हाथों का सुन्न रहना जाने प्रमुख कारण व उनका समाधान

D-Dimer टेस्ट इन हिंदी

परिचेय(D-Dimer टेस्ट इन हिंदी)…

जो चाहें वो पढ़ें hide
1 परिचेय(D-Dimer टेस्ट इन हिंदी)…
1.1 आखिर क्यों बढ़ता है d-dimer प्रोटीन मानव रक्त में?

रक्त वाहिकाओं के अंदर जमा हुआ खून का थक्का जिसको थ्रोम्बस(Thrombus) कहते हैं यह थ्रोम्बस  क्रॉसलिंक्ड फिबृन मेश(Cross linked Fibrin mesh) से बना होता है तथा जब यह क्रॉसलिंक्ड फिबृन मेश टूटता है तो उसमें दो तरह के प्रोडक्ट बनते हैं जिसमें एक है एफडीपी(FDP) यानी फिबृन  डिग्रेडेशन प्रोडक्ट तथा दूसरा जो प्रोटीन है उसे d-dimer कहते हैं,

सामान्यता यह प्रोटीन खून से साफ अपने आप हो जाता है परंतु कुछेक परिस्थितियों में यह बढ़ने लगता है जिसका पता लगाने के लिए खून की जांच की जाती है

डी डिमर यह एक प्रकार का खून का टेस्ट है जोकि मानव खून में विशेष प्रकार का प्रोटीन जांचने के लिए किया जाता है,

सामान्य रूप से यह प्रोटीन मानव रक्त में ना के बराबर या बहुत ही कम मात्रा में पाया जाता है,

परंतु कुछेक परिस्थितियों में इस प्रोटीन का स्तर मानव खून में बढ़ने लगता है,

जिससे अनेक प्रकार की शारीरिक बीमारियों के निदान के लिए यह खून की जांच  करवाई जाती है,


आखिर क्यों बढ़ता है d-dimer प्रोटीन मानव रक्त में?

सामान्य रूप में मानव रक्त में खून के थक्के(blood clots) मौजूद नहीं होते,

लेकिन किसी भी कारणवश अगर मानव रक्त में खून के थक्के बनने लग जाएं तथा वह बने हुए थक्के बाद में घुलने लग जाएं,

तो ये घुल्ते या पिघलते हुए रक्त के थक्को के कारण मानव रक्त में d dimer प्रोटीन बढ़ने लगता है,

जिसको खून की जांच के द्वारा आसानी से पता लगाया जा सकता है,


किन किन बीमारियों में बढ़ता है d-dimer मानव रक्त में?

मानव शरीर में अनेक प्रकार की ऐसी बीमारियां हैं जिनके कारण मानव रक्त में खून के थक्के बनने लगते हैं तथा टूटने लगते हैं,

जिनके कारण यह प्रोटीन बढ़ने लगता है यह बीमारियां सामान्य से लेकर खतरनाक हो सकती हैं जैसे कि…

  • दिल का दौरा या हार्ट अटैक
  • ब्रेन स्ट्रोक या पक्षाघात
  • D-I-C (Disseminated intravascular coagulation)
  • DVT(Deep Vein Thrombosis) रक्त वाहिकाओं में खून के थक्के जमने की बीमारी
  • Pulmonary Embolism
  • थ्रोंबो-एंबॉलिज्म(Thromboembolism)
  • Covid 19 के संक्रमण में इत्यादि

D-Dimer टेस्ट के पॉजिटिव आने के बाद और किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

इस जांच में कुछ एक बातों का खास ख्याल रखना पड़ता है जैसे कई बार कई परिस्थितियों में d dimer  का बढ़ना गलत तरीके(False positive) से भी पॉजिटिव आ जाता है या आ सकता है जैसे कि…

  • गर्भावस्था में
  • 80 वर्ष से अधिक उम्र के मरीजों में
  • लीवर की बीमारी में(Liver diseases)
  • कुछ खास प्रकार के कैंसर में
  • कई प्रकार के तीव्र संक्रमण में(Acute infections)
  • लिपिड्स के बढ़ने के कारण(Dyslipidemia)
  • क्रॉनिक दिल की बीमारियों में(Chronic heart diseases) 
  • शारीरिक चोट(Major physical injuries) लगने के कारण 
  • किसी भी प्रकार के ऑपरेशन(Surgery) के बाद इत्यादि

इस जांच में विशेष ध्यान देने वाली बात यह है कि,

मात्र d dimer  जांच से किसी भी बीमारी का सही से निदान नहीं किया जा सकता,

किसी भी बीमारी का सही से पता लगाने के लिए इस जांच के साथ-साथ अन्य और भी टेस्ट करवाने पड़ते हैं तभी जाकर डॉक्टर किसी नतीजे पर पहुंचते हैं,


D- dimer टेस्ट के पॉजिटिव आने के बाद और कौन-कौन से टेस्ट करवाने पड़ते हैं?

 

इस टेस्ट के पॉजिटिव आने के बाद मरीज के लक्षणों के आधार पर आपका डॉक्टर ही यह निर्धारित कर सकता है कि,

आपको और कौन-कौन से टेस्ट करवाने की जरूरत है आप अपनी मर्जी से कोई भी टेस्ट ना करवाएं,

उदाहरण के तौर पर डी डीमिर के पॉजिटिव आने के बाद किसी भी बीमारी के निदान के लिए आपके डॉक्टर के द्वारा करवाए जाने वाले कुछ एक टेस्ट इस प्रकार हैं जैसे कि…

  • अल्ट्रासोनोग्राफी(USG)
  • सीटी स्कैन(CT SCAN)
  • एंजियोग्राफी(Angiography)
  • पलमोनरी एंजियोग्राफी(Pulmonary angiography)
  • CT ANGIOGRAPHY of affected part 
  • फाइब्रिनोजेन टेस्ट
  • प्रोत्रांबिन टाइम(Prothrombin time)
  • क्लोटिंग टाइम(Clotting time)
  • वेंटीलेशन परफ्यूशन(Ventilation perfusion)
  • प्लेटलेट काउंट(Platelet count)  इत्यादि

सामान्य रूप से एक स्वस्थ व्यक्ति में डी डीमर टेस्ट नेगेटिव आता है,

जिससे यह अनुमान लगाया जाता है की उस व्यक्ति को खून में थक्को(Blood clots) के जमने की कोई भी बीमारी नहीं है,


डी डीमर  टेस्ट की तैयारी कैसे करते हैं?

इस जांच के लिए किसी भी विशेष प्रकार की तैयारी की जरूरत नहीं होती,

रक्त का नमूना(Blood sample) खाली पेट या खाना खाने के बाद किसी भी वक्त लिया जा सकता है,


डी डीमर  टेस्ट कैसे किया जाता है?

यह एक बहुत ही सामान्य प्रकार का टेस्ट है,

इसके लिए मरीज की हाथ या बाजू की नस से रक्त का नमूना लिया जाता है तथा बहुत ही कम समय में यह जांच पूरी कर ली जाती है

मरीज को सुई लगने के दौरान हल्का सा दर्द का अनुभव होता है,

इसके अलावा कोई भी परेशानी वाली बात इस जांच को कराने में नहीं है,


डी डीमर टेस्ट की नॉरमल वैल्यू कितनी होती है?

इस टेस्ट की रिपोर्ट्स अलग-अलग लैबोरेट्रीज द्वारा अलग-अलग यूनिट में मापी जाती है सामान्यता जो इसकी वैल्यू होती है वह इस प्रकार है…

  • 100 से 250 ng प्रति ml की रेंज बिल्कुल नॉर्मल है,
  • 500 ng/ml या इससे ज्यादा वैल्यू का आना अधिक माना जाता है,

अगर किसी व्यक्ति के रक्त की जांच में डी डिमर की वैल्यू 500 से अधिक आती है तो ऐसी स्थिति में हो सकता है कि,

उस व्यक्ति को किसी भी प्रकार के coagulation disorders या,

उस व्यक्ति की रक्त वाहिकाओं में किसी भी कारणवश खून के थक्के बनने की समस्या शुरू हो गई हो,

इसका निदान करने के लिए डॉक्टर को रोगी के लक्षणों के साथ-साथ अन्य और भी टेस्ट करवा कर सही स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है

D-Dimer टेस्ट इन हिंदी आगे पढ़े…


कोविड-19 के संक्रमण में डी डीमर टेस्ट क्यों कराया जाता है?

 

कई प्रकार के अनुसंधान में यह पाया गया है की कोविड-19 के संक्रमण में व्यक्ति के फेफड़ों में सूजन आ जाती है,

तथा कई कारणों से उसकी रक्त वाहिकाओं में खून के थक्के(blood clots) बनने शुरू हो जाते हैं,

जिनका सही से अनुमान लगाने के लिए इस जांच को करवाया जाता है,

ऐसा इसलिए है क्योंकि यह खून के थक्के रक्त वाहिकाओं में किसी भी जगह अटक जाते हैं,

जिस कारण मरीज की स्थिति काफी गंभीर(serious) हो जाती है तथा कई बार तो मरीज की मौत भी हो जाती है,


कौन-कौन से लक्षण दिखाई देने पर डी डीमर टेस्ट कराया जाता है?

 

इस बात का निर्धारण डॉक्टर के द्वारा किया जाता है कि कौन से लक्षण दिखाई देने पर इस जांच को करवाना है

सामान्यता कुछ विशेष लक्षण जिनमें इस जांच की जरूरत पड़ती है इस प्रकार हैं जैसे…

  • सांस लेने में तकलीफ होना(Difficulty in breathing)
  • लंबी खांसी का होना(Persistent cough)
  • टांगों में सूजन का होना(Swelling in legs)
  • छाती में दर्द होना(Chest pain)
  • दिल की गति तेज होना(Rapid heart beat)

टांगों में तेज दर्द का रहना इत्यादि,


बढे हुए d-dimer को कैसे कम किया जाता है?

 

यह इस बात पर निर्भर करता है कि किस कारण से डी डीमर बढ़ रहा है,

सबसे पहले सही से उस बीमारी का निदान करना पड़ता है जिसके कारण इस जांच में बढ़ोतरी हुई है,

उसके बाद डॉक्टर के द्वारा कई प्रकार की दवाइयां खासकर खून को पतला करने की दवाइयां(Blood thinners) तथा खून के थक्के बनने से रोकने के लिए अनेक प्रकार की दवा का प्रयोग डॉक्टर की सूझबूझ से किया जाता है,

इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं जैसे…

 

  • इन्जेक्शन ENOXAPARIN injection IP 60 MG 

यह इंजेक्शन खून को पतला करने के लिए तथा बढ़े  हुए d-dimer को कम करने के लिए डॉक्टरो के द्वारा सबसे ज्यादा प्रयोग किए जाते हैं,

 इनको subcutaneous लगाया जाता है बिल्कुल वैसे ही जैसे शुगर के रोगी में इंसुलिन का इंजेक्शन लगाया जाता है,

इसकी मात्रा का सही से निर्धारण डॉक्टर के द्वारा ही किया जा सकता है,

इसके अतिरिक्त कुछ खास प्रकार की दवाएं जैसे…

  • Rivaroxaban 10 mg 
  • Apixaban 
  • Aspirin 75/150 mg 
  • Low Moleculer Weight Heparin 40mg SC 

आदि का प्रयोग भी डॉक्टरों के द्वारा किया जाता है,


D-Dimer टेस्ट इन हिंदी का निष्कर्ष… 

रक्त वाहिकाओं में खून के थक्के का होना एक बहुत ही गंभीर समस्या है जिसके कारण व्यक्ति की मौत या पक्षाघात, हार्ट अटैक इत्यादि गंभीर समस्या पैदा हो सकती है,

इसलिए रक्त के थक्के का सही से अनुमान लगाने के लिए डी डीमर टेस्ट का बहुत ही महत्व है,

परंतु आपको हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यह जांच किसी भी बीमारी के निदान के लिए खास जांच नहीं है,

बलिक एक सहायक टेस्ट है,

जिसकी मदद से डॉक्टर को किसी भी गंभीर बीमारी के सही से निदान करने में बहुत मदद मिलती है,

इसलिए इस जांच का चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत अधिक महत्व है यह जांच आपको आपके डॉक्टर के कहे अनुसार ही करवानी चाहिए,


D-Dimer टेस्ट इन हिंदी का अस्वीकरण(disclaimer)… 

  • इस लेख की सामग्री व्यावसायिक चिकित्सा सलाह(professional medical advice), निदान(diagnosis) या उपचार(ट्रीटमेंट) के विकल्प के रूप में नहीं है।
  • चिकित्सीय स्थिति के बारे में किसी भी प्रश्न के लिए हमेशा चिकित्सीय(doctor कंसल्टेशन) सलाह लें।
  • उचित चिकित्सा पर्यवेक्षण(without proper medical supervision) के बिना अपने आप को, अपने बच्चे को, या किसी और का  इलाज करने का प्रयास न करें।

image creditधन्यवाद to www.pixabay.com

अधिक अपडेट के लिए कृपया hindi.curetoall.com पर जाएं और नीचे दिए गए लेखों को भी पढ़ें:

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

hello