन उन पर अटैक कर देती है 

जिस कारण जोड़ों में सूजन तथा अकड़न की स्थिति पैदा हो जाती है 

  • इस रोग को गठिया (Rheumatoid Arthritis in Hindi) भी कहते हैं इसका यह नामकरण इसलिए पड़ा क्योंकि यह रोग शरीर की गांठों (joints) को प्रभावित कर नुकसान पहुंचाता है

यह रोग जोड़ों में मौजूद तरल पदार्थ सायनोवियल (synovial fluid) को गाढ़ा कर देता है जोड़ों को बांधने वाले लिगामेंट्स (ligaments) तथा टेंडनंस (tendons) को कमजोर कर देता है

ओस्टियोआर्थराइटिस बिमारी से विपरीत रूमेटाइड अर्थराइटिस (RA) रोग जोड़ों की लाइनिंग को नुकसान कर उनमें दर्द तथा सूजन की स्थिति उत्पन्न कर देता है


रूमेटाइड अर्थराइटिस (गठिया) के चार चरण

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1 रूमेटाइड अर्थराइटिस (गठिया) के चार चरण

Rheumatoid Arthritis in Hindi: गठिया या रूमेटाइड अर्थराइटिस रोग के प्रमुख चार चरण होते हैं प्रत्येक चरण में लक्षणों के अनुसार चिकित्सा थोड़ी अलग हो सकती है जैसे कि

1. पहला चरण (first stage)- 

  • इस अवस्था में जोड़ों में किसी भी प्रकार की क्षति नहीं होती बल्कि जोड़ों के आसपास के उत्त्को (tissues) में सूजन तथा दर्द की स्थिति उत्पन्न हो जाती है

यह रूमेटाइड अर्थराइटिस का बिल्कुल शुरुआती चरण है ऐसी स्थिति में इस बीमारी का अंदाजा लगाना थोड़ा मुश्किल होता है

2. दूसरा चरण (second stage)-

  • यह इस बीमारी की मध्यम अवस्था है जो प्रमुख रूप से जोड़ों में मौजूद नरम हड्डी जिसे कार्टिलेज (cartilage) भी कहते हैं उसको प्रभावित करती है 

इस अवस्था में कार्टिलेज सख्त होने लगते हैं जिस कारण जोड़ों की गतिशीलता (movability) में कमी आने लगती है

3. तीसरा चरण (third stage)-

  • रूमेटाइड अर्थराइटिस की यह बहुत ही गंभीर अवस्था है जिसमें हड्डियों तथा कार्टिलेज के सिरों (ends) में विकृति (deformity) हां जाती है 

जोड़ों की गतिशीलता बहुत ही कम (limited) हो जाती है पीड़ित व्यक्ति को जोड़ों में असहनीय दर्द तथा सूजन होने लगती है

4. चौथा चरण (fourth stage)-

  • रूमेटाइड अर्थराइटिस की सबसे गंभीर अवस्था है जिसमें जोड़ पूरी तरह क्षतिग्रस्त (damage) हो जाते हैं उनमें गतिशीलता (movability) बिल्कुल खत्म हो जाती है 

पीड़ित व्यक्ति हाथ तक हिलाने में असमर्थ हो जाता है ऐसे रोगी bed ridden हो जाते हैं जो अपने आप लेट्रिन बाथरूम करने में बिल्कुल असमर्थ हो जाते हैं कम शब्दों में कहें तो इस अवस्था में रूमेटाइड अर्थराइटिस से पीड़ित व्यक्ति पंगु हो जाता है

  • जोड़ों के साथ-साथ उनकी सपोर्ट करने वाली मांसपेशियां व लिगामेंट्स इत्यादि भी कमजोर पड़ जाते हैं

इस अवस्था में कई बार तो ज्वाइंट रिप्लेसमेंट ट्रीटमेंट भी करना पड़ता है


रूमेटाइड अर्थराइटिस (गठिया रोग) की अन्य जटिलताएं

इस रोग में 40% मामले ऐसे भी होते हैं जिनमें जोड़ों में किसी भी प्रकार की विकृति के लक्षण प्रकट नहीं होते बल्कि शरीर के अन्य अंगो तथा संरचनाओं पर इस बिमारी का असर पड़ता है जिनमें से प्रमुख इस प्रकार है जैसे कि…

आंखों पर– 

रूमेटाइड अर्थराइटिस पीड़ित कई रोगियों की आंखों में सूजन तथा दर्द होने लगता है आंखों मे  गंभीर प्रकार की खुश्की (dry eyes) आ जाती है

  • आंखों में आंसू बनने लगभग समाप्त हो जाते हैं ऐसी स्थिति रूमेटाइड अर्थराइटिस रोग के आंखों में मौजूद आंसुओं का निर्माण करने वाली ग्रंथियों (lacrimal glands) पर होने वाले अटैक के कारण होता है 

ऐसी स्थिति को वैज्ञानिक भाषा में keratoconjunctivitis sicca कहा जाता है

त्वचा पर-

रूमेटाइड अर्थराइटिस कई बार कई व्यक्तियों की त्वचा को भी प्रभावित करता है ऐसी स्थिति में प्रभावित त्वचा के ऊतकों (tissues) में सूजन तथा दर्द का अनुभव होता है त्वचा के नीचे गांठ तथा फफोले बन जाते हैं

फेफड़ों पर-

  • रूमेटाइड अर्थराइटिस से पीड़ित कई मरीजों के फेफड़ों में रूमेटाइड नोड्यूल्स बनने लगते हैं इसके साथ साथ फेफड़ों का बाहरी आवरण जिसे pleura कहते हैं वह भी प्रभावित होने लगती है जिस कारण पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ तथा सूखी खांसी रहने लगती है

दिल पर (गठिया का प्रभाव) –

  • गठिया या रूमेटाइड अर्थराइटिस कई व्यक्तियों के हृदय को गंभीर रूप से प्रभावित करता है इसके कारण हृदय की मांसपेशियों में अत्यधिक सूजन (Myocarditis) आ जाती है 

हृदय की बाहरी आवरण पेरिकार्डियम (pericardium) मे सूजन के कारण पेरिकार्डाइटिस (pericarditis) हो जाता है यह स्थिति बहुत ही गंभीर होती है

  • इसके अलावा धमनियों की कठोरता तथा खून में थक्के बनने के कारण दिल का दौरा पड़ने का भी risk बढ़ जाता है

यह रोग कई व्यक्तियों के हृदय में मौजूद Valves मे भी विकृति उत्पन्न कर देता है 

लार बनाने वाली ग्रंथियां-

  • रूमेटाइड अर्थराइटिस का प्रभाव कई मरीजों की लार ग्रंथियों (salivary glands) पर पड़ता है जिस कारण मुंह में सूखापन (dryness in mouth-xerostomia) व आंखों में सूखापन (dry eyes-xerophthalmia) जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं

ऐसी स्थिति को sjogren’s syndrome कहते हैं

किडनी पर-

  • रूमेटाइड अर्थराइटिस की दवाइयां कई रोगियों के गुर्दों पर बहुत बुरा प्रभाव डालती है

कार्पल टनल सिंड्रोम- 

  • गठिया या रूमेटाइड अर्थराइटिस के कारण होने वाली सूजन से कलाई की नसों में दबाव के चलते कई मरीजों में यह समस्या भी उत्पन्न हो जाती है

इसके अलावा रूमेटाइड अर्थराइटिस कई मामलों में बोन मैरो, रक्त वाहिकाओं तथा नर्व उत्त्को को भी प्रभावित करता है जिसके कारण पीड़ित व्यक्ति को न्यूरोपैथी, चलने फिरने मे असमर्थ होना, रक्त संचार से जुड़े रोग तथा मायोसाइटिस इत्यादि होने की संभावना बढ़ जाती है

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रूमेटाइड अर्थराइटिस के लक्षण (गठिया के लक्षण)

इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति मे शुरुआत में नीचे लिखे लक्षण उत्पन्न होते हैं…

जोड़ों में जकड़न- सुबह के वक्त हाथों की उंगलियों में हल्का दर्द तथा जकड़न का होना रूमेटाइड अर्थराइटिस का सबसे प्रमुख लक्षण है

  • इस लक्षण में सबसे खास बात यह है कि पीड़ित व्यक्ति जैसे ही कोई कार्य करना शुरू कर देता है तो धीरे-धीरे जोड़ों का दर्द कम (improvement in symptoms with exertion or activity) होने लगता है

inflammatory polyarthritis- शरीर के एक से ज्यादा जोड़ों पर दर्द तथा जकड़न एक साथ होना रूमेटाइड अर्थराइटिस का एक विशेष लक्षण है रूमेटाइड अर्थराइटिस शरीर के छोटे जोड़ों के साथ- साथ कंधों, कूल्हों, टखने, घुटनों तथा गर्दन के पीछे वाले जोड़ो को भी प्रभावित करता है

थकावट रहना- बिना किसी स्पष्ट कारण के पीड़ित व्यक्ति हमेशा थका हुआ महसूस करता है दिन-ब-दिन शारीरिक कमजोरी बढ़ती जाती है इसका प्रमुख कारण जोड़ों में होने वाली सूजन के खिलाफ शरीर की प्रतिक्रिया है

हल्का बुखार- अत्याधिक थकावट के साथ-साथ पीड़ित व्यक्ति हल्के बुखार (low grade fever) का अनुभव भी बिमारी के शुरुआती दौर में करता है

जोड़ों में लालिमा- हाथों तथा पैरों की उंगलियों के जोड़ों में दर्द के साथ साथ लालिमा (redness) भी दिखाई देती है यह मुख्य रूप से रक्त वाहिकाओं के फैलाव के कारण होता है जो प्रभावित क्षेत्र में ज्यादा रक्त संचार करती हैं

वजन घटना- भूख कम लगना तथा बिना किसी स्पष्ट कारण के शरीर का वजन कम होना रूमेटाइड अर्थराइटिस का एक प्रमुख लक्षण है

जोड़ों में सूजन तथा दर्द-

जैसे जैसे रोग का प्रभाव बढ़ता जाता है वैसे वैसे हाथों पैरों के छोटे जोड़ों में सूजन आने लगती है प्रभावित जोड़ (joint) को दबाने से पीड़ित व्यक्ति को असहाय पीड़ा का अनुभव होता है रूमेटाइड अर्थराइटिस का यह विशिष्ट लक्षण है

झुनझुनी तथा सुनपन- रूमेटाइड अर्थराइटिस के कई मामलों में प्रभावित जोड़ो में सुनपन तथा झुनझुनी के लक्षण भी हो सकते हैं ऐसा मुख्य रूप से प्रभावित क्षेत्र की तंत्रिकाओं (nerves) के प्रभावित होने के कारण होता है

जोड़ों का गर्म होना- रूमेटाइड अर्थराइटिस के शुरुआती लक्षणों में हाथ लगाने पर शरीर के छोटे जोड़ (small joints) गरम महसूस होते हैं 

यह स्थिति आमतौर पर जोड़ों में दर्द तथा सूजन आने से पहले दिखाई देती है

गतिशीलता कम होना- रूमेटाइड अर्थराइटिस कें मरीजों को अपनी कलाइयों (wrist) को घुमाने तथा आगे पीछे करने में बहुत तकलीफ होती है

बिमारी का प्रभाव बढ़ने पर जोड़ों के टेंडन तथा स्नायुबंधन भी प्रभावित हो जाते हैं जिस कारण उस जोड़ की गतिशीलता कम होने लगती है

रात को पसीना ज्यादा आना रूमेटाइड अर्थराइटिस के शुरुआती लक्षणों में कई मरीजों को हल्के बुखार के साथ-साथ रात को ज्यादा पसीना आता है

गठिया रोग के लक्षणों में एक बात बहुत खास है कि जैसे-जैसे ठंड बढ़ती है वैसे वैसे पीड़ित व्यक्ति के जोड़ों में दर्द तथा अकड़न में भी वृद्धि होने लगती है ठंड के मौसम में गठिया पीड़ित रोगी बहुत परेशान होते हैं

Rheumatoid Arthritis in Hindi
image source-https://medlineplus.gov/

रूमेटाइड अर्थराइटिस कई वर्षों तक बना रहने के बाद पीड़ित व्यक्ति के जोड़ों को पूर्ण रूप से विकृत कर देता है जिस कारण अनेक तरह की जोड़ों की विकृतियां हो जाती है जैसे कि…

  • Radial deviation of the wrist 
  • Ulnar deviation of MCP joints 
  • Swan neck deformity 
  • Boutonniere’s deformity 
  • Claw toe deformity 
  • Hammer toe deformity 
  • Subluxation of the metatarsal heads

रूमेटाइड अर्थराइटिस के कारण (rheumatoid arthritis causes in hindi)

इस बिमारी का सही कारण अभी तक पूरी तरह ज्ञात नहीं (unknown etiology) है इसके सही कारण पता लगाने के लिए अभी भी अनुसंधान चल रहा है कुछ कारण नीचे लिखे गए हैं जिनकी वजह से रूमेटाइड अर्थराइटिस हो सकता है जैसे कि…

एस्ट्रोजन हार्मोन असंतुलन के कारण- पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों में यह बीमारी ज्यादा होने का कारण एस्ट्रोजन (estrogen) नामक हार्मोन का असंतुलन होना भी माना जाता है

आनुवंशिक कारण- जिन लोगों के माता-पिता को ऐसी बीमारी हो उनमें यह रोग होने की संभावना अधिक होती है

किसी भी प्रकार की हड्डियों की चोट या लिगामेंट्स मे  क्षति होने के कारण भी रूमेटाइड अर्थराइटिस हो सकता है

  • शराब, धूम्रपान तथा नाइट्रोजन युक्त आहार का ज्यादा सेवन करने से भी यह रोग हो सकता है

जिन लोगों के रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा सामान्य से ज्यादा हो ऐसे लोगों को आगे चलकर रूमेटाइड अर्थराइटिस होने की संभावना काफी बढ़ जाती है

  • बाकी रूमेटाइड अर्थराइटिस किसी भी आयु के व्यक्ति को हो सकता है 
  • 25% के लगभग अर्थराइटिस की बिमारी से पीड़ित व्यक्ति 45 वर्ष से कम आयु के होते हैं

अर्थराइटिस की शुरुआत सबसे अधिक 40 और 60 साल के बीच होती है जो स्वास्थ्य के चरम पर है

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रूमेटाइड अर्थराइटिस का निदान – गठिया रोग की पहचान

शुरुआती अवस्था में इस बीमारी का पता लगाना थोड़ा मुश्किल होता है जैसे-जैसे इस रोग का प्रभाव व्यक्ति के शरीर पर बढ़ने लगता है वैसे वैसे इससे संबंधित लक्षण प्रकट होने लगते हैं ऐसी स्थिति में चिकित्सक रोगी का सही से निरीक्षण कर निम्नलिखित तरीकों से रूमेटाइड अर्थराइटिस का पता लगा सकता है…

रोगी का परीक्षण-

  • पीड़ित व्यक्ति के हाथों पैरों की उंगलियों के जोड़ों को दबाकर यह निरीक्षण किया जाता है कि उनमें दबाने पर पीड़ा (tenderness) होती है या नहीं

पीड़ित व्यक्ति की पूरी केस हिस्ट्री चिकित्सक द्वारा ली जाती है

Morning stiffness अर्थात सुबह उठने के बाद छोटे जोड़ों में जकड़न कितनी रहती है इस बात का पता लगाया जाता है

रोग की पुष्टि के लिए निम्न रक्त जांच करवाना आवश्यक है जैसे कि…

  • RA Factor- आर ए फैक्टर रूमेटाइड अर्थराइटिस से पीड़ित व्यक्ति के रक्त में पॉजिटिव आता है
  • ESR- यह एक इन्फ्लेमेटरी मारकर है जो पीड़ित व्यक्ति के रक्त की जांच करने पर सामान्य से बढ़ा हुआ मिलता है
  • CRP– यह भी एक इन्फ्लेमेटरी मारकर है जिसकी जांच करने पर रोगी व्यक्ति में इसकी वैल्यू बढ़ी हुई मिलती है

RA Quantitative Study- रूमेटाइड अर्थराइटिस की पुष्टि होने के बाद इस जांच से यह जाना जाता है कि पीड़ित व्यक्ति में रूमेटाइड अर्थराइटिस रोग की स्थिति क्या है अर्थात रोग सामान्य है या गंभीर

X -Rays- इस जांच के द्वारा छोटे या बढ़े जोड़ों (joints) की विकृति (deformity) का अंदाजा चिकित्सकों द्वारा लगाया जाता है

इन जांच के अलावा m.r.i. तथा अल्ट्रासाउंड की जांच भी रोगी व्यक्ति में करवाई जा सकती है

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रूमेटाइड अर्थराइटिस का उपचार (गठिया को जड़ से खत्म करने के उपाय)

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में इस बिमारी का पूर्ण इलाज आज तक संभव नहीं हो पाया है इस बिमारी के इलाज का उद्देश्य पीड़ित व्यक्ति के जोड़ों में आई हुई सूजन व दर्द को कम करना तथा साथ ही साथ जोड़ों (joints) को भविष्य में विकृत (damage) होने से बचाना है

इसी के साथ पीड़ित व्यक्ति के दैनिक जीवन को बेहतर बनाना ताकि वह अपनी रोजमर्रा की गतिविधियों को बरकरार रख सके

गठिया के इलाज के विकल्प इस प्रकार है…

  • दवाइयां (medications)
  • भौतिक थेरेपी (physical therapy)
  • व्यायाम (exercises)
  • शल्य चिकित्सा (surgery if needed)

1. दवाइयां (गठिया रोग की अंग्रेजी दवा)

  • रूमेटाइड अर्थराइटिस रोग के प्रबंधन के लिए कई प्रकार की दवाइयों का इस्तेमाल डॉक्टरों द्वारा किया जाता है जिनका विवरण नीचे दिया गया है जैसे कि

१. NSAIDs- आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में दर्द तथा सूजन को कम करने के लिए इन विशेष प्रकार की दवाइयों का इस्तेमाल कुछ समय के लिए पीड़ित रोगियों में किया जाता है इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार है जैसे कि…

ऐसी दवाइयों का लंबे समय तक इस्तेमाल करने से अनेक प्रकार के दुष्प्रभाव जैसे अमाशय में सूजन(gastritis), तेजाब बनना(acidity), पेट में छाले(peptic ulcers) होना, अभ्यंतर रक्तस्त्राव (internal bleeding), किडनी डैमेज इत्यादि हो सकते हैं 

इसलिए ज्यादा जरूरत पड़ने पर ही ऐसी दवाइयों का सेवन रोगी को करना चाहिए

२. Steroid युक्त दवाइयां (गठिया बाय का रामबाण इलाज)-

  • यह एक विशेष किस्म की दवाइयां है जिनका सेवन करने से पीड़ित व्यक्ति को दर्द तथा सूजन में तुरंत ही आराम मिलता है

बिमारी के बढ़ने पर जब सामान्य दर्द निवारक दवाइयों (pain killers) से आराम ना मिले तो ऐसी स्थिति में कुछ दिनों के लिए इन दवाइयों का सेवन डॉक्टरों द्वारा पीड़ित व्यक्ति को करवाया जाता है 

  • परंतु याद रखें इनका सेवन कम से कम मात्रा में तथा कुछ दिनों के लिए ही करना चाहिए अन्यथा गंभीर प्रकार के दुष्परिणाम शरीर में हो सकते हैं

स्टेरॉयड युक्त दवाइयों के कुछ उदाहरण इस प्रकार है जैसे कि…

  • Hydrocortisone 
  • Prednisolone – 5 से 10 mg प्रतिदिन
  • Methylprednisolone – 8 से 16 mg प्रतिदिन

इन दवाइयों का प्रयोग गोलियों तथा इंजेक्शन के रूप में किया जाता है

साइड इफेक्टस- स्टेरॉयड दवाइयों का लंबे समय तक प्रयोग करने से पीड़ित व्यक्ति की हड्डियां कमजोर पड़ने लगती है वजन बढ़ने लगता है ब्लड प्रेशर बढ़ता है शुगर रोग में वृद्धि होती है आंखों की समस्याएं (cataract) उत्पन्न होने लगती है रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है

इसलिए बिना डॉक्टरी सलाह ऐसी दवाइयों का प्रयोग अपनी मर्जी से बिल्कुल भी ना करें

३. DMARDs-Disease Modifying Anti Rheumatic Drugs (गठिया के दर्द से तुरंत राहत)

  • रूमेटाइड अर्थराइटिस रोग प्रबंधन में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण दवाएं इसी ग्रुप में आती है इनका प्रयोग विशेष रूप से रूमेटाइड अर्थराइटिस के कारण होने वाली जोड़ों की क्षति तथा विकृति की रोकथाम के लिए किया जाता है

साथ ही साथ यह दवाइयां रोग की बढ़ोतरी (progression) में भी रोकथाम करती हैं इनके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं जैसे कि…

  • Methotrexate 
  • Leflunomide 
  • Hydroxy-chloroquine 
  • Sulfasalazine 

इन दवाइयों में से गठिया के इलाज के लिए सबसे ज्यादा प्रयोग की जाने वाली दवाई Methotrexate है जो गोली जा इंजेक्शन के रूप में पीड़ित व्यक्ति को कुछ सप्ताह से कुछ महीनों तक लेने की सलाह चिकित्सक द्वारा दी जाती है

४. Biologic Response Modifiers-

यह दवाइयां नई किस्म की DMARDs ग्रुप की ही है गठिया या रूमेटाइड अर्थराइटिस के प्रबंधन में यह भी बहुत असरदार दवाइयां है उदाहरण नीचे लिखे गए हैं जैसे कि…

इन दवाइयों के इस्तेमाल केवल स्पेशलिस्ट डॉक्टर के निर्देश अनुसार ही करना चाहिए


शल्य चिकित्सा (surgery)-

रूमेटाइड अर्थराइटिस रोग कई व्यक्तियों के जोड़ों को बिल्कुल ही विकृत कर देता है ऐसी अवस्था में पहुंचने पर जोड़ों की गतिशीलता समाप्त हो जाती है इस समस्या से निजात पाने के लिए कई प्रकार की शल्य चिकित्सा की मदद से लाभ मिल सकता है उदाहरण के लिए जैसे…

Synovectomy-

  • इस प्रक्रिया में ग्रसित जोड़ (joint) की सूजी हुई लाइनिंग (lining) को Remove कर दिया जाता है ऐसा करने से उस जोड़ में दर्द तथा सूजन कम हो जाती है साथ ही साथ गतिशीलता (flexibility) बढ़ जाती है

Tendon Repair-

  • इस प्रक्रिया में जोड़ों को बांधने वाले टेंडनस (tendons) को रिपेयर कर ग्रसित जोड़ की गतिशीलता को बढ़ाया जाता है

Joint Fusion

  • जब किसी विशेष परिस्थिति में जोड़ के प्रत्यारोपण (joint replacement) की व्यवस्था ना हो तो ऐसी स्थिति में इस विधि का प्रयोग कर ग्रसित जोड़ को Stabilise या Realign कर उसका इलाज किया जाता है

Total Joint Replacement-

इस प्रक्रिया में पूरे का पूरा ग्रसित जोड़ नई किस्म के धातु से बने हुए जोड़ों से बदल (Replace) दिया जाता है


गठिया की भौतिक चिकित्सा (Physical Therapy)

  • रूमेटाइड अर्थराइटिस से पीड़ित रोगियों के जोड़ों की गतिशीलता को बनाए रखने के लिए कई प्रकार की Exercises का सहारा लेकर इस चिकित्सा को किया जाता है 

इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसे नियमित रूप से करने से जोड़ों में गतिशीलता तथा Flexibility बनी रहती है जोड़ों के विकृत (damage) होने की आशंका कम हो जाती है

  • इस चिकित्सा के दौरान धूम्रपान करना मना है क्योंकि वैज्ञानिक मतानुसार धूम्रपान से रूमेटाइड अर्थराइटिस रोग के लक्षणों में बढ़ोतरी होती है

इसके साथ साथ रोगी को अपना वजन भी सामान्य रखना बहुत जरूरी है ऐसा इसलिए है क्योंकि वजन बढ़ने से भी इस रोग के लक्षणों में वृद्धि होने का खतरा बना रहता है


रूमेटाइड अर्थराइटिस के इलाज का नया विकल्प (गठिया बाय का रामबाण इलाज)

इस प्रक्रिया में कुछ खास किस्म की नई दवाइयां जिनको Janus Kinase (JAK) inhibitor कहते हैं इनका इस्तेमाल गठिया के इलाज के लिए सबसे प्रभावशाली माने जाने वाली DMARDs दवा Methotrexate के साथ संयोजन के रूप में किया जाता है

अभी तक FDA ने केवल तीन प्रकार की ऐसी दवाइयों (JAK inhibitors) के इस्तेमाल की सहमति प्रदान की है उनके नाम इस प्रकार है…

अभी अभी हुए वैज्ञानिक अनुसंधान के अनुसार रूमेटाइड अर्थराइटिस का सबसे कारगर इलाज यही है इस प्रक्रिया के माध्यम से ऐसे रोगियों के लक्षणों में सबसे ज्यादा कमी देखी गई है

इनके अलावा एक अन्य ग्रुप की भी दवाइयां इस रोग के प्रबंधन में इस्तेमाल की जाती है जैसे…

Bruton’s Tyrosine Kinase (BTK) Inhibitors-

BTK यह एक विशेष प्रकार के एंजाइम्स (Enzymes) होते हैं जो सूजन (inflammation) के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं 

  • इन दवाइयों का इस्तेमाल करने से ऐसे एंजाइम्स की रोकथाम हो जाती है जिससे गठिया के कारण होने वाली सूजन में कमी आती है

अभी इनके प्रयोग को लेकर पूरी स्टडी उपलब्ध नहीं है

Vagus Nerve Stimulation-

इस विधि के द्वारा इलेक्ट्रिकल impulses का इस्तेमाल कर Vagus Nerve को उत्तेजित कर जोड़ों में आई हुई सूजन को कम किया जाता है

  • रूमेटाइड अर्थराइटिस के इलाज के दौरान रोगी को omega-3 फैटी एसिड्स के सेवन की सलाह जोड़ों की सूजन को कम करने के लिए डॉक्टरों द्वारा दी जाती है

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में जो भी दवाइयां या विधियां रूमेटाइड अर्थराइटिस के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाती है उनका सही विवरण मैंने यहां प्रस्तुत किया है कृपया इसे ध्यान से पढ़कर इसका लाभ उठाएं


गठिया का होम्योपैथिक इलाज

रूमेटाइड अर्थराइटिस रोग के प्रबंधन में कई प्रकार की अन्य दवाइयां जो कि वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों में उपलब्ध है काफी कारगर मानी जाती है

गठिया की रोकथाम तथा प्रबंधन के लिए होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में इस्तेमाल की जाने वाली प्रमुख दवाइयां इस प्रकार है जैसे कि…

Sulphur 200-

  • गठिया के इलाज की शुरुआत इस दवा से करनी चाहिए

Medorrhinum 200-

गठिया से पीड़ित व्यक्ति को हफ्ते में एक बार इस दवा को अवश्य लेना चाहिए

मात्रा- इस दवा की दो से चार बूंद सीधे जीवा (tongue) पर डालकर या ग्लोबूल्स में मिक्स करके भी सेवन कर सकते हैं

Colchicum 30 यह रूमेटाइड अर्थराइटिस में प्रयोग की जाने वाली होम्योपैथी की विशेष दवा है

मात्रा- 10 से 15 बूंदे आधे गिलास पानी में डालकर दिन में तीन बार सेवन कर सकते हैं

Actaea Spicata 30-

गठिया रोग में प्रयोग की जाने वाली होम्योपैथिक की विशेष दवा है

  • गठिया के कारण पैरों तथा हाथों की उंगलियों के छोटे जोड़ों में अगर दर्द ज्यादा हो तो इस दवा का सेवन करने से बहुत लाभ होता है

इसकी मात्रा भी कोलचिकम 30 के सामान है

Causticum 200-

गठिया के कारण जब शरीर के बड़े जोड़ जैसे घुटने आदि ज्यादा प्रभावित हो तो ऐसी स्थिति में इस दवा का सेवन दिन में तीन बार करने से बहुत लाभ होता है

Caulophyllum 30 (गठिया का होम्योपैथिक इलाज)-

  • यह भी गठिया रोग की प्रभावशाली होम्योपैथिक दवा है इसका सेवन में दिन में तीन बार तक किया जा सकता है

Bryonia 200-

Rhus Tox 200-

  • गठिया के कारण जोड़ों में अत्यधिक दर्द की स्थिति में इन दवाइयों का सेवन दिन में तीन बार करने से बहुत लाभ होता है यह दवाइयां होम्योपैथी में प्रमुख रूप से दर्द निवारक के तौर पर प्रयोग की जाती है अगर दर्द कम है तो ऐसी स्थिति में इनका सेवन नहीं करना चाहिए

विशेष नोट-

होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में प्रत्येक दवा का इस्तेमाल बिमारी के लक्षणों के आधार पर किया जाता है प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति में रोग के लक्षण अलग-अलग होते हैं 

इसलिए इन दवाइयों का सही लाभ उठाने के लिए होम्योपैथिक चिकित्सक से सलाह मशवरा करने के बाद ही इनका इस्तेमाल करना चाहिए


रूमेटोइड आर्थराइटिस का प्राकृतिक उपचार (गठिया का घरेलू इलाज)

यहां प्राकृतिक (natural) उपचार दिए गए हैं जो रूमेटोइड आर्थराइटिस या गठिया के प्रबंधन के लिए बहुत अच्छा काम करते हैं जैसे कि…

गर्म व ठंडे पैक- हीट पैक मांसपेशियों को relaxation देता है तथा रक्त की supply को बढ़ाता है। कोल्ड (ठंडा) पैक सूजन (inflammation) के साथ-साथ जोड़ों (joints) की सूजन को भी कण्ट्रोल करते हैं।

एक्यूपंक्चर- यह शरीर में सूजन के लिए responsible रसायनों के स्तर को कम करने मे मदद करता है तथा क्रोनिक दर्द से निजात दिलाने मे मदद करता है।Rheumatoid Arthritis in Hindi

अरोमाथेरेपी- अरोमाथेरेपी में प्रयोग किए जाने वाले जरूरी तेल तनाव तथा चिंता को कम करके आपके मूड को elevate कर सकते हैं तथा यही एकमात्र मेथड है जो रूमेटोइड आर्थराइटिस के खिलाफ बहुत फायदेमंद साबित होते हैं। इनमें से कुछ आपको थोडा परेशान कर सकते हैं इसलिए सावधानी बरतनी जरूरी है।

व्यायाम-

हर रोज़ नियमित व्यायाम जोड़ों की सूजन को कम करता है तथा इससे दर्द भी कम होता है। यहां तक ​​कि तेज चलने से भी हमारे जोड़ों (joints) के आसपास की मांसपेशियां (muscles) मजबूत बनी रहती हैं।Rheumatoid Arthritis in Hindi

मालिश- blood circulation को बढ़ाने तथा थकान व दर्द को कम करने के लिए प्रभावित क्षेत्र की मालिश करना बहुत ही महत्वपूर्ण है।

टोपिकल क्रीम, जैल व पैच-रूमेटोइड आर्थराइटिस के दर्द को कम करने में ये काफी फायदेमंद हैं।Rheumatoid Arthritis in Hindi

हल्दी-  यह जोड़ो मे सूजन पैदा करने वाले प्रोटीन को बनने से रोकता है तथा दर्द को भी कम कर सकता है।आयुर्वेद चिकित्सा मे इसका प्रयोगं हजारो वर्षो से सफलतापूर्वक किया जा रहा है।Rheumatoid Arthritis in Hindi

योग- योग जोड़ों के दर्द (pain) को कम करने, लचीलेपन (flexibility) में सुधार तथा तनाव को कम करने में बहुत ज्यादा मदद करता है।


गठिया रोग की आयुर्वेदिक चिकित्सा

दशमूल क्वाथ-समस्त वात रोगों के जोड़ों के दर्द तथा प्रसव के बाद के विकारों में उपयोगी है। 50 ग्राम क्वाथ को 500 मि.लि. जल में पकाकर 125 मि.लि. रह जाने पर चीनी मिलाकर प्रातः सायं इसका प्रयोग करायें।

महारास्नादि क्वाथ–सन्धिवात, कम्पनवात तथा शूल में उपयोगी है। 50 ग्राम क्वाथ को उपरोक्त विधि से प्रयोग करायें।

रास्नासप्तक क्वाथ-यह क्वाथ भी सन्धिवात, कम्पनवात तथा शूल मे बहुत उपयोगी है 50 ग्राम क्वाथ को उपरोक्त विधि से प्रयोग कराये।

नारायण तेल- समस्त प्रकार के वात रोगों को दूर करता है  कटिशूल, ज्ञाहीनता तथा पक्षाघात आदि में बार-बार मालिश करने से लाभ बहुत होता है

महाविषगर्भ तेल-शरीर तथा जोड़ों में होने वाले वात के दर्द तथा गठिया वा मे मालिश करने से शीघ्र लाभ होता है।

महानारायण तेल– यह तेल नारायन तेल की अपेक्षा ज्यादा वातनाशक ओषधियों का मिश्रण होने के कारण बहुत फायदेमंद है प्रभावित स्थान पर मालिश करने से बहुत लाभ होता है 

एकांगवीर रस-पक्षाघात तथा अन्य वात विकारों में प्रयोग किया जाता है 2-2 गोली प्रतिदिन तीन बार उष्ण जल या रास्नादि क्वाथ के साथ प्रयोग करायें।

महावात विध्वंसन रस-जैसा नाम वैसा गुण है। यह औषधि समस्त प्रकार के वात रोगों का नाश करती है। अपस्मार तथा आमवात (rheumatoid arthritis) में विशेष रूप से प्रयोग की जाती है। 2-2 गोलियाँ रास्नादि क्वाथ या दशमूल क्वाथ के साथ प्रयोग करवाने से बहुत लाभ होता है।

महायोगराज गुग्गुल (गठिया के दर्द से तुरंत राहत)-

समस्त वायु विकारों, सन्धिवात, शरीर का वायुशूल, कम्पनवात, गृध्रसी, विश्वाचि, कमरदर्द, उरू स्तम्भ, धनुर्वात, पक्षाघात, अर्दित तथा मन्दाग्नि में लाभकारी है। प्रातः सायं 2-2 गोली महारास्नादि क्वाथ के साथ देने से बहुत लाभ होता हैRheumatoid Arthritis in Hindiयोगराज गुग्गुल- इसके गुण महायोगराज से कुछ कम हैं किन्तु यह बढ़िया वातनाशक ओषध है। 2-2 गोली प्रातःसायं देने से बहुत लाभ होता है।

रास्नादि गुग्गुल– वातवृद्धि, गृध्रसी, आमवात (rheumatoid arthritis) तथा सन्धिवात में बहुत लाभकारी है। 2-2 गोली रास्नादि क्वाथ या गर्म जल के साथ प्रतिदिन दो बार प्रयोग करना बहुत फायदेमंद है।

सिंहनाद गुग्गुल-वातरक्त (Gout), आमवात (rheumatoid arthritis) तथा गुल्म में काफी लाभप्रद है। 2-2 गोली गर्म दूध या दशमूल क्वाथ के साथ प्रयोग करना बहुत फायदेमंद है।Rheumatoid Arthritis in Hindiत्र्योदशाँग गुग्गुल-सन्धिवात (osteoarthritis), गृध्रसी (sciatica), कमर दर्द तथा आमवात में 2-2 गोली रास्नादि क्वाथ के साथ दो बार देंने से बहुत लाभ होता है।

वातकुलान्तक रस-समस्त वात विकारों में लाभ करता है। 100 मि.ग्रा. प्रातःसायं शहद के साथ प्रयोग करना चाहिए।

वृहद्दवात चिन्तामणि रस-

समस्त वात रोग, वातिकशूल, स्नायु दौर्बल्य, उन्माद, अपस्मार, कम्पनवात, आर्दित, पक्षाघात, उच्च रक्तचाप (हाई बी.पी.) में बहुत गुणकारी दवा है। 100 मि. ग्रा. प्रातःसायं शहद के साथ प्रयोग करवाना चाहिये।Rheumatoid Arthritis in Hindiयोगेन्द्र रस (स्वर्ण मुक्तायुक्त)-वातशामक, अनिन्द्रा, बेचैनी, अंगों की अशक्ता, घबराहट तथा उच्च रक्तचाप में गुणकारी है। प्रातःसायं 1-1 गोली मधु से प्रयोग करवाना बहुत फायदेमंद है।


गठिया रोग परहेज (गठिया रोग में क्या खाना चाहिए)

top 5 foods to avoid in Rheumatoid arthritis 

1. मांसाहार- किसी भी प्रकार का मीट, चिकन, अंडे तथा मछली आदि का सेवन गठिया (RA) पीड़ित को बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए गठिया से निजात पाने के लिए सात्विक आहार का सेवन करें जो पचने में हल्का हो तथा किसी भी प्रकार के आमरस (undigested toxic juice) को शरीर में ना बनने दें

  • ऐसा इसलिए है क्योंकि आयुर्वेदिक मतानुसार इसी आमरस से शरीर में अनेकों तरह के रोगों की उत्पत्ति होती है जिनमें आमवात (rheumatoid arthritis) प्रमुख है
2. दूध तथा दूध से बने पदार्थ-
  • आजकल के युग में दूध के उत्पादन को बढ़ाने के लिए अनेक प्रकार के स्टेरॉयड इंजेक्शन का इस्तेमाल जानवरों में किया जाता है इसी के साथ साथ जानवरों के आहार में भी कई प्रकार के अप्राकृतिक रसायनों की मिलावट की जाती है

ऐसे में उनसे प्राप्त हुए दूध में प्राकृतिक गुणों का अभाव हो जाता है तथा अनेक प्रकार के विषाक्त तत्व दूध में आ जाते हैं इस प्रकार के दूध या दूध से बने अन्य उत्पादों का सेवन करने से शरीर में विषाक्त तत्वों की वृद्धि होने लगती है जिसके कारण अनेक प्रकार के रोग जैसे गठिया (Rheumatoid arthritis), अंकेलोजिंग स्पोंडिलाइटिस, टाइप वन डायबिटीज इत्यादि होने का खतरा बढ़ जाता है Rheumatoid Arthritis in Hindiइस बात का उल्लेख एक बहुत ही काबिल चीन देश के न्यूट्रिशन के डॉक्टर ने अपनी किताब THE CHINA STUDY में भी किया है

दूध की जगह कैल्शियम तथा अन्य प्राकृतिक खनिजों की प्राप्ति के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां ऐसे रोगियों को सेवन करनी चाहिए इन सब्जियों का इस्तेमाल करने से पहले कम से कम एक घंटा इनको गुनगुने पानी में भिगोकर रखने से इनमें मौजूद किसी भी तरह के विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं

  • हरी पत्तेदार सब्जियों में क्लोरोफिल नाम का प्रकृतिक रसायन होता है जो अनेक प्रकार की ऑटोइम्यून डिजीज को ठीक करने में बहुत सहायक है
3. चीनी तथा चीनी से बने उत्पाद (refined sugars)-
  • अप्रकृतिक रूप से निर्मित चीनी तथा चीनी से बने अन्य उत्पाद जैसे अनेकों प्रकार की मिठाईयां, कैंडी, डिब्बाबंद फूड आइटम्स का इस्तेमाल गठिया पीड़ित रोगियों को बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए 

मीठे के लिए प्राकृतिक रूप से मौजूद मीठे फलों का सेवन जैसे खजूर, गन्ने का रस, इस से बना हुआ प्राकृतिक गुड का इस्तेमाल किया जा सकता है

ऐसा इसलिए है क्योंकि अप्राकृतिक रूप से तैयार की गई चीनी में किसी भी प्रकार की न्यूट्रीशनल वैल्यू नहीं होती बल्कि अनेक प्रकार के विषाक्त तत्व इसमें मौजूद रहते हैं जो भविष्य में अनेकों रोगों का कारण बनते हैं

4. तरह-तरह के तेल (oils)-

  • रिफाइंड शुगर की तरह ही अप्राकृतिक रूप से फैक्ट्रियों में तैयार किए गए अनेक प्रकार के तेल तथा रिफाइंड ऑयल मे कई तरह के प्रिजर्वेटिव्स तथा विषाक्त पदार्थ मौजूद रहते हैं 

यह तेल गठिया रोगियों के लिए किसी भी प्रकार से फायदेमंद नहीं है बल्कि नुकसानदेह है ऐसा कई प्रकार के वैज्ञानिक अनुसंधान में प्रमाणित भी हो चुका है 

  • इसलिए जितना हो सके इन रिफाइंड आयल का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए 

इसकी जगह प्राकृतिक रूप से तैयार किए गए कोकोनट या सरसों के तेल का इस्तेमाल करना चाहिए

5. चाय तथा कॉफी-

  • कॉफी तथा चाय का ज्यादा इस्तेमाल हमारी आंतों की सेहत के लिए अच्छा नहीं है इन पदार्थों में कैफीन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है जो किसी भी प्रकार से गठिया के रोगी के लिए अच्छी नहीं है यह कैफ़ीन हड्डियों पर बहुत बुरा प्रभाव डालती है इसलिए गठिया के रोगियों को चाय तथा कॉफी को अपने आहार से त्याग देना चाहिए

इसकी जगह गठिया के रोगियों को अदरक की चाय या  ग्रीन टी का इस्तेमाल करना चाहिए


निष्कर्ष (Rheumatoid Arthritis in Hindi)

गठिया या रूमेटाइड अर्थराइटिस का इलाज आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की विधि के द्वारा संभव नहीं है यह विधि केवल लक्षणों का उपचार मात्र करने में सक्षम है गठिया को जड़ से खत्म करने के लिए रोग के शुरुआती दौर में आयुर्वेदिक चिकित्सा के द्वारा इसका इलाज पूरी तरह संभव है

  • गठिया के इलाज के दौरान ऊपर लिखे गए खाने पीने के परहेज करना अति आवश्यक है सात्विक आहार का सेवन रोगी के लिए बहुत फायदेमंद साबित होता है

पीड़ित रोगी के शरीर का सर्वप्रथम अंदरूनी शुद्धीकरण किया जाता है इसके लिए अनेक प्रकार के आयुर्वेदिक द्रव्य जैसे एलोवेरा जूस इत्यादि का सहारा लिया जाता है जब रोगी का शरीर अंदर से पूरी तरह शुद्ध हो जाता है उसके बाद ऊपर लिखी गई आयुर्वेदिक दवाइयों में से रोगी की प्रकृति अनुसार दवाइयों का चयन कर रोग की सशमन चिकित्सा की जाती है

  • मैंने इस विधि के द्वारा अपने क्लिनिकल प्रैक्टिस में अनेक प्रकार के गठिया से पीड़ित रोगियों को पूरी तरह इस रोग से मुक्ति दिलाई है

अगर आप किसी भी प्रकार की सलाह मशवरा इस रोग से संबंधित मुझसे करना चाहते हैं तो आप मुझे ई-मेल या व्हाट्सएप पर संपर्क कर सकते हैं

मैंने यहां गठिया रोग से (Rheumatoid Arthritis in Hindi) संबंधित सारी जरूरी जानकारी आपके साथ शेयर कर दी है कृपया इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ें तथा इसको आगे शेयर कर इसका लाभ उठाएं


Disclaimer (Rheumatoid Arthritis in Hindi)

इस आर्टिकल में दी गई नींद की दवाइयों की जानकारी केवल ज्ञान मात्र के लिए है कृपया नीचे दी गई किसी भी अंग्रेजी दवाई को बिना डॉक्टर की सलाह बिल्कुल भी इस्तेमाल ना करें

  • क्योंकि इन दवाइयों के सेवन से कई प्रकार के शारीरिक तथा मानसिक दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं
    बाकी यह दवाइयां सिर्फ डॉक्टर की पर्ची पर ही मिलती है इसलिए डॉक्टर की सलाह से ही इस्तेमाल की जानी चाहिए

इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद किसी भी दवा का इस्तेमाल अपनी मर्जी से करने से अगर कोई नुकसान होता है तो इसका जिम्मेदार वह व्यक्ति खुद होगा हमारी इसमें कोई भी जिम्मेदारी नहीं होगी

Information Compiled- by Dr Vishal Goyal

Bachelor in Ayurvedic Medicine and Surgery

Post Graduate in Alternative Medicine MD(AM)

Email ID- [email protected]

Owns Goyal Skin and General Hospital, Giddarbaha, Muktsar, Punjab


सन्दर्भ:

https://www.sciencedirect.com/topics/medicine-and-dentistry/keratoconjunctivitis-sicca-keratoconjunctivitis sicca in rheumatoid arthritis STUDY

https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/2319940/- rheumatoid pericarditis Study

https://www.everydayhealth.com/rheumatoid-arthritis/living-with/managing-arthritis-and-sjogrens-syndrome/-arthritis and Sjogren’s-syndrome link study

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2111618/- RA quantitative test study

https://www.webmd.com/rheumatoid-arthritis/nsaids-rheumatoid-arthritis-nsaids role in the treatment of rheumatoid arthritis

https://www.uptodate.com/contents/disease-modifying-antirheumatic-drugs-dmards-in-rheumatoid-arthritis-beyond-the-basicsdmards role in the treatment of rheumatoid arthritis study

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