हृदय रोगों में Trop-T टेस्ट का महत्व  

हृदय रोगों में Trop-T टेस्ट का महत्व  

Trop-T टेस्ट क्या है?

जो चाहें वो पढ़ें hide
1 Trop-T टेस्ट क्या है?

ट्रॉप टी टेस्ट का मतलब ट्रोपोनिन टी टेस्ट से है यह टेस्ट मनुष्य के खून में ट्रोपोनिन टी व ट्रोपोनिन आई की मात्रा को जानने के लिए किया जाता है

ट्रोपोनिन टी प्रोटीन दिल की मांसपेशियों के रेशों में पाया जाता है तथा जब भी किसी भी कारण दिल की मांसपेशियों को क्षति पहुंचती है जैसा की दिल की धमनियों में ब्लॉकेज(CAD) के कारण होता है 

तो इस प्रोटीन का स्तर खून में बढ़ने लगता है जिससे हार्ट अटैक का निदान करने में चिकित्सक को बहुत मदद मिलती है इनको कार्डियक एंजाइमस भी कहते जाता है 


Trop-T टेस्ट क्यों किया जाता है?

अगर किसी व्यक्ति को छाती में दर्द होता है तथा डॉक्टर को लगता है यह दर्द किसी दिल की बीमारी के कारण हो रहा है या कोई अन्य कारण है तो इस बात की पुष्टि करने के लिए Trop-T टेस्ट किया जाता है,

इसके अतिरिक्त हाई सेंस्टिविटी ट्रॉप टी( hs-cTnT)टेस्ट की सहायता से दिल की मासपेशियों की हलकी सी क्षति का अनुमान भी आसानी से लगाया जा सकता है


Trop-T टेस्ट कैसे किया जाता है?

यह टेस्ट भी दूसरे ब्लड टेस्ट की तरह मरीज की बाजू की नस से सिरिंज की मदद से थोड़ा रक्त निकाल कर किया जाता है, 

इसको करवाने के वक्त सुई की चुभन व हल्का से दर्द का एहसास हो सकता है इसके अतिरिक्त कोई भी दिक्कत इस टेस्ट को करवाने के दौरान नहीं होती


Trop-T टेस्ट करवाने से पहले कोई विशेष तैयारी की जरूरत होती है या नहीं?

जी नहीं, इस टेस्ट को करवाने से पहले किसी भी विशेष तैयारी की जरूरत नहीं होती मरीज की सुविधा के अनुसार कभी भी उसका ब्लड सैंपल लिया जा सकता है इसके लिए मरीज का खाली पेट होना या खाना खाया होना यह बातें बिल्कुल भी जरूरी नहीं है,

इसके अतिरिक्त किसी भी दवा या व्यायाम इत्यादि का भी इस टेस्ट पर कोई असर नहीं पड़ता


ट्रोपोनिन टेस्ट कितने प्रकार का होता है?

यह टेस्ट मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है जैसे ट्रॉप टी, ट्राप आई, व कार्डियक ट्रोपोनिन,

ट्रोपोनिन प्रोटीन हृदय की मांसपेशियों के अलावा स्केलेटल मसल्स में भी थोड़ा बहुत पाया जाता है परंतु मुख्य रूप से हृदय की मांसपेशियों में ज्यादा पाया जाता है हृदय रोगों का पता लगाने के लिए ट्रॉप टी व ट्राप आई टेस्ट मुख्य रूप से किया जाता है


ट्रॉप-टी टेस्ट कैसे किया जाता है?

इसको करने के लिए मुख्य रूप से दो तरीके हैं पहला तरीका कार्ड टेस्ट है कार्ड टेस्ट बहुत ही आसान टेस्ट है जिसका परिणाम कुछ सेकंड्स में मिल जाता है यह बिल्कुल वैसा है जैसा कि प्रेगनेंसी चेक करने के लिए कार्ड टेस्ट किया जाता है,

मरीज के रक्त की एक बूंद कार्ड पर डाली जाती है तथा अगर मरीज का ट्रॉप टी टेस्ट पॉजिटिव है तो उस कार्ड पर 2 लाइनें बन जाती हैं,

दूसरा प्रकार क्वानटेटिव(Quantitative) टेस्ट है यह टेस्ट कार्ड टेस्ट की तुलना में ज्यादा सही परिणाम देता है कार्ड टेस्ट में तो केवल पॉजिटिव होने का पता लगता है परंतु इस टेस्ट में कितनी मात्रा में ट्रोपोनिन बढ़ा है यह भी पता लग जाता है,

अगर ट्रोपोनिन ज्यादा बढ़ा है तो इसका मतलब है की ह्रदय की मांसपेशियों को ज्यादा क्षति पहुंची है यह टेस्ट मरीज को दिल के डॉक्टर(Cardiologist) की निगरानी में ही करवाना चाहिए

हृदय रोगों में Trop-T टेस्ट का महत्व पढ़ते रहें…


Trop-T टेस्ट करवाने में कितना खर्च आता है?

  • यह अलग-अलग अस्पताल के रेटों पर निर्भर करता है सामान्य रूप से इस टेस्ट का खर्च 1000 से लेकर 1500 रुपए के करीब आता है

क्या हार्ट अटैक के निदान के लिए Trop-T व Trop-I टेस्ट का पॉजिटिव आना पर्याप्त है?

जी नहीं, हार्ट अटैक की सही से पुष्टि करने के लिए इन टेस्ट के अलावा कई अन्य प्रकार के टेस्ट जैसे कि…

  • मायोग्लोबिन(Myoglobin)
  • एलडीएच(LDH)
  • सीपीके-एम बी (CPK-MB)
  • ईसीजी(ECG)
  • एकोकार्डियोग्राफी इत्यादि भी करने पड़ते हैं 

इन टेस्टों के अतिरिक्त मरीज की शारीरिक चेकअप उसकी पुरानी दिल के रोगों की हिस्ट्री, अन्य और रोगों जैसे डायबिटीज इत्यादि की हिस्ट्री भी लेनी पड़ती है तभी जाकर डॉक्टर हार्ट अटैक का सही निदान कर पाते हैं अकेले TROP- T या TROP- I टेस्ट से हार्ट अटैक का निदान सही से नहीं हो पाता,

ECG की रिपोर्ट में ST एलिवेशन का होना व ट्रॉप टी का पॉजिटिव पाया जाना हार्ट अटैक की सही पुष्टि करते है,

हां ट्रोप-टी या ट्रोप-आई टेस्ट के पॉजिटिव आने से यह जरूर पता चलता है कि किसी न किसी कारण की वजह से दिल की मांसपेशियों में क्षति पहुंची है, 

इस क्षति के कारण हार्ट अटैक के अलावा और भी हो सकते हैं इन सभी कारणों का सही से निदान करने के लिए डॉक्टर को और भी टेस्ट करवाने पड़ते हैं


Trop-T का बढ़ना आमतौर पर क्या बताता है?

इस जांच का बढ़ना आमतौर पर हृदय की मांसपेशियों की क्षति के बारे में जानकारी देता है हृदय की मांसपेशियों में क्षति का कारण मायोकार्डियाल इनफार्कशन(Myocardial Infarction) जिसको आम भाषा में हार्टअटैक भी कहते हैं ज्यादातर केसों में यही होता है, 

इसका दूसरा कारण एनजाइना(Angina) का बढ़ना भी हो सकता है एंजाइना भी एक प्रकार का हृदय रोग है जिसमें हृदय की मांसपेशियों को पर्याप्त मात्रा में खून की सप्लाई ना मिलने के कारण मांसपेशियों में क्षति होने लगती है लेकिन यह हार्ट अटैक नहीं होता बल्कि उससे कम गंभीर समस्या है


Trop-T टेस्ट का दूसरे हृदय रोग निदान के टेस्टों से ज्यादा महत्व क्यों है?

इसका पहला कारण यह है कि ट्रॉप टी टेस्ट हृदय रोग के निदान के लिए विशेष टेस्ट है,

दूसरा कारण यह है कि ट्रॉप टी टेस्ट की सहायता से हार्ट अटैक या दूसरे हृदय रोगों का निदान अन्य हृदय रोग निदान टेस्टों की तुलना से ज्यादा जल्दी व ज्यादा सटीक रूप से होता है ऐसा इसलिए है क्योंकि ट्रॉप टी टेस्ट हार्ट अटैक आने के 3 से 4 घंटे में ही बढ़ जाता है तथा 10 से 14 दिन तक बढ़ा हुआ रहता है, 

उसके बाद धीरे-धीरे कम होने लगता है इसलिए चिकित्सक को इस जांच की मदद से हार्ट अटैक का निदान करने में काफी आसानी रहती है,

अन्य हार्ट अटैक के टेस्टों की तुलना में ट्रॉप टी टेस्ट ज्यादा संवेदनशील होता है इसलिए आजकल हार्ट अटैक की स्थिति में डॉक्टर ट्रॉप टी टेस्ट जरूर करवाते हैं

हृदय रोगों में Trop-T टेस्ट का महत्व आगे भी पढ़े…


किन किन लक्षणों के आधार पर ट्रॉप टी टेस्ट करवाया जाता है?

जो लक्षण हृदयाघात या हार्टअटैक के होते हैं उनी लक्षणों के आधार पर यह जांच करवाई जाती है जैसे कि…

  • सांस का फूलना
  • छाती में भारीपन होना या अत्यधिक दर्द का होना
  • छाती का दर्द बाई बाजू में, गर्दन में, पेट की तरफ़ जाना
  • उल्टी या घबराहट ज्यादा होना
  • दिल की धड़कन का अत्यधिक बढ़ना या कम होना
  • बहुत अत्यधिक बेचैनी होना 

इत्यादि लक्षणों में ट्रॉप टी टेस्ट करवाया जाता है,

इसके अतिरिक्त…

  • अगर किसी व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ा है तो उसकी गंभीरता को जानने के लिए ट्रॉप टी टेस्ट किया जाता है
  • कई बार सर्जरी के दौरान हार्ट अटैक का पता लगाने के लिए भी यह जांच की जाती है
  • फेफड़ों में रक्त के थक्के बन जाना जिसको पलमोनरी एंबॉलिज्म भी कहते हैं उसकी गंभीरता का पता लगाने के लिए भी यह जांच की जाती है

इसके अतिरिक्त कन्जेस्टिव कार्डियक फैलियर होने पर भी इस जांच को कराया जा सकता है


ट्रॉप-टी टेस्ट की सामान्य वैल्यू क्या होती है?

  • ट्रोपोनिन टी की नॉरमल वैल्यू < 0.2 ng/ml (नैनो ग्राम प्रति मिलीलीटर) से कम होती है

बाकी हर लेबोरेटरी के मापने की इकाई के हिसाब से यह वैल्यू अलग भी हो सकती है,

यदि छाती में दर्द के 5 से 7 घंटों के बाद ट्रोपोनिन टी टेस्ट सही आ रहा है तो इसका मतलब है कि छाती के दर्द का कारण दिल का दौरा नहीं है व दिल के दौरे की संभावना बहुत कम है


ट्रॉप-टी टेस्ट का स्तर सामान्य से अधिक आना किन-किन बीमारियों का सूचक हो सकता है?

अगर ट्रॉप टी टेस्ट का स्तर >0.2 ng/ml से ज्यादा आ रहा है तो ऐसा कई प्रकार की स्थितियों में हो सकता है जैसे कि…

 

  • कन्जेस्टिव हार्ट फैलियर
  • Obstructive Coronary Artery Disease(CAD)
  • दिल की मांसपेशियों का कमजोर होना(कार्डियोमायोपैथी)
  • क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिसऑर्डर(COPD)
  • दिल की मांसपेशियों में किसी भी वायरस या बैक्टीरियल संक्रमण का होना(Myocarditis)
  • दिल की धड़कन का ज्यादा बढ़ना(Tachycardia)
  • किसी भी प्रकार का ट्रामा जिससे दिल को क्षति पहुंची हो जैसे कोई भी गंभीर दुर्घटना(Accident that causes injury to the heart muscles)
  • दिल की ओपन हार्ट सर्जरी के दौरान(CABG)
  • कार्डियक एनजीओप्लास्टी के दौरान 
  • क्रॉनिक किडनी डिजीज में जिससे हृदय को क्षति पहुंचती है

रक्त वाहिकाओं में खून के थक्के बनने की बीमारी में(DVT) इतियादी 


किन व्यक्तियों में ट्रॉप टी टेस्ट के परिणाम गलत तरीके से पॉजिटिव(False positive) आ सकते हैं?

जो व्यक्ति लंबे समय से गुर्दे के रोग(Chronic kidney disease) से पीड़ित हैं तथा जिनका डायलिसिस हो रहा है ऐसे व्यक्तियों में ट्रॉप टी टेस्ट फॉल्स पॉजिटिव आ सकता है


हृदय रोगों में Trop-T टेस्ट का महत्व का निष्कर्ष…

ट्रॉप टी टेस्ट हार्ट अटैक के निदान के लिए एक बहुत ही कारगर टेस्ट है जोकि हार्ट अटैक से होने वाली दिल की मांसपेशियों की क्षति के बारे में बिल्कुल सटीक जानकारी देता है इस टेस्ट को एक बार करने के बाद 12 से 24 घंटे बाद दोबारा किया जाता है जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि दिल की मांसपेशियों की क्षति बढ़ रही है या कम हो रही है

आजकल आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में इस जांच का महत्व और भी बढ़ गया है ऐसा इसलिए है क्योंकि कई बार डॉक्टर को यह शंका होती है कि कहीं मरीज को कोई ह्रदय रोग तो नहीं है ऐसी स्थिति में उसका ट्रेडमिल टेस्ट करना जरूरी होता है,

लेकिन अगर ऐसी स्थिति में यदि उस मरीज़ को हृदय रोग की शिकायत है तो ट्रेडमिल टेस्ट करने से उस को हार्टअटैक भी आ सकता है, इसलिए डॉक्टर ऐसे मरीजों का पहले ट्रॉप टी टेस्ट करवा कर यह सुनिश्चित करने की कोशिश करते हैं कि कहीं उसको कोई हृदय रोग तो नहीं है अगर ट्रॉप टी टेस्ट सही आता है तो ऐसे मरीज का ट्रेडमिल टेस्ट करना डॉक्टर के लिए आसान हो जाता है इसलिए इस टेस्ट का बहुत ही अधिक महत्व है

कृपया “हृदय रोगों में Trop-T टेस्ट का महत्व” को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें… 


हृदय रोगों में Trop-T टेस्ट का महत्व का अस्वीकरण(disclaimer)… 

  • इस लेख की सामग्री व्यावसायिक चिकित्सा सलाह(professional medical advice), निदान(diagnosis) या उपचार(ट्रीटमेंट) के विकल्प के रूप में नहीं है।
  • चिकित्सीय स्थिति के बारे में किसी भी प्रश्न के लिए हमेशा चिकित्सीय(doctor कंसल्टेशन) सलाह लें।
  • उचित चिकित्सा पर्यवेक्षण(without proper medical supervision) के बिना अपने आप को, अपने बच्चे को, या किसी और का  इलाज करने का प्रयास न करें।

Image-creditधन्यवाद to www.pixabay.com

अधिक अपडेट के लिए कृपया hindi.curetoall.com पर जाएं और नीचे दिए गए लेखों को भी पढ़ें:

D-Dimer टेस्ट इन हिंदी


संदर्ब:

1.US Renal Data System. URDS 1997 Annual Data Report. The National Inst. of Health, National Institute of Diabetes and Digest. and Kidney Diseases, Bethesda, MD; 1997

Nephrol Dial Transplant
199712889–898

3.US Renal Data System. URDS 1998 Annual Data Report. The National Institutes of Health, National Inst. of Diabetes and Digestive and Kidney Diseases, Bethesda, MD; 1998

 

1 thought on “हृदय रोगों में Trop-T टेस्ट का महत्व  ”

  1. Pingback: anxiety meaning in hindi- एंग्जाइटी जाने कारण, लक्षण, उपचार व सम्पूर्ण जानकारी

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

hello