ESR टेस्ट इन हिंदी

ESR टेस्ट इन हिंदी

परिचय(ESR टेस्ट इन हिंदी)… 

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1 परिचय(ESR टेस्ट इन हिंदी)…
1.5 ईएसआर बढ़ने के क्या क्या कारण हो सकते हैं?

मानव रक्त में भिन्न भिन्न प्रकार की कोशिकाएं होती हैं जैसे कि सफेद रक्त कोशिकाएं(WBC), लाल रक्त कोशिकाएं(RBC), ब्लड प्लेटलेट्स(Platelets) इत्यादि इन सब कोशिकाओं में लाल रक्त कोशिकाएं संख्या में सबसे अधिक होती हैं,

इन लाल रक्त कोशिकाओं को Erythrocytes भी कहते हैं,

मानव रक्त को जब कांच की नली में कुछ देर के लिए रखा जाता है,

तो उसके कुछ समय बाद यह सारी कोशिकाएं उस कांच की नली के नीचे बैठ जाती हैं,

तथा ऊपर हल्का तरल पदार्थ रह जाता है जिसे प्लाज्मा कहते हैं

सामान्यतः इन रक्त कोशिकाओं का कांच की नली में नीचे बैठने का एक समय निश्चित होता है,

परंतु किसी भी कारणवश यदि शरीर में कोई भी रोग या बीमारी होती है,

तो उस बीमारी के कारण रक्त कोशिकाओं का कांच की नली में नीचे बैठने के समय में परिवर्तन होने लगता है,

इस परिवर्तन को एक रक्त की जांच के द्वारा मापा जाता है जिसे ईएसआर(ESR) कहते हैं,

इस जांच को वेस्टरग्रेन(Westergren) जांच भी बोलते हैं,


ई एस आर का फुल फॉर्म क्या है?

  • ई का मतलब Erythrocyte 
  • एस का मतलब Sedimentation 
  • आर का मतलब Rate 

यानि Erythrocytes का Sedimentation Rate.


ईएसआर की नार्मल रेंज कितनी होती है?

ईएसआर की नार्मल रेंज पुरुषों और स्त्रियों में थोड़ी अलग अलग होती है जैसे-

  • पुरुषों में- 0 से 15 मिलिमीटर प्रति घंटा(mm/hour) 

50 से ज्यादा उम्र के पुरुषों के लिए 20 mm/hour से कम होनी चाहिए,

  • स्त्रियों में- 0 से 20 मिलिमीटर प्रति घंटा 

50 से ज्यादा उम्र की महिलाओं के लिए 30 mm/hour से कम होनी चाहिए,

वृद्ध लोगों में ईएसआर की वैल्यू थोड़ी ज्यादा होती है,


ईएसआर की जांच कैसे होती है?

ईएसआर की जांच करने के लिए रोगी की बाजू की नस से रक्त का नमूना लिया जाता है,

यह बहुत ही आसान होता है इसमें हल्का सा दर्द महसूस हो सकता है इस जांच को पूरा करने में कम से कम 1 घंटे का समय लगता है,

इस जांच को करने के लिए 300 मिलीमीटर(mm) लंबी कांच की पतली नली का इस्तेमाल होता है,

जो अंदर से 2 से 2.5 मिमी घेरे वाली होती है इस जांच की वैल्यू मिली मीटर प्रति घंटा में मापी जाती है,

इसके लिए 4.5 मिली लीटर मानव रक्त को 0.5 मिली लीटर aqueous solution of sodium citrate में मिलाया जाता है जिसकी concentration 3.8 % होती है, 

इस जांच की प्रक्रिया को वेस्टरग्रेन मेथड(Westergren method) भी कहते हैं,


ईएसआर की जांच करवाने के लिए क्या तैयारी होती है?

ईएसआर की जांच करवाने के लिए कोई खास तैयारी की जरूरत नहीं होती,

रोगी को मात्रा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसको अपने रक्त का नमूना सुबह खाली पेट इस जांच के लिए देना चाहिए,

खाना खाने के बाद रक्त का नमूना देने से ईएसआर की जांच रिपोर्ट में थोड़ा बदलाव आ सकता है सही रिपोर्ट सुबह खाली पेट टेस्ट करवाने से ही आती है,

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ईएसआर के बढ़ने का क्या अर्थ है?

ईएसआर बढ़ने का अर्थ सूजन(Inflammation) से है,

किसी भी कारणवश जब मानव शरीर में सूजन आती है उस समय उस सूजन के कारण ईएसआर बढ़ने लगता है,

यह सूजन शरीर की कोशिकाओं मे, उत्त्को मे, जोड़ो मे या किसी भी अन्य स्थान मे हो सकती है,

इस जांच को इन्फ्लेमेटरी मार्कर के रूप में जाना जाता है,

यह जांच किसी भी बीमारी के निदान के लिए विशेष जांच नहीं है बलिक सहायक जांच है,

डॉक्टर को किसी भी बीमारी के निदान के लिए ईएसआर के साथ-साथ और भी अन्य ब्लड टेस्ट करवाने पड़ते हैं तभी जाकर किसी नतीजे पर पहुंचा जाता है,

ईएसआर एक महत्वपूर्ण जांच है जिसके बढ़ने से यह अंदाजा स्पष्ट रूप से लगाया जा सकता है कि शरीर के अंदर किसी भी प्रकार की गड़बड़ जरूर है,

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ईएसआर बढ़ने के क्या क्या कारण हो सकते हैं?

जिन कारणों से शरीर के अंदर सूजन की स्थिति उत्पन्न होती है वह सभी कारण ई एस आर बढ़ने के हो सकते हैं,

इन कारणों में शरीर में होने वाले विभिन्न प्रकार के रोग जैसे भिन्न भिन्न प्रकार के संक्रमण(Infections) या,

किसी भी तरह की एलर्जी या कोई भी ऑटोइम्यून डिसऑर्डर्स या कोई अन्य तरह की बीमारी भी हो सकती है,

वैसे तो ईएसआर बढ़ने के अनेकों कारण हैं,

परंतु प्रमुख रूप से जो भी बीमारियां ई एस आर को बढ़ाती हैं वह इस प्रकार हैं…

  • लंबे समय से चले आ रहे संक्रमण जैसे क्षय रोग(Tuberculosis),

क्षय रोग के निदान के लिए ईएसआर की जांच लगभग हर डॉक्टर करवाता है इस रोग मे ईएसआर काफी बढ़  जाता है, 

  • गठिया वा(Rheumatoid arthritis) व अन्य जोड़ो की बिमारियों मे भी ESR बढ़ जाता है,

गठिया वा के निदान व प्रभाव को जानने के लिए भी ईएसआर की जांच अवश्य ही करवाई जाती है,

 

  • कई प्रकार के कैंसर(Malignancy)

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    जोड़ो का दर्द

  • Rheumatic Fever 
  • लंबे समय से चले आ रहे हृदय रोग(Chronic heart diseases)
  • दिल के वाल्व की बीमारियों में
  • जिगर की बीमारियां(Liver diseases) जैसे काला पीलिया(Hepatitis C,B) इत्यादि
  • गुर्दे की बीमारियां(Kidney diseases) जैसे नेफ्राइटिस या नेफ्रोटिक सिंड्रोम आदि
  • Vascular diseases एलर्जी वास्कुलिटिस (allergic vasculitis),
  • विशाल कोशिका धमनीशोथ (Giant cell arteritis),
  • हाइपरफिब्रिनोजेनमिया (Hyperfibrinogenemia),
  • मैक्रोग्लोबुलिनमिया (Macroglobulinemia),
  • नेक्रोटाइज़िंग वास्कुलिटिस (Necrotizing vasculitis)
  • पॉलीमायल्जिया रुमेटिका (Polymyalgia rheumatica)
  • ल्यूपस (Lupus)
  • टेम्पोरल आर्थेराइटिस (Temporal arthritis)
  • हड्डियों के संक्रमण (Bone Infections)
  • थॉयराइड की बीमारी (Thyroid diseases)
  • हाई कोलेस्ट्राल (High Cholestrol)

लंबे समय से चली आ रही कोई खास एलर्जी इत्यादि


ईएसआर कम होने के क्या कारण हो सकते हैं?

 

कुछ एक परिस्थितियों में ईएसआर बढ़ने के बजाय कम भी हो जाता है,

यह परिस्थितियां मानव शरीर में खून से जुड़ी बीमारियां(Blood disorders) भी हो सकती हैं जैसे कि…

 

  • Polycythemia 
  • Sickle Cell Anemia
  • क्रोनिक फैटिग्य सिन्ड्रोम (Chronic fatigue Syndrome)
  • लो प्लाज्मा प्रोटीन (Low plasma protein)

Leukocytosis… इस बीमारी में श्वेत रक्त कोशिकाएं(White blood cells) संख्या में काफी बढ़ने लगती हैं,


कौन-कौन सी परिस्थितियां ईएसआर को प्रभावित करती हैं?

ईएसआर का बढ़ना या कम होना हमेशा किसी भी बीमारी या रोग का सूचक नहीं होता कई प्रकार की शारीरिक स्थितियां ईएसआर को प्रभावित करती हैं उदाहरण के तौर पर जैसे कि…

  • गर्भाधान(Pregnancy)

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    मासिकधर्म बढ़ाये ESR

  • मासिक धर्म का होना(Menstruation)
  • मौखिक गर्भनिरोधक गोलियां(Oral contraceptive pills)
  • खून की कमी(Anemia)

इन सबके अतिरिक्त कुछ अन्य दवाइयां जैसे कि…

 

  • Aspirin 
  • Cortisone
  • Quinine
  • Dextran
  • Methyldopa
  • Theophylline
  • Penicillamine procainamide
  • Vitamin A इत्यादि

अगर किसी व्यक्ति का ESR थोड़ा सा बड़ा हुआ आ रहा है तो,

उस व्यक्ति को अपने डॉक्टर को अच्छी प्रकार से ऊपर लिखित बातों का सही से स्पष्टीकरण देना आवश्यक है,

अन्यथा आपके डॉक्टर को आपके रोग का सही से निदान करने में दिक्कत या परेशानी हो सकती है,

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ईएसआर टेस्ट करवाने की जरूरत कब पढ़ती है?

अगर किसी व्यक्ति के शरीर में नीचे लिखे लक्षण दिखाई देते हैं,

तो ऐसी स्थिति में उसे ईएसआर टेस्ट करवाना चाहिए यह लक्षण इस प्रकार हैं जैसे कि…

 

  • लगातार सिरदर्द का होना(Chronic Headache)

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    लगातार सिरदर्द होना

  • अचानक से शरीर का वजन कम होना(Weight loss)
  • जोड़ों में दर्द या सूजन रहना(Joint pain)
  • कई दिन तक बुखार रहना(Chronic Fever)
  • भूख ना लगना(Loss of appetite)
  • दिन-ब-दिन शरीर का कमजोर होना(Weakness)
  • जोड़ों में अकड़ का होना इत्यादि(Joint stiffness)

अगर किसी भी व्यक्ति को ऊपर लिखित लक्षणों में कोई भी लक्षण आ रहे हैं,

तो उसको अपने डॉक्टर से संपर्क कर सही से अपने ब्लड टेस्ट करवाने चाहिए,

यह लक्षण किसी सामान्य से लेकर गंभीर बीमारी तक के हो सकते हैं इसलिए सावधान रहें,


बढ़े हुए ESR को कैसे कम किया जा सकता है?

यह इस बात पर निर्भर करता है कि ESR बढ़ने का मूल कारण क्या है, 

मूल कारण का सही से निदान करने के बाद उसका इलाज करने से बढ़ा हुया ESR कम किया जा सकता है, 

उदाहरण के तौर पर यदि गठिया वा(Rheumatoid Arthritis) के कारण किसी व्यक्ति का ESR बढ़ गया है तो इलाज़ गठिया वा का किया जाता है ESR का नही, 

 क्योकि इसी के कारण शरीर में सूजन आ जाती है जिसके कारण ESR मे बढ़ोतरी हो जाती है, 

जब मूल कारण का सही से निदान व इलाज होता है तो बढ़ा हुया ESR अपने आप ही कम हो जाता है, 

ESR बढ़ने का मूल कारण कुछ भी हो सकता है जैसे कोई भी BACTERIAL या VIRAL  संक्रमण या कोई भी अन्य रोग जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है, 

हर रोग का निदान व इलाज एक जैसा नहीं है,

इसके लिए आप को अपने डॉक्टर से संपर्क करना होगा तभी जाकर आपको अपने बढ़े हुए ESR को कम करने मे सफलता प्राप्त होगी अन्यथा नहीं 

उदहारण के लिए यदि क्षय रोग (Tuberculosis) है तो दवा अलग है,

यदि कैंसर के कारण ESR बढ़ा है तो दवा अलग है यदि संक्रमण से ESR बढ़ा है तो दवा कुछ और होगी, 

हां अपनी जीवन शैली व खानपान को सही कर ESR को कम करने में थोड़ी मदद जरूर मिलती है,

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 बढ़े हुए ESR को कम करने के सामान्य नियम… 

1.व्यायाम(Exercise) से करें ESR कम…

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व्यायाम से करें ESR कम

प्रतिदिन 30 से 40 मिनट कोई भी व्यायाम करने से बढ़े हुए ESR को कम करने में बहुत मदद मिलती है,

ऐसा करने से रोग दूर भागते है तथा शरीर में आयी हुई सूजन कम होती है, 

इसलिए आपको हर रोज़ कोई न कोई व्यायाम जैसे सुबह की सैर या स्विमिंग या jogging आदि जरूर करना चाहिए, 

इसके अलावा ऐसा करने से शरीर निरोग रहता है व मानसिक हेल्थ भी improve होती है,


2.योगा करने से घटे ESR… 

योगा भी एक प्रकार का व्यायाम ही है जिसको अपनी जीवन शैली मे अपना कर अनेक प्रकार के रोगों को दूर करने में बहुत मदद मिलती है

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योग करें निरोग रहें

योगा करने से शरीर में आयी हुई सूजन कम होती है जिससे बढ़ा हुया ESR कम करने में मदद मिलती है, 

इसीलिए हर दिन 20 से 30 मिनट के लिए योगा जरूर करना चाहिए, 

योगा मे अनेक आसन होते है आपको अपने हिसाब से धीरे-धीरे इनको सीखना चाहिए व अपने रोगानुसार इनको करना चाहिए, 

सही तरीके से योगा करने के लिए आप किसी योगा टीचर से या ऑनलाइन योगा वीडियोस देखकर योगा सीख सकते हैं,

तथा इसे अपनी जीवन शैली में अपनाकर अपना बढ़ा हुआ ईएसआर कम कर सकते हैं,


3.शराब से करें परहेज…

ज्यादा शराब का सेवन करने से जिगर में सूजन(Alcoholic Liver disease and Hepatitis) की स्थिति उत्पन्न हो जाती है,

जिस कारण ईएसआर बढ़ने लगता है,

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शराब न पिए

इसलिए ईएसआर को सामान्य रखने के लिए शराब से दूरी बनाना जरूरी है,

इसके अतिरिक्त शराब का सेवन करने से शरीर में एलडीएल(LDL)कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है,

जिससे हृदय रोग होने की संभावना बढ़ जाती है जिसके कारण ईएसआर भी बढ़ सकता है इसलिए शराब का सेवन ना करें,


4.तंबाकू, गुटका या पान मसाला बढ़ाए ईएसआर…

तंबाकू, सिगरेट या पान मसाला इत्यादि के सेवन से अनेक प्रकार के मुंह तथा फेफड़ों के कैंसर व अन्य फेफड़ों की बीमारियां होने की संभावना बहुत अत्यधिक बढ़ जाती है,

जिस कारण ईएसआर बढ़ने लगता है,

इसलिए यदि आप अपना ईएसआर कम करना चाहते हैं तो,

आपको अपनी जीवनशैली में तंबाकू, गुटखा, सिगरेट, पान मसाला इत्यादि पदार्थों का सेवन बिल्कुल बंद कर देना चाहिए,

ऐसा करने से बढ़ा हुआ e.s.r. धीरे-धीरे कम होने लगता है तथा व्यक्ति का स्वास्थ्य बढ़ने लगता है,


5.अच्छी निंद्रा का सेवन…

रोजाना 8 से 10 घंटे की सुखद नींद लेनी बहुत आवश्यक है,

  कई प्रकार के अनुसंधान में यह पाया गया है-

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सुखद नींद लेना

कि ऐसा करने से शरीर के अंदर आई हुई सूजन चाहे वह किसी भी कारण से हो वह सूजन धीरे-धीरे कम होने लगती है,

जिससे बढ़ा हुआ e.s.r. धीरे-धीरे कम होने लगता है,

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6.हरी सब्जियां व फलों का करें सेवन… 

अपनी रोजाना दिनचर्या में अपने आहार में हरी पत्तेदार सब्जियां व फलों का सेवन ज्यादा मात्रा में करना चाहिए,

ऐसा करने से व्यक्तिगत स्वास्थ्य में बढ़ोतरी होती है तथा अनेक प्रकार के विषैले पदार्थ(Toxins) शरीर से बाहर निकल जाते हैं,

जिस कारण शरीर के अंदर आई हुई सूजन धीरे-धीरे कम होने लगती है इसके कारण बढ़ा हुआ ESR भी कम होने लगता है,

इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को रोजाना हरी सब्जियां जैसे पत्ता गोभी, खीरा, गाजर, मूली, धनिया, पालक तथा फल जैसे सेब, केला, कीवी फल, आंवला,पपीता इत्यादि पदार्थों का सेवन जरूर ही करना चाहिए,

इसके अतिरिक्त…

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सलाद खाए
  • टमाटर
  • स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी, चेरी और ऑरेंज का सेवन जरूर करना चाहिए,
  • पालक, केल और कोलार्ड्स (collards) जैसी हरी पत्तेदार सब्जियाँ भी काफी लाभप्रद है,

यह सभी पदार्थों में भरपूर मात्रा में विटामिन व खनिज पाए जाते हैं जो शरीर की अनेक रोगों से रक्षा करते हैं,


7.चर्बी को करें कम…

रोजाना दिनचर्या में प्रत्येक व्यक्ति को चर्बी जैसे मक्खन, मलाई, देसी घी, दूध इत्यादि पदार्थों का सेवन कम से कम करना चाहिए, क्योंकि इन पदार्थों का ज्यादा सेवन करने से कोलेस्ट्रोल की मात्रा खून में बढ़ने लगती है,

जिससे एलडीएल(LDL) ट्राइग्लिसराइड(Triglycerides) लिपिड्स आदि बढ़ने लगते हैं,

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मोटापा कम करें

जिससे खून गाढ़ा होने लगता है तथा इस प्रकार ईएसआर भी बढ़ने लगता है इसलिए इन पदार्थों का सेवन कम से कम करें,

इसके अतिरिक्त इनकी जगह आपको अच्छी चर्बी(Good fats) जैसे जैतून का तेल, सरसों का तेल,

केनोला ऑयल आदि का सेवन करना चाहिए,

  • बादाम, अखरोट, मूंगफली में गुड fats भरपूर मात्रा में होते है इनका सेवन जरूर करें,
  • सैल्मन (salmon),
  • मैकरेल (mackerel),
  • टूना tuna) व

सार्डिन्स (sardines) जैसी फेटी फिश का सेवन करना लाभदायक है,

इसके अलावा ओरेगेनो (oregano), केयेन (cayenne) और बेसिल या तुलसी जैसे हर्ब्स को भी  अपने आहार में जरूर शामिल करें,


8.ज्यादा मीठे,तले व प्रोसैस्ड फूड ना खाएं…

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रेड मीट न खायँ

आपको अपनी दिनचर्या में ज्यादा मीठे जैसे चीनी, शक्कर आदि,

तथा तले हुए जैसे टिक्की, समोसा, पकोड़े इत्यादि,

व प्रोसैस्ड फूड्स, जंक फूड्स जैसे पिज़्ज़ा, बर्गर, कोल्ड ड्रिंक्स, रेड मीट, मार्जरिन (Margarine) इत्यादि के सेवन को कम कर देना चाहिए,

क्योंकि इन पदार्थों का ज्यादा सेवन करने से शरीर में अनेक प्रकार के रोग जैसे रक्तचाप, शुगर, डिस्लिपिडेमिया इत्यादि होने की संभावना काफी बढ़ जाती है,

जिस कारण ईएसआर भी बढ़ने लगता है इसलिए इन पदार्थों का सेवन कम से कम करें,


9.पानी का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें…

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पानी ज्यादा पीयें

पानी व अन्य तरल पदार्थों का सेवन रोजाना दिनचर्या में ज्यादा से ज्यादा मात्रा में करना चाहिए,

ऐसा इसलिए है क्योंकि पानी की कमी से शरीर में डिहाइड्रेशन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है,

जिससे शरीर के अंदर जो सूजन है वह और भी बढ़ सकती है,

इसलिए प्रति व्यक्ति को रोजाना कम से कम 1 से 2 लीटर पानी जरूर पीना चाहिए,

ऐसा करने से ईएसआर को कम करने में मदद मिलती है,


ईएसआर को कम करने के आयुर्वेदिक उपाय क्या हैं?

जैसा कि ऊपर बताया गया है कि  ईएसआर को कम करने के लिए मूल कारण का इलाज करना जरूरी होता है,

फिर भी आयुर्वेद में कई ऐसे नुस्खे हैं जिनके सेवन करने से बढ़ा हुआ ईएसआर धीरे-धीरे कम होने लगता है,

इन नुस्खों के पीछे कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण तो नहीं है,

परंतु हजारों सालों से इनका प्रयोग अनेकों रोगियों पर होता आ रहा है तथा इनके काफी अच्छे परिणाम प्राप्त किए गए हैं जैसे कि…

1.हल्दी का सेवन करना…

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हल्दी से करें ESR कम

हल्दी एक बहुत ही गुणवत्ता वाली आयुर्वेदिक औषध है,

यह एक प्रकार की एंटीबैक्टीरियल, एंटीसेप्टिक दवाई है,

यदि किसी व्यक्ति का ईएसआर बढ़ा हुआ है-

तो उस व्यक्ति को रोजाना एक छोटा चम्मच हल्दी चूर्ण एक गिलास गाय के दूध में डालकर थोड़ी देर हल्की आंच पर उबालकर फिर छानकर धीरे धीरे पीना चाहिए,

ऐसा करने से कुछ ही दिनों में बढ़ा हुआ ईएसआर धीरे-धीरे कम होने लगता है,

तथा व्यक्तिगत स्वास्थ्य में बढ़ोतरी होने लगती है,

व अनेक प्रकार के रोग जिनके कारण शरीर के अंदर सूजन की स्थिति उत्पन्न  हुई है वह रोग दूर होने लगते हैं,

इसका कोई भी दुष्परिणाम नहीं है कोई भी व्यक्ति इसका सेवन कर सकता है,


2.नीम के पत्तों का रस…

नीम में अनेकों प्रकार के औषधीय गुण पाए जाते हैं इसलिए आयुर्वेद में नीम का प्रयोग हजारों वर्षों से होता आ रहा है,

इसके लिए आपको एक छोटा चम्मच नीम के पत्तों का रस खाना खाने के बाद दिन में एक से दो बार पीना चाहिए,

ऐसा करने से शरीर में विषैले तत्व खत्म होने लगते हैं व खून साफ होने लगता है,

जिससे अभ्यंतर सूजन कम होने लगती है,

तथा बढ़ा हुआ ईएसआर धीरे-धीरे कम होने लगता है इसका प्रयोग कोई भी व्यक्ति कर सकता है,


 3.गिलोय का सेवन…

गिलोय आयुर्वेद में बहुत ही प्रचलित औषध है यह एक रसायन भी है,

इसका रस प्रतिदिन सेवन करने से शरीर में इम्युनिटी बढ़ती है,

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गिलोय घटाए ESR

तथा अनेक प्रकार के संक्रमण चाहे वह बैक्टीरियल हो या वायरल हो दूर होने लगते हैं,

जिस कारण शरीर के अंदर आई हुई सूजन कम होने लगती है तथा व्यक्तिगत स्वास्थ्य में बढ़ोतरी होने लगती है,

इसलिए गिलोय का सेवन करने से बढ़ा हुआ ईएसआर धीरे-धीरे कम होने लगता है,

इन सबके अतिरिक्त आयुर्वेद में अनेकों ऐसी औषध है जैसे अश्वगंधा, शतावरी, मंजिष्ठा, आंवला इत्यादि,

जिनके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर अनेकों रोगों को दूर कर शरीर की अभ्यंतर सूजन को कम करने में काफी मदद मिलती है,

इसके लिए आपको किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर से मशवरा कर सही से अपना इलाज करवाना चाहिए,

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ईएसआर को कम करने का एलोपैथी में क्या इलाज है?

एलोपैथी या आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में सबसे पहले ईएसआर के बढ़ने का मूल कारण जाना जाता है,

इस प्रकार सही बीमारी का निदान करके उस बीमारी का इलाज किया जाता है ना कि ESR का, 

जैसे-जैसे कोई भी बीमारी जिसके कारण ईएसआर बढ़ गया है ठीक होने लगती है ईएसआर अपने आप ही कम होने लगता है,

उदाहरण के तौर पर मान लो अगर किसी को रूमेटाइड अर्थराइटिस है,

तो उस स्थिति में डॉक्टर रूमेटाइड अर्थराइटिस की दवाइयां जैसे…

DMARDs डिजीज मोडिफाइंग एंटीरूमेटिक ड्रग्स(Leflunomide, Methotrexate, Hydroxychloroquine,sulfasalazine) व साथ में NSAIDs (Ibuprofen,Etoricoxib) दवाइयों का प्रयोग करते हैं,

इसके साथ साथ फिजिकल थेरेपी जिसमें हल्के व्यायाम आदि शामिल है वह भी करवाए जाते हैं,

ऐसा करने से रूमेटाइड अर्थराइटिस के मरीज ठीक होने लगते हैं तथा उनका बड़ा हुआ ईएसआर कम होने लगता है,

इसी प्रकार अगर किसी को कोई वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण है जिसके कारण उसका ईएसआर बढ़ गया है,

तो ऐसी स्थिति में एंटीवायरल तथा एंटीबायोटिक दवाइयों का प्रयोग कर उस संक्रमण को खत्म किया जाता है,

संक्रमण ठीक होने पर बढ़ा हुआ ईएसआर अपने आप ही कंट्रोल हो जाता है,

ठीक है इसी प्रकार कई बार कई बीमारियों का इलाज सर्जरी द्वारा करने के पश्चात बढ़ा हुआ ईएसआर कम होने लगता है,

उदाहरण के तौर पर मान लो अगर किसी को पित्त की थैली में पथरी(Cholelithiasis) हैं,

जिसके कारण उसकी पित्त की थैली में काफी सूजन(Cholecystitis)आ गई है,

तो ऐसी स्थिति में उसका ईएसआर बढ़ जाता है,

जिसका इलाज ऑपरेशन के द्वारा पित्त की थैली को शरीर से बाहर निकाल(Cholecystectomy) कर किया जाता है,

इस प्रकार इलाज उस बीमारी का करते हैं जिससे ईएसआर बढ़ता है,

इसमें एक बात ध्यान देने वाली यह है कि ईएसआर की एलोपैथिक चिकित्सा में विशेष कोई दवा नहीं होती,


ESR टेस्ट इन हिंदी का निष्कर्ष(Conclusion)…

अगर किसी व्यक्ति का ईएसआर बढ़ा हुआ है तो इस स्थिति में रोगी को बिल्कुल भी घबराना नहीं चाहिए,

क्योंकि केवल ESR जांच से किसी भी बीमारी का निदान संभव नहीं है यह एक सहायक जांच है कोई विशेष जांच नहीं है,

ईएसआर केवल इन्फ्लेमेटरी मारकर के रूप में जाना जाता है,

इसका बढ़ना मात्र यह दर्शाता है कि मानव शरीर में कहीं ना कहीं सूजन है इस सूजन का कारण खोजने के लिए अपने चिकित्सक से मशवरा करें,

ज्यादातर केसों में सूजन का कारण कोई बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण या कोई एलर्जी होता है,

इसका पता लगाने के लिए आपके डॉक्टर को और अन्य खून के टेस्ट करवाने पड़ते हैं तभी जाकर सही निदान पर पहुंचा जा सकता है, केवल ESR बढ़ा हुआ देखकर इसकी दवा शुरू ना करें और ना ही ज्यादा चिंता की स्थिति में आएं,

क्योंकि बहुत बार हल्के फुल्के कारणों से भी ईएसआर में बढ़ोतरी देखी जाती है,

इसलिए धैर्य बनाए रखें और अपने चिकित्सक से मशवरा कर सही से इसका इलाज करवाएं,

कृपया इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें…

धन्यवाद द्वारा डा वी. के. गोयल लेखक


ESR टेस्ट इन हिंदी का अस्वीकरण(disclaimer)… 

  • इस लेख की सामग्री व्यावसायिक चिकित्सा सलाह(professional medical advice), निदान(diagnosis) या उपचार(ट्रीटमेंट) के विकल्प के रूप में नहीं है।
  • चिकित्सीय स्थिति के बारे में किसी भी प्रश्न के लिए हमेशा चिकित्सीय(doctor कंसल्टेशन) सलाह लें।
  • उचित चिकित्सा पर्यवेक्षण(without proper medical supervision) के बिना अपने आप को, अपने बच्चे को, या किसी और का  इलाज करने का प्रयास न करें।

image creditधन्यवाद to www.pixabay.com

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