सिर दर्द-Headache in Hindi

सिर दर्द-Headache in Hindi

सिर दर्द (Headache, Tension Headache): परिचय– सिर में एक विशेष प्रकार की अनुभूति जिसमें पीड़ा का अनुभव हो उसको सिर दर्द  (headache) कहते हैं। यह एक ऐसी बीमारी है जिससे बच्चा भी परिचित होता है ठीक इसके विपरात सिर्फ यहीं एक ऐसी बीमारी है जिसका ठीक-ठाक वर्णन (विश्लेषण) एक वयस्क भी पूरी तरह से करने मे असमर्थ होता है।

  • छोटे बच्चे के मुँह से भी सुना होगा सिर दर्द(headache) हो रहा है तथा यदि एक वयस्क से भी पुछा जाये कि कैसा सिरदर्द (headache) हो रहा है तो वह यदि कुछ उत्तर दे भी देता है तो उससे खुद भी पूरी तरह से संतुष्ट नहीं होता है।

वह अन्त तक सोचता रहता है कि जैसा हो रहा है, उसे सही से नहीं कह पा रहा हूँ। आप स्वयं भी जब सिर दर्द  (headache) से पीडित हों तो इसे ठीक-ठाक बताने का प्रयास करेंगे तो आपको भी अहसास हो जायेगा कि इस बात में कितनी सच्चाई है ।

  • आमतोर पर सिर दर्द (headache) को सामान्य समझा जाता है तथा इसके कारण यदि सामान्य हों तो थोड़े समय मे आराम भी मिल ही जाता है लेकिन जब कारण जटिल हों तो सिर दर्द (headache) स्वयं कोई रोग नहीं है, यह किसी भी रोग का लक्षण मात्र हो सकता है, मूल कारण कुछ भी हो सकता है। इस बात को सही से समझने की जरूरत होती है।

sir dard ke karan (reason of headache in hindi)

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1 sir dard ke karan (reason of headache in hindi)

जैसा कि परिचय में कहा गया है कि सिर दर्द (headache) स्वयं कोई रोग नहीं है बल्कि किसी अन्य रोग का लक्षण होता है, ठीक इसी के साथ यह प्रश्न उठता है कि वे कान-2 से रोग है ?

इसके उत्तर में जो सूची दी जा सकती है वह लम्बी होगी फिर भी सिरदर्द के मुख्य कारणों तथा रोगों के प्रमुख संकेत नीचे दिये जा रहे हैं…

  • कब्ज (constipation)
  • पेट में गैस बनना (acidity, gas)
  • अग्निमांद्य (indigestion)
  • अफारा (flatulence)
  • ज्वर (fever)
  • स्नायु-दुर्बलता (weakness)
  • उच्च रक्त दाब (hypertension)
  • मानसिक तनाव (mental stress)
  • शारीरिक या मानसिक थकावट (physical or mental fatigue)
  • आँखों के रोग (eye diseases)
  • सिर में चोट लगना (head injury)
  • किसी भी प्रकार के संक्रमण (viral and bacterial infections)
  • रजोदोष (menstrual problems)
  • रजोनिवृति काल (menopause)
  • गर्भावस्था (pregnancy)
  • पित्त प्रकोप
  • किसी ग्रंथि (Gland) में प्रदाह (swelling) उत्पन्न होना
  • सिर के अन्दर मस्तिष्क में ट्यूमर (brain-tumor) या अर्बुद (कैंसर) होना

जैसे रोगों के साथ स्वाभाविक रूप से लक्षण-स्वरूप सिर दर्द (headache) हुआ करता है तथा मूल रोग ठीक होते ही सिर दर्द (headache) भी ठीक हो जाता है।

अतः सिर दर्द (headache) की चिकित्सा करते समय यह ध्यान रखना चाहिये कि तुरंत लाभ के लिये दर्दनाशक औषधियों का प्रयोग करें, लेकिन स्थायी लाभ के लिये मूल रोग की चिकित्सा परमावश्यक की जानी चाहिए।

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सिर दर्द के लक्षण (symptoms of headache in hindi)

जिस प्रकार सि रदर्द (headache) के कारण अनेक होते हैं उसी प्रकार लक्षण भी भिन्न-2 के होते हैं। किसी को सिर फटता सा महसूस होता है तो किसी को कील ठोकने जैसी पीड़ा होती है।

  • सिद दर्द (headache) के साथ किसी को वमन (vomiting) होती है, तो किसी की आँखें लाल (redness in eyes) हो जाती है। रक्तहीनता (anemia) के कारण भी सिर दर्द (headache) होता है जिससे चेहरा और शरीर भी फीका-2 पीलापन लिये महसूस होता है।
  • रक्तचाप वृद्धि से उत्पन्न सिरदर्द बराबर बना रहता है
  • ठीक इसी प्रकार पेट में गैस एवं स्नायुविक दुर्बलता (weakness) के कारण उत्पन्न सिर दर्द (headache) भी दिन और रात सदा बना रहता है।
  • उल्टी के बाद सिर दर्द (headache) को आराम हो, शरीर में दाह का अनुभव हो तो समझें मानसिक तनाव एवं अनिद्रा या migraine की शिकायत है,
  • नित्यप्रातः सिर दर्द हो तो मस्तिष्क में ट्यूमर (tumor) का सन्देह करें एवं इसके लिये जरूरी जॉच करवायें।
  • नाक बन्द होने के साथ सिर दर्द (headache) हो तो जुकाम संभव है, इसमें नाक और आँखों से पानी भी आता है। वस्तुतः यह श्लेष्मा (mucous) का स्राव होता है।

सिर दर्द (headache) के साथ-साथ अनिद्रा, सुस्ती (drowsiness) आदि के लक्षण भी सामान्य रूप से होते हैं। किसी भी काम में मन न लगना, कभी सिर को बाँधे रखना तो कभी, दबाते रहना देखा जाता है।

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सिर दर्द के प्रकार (types of headache in hindi)

अंतरराष्ट्रीय Headache सोसाइटी के अनुसार सिरदर्द को प्रमुख रूप से दो भागों में बांटा जाता है

१. प्राथमिक सिरदर्द (Primary headache) –

इस प्रकार के सिर दर्द (headache) की वजह किसी भी प्रकार का कोई रोग या बीमारी नहीं होती, यह सामान्य किस्म का सिर दर्द (headache) होता है जो सिर की नसों, मांसपेशियों, रक्त परिसंचरण या मस्तिष्क में मौजूद अनेक प्रकार के रसायनों इत्यादि में होने वाले बदलावों से जुड़ा हुआ है 

  • कम शब्दों में कहें तो इस प्रकार के सिर दर्द (headache) मे ज्यादा चिंता करने वाली कोई बात नहीं होती यह सिरदर्द सामान्य दर्द निवारक दवाइयों के सेवन से ठीक हो जाते हैं

इस प्रकार के प्राइमरी सिरदर्द निम्नलिखित तरह के हो सकते हैं जैसे कि…

1. माइग्रेन सिरदर्द (migraine headache in hindi)

इस प्रकार के सिर दर्द (headache) में सिर का आधा हिस्सा आगे से या पीछे से या दोनों साइड से बहुत पीड़ा करता है माइग्रेन के पीछे क्या कारण होते हैं इसका पता अभी तक पूरी तरह से नहीं चल पाया है

  • माइग्रेन के कारण होने वाले सिर दर्द (headache) में ज्यादातर पीड़ित व्यक्तियों को घबराहट तथा उल्टी आने के लक्षण भी महसूस होते हैं

कई बार तो उल्टी आने के बाद इस प्रकार का सिर दर्द (headache) अपने आप ही ठीक हो जाता है इस प्रकार का सिर दर्द (headache) कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक का हो सकता है

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2. क्लस्टर (गुच्छा सिरदर्द) सिर दर्द (cluster headache meaning in hindi)

15 मिनट से लेकर 3 घंटों तक सिरदर्द की अवधि इस प्रकार के सिरदर्द में हो सकती है

  • इस प्रकार का सिर दर्द पूरे दिन में 1 से 8 बार तक पीड़ित व्यक्ति को परेशान कर सकता है
  • कई कई महीनों तक पीड़ित व्यक्ति इस प्रकार के सिर दर्द के लक्षणों से बचे भी रह सकते हैं

किसी भी प्रकार के कोई विशेष कारण क्लस्टर सिर दर्द के पीछे ज्ञात नहीं हुए हैं

3. तनाव सिरदर्द (tension headache hindi)

दुनिया भर में टेंशन सिर दर्द (headache) सबसे ज्यादा पाया जाने वाला सिर दर्द है


२. सेकेंडरी सिरदर्द (sir me dard kyu hota hai)

इस प्रकार के सिर दर्द (headache) का सही से निदान करना बहुत जरूरी होता है ऐसा इसलिए है क्योंकि ऐसे सिर दर्द (headache) के पीछे किसी भी प्रकार का कोई भी गंभीर कारण हो सकता है 

  • जिसमें अनेक प्रकार के रोग जैसे ब्रेन ट्यूमर, आंखों से जुड़ी हुई बीमारियां, दांतों के रोग, काला मोतियाबिंद या ब्रेन स्ट्रोक इत्यादि किसी भी प्रकार की समस्या प्रमुख रूप से ऐसे सिर दर्द (headache) की वजह हो सकती है

सेकेंडरी सिर दर्द (headache) के कारण का जल्दी से जल्दी पता लगाना बहुत जरूरी है अन्यथा शरीर के लिए बहुत ज्यादा नुकसानदेह साबित हो सकता है

इस प्रकार के सिर दर्द (headache) में प्रमुख रूप से निम्नलिखित प्रकार के सिर के दर्द शामिल हैं…

1. रिबाउंड सिर दर्द (Rebound headache)

सबसे ज्यादा होने वाला सेकेंडरी सिर दर्द (headache)यही है इसका प्रमुख कारण सिर दर्द (headache) के लक्षणों का इलाज करने वाली दवाइयों का सेवन अत्यधिक मात्रा में सेवन करना होता है 

जब तक दवा का असर रहता है तो पीड़ित व्यक्ति आराम महसूस करता है जैसे ही दवा का असर खत्म हो जाता है फिर से सिर में दर्द (headache) होने लगता है कई बार पूरा पूरा दिन इसके लक्षण महसूस होते रहते हैं

2. थंडरक्लैप सिर दर्द (Thunderclap headache)-

इस प्रकार का सिर दर्द (headache) अचानक होता है तथा इसके लक्षण बहुत ही गंभीर होते हैं 

  • मात्र 1 मिनट में यह दर्द अपनी पूरी चरम सीमा तक पहुंच जाता है तथा कुछ समय के लिए लगातार होता रहता है 

इस प्रकार के सिर दर्द( headache) को बर्दाश्त करना पीड़ित व्यक्ति के लिए बहुत मुश्किल होता है

3. साइनस सिर दर्द (sinus headache meaning in hindi)

चेहरे की हड्डियों के बीच जो छिद्र होते हैं उनको साइनस कहते हैं इस प्रकार के साइनस में बैक्टीरियल जा वायरल इंफेक्शन होने के कारण या किसी भी प्रकार की एलर्जी होने के कारण तरल पदार्थ जमा होने लगता है साथ ही साथ सूजन भी बढ़ने लगती है जिसे साइनोसाइटिस (Sinusitis) कहते हैं 

साइनोसाइटिस से पीड़ित व्यक्तियों में इसके कारण अक्सर ही सिर में दर्द (headache) होता है

4. कैफीन सिर दर्द (Caffeine headache)

कैफीन युक्त पदार्थ जैसे चाय, कॉफी इत्यादि का ज्यादा इस्तेमाल करने वाले व्यक्तियों को जब इस तरह के पेय पदार्थ समय पर सेवन करने को नहीं मिलते तो कैफ़ीन withdrawal के कारण सिर में दर्द (headache) होने लगता है 

इसमें किसी भी प्रकार की चिंता की कोई बात नहीं होती

5. सर्वाइकल (Cervical) के कारण होने वाला सिर दर्द

जिन व्यक्तियों को सर्वाइकल स्पोंडिलाइटिस की समस्या रहती है ऐसे व्यक्तियों में गर्दन के पिछले हिस्से की मांसपेशियों में जकड़न के कारण सिर में दर्द (headache) होने लगता है 

  • सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के कारण होने वाला सिर दर्द (headache) आजकल आम समस्या है

इस प्रकार की समस्या में गर्दन के पिछले हिस्से में बहुत ज्यादा दर्द, कंधों में दर्द, चक्कर आना साथ ही साथ सिर दर्द (headache) होना इत्यादि लक्षण प्रकट होते हैं

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6. रीड की हड्डी से संबंधित सिर दर्द (Spinal headache)

रीड की हड्डी जिसे स्पाइनल कॉर्ड (Spinal cord) भी कहते हैं इसमें होने वाली कोई भी समस्या बैक्टीरियल जा वायरल इनफेक्शन सिरदर्द (Headache) का मुख्य कारण हो सकते हैं

Bone TB से पीड़ित व्यक्तियों में सिर दर्द होना एक आम लक्षण है

7. एलर्जी के कारण सिर दर्द (Allergic headache)

कई व्यक्ति किसी भी विशेष वस्तु या मौसम के प्रति अति संवेदनशील होते हैं ऐसी स्थिति के संपर्क में आने के कारण उनके शरीर में एलर्जी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है 

इस प्रकार की एलर्जी के कारण आंखों तथा नाक से पानी बहना साथ ही साथ सिर दर्द (headache) होना आम लक्षण होता है

8. Exertion सिर दर्द

ज्यादा शारीरिक परिश्रम करने के बाद भी कई व्यक्तियों में सिर दर्द (headache) होने लगता है इसी को exertion सिर दर्द कहते हैं इस प्रकार के सिर दर्द का कारण ज्यादा शारीरिक मेहनत के कारण शरीर के अंदर होने वाली पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) हो सकता है

9. नसों की समस्या (Nerve problems) के कारण होने वाला सिर दर्द

यह सिर दर्द (headache) सबसे भयंकर किस्म का होता है मात्र कुछ ही सेकंड में पीड़ित व्यक्ति इसको सहने में असमर्थ हो जाता है कोई भी दवा काम नहीं करती 

  • इसका मुख्य उदाहरण Trigeminal Neuralgia नामक नस की समस्या है

इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति सिर दर्द को बर्दाश्त ना करने के कारण खुदकुशी (Suicidal tendencies)  करने तक की कोशिश करता है

हमने अपनी क्लिनिकल प्रैक्टिस में ट्राईजैमिनल न्यूरैलीजिया के कारण होने वाले सिरदर्द (headache) से ज्यादा गंभीर सिर दर्द (headache) के लक्षण ओर किसी बीमारी के आज तक नहीं देखे

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सिर दर्द का इलाज (sir dard ka ilaj)

रोगी के रोग का मुख्य कारण क्या है उसे लक्षित कर पथ्यापथ्य की व्यवस्था करें।

यदि कब्ज रहती है तो नित्य सुबह भिगोये हुए अंकुरित चनों का सेवन गुड़ के साथ करायें, हल्के सुपाच्य भोजन की व्यवस्था करें। यदि खिचड़ी रुचिकर हो तो उसमें घी कुछ अधि क डालें। वे सब आहार हितकर होंगे जो कब्ज नाशक हों।

गर्म पानी ठण्डे पानी की अपेक्षा अधिक लाभदायक होगा।

  • मस्तिष्क की दुर्बलता के कारण सिर दर्द हो तो बादामों का सेवन उत्तम है। धूप और आग से रोगी को दूर रखें। उच्च रक्तदाब के रोगी का सिरदर्द इससे बढ़ जाता है, यदि सिरदर्द (headache) पुराना हो तो उपवास करायें। सप्ताह या दो सप्ताह के अन्तराल पर एक दिन व्रत रखना तो आवश्यक समझें।

आराम करने का कमरा स्वच्छ हवादार एवं ठण्डा होना चाहिये। मस्तिष्क में रक्त संचार अधिक होने से या अधिक रक्तदाब होने से सिरदर्द हो रहा हो तो बर्फ या ठण्डा जल सिर पर डालें।

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चिकित्सा निर्देश- sir me dard ho to kya kare ?

रोगी के पाचन संस्थान (Digestive system) तथा स्नायुतंत्र संस्थान पर विशेष ध्यान दें। उन्हें स्वस्थ रखने के लिये अपेक्षित चिकित्सा की व्यवस्था करें। इससे 50% से अधिक रोगी स्वस्थ हो जाएंगे।

  • मानसिक तनाव के कारण सिर दर्द (headache) हो तो दर्दनाशक औषधि के साथ – साथ शांतिदायक औषधि (Tranquilizer) भी आवश्यकतानुसार दें।
  • किसी तरह का संक्रमण (Infection) मूल कारण हो तो रोगाणुरोधी (Antibiotics) का सेवन करायें। किसी तरह के मानसिक आघात (mental trauma) के कारण सिर दर्द हो तो सान्त्वना दें।

मानसिक तनाव से उत्पन्न सिर दर्द (headache) यद्यपि सिरदर्द की चर्चा करते हुए बहुत कुछ स्पष्ट कर दिया गया है। लेकिन यहाँ तनाव (Tension) मुख्य विषय है अतः तनाव (tension) के कारण उत्पन्न सिर दर्द के सम्बन्ध में कुछ और जान लेना विशिष्ट अध्ययन बहुत जरूरी है।

तनाव सिर दर्द (tensan headache in hindi)

तनाव के कारण सिर दर्द (headache) होना सामान्य है। किसी भी आयु का व् कोई भी इसका शिकार हो सकता है। इसका मुख्य कारण है ललाट (fore head) या सिर की माँसपेशियों की ऐंठन (मरोड़) या स्पास्म (spasm) जिसकी अनुभूति हमें तंत्रिका तंत्र (nervous system) के द्वारा होती है जिससे हम पीड़ा का अनुभव करते हैं।

यद्यपि यह सिर दर्द (headache) बराबर बना रहता है लेकिन दिन के बढ़ने के साथ-साथ सिर दर्द (headache) का बढ़ते जाना मुख्य लक्षण है। पूछने पर कि दर्द कैसा है? रोगी बतलाता है कि सिर जैसे किसी बेल्ट या अन्य वस्तु के सहारे चारों ओर से लपेटकर बाँध दिया गया हो। यद्यपि पीड़ा सिर की त्वचा एवं आँखों में (peri orbital region) मे भी होती है।

  • उग्रतर पीड़ा प्रमाणित करती है कि तनाव का गहरा प्रभाव है या जीवन में कोई हादसापूर्ण घटना घटित हुई है। इस रोग के निदान या निश्चितता के लिये किसी गहन परीक्षण की आवश्यकता नहीं है।

आधासीसी (Migraine) गर्दन की संधिवात (Cervical spondylosis), दृष्टि-दोष से उत्पन्न सिर दर्द आदि के साथ तुलनात्मक अध्ययन करके रोग का सही निदान करें। इसके अतिरिक्त अन्य परीक्षण प्रायः आवश्यक नहीं होते हैं।

इसमें इस ओर विशेष ध्यान रखना चाहिये कि रोगी चिन्ता और घोर अवसाद (major depression) का शिकार न हो। अपने रोगी को बीच-बीच में बराबर समझाते रहें कि दर्दनाशक औषधि का विशेष प्रयोग करने से दुष्परिणाम भी सामने आ सकते हैं अतः अपने आपको इसके प्रति सावधान रखें। बहुत कष्ट होने के बाद ही कम से कम निर्देशित मात्रा लें।

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सिर दर्द-नाशक एलोपैथिक औषधियाँ- sir dard medicine in hindi

कैडोलैक Cadolac (कैडिला फार्मा)

इसमें मूल औषधि केटोरोलैक ट्रोमेथामिन होती है। 10 मि. ग्रा. की टिकियाँ उपलब्ध है। यह तीव्र, उग्र पीड़ा को शमन करने में सक्षम है।

मात्रा – 10 से 30 मि. ग्रा. प्रत्येक 6 घंटे बाद या आवश्यकतानुसार।


कैलपोल Calpol (गलैक्सो सिम्थक्लीन)-

यह पेरासिटामोल की टिकियाँ है। प्रत्येक टिकिया 500 मि. ग्रा. की होती है। यह किसी भी प्रकार के दर्द एवं ज्वर को नियंत्रित करने में सक्षम है। बच्चों के लिये सीरप आता है।

मात्रा – 1 से 2 टिकियाँ नित्य 3-6 बार। अधिक से अधिक 2.5 ग्राम (5 टिकियाँ) तक दिन-रात में मिला कर दें।

3 मास से 1 वर्ष तक के बच्चों को 2.5-5 मि. ली., 1-5 वर्ष तक के बच्चों को 5-10 मि. ली., 6-12 वर्ष तक के बच्चों को 10-20 मि. ली. नित्य 1 से 4 बार तक दें।


कॉलीमैक्स टैब्स Colimex tabs (वालेस)- इसमें डायसाईक्लोमिन हाइड्रो. और पेरासिटामोल होता है। यह किसी भी तरह की पीड़ा को दूर करने में पूर्ण सक्षम है।

मात्रा: 1 टिकिया नित्य 2-3 बार दें।

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कॉन्ट्रामल Contramal (sir dard ka upay ) –

इसका इन्जेक्शन आता है। मूल औषधि ट्रामाडॉल होती है। जाकि प्रति मि. ली. 50 मि. ग्रा. होती है। किसी भी तरह की उग्र से उग्र पीड़ा को तत्काल सामान्य करने, आराम की स्थिति में लाने में सक्षम है। भरोसे की दवा है। पीडाहरण के लिये शल्य कर्म (surgery) तक में भी प्रयोग होती है।

मात्रा – वयस्क एवं 14 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों को 50 से 100 मि. ग्रा. माँसान्तर्गत (I.M.) प्रत्येक 4-6 घंटे के अन्तर पर दे सकते है । इसे शिरान्तर्गत (I.V.) भी 2-3 मिनट का समय लेते हुए धीरे-धीरे या घोल में मिश्रित कर इन्फ्यूजन विधि से दिया जा सकता है। इसके कैप्सूल भी उपलब्ध हैं। 1 से 2 कैप्सूल दें। लेकिन 4 घंटे से कम समय में कभी भी अगली मात्रा न दें। बच्चों को इसका प्रयोग न करायें। 

इसकी घुलनशील गोली डी.टी. (D.T.) और एस. आर (S.R) भी उपलब्ध है।

प्रारंभ में 100 मि. ग्रा. (एस. आर. की एक टिकिया) नित्य दो बार सुबह-शाम दें। यदि विशेष आवश्यक हो तो 200 मि. ग्रा. नित्य दो बार दें। बच्चों में प्रयोग वर्जित है।


क्रॉसिन Crocin (ग्लैक्सो स्मिथकलीन) –

प्रत्येक टिकिया 500 मि. ग्रा. पेरासिटामोल की होती है। किसी भी तरह के शूल एवं ज्वर को नियंत्रित करने में सक्षम है।

मात्रा – 500 से 650 मि. ग्रा.  प्रत्येक 4 से 6 घंटे के अन्तर पर दें। 

  • इसका सस्पेन्शन (Suspension) भी उपलब्ध है। 3 मास से 1 वर्ष तक को 2 से 5 मि. ली., 1 से 5 वर्ष तक के बच्चों को 5-10 मि. ली., 6 से 12 वर्ष तक के बच्चों को 10 से 20 मि. ली. 1-4 बार तक नित्य दें।

इसका ड्रॉप्स भी उपलब्ध है। 3 मास से 1 वर्ष तक के बच्चों को 6-8 बूंद, 1 से 3 वर्ष के बच्चों को 10 से 15 बूंद प्रत्येक 6 घंटे के बाद दें।


डिस्प्रीन Disprin (sar dard ki medicine) –

इसकी टिकिया एसिटाइल सेलीसिलिक एसिड, कैल्शियम कार्ब और एनहाईड्रस साईट्रिक एसिड होता है। किसी भी प्रकार के दर्द, सिरदर्द (headache) आदि की उत्तम औषधि है।

मात्रा : 1 टिकियाँ भोजन के बाद नित्य 3 बार।


सायक्लो मेफ Cyclo – Meff (इण्डोको)- इसकी प्रत्येक टिकिया में मिफेनामिक एसिड और डायसाइक्लेमिन हाइड्रो. तथा पेरासिटामोल होता है। सब प्रकार के पीडाजनित कष्ट में इसके प्रयोग से लाभ होता है।

मात्रा – 1 टिकिया नित्य 2-3 बार।

नोट- इसका ससपेन्शन भी उपलब्ध है।

बच्चों को 2.5-5 मि. ली. आवश्यकतानुसार दें। इसका ड्रॉप्स भी आता है। 6 मास से अधिक के बच्चों को 10 से 20 बूँद आहार देने से पहले दें।


डोलीप्रेन Doliprane (निकोलस पीरामल)-

  • इसकी टिकिया एसिटैमिनोफेन की 500 मि. ग्रा. की होती है। यह किसी भी प्रकार के शूल एवं ज्वर को नियंत्रित करने के लिये प्रयोग की जाती है। 

मात्रा – 1 से 2 टिकियाँ नित्य 3-4 बार दें।  इसका सीरप भी आता है। जो 3 मास से 1 वर्ष के बच्चों को 2.5 से 5 मि. ली., 1 से 5 वर्ष के बच्चों को 5 से 10 मि. ली., 6 से 12 वर्ष तक के बच्चों को 10 से 20 मि. ली. नित्य 1 से 4 मात्रायें दें।


डिस्मेन – 500 Dysmen (sar dard ki dawa)

500 (सिग्मा)- यह टिकियाँ मिफेनैमिक एसिड की होती है। यह किसी भी तरह की पीड़ा को शमन करने के लिये दी जाती है।

मात्रा – 1 टिकिया नित्य 2 से 3 बार दें। 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को न दें।

डिस्मेन फोर्ट Dysmen Forte (सिग्मा) – यह टिकिया मिफेनेमिक एसिड के साथ पेरासिटामोल की होती है। उपरोक्त डिस्मेन 500 से अधिक शक्तिशाली है। से तीव्र पीडा को भी शीघ्र शमन करने में सक्षम है।

मात्रा -1 टिकिया नित्य 3 बार दें।


एक्सपरजेसिक Expergesic (विन मेडिकेयर) –

इन टिकियों में पेरासिटामोल और पेन्टाजोसिन होता है। उग्र से उग्र पीड़ा को भी शमन करने वाली औषधि है।

मात्रा – 1 से 2 टिकियाँ, नित्य 3-4 बार, 12 वर्ष से कम के बच्चों को न दें


फोरासेट Foracet (सोलस)-

टिकिया में पेन्टाजोसिन और पेरासिटामोल होती है। किसी भी प्रकार की पीड़ा क्यों न हो, चाहे कितनी उग्र हो, इसके प्रयोग से ठीक हो जाती

मात्रा 1-2 टिकियाँ 6-8 घंटे के अन्तर पर या आवश्यकतानुसार। 12 वर्ष से कम के बच्चों को न दें।


फोर्टविन Fortwin (रैनबैक्सी) –

इसका इन्जे. आता है। इसमें मूल औषधि पेण्टाजोसिन लैक्टेट होती है। उग्र से उग्र पीड़ा को भी शमन करने वाली औषधि है। यहाँ तक कि शल्य क्रिया में भी पीड़ा को कम करने के लिये संज्ञाहर औषधि के प्रयोग से इसे दिया जाता है।

मात्रा – 30 से 60 मि.ग्रा. (1-2 मि.ली.) त्वचान्तर्गत (S.C) या 30 मि.ग्रा. शिरान्तर्गत (1 मि.ली.) प्रत्येक 3-4 घंटे के अन्तर पर डॉक्टर के निर्देश अनुसार ही लगाया जा सकता है। अधिकतम दैनिक मात्रा 360 मि.ग्रा. हैं। इससे अधिक न दें। बच्चों को नहीं देना चाहिए


केटानोव Ketanov (रेनबैक्सी)-

  • इसका इन्जे. और टिकियाँ उपलब्ध हैं। मूल औषधि केटोरोलैक ट्रोमेथामिन होती है। उग्र से उग्र पीड़ा को शीघ्र दूर करके शांति प्रदान करती है। यह संक्षिप्त कालीन चिकित्सीय औषधि है।

मात्रा – प्रारम्भ में 30 मि.ग्रा. (1 मि.ली.) माँसान्तर्गत (I.M.)। इसके बाद 10-30 मि.ग्रा. प्रत्येक 4-6 घंटे बाद । अधिकतम दैनिक मात्रा 120 मि.ग्रा. (4 मि.ली), 5 दिन तक दी जा सकती है।

नोट- केटानोव (Ketanov) की टिकिया 10 मि.ग्रा. की आती है

मात्रा – प्रारंभ में 20 मि.ग्रा. (2 टिकियाँ) दें। बाद में 10 मि.ग्रा. प्रत्येक 4-6 घंटे के अन्तर पर दें। लेकिन कुल मात्रा (4 टिकियाँ) से अधिक न दें।


केटोनिक Ketonic (निकोलस-पीरामल) –

  • इसकी टिकिया केटोरोलैक ट्रोमेथामिन 10 मि.ग्रा. है। यह संक्षिप्त कालीन चिकित्सीय औषधि है। तीव्र से तीव्र पीड़ा को भी दूर करके शांति प्रदान करती है।

मात्रा – 10-20 मि.ग्रा. (1-2 टिकियाँ) प्रत्येक 6 घंटे बाद या आवश्यकतानुसार दे सकते है।


मैलिडेन्सा Malidense (निकोलस-पीरामल) –

  • यह टिकिया पैरासिटामॉल 650 मि.ग्रा. होता है। किसी भी प्रकार के शूल (पीड़ा) एवं ज्वर को पूर्णतः नियंत्रित करने में सक्षम है।

मात्रा – वयस्कों को 1 टिकियॉ, 6 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों को 1/2 टिकिया नित्य 3 बार दें सकते है।


मेज़िटॉल Mazetol (साराभाई पीरामल) –

  • इसकी टिकियों में मूल औषधि कार्बामेजापिन होती है जो कि 100, 200 और 400 मि.ग्रा. की आती है। जहाँ सिर के अगले भाग में पीड़ा हो, परन्तु कारण अज्ञात हो, तथा स्नायुविक शूल (nerve pain like trigeminal neuralgia) हो वहाँ इसका अधिक प्रयोग किया जाता है।

मेजिटॉल की चबाकर खायी जाने वाली (Chewable) और एस.आर. (S.R.) टिकिया भी आती हैं। इनमें मूल औषधि क्रमशः 100 और 200 मि.ग्रा. होती है।

मात्रा – प्रारंभ में 100-200 मि.ग्रा. नित्य 1-2 बार। बाद में धीरे-धीरे मात्रा शारीरिक सहनशीलता को देखते हुए बढाते जाएं। मात्रा बढ़ाकर 600-800 मि.ग्रा. दैनिक विभाजित मात्राओं में दे सकते हैं। अधिकतम विशेष परिस्थति में 1.2 ग्राम तक नित्य दें। पूर्ण लाभ हो जाने पर मात्रा धीरे-धीरे कम करते जाएं। बच्चों में इसका प्रयोग न करें।


माइक्रोपायरिन Micropyrin (निकोलस-पीरामल)-

  • यह टिकिया एसिटायल सलिसिलिक एसिड और कैफीन की होती है। किसी भी प्रकार के दर्द, सिरदर्द (headache), तथा आधीसीसी (migraine) में इसके प्रयोग से लाभ होता है।

मात्रा – 2 टिकियाँ नित्य 3 बार भोजन के बाद दे सकते है।


न्यूरोन्टिन Neurontin (पार्क डेविस) –

  • यह 300 और 400 मिया कैप्सूल गाबापेन्टिन के हैं। यह किसी भी प्रकार की स्नायुविक पीड़ा की उत्तम औषधि है।

मात्रा – प्रारंभ में प्रथम दिन 300 मि.ग्रा. मात्र 1 बार, दूसरे दिन 300 मि.ग्रा. 2 बार तथा तीसरे दिन 300 मि.ग्रा. 3 बार।

बाद में नित्य 300 मि.ग्रा. की अतिरिक्त मात्रा बढाते जाएं। अधिकतम 600 मि.ग्रा. नित्य 3 बार से अधिक न दें। 18 वर्ष से कम आयु वालों को प्रयोग न करायें।


नोवेल्जिन Novalgin (sir dard ki goli) –

यह टिकिया 500 मि.ग्रा. की आती है। किसी भी प्रकार के सिरदर्द (headache) एवं ज्वर को नियंत्रित करने के लिये लाभप्रद।

मात्रा- 1-2 टिकियाँ नित्य 3-4 बार। 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों को न दें।

नोट:-  इसका इन्जेक्शन भी आता है। 2 मि.ली. का माँसान्तर्गत (I.M.) नित्य 2 से 3 बार डॉक्टर के निर्देश अनुसार प्रयोग कर सकते है 

इसके वायल भी आते हैं। लेकिन इसका प्रयोग मात्रा माँसान्तर्गत किया जाता है।


पैसिमॉल Pacimol (इपका) –

  • यह पैरासिटामॉल की टिकिया 500 मि.ग्रा. की आती हैं। यह हर प्रकार के सिरदर्द (headache) और ज्वर को नियंत्रित करने की उत्तम औषधि है।

मात्रा – 1 से 2 टिकियाँ, नित्य 3-6 मात्रायें दे। 

नोट:- इसका सस्पेंशन (suspension) भी उपलब्ध है जो 3 मास से 1 वर्ष तक के बच्चों को 2.5 से 5 मि.ली., 1-5 वर्ष तक के बच्चों को 5-10 मि.ली., 6-12 वर्ष तक के बच्चों को 10-20 मि.ली., नित्य 4 बारदे सकते है।


पेरासिन किड टैब्स Paracin Kid Tabs (स्टैडमेड) – 

  • इसकी प्रत्येक टिकिया में पेरासिटामोल 125 मि.ग्रा. होता है। सब प्रकार के पीड़ा या ज्वर में उपयोगी है।

मात्रा – 1 से 2 टिकियाँ नित्य 3-4 बार।

नोट:– इसके ड्रॉप्स (Drops) भी आते हैं।

मात्रा – 3 मास से 1 वर्ष तक के बच्चों को 6-8 बूंदें, 1-3 वर्ष के बच्चों को 10-15 बूंदें, 3-5 वर्ष तक को 15 से 20 बूँदें नित्य चार बार तक दे । प्रत्येक दो मात्राओं के बीच का अन्तर 6 घंटे रखें।


पारवोडेक्स Parvodex (जगसनपाल) –

  • इसके प्रत्येक कैप्सूल में डेक्स्ट्रोप्रोपॉक्सीफेन हाइड्रो. 60 मि.ग्रा. होता है। किसी भी पीड़ा (सिरदर्द) को दूर करके सामान्य स्थिति में लाने वाली उत्तम औषधि है।

मात्रा – 1 कैप्सूल नित्य 3-4 बार।


पारवोन Parvon (sar dard ki dava)-

  • यह कैप्सूल रूप में उपलब्ध है। प्रत्येक कैप्सूल में डेक्सट्रोप्रोपॉक्सीफेन और पेरासिटामोल होता है। भीषण सिरदर्द (headache) को भी शीघ्र नियंत्रण में लाने वाली परमौषधि है। 1 कैप्सूल नित्य 3-4 बार तक प्रयोग कर सकते है।

पारवोन-एन (Parvon-N) भी आती है। मात्रा – 1 कैप्सूल नित्य 3-4 बार।


पारवोन-स्पास Parvon-Spas (जगसनपाल) –

  • इस कैप्सूल में डेक्स्ट्रो प्रोपॉक्सीफैन हाइड्रो., डायक्लोमिन और पेरासिटामोल होते हैं। यह सब प्रकार की पीड़ा (सिरदर्द) एवं ऐंठन युक्त दर्द की महौषधि मानी जाती है।

मात्रा – 1 कैप्सूल नित्य 2-3 बार।


पेन्टाविन Pentawin (बायोकेम)-

  • इसका इन्जे. आता है। प्रत्येक मि. ली. में पेन्टाजोसिन लैक्टे. 30 मि. ग्रा. होता है। यह तीव्र से तीव्र पीड़ा को तत्काल शान्त करता है। शल्य किया के पूर्व एवं बाद में लगाया जाता है। ऑपरेशन के समय संज्ञाहर औषधि के प्रयोग से पूर्व भी इसका प्रयोग होता है।

मात्रा – 30 से 60 मि. ग्रा. (1 से 2 एम्पूल) का त्वचान्तर्गत या माँसान्तर्गत (S.C. or I.M.) या 30 मि. ग्रा. शिरान्तर्गत (I.V.) प्रत्येक 3-4 घंटे के अन्दर डॉक्टर के निर्देश अनुसार दिया जाता है।


पोन्सटान Ponstan (पार्क डेविस)-

  • यह कैप्सूल रूप में उपलब्ध है। प्रत्येक कैप्सूल में मिफेनामिक एसिड होता है। 250 मि. ग्रा. और 500 मि. ग्रा. का कैप्सूल आता है। किसी भी तरह की पीड़ा से मुक्ति दिलाने वाली उत्तम औषधि है।

मात्रा- 500 मि. ग्रा. नित्य 3 बार। 14 वर्ष से कम के बच्चों को सेवन न करायें।

  • इसका सस्पेन्शन (Suspension) भी आता है।

मात्रा :

  • 6 मास से 1 वर्ष तक के बच्चों को 5 मि. ली.।’
  • 2 से 4 वर्ष तक के बच्चों को 10 मि. ली.।
  • 5 से 8 वर्ष तक के बच्चों को 15 मि. ली.।

9 से 12 वर्ष तक के बच्चों को 20 मि. ली. की मात्रा नित्य 3 बार दें। 7 दिन से अधिक प्रयोग न करें।


प्रोक्सीटैब Proxytab (वॉकहार्ड्ट) –

  • प्रत्येक टिकिया में डेक्स्ट्रोप्रोपॉक्सीफेन हाइड्रो. और एसिटैमिनोफेन होता है। यह एक उत्तम दर्दनाशक औषधि के रूप में प्रयुक्त हो

मात्रा – 1 टिकिया नित्य 3-4 बार दें।


प्रोक्सीवन Proxyvon (वॉकहार्डट)-

  • यह कैप्सूल आता है। प्रत्येक कैप्सूल में डेक्स्ट्रोप्रोपॉक्सीफेन और एसिटैमिनोफेन होता है। सर्वपीड़ाहर औषधि के रूप में दी जा सकती है

मात्रा – 1 कैप्सूल नित्य 3-4 बार दें।


Pyrexon (वॉकहा) –

  • प्रत्येक टिकिया में 650 मि. ग्रा. पेरासिटामोल होता है। सब तरह की पीड़ा एवं ज्वर को नियंत्रित करने की चमत्कारिक औषधि है।

इसकी घुलनशील टिकिया (Dispersible Tabs.) भी आती है। 1 टिकिया नित्य 3-4 बार तक । अधिक से अधिक 6 टिकियाँ 24 घंटे के अंदर दें सकते है।


पायरीजेसिक Pyrigesic (ईस्ट इण्डिया)-

यह पेरासिटामोल की टिकियाँ हैं जो किसी भी तरह के सिरदर्द (headache) और ज्वर को नियंत्रित करने के लिये प्रयोग की जाती हैं।

मात्रा -1 से 2 टिकियाँ 4-6 बार नित्य दें सकते है।


स्पास्मो प्रॉक्सीवॉन Spasmo Proxyvon (वॉकहाईट)-

  • प्रत्येक कैप्सूल में दायसाइक्लोमिन हाइड्रो., डेक्स्ट्रोप्रोपॉक्सीफेन और एसिटेमिनोफेन होता है। यह उग्र से भी उग्र पीडा को शमन करने में अद्भुत औषधि है। ..

मात्रा – 1 कैप्सूल नित्य 2-3 बार।

स्पास्मोप्रोक्सीवॉन Spasmoproxyvon Inj. वॉकहाईट –

  • प्रत्येक मि.ली. में डायसाईक्लोमिन 10 मि. ग्रा. होता है। किसी भी प्रकार के दर्द, ऐंठनयुक्त दर्द में इससे लाभ होता है। सिर का दर्द हो या कष्टरज अथवा उदरशूल, सब में लाभदायी है।

मात्रा -2 मि. ली. प्रत्येक 4 से 6 घंटे के अन्तर पर पूर्ण लाभ होने तक दें।

स्पास्मोप्रोक्सीवॉन फोर्ट Spasmoproxyvon Forte Inj. (वॉकहार्ड्ट)-

  • इसमें डायसाइक्लोमिन के साथ-साथ डायक्लोफिनेक भी होता है जिससे कार्यक्षमता बढ़ जाती है। यह माँसपेशियों एवं अस्थि के किसी भी प्रकार के कष्ट को दूर करने में सक्षम है। ऐंठनयुक्त या प्रदाहयुक पीड़ा सबको दूर करने वाली सफल औषधि है।

मात्रा – 1-2 मि. ली. माँसान्तर्गत (I.M.) नित्य 1-2 बार लगायें।


सुधीनॉल Sudhinol (रेनबैक्सी) –

  • प्रत्येक टिकिया में डेक्स्ट्रोप्रोपॉक्सीफेन और पेरासिटामोल मिला होता हैं। किसी भी प्रकार की पीड़ा को दूर करने वाली उत्तम औषधि है। सिरदर्द हो या दाँत दर्द या फिर किसी अन्य प्रकार का ही दर्द क्यों न हो, इसके सेवन से पूर्ण लाभ मिल जाता है। पीड़ा का नाश भी होता है।

मात्रा – 1 टिकिया नित्य 3 से 4 बार आवश्यकतानुसार सेवन करायें।


टेग्रीटल Tegrital (नोवार्टिस)-

  • इसकी टिकियाँ 200 और 400 मि. ग्रा. की आती हैं। इसमें मूल औषधि कार्बामेजापिन होती है। किसी भी तरह की स्नायुविक पीड़ा (nerve pain) को शमन करने में पूर्ण सक्षम है।
  • सिरदर्द (headache), कमरदर्द, दाँत दर्द या आँख दर्द कुछ भी क्यों न हो, इसके सेवन से ठीक हो जाता है। चबाकर खाने योग्य टिकियाँ और सीरप भी उपलब्ध है।

मात्रा – प्रारंभ में 100-200 मि.ग्रा. नित्य 1-2 बार। आवश्यकतानुसार धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाकर 600-800 मि. ग्रा. नित्य विभाजित मात्राओं में दें। अधिकतम इसकी दैनिक मात्रा 1.6 मि. ग्रा. है। इससे अधिक कभी न दें। लाभ हो जाने पर मात्रा धीरे-धीरे कम करते जाएँ। कम से कम लाभकारी मात्रा का ही प्रयोग करना चाहिये। बच्चों में इसका प्रयोग न करें।


टीडीजेसिक Tidigesic (सन फार्मा)-

  • इसकी जीभ के नीचे रखकर चूसने वाली टिकियाँ आती हैं। प्रत्येक टिकिया में बुप्रेनोर्फिन 200 मि. ग्रा. होता है। भीषण दर्द को भी सामान्य स्थिति में लाकर शांति प्रदान करती है।

मात्रा – 200-400 माई. ग्रा. जीभ के नीचे रखकर, आवश्यकतानुसार 6-8 घंटे के अन्तर पर रोगी चूसे। बच्चों में इसका प्रयोग न करें जिसका वजन 16 कि. ग्रा. से कम हो।

  • 16-25 किलोग्राम वज़न वालों को 100 माई. ग्रा.।
  • 25-37 कि. ग्रा. वालों को 200-300 माई. ग्रा.।’
  • 37.5 से 50 कि. ग्रा. वजन वालों को 200-300 माई. ग्रा.। प्रत्येक को 6-8 घंटे के अन्तर पर या आवश्यकतानुसार।

टोरोलैक Torolac (लुपिन) –

  • इसका इन्जे. आता है। प्रत्येक मि. ली. में केटोरोलैक ट्रोमेथामिन 30 मि. ग्रा. होता है। संक्षिप्तकालीन चिकित्सा अवधि के लिये यह उपयुक्त एवं अच्छी औषधि है। तीव्र से तीव्र पीड़ा (सिरदर्द) को भी शीघ्रता से दूर करके शांति प्रदान करती है।

मात्रा – प्रारंभ में 30 मि. ग्रा. (1 एम्पूल) माँसान्तर्गत (I.M.) डॉक्टर के निर्देश अनुसार। इसके बाद 10-30 मि.ग्रा. प्रत्येक 4 से 6 घंटे के अन्तर पर दें।

  • अधिकतम – 120 मि. ग्रा. दैनिक (प्रत्येक 6 घंटे बाद 1 एम्पूल) मात्र 5 दिनों तक दें। जिन बच्चों की आयु 16 वर्ष से कम हो, उन्हें इसका सेवन न करायें।

इसकी टिकियाँ भी आती हैं जिसकी प्रत्येक टिकिया में मूल औषधि मात्र 10 मि. ग्रा. होती है। प्रांरभिक मात्रा 20 मि.ग्रा. बाद में प्रत्येक 4-6 घंटे के अन्तर पर 1 टिकिया दें। लेकिन ध्यान रहे कि दैनिक मात्रा कुल 40 मि.ग्रा. से अधिक (4 टिकियों से अधिक) न हो।


टी आर डी कॉण्टिन TRD-CONTIN (मोदी-मुण्डी फार्मा) –

  • इसकी टिकियाँ आती हैं। प्रत्येक टिकिया में ट्रामाडॉल हाईड्रो. 100 मि. ग्रा. होता है। तीव्र दर्द को भी पूर्णतः दूर करने में सक्षम है।

मात्रा – प्रारंभ में 100 मि. ग्रा. नित्य दो बार, सुबह-शाम दें।

विशेष परिस्थिति में आवश्यक होने पर 200 मि. ग्रा. नित्य दो बार। बच्चों में इसका प्रयोग न करें।


ट्रामाजैक Tramazac (कैडिला हेल्थकेयर) –

  • इसके इन्जे. में प्रति मि. ली. में 50 मि. ग्रा. ट्रामाडौल हाइड्रो. होता है। इसके 1 मि. ली. (50 मि. ग्रा.) और 2 मि. ली. (100 मि. ग्रा.) के एम्पूल आते हैं।

मात्रा – वयस्क एवं 14 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों को 50-100 मि. ग्रा. माँसान्तर्गत (I.M.) प्रत्येक 4 से 6 घंटे के अन्तर पर लगायें। दो-तीन मिनट का समय लेते हुए भी धीरे-धीरे शिरान्तर्गत (I.V.) दिया जा सकता है।

  • इसे घोल में मिलाकर इन्फ्यूजन विधि से भी बूंद-बूंद करके शिरामार्ग से दिया जा सकता है। दैनिक कुल मात्रा 500 मि. ग्रा. से अधिक नहीं हो। इसके कैप्सूल भी उपलब्ध हैं।

मात्रा –1-2 कैप्सूल कम से कम 4 घंटे के अन्तर पर डॉक्टर के निर्देश अनुसार दें।


ट्रोफेन्टिल Trofentyl (ट्रॉयाका)-

  • इस इन्जे. में फेन्टानिल साईट. 50 मा. ग्रा. प्रति मि. ली. मूल औषधि होती है। यह किसी भी प्रकार की विशेष पीड़ा को पूर्ण नियंत्रित करने में सक्षम है। यहाँ तक कि शल्य क्रिया कालिक वेदना को भी दूर करती है।

मात्रा : इस औषधि के प्रयोगकाल में श्वास-प्रश्वास पर ध्यान रखें। सामान्य श्वास प्रश्वास के साथ 50 से 200 मा. ग्रा. इसके बाद आवश्यकतानुसार 50 मा. ग्रा.।

  • 2 वर्ष से अधिक आयु को 15 मा. ग्रा. प्रति कि. ग्रा. शरीर भार की दर से दें। बाद में 1-3 मा. ग्रा. प्रति किग्रा. शरीर भार की दर से शिरान्तर्गत (I.V.) दें। कम से कम प्रभावी मात्रा का प्रयोग करना ही उचित है। विशेष विवरण के लिये संलग्न-पत्र पढ़ें।

अल्ट्राजिन Ultragin (sir me dard ki tablet)-

  • इसमें पेरासिटामोल 500 मि. ग्रा. होता है। सब तरह के ज्वर एवं पीड़ा को नियंत्रित करने के लिये भरोसे के साथ प्रयोग की जाती है। चाहे किसी भी तरह की पीड़ा क्यों न हो, इससे लाभ होता है।

मात्रा – 1-2 टिकियाँ  नित्य 4-6 मात्रायें दें। सीरप भी उपलब्ध है।

  • 3 मास से 1 वर्ष को 2.5-5 मि.ली.।
  • 1-5 वर्ष तक को 5-10 मि.ली.।
  • 6-12 वर्ष तक को 10-20 मि.ली.।

नोट:- नित्य 1-4 बार तक सेवन करायें।


अर्जेन्डाल Urgendol (विन मेडिकेयर)-

  • इसका इन्जेक्शन आता है। प्रत्येक मि.ली. में ट्रामाडॉल हाईड्रो 50 मि.ग्रा. होता है। तीव्र से तीव्र पीड़ा चाहे नई हो या पुरानी इसके प्रयोग से दूर हो जाती है। शल्यक्रिया से उत्पन्न पीड़ा में भी इसे सफलतापूर्वक दीया जाता है

मात्रा – 14 वर्ष से अधिक आयु के रोगियों को और वयस्कों को 50 से 100 मि.ग्रा. मांसान्तर्गत (I.M.) 4-6 घंटे के अन्तर पर दिया जा सकता है।

  • इसे शिरान्तर्गत (I.V.) भी 2-3 मिनट का समय, कम से कम, लेते हुए दिया जा सकता है।

इसे घोल में मिलाकर इन्फ्यूजन विधि से भी शिरा-मार्ग से बूंद-बूंद करके दिया जा सकता है। अधिकतम दैनिक मात्रा 400 मि.ग्रा. है। इससे अधिक न दें। इसके कैप्सूल भी आते हैं।

मात्रा – 1 से 2 कैप्सूल कम से कम 4 घंटे के अन्तर पर दें। 


वेलाजेसिक Walagesic (वालेस) –

प्रत्येक कैप्सूल में डेक्स्ट्रो प्रोपॉक्सीफेन हाइड्रो. और पेरासिटामोल होता है। यह हर प्रकार की पीड़ा को शमन करने वाली औषधि है।

मात्रा – 1-1 कैप्सूल नित्य 3-4 बार दें।


वाईजेसिक Wygesic (वाईथ)-

  • प्रत्येक टिकिया में डेक्स्ट्रोप्रोपॉक्सीफेन हाइड्रो. और पेरासिटामोल होता है। हर प्रकार की पीड़ाओं को शमन करने की उत्तम औषधि है।

मात्रा – 1-1 टिकिया 3-4 बार।


जिमैल्जिन Zimalgin (एमाडियस)-

  • प्रत्येक टिकिया में पेरासिटामोल तथा कैफीन एनहा. होता है। यह औषधि है। सब प्रकार की पीड़ाओं को शीघ्र दूर करती है 

मात्रा – 1-1 टिकिया नित्य 3-4 बार।


नोट:-

इस प्रकार पीड़ानाशक कुछ एलोपैथिक औषधियों का वर्णन किया गया है। चिकित्सक इनमें से अपने रोगी के अनुसार समुचित औषधि औषधियों का प्रयोग करके लाभ उठा सकते हैं।

ध्यान रहे, जैसा कि कहा जा चुका है, तनाव से उत्पन्न सिर-दर्द में (अवसाद से उत्पन्न सिर दर्द में) अवसाद रोधी (Antidepressants) या प्रोप्रानोलॉल आदि भी उपयोगी हैं। इन औषधियों की चर्चा अवसाद शीर्षक के अन्दर की जा चुकी है।


सर दर्द की आयुर्वेदिक औषधियाँ-sar dard ke gharelu upay 

रस सिन्दूर

125 मि.ग्रा. शहद के साथ सुबह-शाम चटाकर ऊपर से दशमूल क्वाथ या पथ्यादि क्वाथ लेने से वात-कफ दोषज सिरदर्द नया हो या पुराना ठीक हो जाता है। याद रखें कि वात-दोष के कुपित होने पर वातनाड़ी संस्थान (Nerves system) में विषमता उत्पन्न हो जाती है अर्थात् स्नायुतंत्र सम्बन्धी सिर-दर्द होता है।

  • गोदन्तीभस्म और मिसरी डेढ़ ग्राम, दोनों घी में मिलाकर सुबह-शाम चाटने से तत्काल ही लाभ होता है। यह बहुत ही फलदायी औषधि है।

अश्विनी कुमार रस –

1 से 2 गोली नींबू के रस के साथ सुबह-शाम दें।

अश्व कंचुकी रस –

1-1 गोली सुबह-शाम जायफल का चूर्ण 1 ग्राम के साथ, गरम जल से दें।

कल्पतरु रस

इसे नस्य के रूप में प्रयोग करने से लाभ होता है।पानी में घोलकर नाक में बूंद-बूंद नित्य 3-4 बार डालने से कफ और वात से उत्पन्न सिरदर्द (headache) ठीक हो जाते हैं।

काम दुधा रस (मौक्तिकयुक्त)-

250 मि.ग्रा. में जीरे और मिश्री के चूर्ण के साथ सुबह-शाम दें। इसके सेवन से पित्त प्रधान सिरदर्द (headache) ठीक हो जाता है।

वातविध्वन्सन रस –

1 गोली सुबह-शाम मांस्यादि क्वाथ के साथ सेवन करने से अचानक बीच-बीच में होनेवाले भयंकर सिरदर्द (headache) से मुक्ति मिल जाती है। ऐसा सिर दर्द रात्रि में विशेष कर बढ़ जाता है। यह दर्द जितना ही देर तक रहता है, प्राण संकट में पड़ जाते हैं। यह दर्द वातज होता है जिसमें यह योग बहुत ही उपयोगी है।

महावातविध्वन्सन रस –

1 से 2 गोली दिन में दो बार। विशेष परिस्थिति में 3 बार तक सुखोष्ण जल के साथ या अदरक के रस और शहद के मिश्रित योग के साथ सुबह शाम दें। बैचेन करने वाली, मानो सिर में कील ठोका जा रहा है, बिफरकर रुलाने वाले सिरदर्द (headache) में भी लाभदायक है।

शिरः शूलादि वज्र रस

1 से 2 गोली सुबह-शाम गोदन्ती भस्म, हरिताल भस्म और मिश्री मिलाकर बकरी या गाय के दूध के साथ दें। वातज, पित्तज और कफज सब प्रकार के सिरदर्द (headache) ठीक हो जाते हैं। किसी भी कारण से उत्पन्न सिरदर्द (headache) में पहले इसका प्रयोग करें।

सूतशेखर रस न. 1 (स्वर्णयुक्त)-

1-1 गोली सुबह शाम असामान्य मात्रा में शहद और गोघृत के साथ देने से वातज सिर दर्द (headache) ठीक हो जाता है। इसमें सिर में कील ठोकने सदृश पीड़ा होने से रोगी को व्याकुलता होती है। सिर में जलन, सिर-दर्द, कफ और मुँह सूखना आदि लक्षण भी होते हैं।

सिरदर्दनाशक चूर्ण

3-3 ग्राम शहद और ना के बराबर घी मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से सिर दर्द (headache) मिटता है। यह पित्तज एवं रक्ताधिक्य से उत्पन्न सिर दर्द (headache) में अधिक उपयोगी है।

चन्दनादि तेल

5 से 10 बूँद बतासे या बूरा चीनी पर डालकर सेवन करने से सिर दर्द (headache) दूर होता है। यह शीतल और सौम्य गुण प्रधान औषधि है।

दशमूल तेल की मालिश करने से समस्त प्रकार के शिरो रोग एवं वातजनित रोग दूर हो जाते हैं। अतः स्पष्ट है कि सिर दर्द (headache) वातज हो या कफज इससे नष्ट होगा ही।

षड्बिन्दु तेल – 6-6 बूंद नाक के छिद्रों में (सिर पीछे झुकाकर) डालें और फिर साँस जोर से खींचने को कहें। सिर दर्द (headache) के लिये यह प्रसिद्ध है। पुराने रोग में नित्य 2-3 बार डालें।

पथ्यादि क्वाथ – 50 मि. ली. शिरः शूलादि वज्र रस के साथ सुबह-शाम दें। लाभ होगा।

पथ्यादि क्वाथ (प्रवाही)- 10 से 25 मि. ली. सुबह-शाम बराबर जल मिलाकर भोजन के बाद सेवन करने से अनेकानेक शिरोरोग जैसे सिरदर्द (headache), अर्धावभेदक, सूर्यावर्त आदि कठिन से कठिन रोग ठीक हो जाते हैं। यह साधारण रेचक गुण से युक्त है, अतः कब्ज भी हो तो अलग से रेचक (laxative) औषधि लेने की जरूरत नहीं होती है।


सर दर्द की आयुर्वेदिक पेटेण्ट औषधियाँ (headache in hindi)

1. सिलेडिन टेबलेट Siledin Tablet (एलर्सिन कं.) – यह सिरदर्द, अनिद्रा एवं अन्यान्य स्नायुविक रोगों की उत्तम औषधि है। इसमें सर्पगंधा, अश्वगंधा सदृश अनेकानेक घटक हैं जिनका प्रभाव स्नायुतंत्र पर पूर्ण अनुकूल पड़ता है।

प्रयोगविधि – 1 से 2 टिकियाँ नित्य 2-3 बार। अन्तिम मात्रा रात को सोने से पहले दे

2. पीड़ाहर टेबलेट Pidahar Tablet-  किसी भी तरह की पीड़ा क्यों न हो, नाम के अनुसार पीडाहरण की भी क्षमता है, इसमें संदेह नहीं। आधासीसी, सिरदर्द (headache), दाँतदर्द या किसी भी प्रकार का दर्द क्यों न हो इसके सेवन से लाभ होता है

प्रयोगविधि – 2 टिकियाँ नित्य दो बार आवश्यकतानुसार।

3. दर्दनाशक टेबलेट Dardnasak Tablet शारीरिक श्रम, सर्दी, जुकाम, इन्फ्लएंजा, मलेरिया आदि किसी भी कारण से उत्पन्न शिरः शूल या आधासीसी आदि किसी भी प्रकार का सिर दर्द हो, इसके सेवन से लाभ होता है।

प्रयोगविधि – 1-2 टिकियाँ आवश्यकतानुसार।

4. शूलान्तक कैप्सूल Shoolantak Capsule – यह शिरःशूल, उदरशूल, संधिशूल आदि में सफलतापूर्वक प्रयोग की जाती है।

प्रयोगविधि – 1 से 2 कैप्सूल शूल (पीड़ा) के समय गरम जल के साथ।

5. शूल-केशरी Shool-Keshari (जी.ए. मिश्रा)- यह विभिन्न प्रकार के दर्दो में सफलतापूर्वक दी जाती है। चाहे किसी भी कारण से, किसी भी प्रकार का सिरदर्द (headache) क्यों न हो, इससे लाभ होता है।

मात्रा – 1 से 2 कैप्सूल आवश्यकतानुसार।

6. पैंकिल आँयण्टमेण्ट Painkil Ointment (मेहता रसायनशाला) – सर्दी, जुकाम, ज्वर या थकान से उत्पन्न सिरदर्द (headache) में उत्तम है।

प्रयोगविधि-आवश्यकतानुसार ललाट एवं दोनों कनपटियों पर नित्य 3-4 बार लगायें।

7. सिलेडिन Siledin (एलार्सिन)

सामान्य सिरदर्द (headache) में लाभप्रद है। यह उत्तम पीड़ाहर औषधि है। 2-3 गोली नित्य 3-4 बार दें।

8. स्लीप पिल्स Sleep Pills (आर्या कं.)- सिर दर्द का कारण उच्च रक्तचाप हो तो आधी गोली नित्य दिन में 2 बार।

9. मायोहर्ब Myoherb (मधुर कं.) – यह मलहम हैं। आमवात या जुकाम के कारण सिरदर्द( headache) की पीड़ा हो तो इसका प्रयोग करायें। सिर में पीड़ा होने पर नित्य 2-3 बार मलें।

10. फेरोनिल Feronil (लाउरेल कं.)- रक्तहीनता के कारण यदि सिर दर्द (headache) हो या सिर भारी-भारी रहता हो तो 2 चम्मच नित्य 2 बार दें।


कामेण्टोज Kamentose (अजमेरा कं.) – स्नायुविक गड़बड़ी, चिन्ता या तनाव के कारण उत्पन्न सिर दर्द (headache) में इसका प्रयोग फलदायक है।सिर दर्द 2 गोली नित्य 2-3 बार दें। इसके साथ-साथ यदि स्ट्रेसकॉम Stresscom (डाबर) प्रति मात्रा 1 कैप्सूल दिया जाये तो परिणाम और अधिक उत्तम होता है।


सर दर्द की होमियोपैथिक औषधियाँ (headache treatment in hindi)

  1. एसिड नाइट्रिक (Acid Nit.) 200 – सिर में जैसे पट्टी बँधी हो। .
  2. साइट्रस वल्गेरिस (Citrus Vulg.) 2x, 3x, – सिरदर्द के साथ मिचली हो।
  3. एसिड फॉस (Acid phos) 2x, 200 – छात्र-छात्राओं का सिरदर्द (headache)। 
  4. एकोनाईट नैप (Aconite Nap) 2x – ठण्ड से उत्पन्न सिरदर्द (headache)।
  5. एमोनियम पिक्रेटा (Ammonium Pic.) 3x, 6x (विचूर्ण) – औरतों का कष्टदायक सिरदर्द (headache)। 
  6. एमिल नाइट्रेट (Amyl Nit.) Q – रुमाल में डालकर स्नायुविक सिरदर्द (headache) में सुंघायें। 
  7. एण्टिम टार्ट (Antim. Tart) 3x, 200 – चक्कर के साथ सिर दर्द (headache)।
  8. आर्सेनिक मेट (Ars. Met.) 3, 30 – हथौड़ी मारने सा सिर दर्द (headache)। 
  9. एस्टेरियास रुबेन्स (Asterias R.) 6, 30 – मस्तिष्क में रक्त की अधिकता से सिर दर्द (headache)।
  10. बेलाडोना (Belladonna) 2x, 200 – चेहरा लाल और गरम के साथ सिरदर्द (headache)। 
  11. विस्मथ मेट (Bismuth Mat.) 6, 200 – खाने के बाद ही सिर दर्द (headache), के होने पर आराम। 
  12. चेलीडोनियम (Chelidonium) 2x, 30 – दाहिनी ओर सिर में स्नायुविक सिर दर्द (headache)। 
  13. कॉक्सीनेला (Coccinella Indica).Q, 30 – दाहिनी आँख के ऊपर दर्द।
  14. कॉकुलस इण्डिकस (Cocculus Indicus) 3x, 200 – चक्कर के साथ सिर के पिछले भाग में सिर दर्द (headache)। 
  15. ग्लोनाइन (Glonoinum) 6, 30 – धूप में जाने या रक्तचाप वृद्धि से सिर दर्द (headache)। 
  16. कॉलोसिन्थ (Colocynth) 3x, 30 – किसी भी प्रकार का स्नायुविक सिर दर्द (headache) । 
  17. क्रॉकस सैटिवस (Crocus Sat.) 6, 200 – रजोनिवृति कालिक सिर दर्द (headache)। 
  18. सायक्लामिन (Cyclomin Eup.) 3, 6, 30 – बायीं ओर का सिर दर्द (headache)। 
  19. जेलसिमियम (Gelsemium) 2x, 30 – कम्पन एवं सुस्ती के साथ सिर दर्द (headache) । 
  20. इग्नेशिया (Ignatia Amara) 6, 30 – हिस्टेरिया जनित आधासीसी का दर्द। 
  21. लैकेसिस (Lachesis) 200 – सर्दी बन्द होकर सिर दर्द हो। 
  22. मैग्नेशिया म्यूर (Mag. Mur)6, 200 – हाथों से सिर को दबाने से सिर दर्द (headache) का कम होना।
  23. मेलिलोटस (Melilotus All.)Q,300 – माशे में टपक का दर्द, चेहरा अंगारे की तरह। 
  24. मेनियेन्थस (Menyanthes Tr.O3x,6x, – सिर दर्द जो सीढ़ी चढ़ने से बढ़े।

Disclaimer (सिर दर्द-Headache in Hindi)

इस आर्टिकल में दी गई नींद की दवाइयों की जानकारी केवल ज्ञान मात्र के लिए है

  • कृपया नीचे दी गई किसी भी अंग्रेजी दवाई को बिना डॉक्टर की सलाह बिल्कुल भी इस्तेमाल ना करें
  • क्योंकि इन दवाइयों के सेवन से कई प्रकार के शारीरिक तथा मानसिक दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं
  • बाकी यह दवाइयां सिर्फ और सिर्फ डॉक्टर की पर्ची पर ही मिलती है इसलिए डॉक्टर की सलाह से ही इस्तेमाल की जानी चाहिए
  • यह दवाइयां लेने से इनकी लत (Habit) भी पड़ सकती है कृपया अपनी मर्जी से इस्तेमाल ना करें

इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद किसी भी दवा का इस्तेमाल अपनी मर्जी से करने से अगर कोई नुकसान होता है तो इसका जिम्मेदार वह व्यक्ति खुद होगा हमारी इसमें कोई भी जिम्मेदारी नहीं होगी

Information Compiled- by Dr Vishal Goyal

सिर दर्द-Headache in Hindi

Bachelor in Ayurvedic Medicine and Surgery

Post Graduate in Alternative Medicine MD(AM)

Email ID- [email protected]

Owns Goyal Skin and General Hospital, Giddarbaha, Muktsar, Punjab


सन्दर्भ:

https://medlineplus.gov/druginfo/meds/a693001.html- ketorolac tromethamine uses

https://www.nhs.uk/medicines/paracetamol-for-adults/paracetamol used for headache

https://www.apollopharmacy.in/medicine/contramal-dt-50mg-tablet- contramal study

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4727618/-neuropathic pain treatment for trigeminal neuralgia

https://www.healthline.com/health/migraine/gabapentin-migrainegabapentin role in migraine headache

https://www.ayurmedinfo.com/2012/08/04/kamentose-tablets-benefits-dosage-ingredients-side-effects/-kamentose आयुर्वेदिक टेबलेट role in headache


 

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