HbA1c टेस्ट इन हिंदी

HbA1c टेस्ट इन हिंदी

HbA1c परीक्षण क्या है?

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1 HbA1c परीक्षण क्या है?

यह एक खून का टेस्ट है जिसके द्वारा शुगर या मधुमेह के रोगी की औसत रक्त शर्करा(Average Blood Glucose)की जांच की जाती है तथा यह सुनिश्चित किया जाता है कि शुगर के रोगी का अपनी रक्त शर्करा पर नियंत्रण कैसा है नियंत्रण बहुत अच्छा है या बिल्कुल भी नहीं है या फिर मध्यम है यह सब कुछ इस जांच के द्वारा आसानी से पता लगाया जा सकता है,

इसके अतिरिक्त शुगर या मधुमेह रोग के निदान के लिए इस जांच का विशेष महत्व है इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि किसी व्यक्ति को शुगर रोग है या नहीं,

किसी भी मनुष्य के खून में लाल रक्त कोशिकाएं होती हैं जिसमें एक विशेष प्रोटीन जिसको हिमोग्लोबिन कहते हैं पाया जाता है यही हिमोग्लोबिन फेफड़ों से ऑक्सीजन को लेकर शरीर के सभी अंगों तक पहुंचाता है,

हमारे खून में जो शर्करा या ग्लूकोस होता है वे ग्लूकोस लाल रक्त कोशिकाओं के अंदर जाकर हिमोग्लोबिन से जुड़ जाता है तथा ग्लाईकेटेड़ हीमोग्लोबिन(HbA1c) का निर्माण करता है,

इसीलिए जिस व्यक्ति के रक्त में ग्लूकोज की मात्रा जितनी ज्यादा होती हैं उतना ज्यादा ही HbA1c बनता है,

यह टेस्ट शुगर के रोगियों के अतिरिक्त उन लोगों के लिए भी उपयोगी है जिन व्यक्तियों को भविष्य में शुगर होने की संभावना ज्यादा रहती है


HbA1c की फुल फॉर्म क्या है?

इस जांच को- ग्लाईकेटेड हिमोग्लोबिन(Glycated Hemoglobin) या 

ग्लाईको-सायिलेटड़(Glycosylated Hemoglobin) या 

हीमोग्लोबिन A1C या HbA1c भी कहते है


HbA1c जांच रोजाना की रक्त शर्करा की जांच से कैसे बेहतर है?

अगर कोई शुगर या मधुमेह का रोगी हर रोज सुबह खाली पेट(Fasting blood sugar) या खाना खाने के 2 से ढाई घंटे के बाद(Random blood sugar) अपनी रक्त शर्करा की जांच करता है या करवाता है, 

तो निरीक्षण में यह देखने को मिलता है कि कभी तो रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रित है कभी बढ़ा हुआ है या कभी कम है जबकि रोगी की दवाई भी ठीक से चल रही है, 

लेकिन HbA1c का टेस्ट करवाने से रोगी को यह बात सुनिश्चित हो जाती है कि उसका अपनी रक्त शर्करा पर नियंत्रण कैसा है ऐसा इसलिए है क्योंकि अनेकों ऐसे कारण है जिसकी वजह से रोज की रक्त शर्करा कम या अत्यधिक बढ़ जाती है जैसे… 

  • किसी दिन बहुत ज्यादा शारीरिक व्यायाम करने से शुगर कम हो सकती है या, 
  • खाना ना खाने की वजह से अगले दिन सुबह खाली पेट रक्त शर्करा कम आ सकती है,
  • अत्यधिक मानसिक तनाव के कारण रक्त शर्करा के लेवल में फर्क आ सकता है,
  • ज्यादा शराब का सेवन एकाएक करने से रक्त शर्करा काफी कम हो सकती है,
  • एकाएक मीठे पदार्थों का सेवन शुगर के रोगी के द्वारा किए जाने पर अगले ही कुछ पलों में रक्त शर्करा काफी बढ़ जाती है,
  • शुगर के रोगी के द्वारा अनेकों अन्य दवाइयों का सेवन करने से उसकी रोज की रक्त शर्करा के स्तर में गड़बड़ हो सकती है,

इसीलिए आजकल लगभग सभी डॉक्टर रोज की रक्त शर्करा के स्तर की जांच कराने की बजाय HbA1c की जांच को करवाना बेहतर मानते हैं तथा सही मायनों में शुगर रोग के निदान के लिए व इलाज के लिए यही टेस्ट ज्यादा बेहतर है

HbA1c टेस्ट इन हिंदी आगे पढ़ते रहें…


HbA1c टेस्ट को आसानी से कैसे समझे?

उदाहरण के तौर पर आप यह समझे कि जैसे क्रिकेट खेल में कोई भी बल्लेबाज कभी शुन्य पर आउट हो जाता है कभी 20 से 30 रन बना देता है या कभी 50 या 100 रन बना देता है, 

इसलिए उस बल्लेबाज की बल्लेबाजी का सही से निरीक्षण करने के लिए कई मैचों के बाद उसकी बल्लेबाजी की औसत देखी जाती है उसी औसत से यह अनुमान लगाया जाता है कि वह बल्लेबाज प्रति मैच कितने रन बनाता है,

ठीक इसी प्रकार शुगर के मरीज की शुगर की सही जांच का अनुमान लगाने के लिए HbA1c टेस्ट किया जाता है, 

जिसमें पिछले 3 महीनों की रक्त शर्करा की औसत का सही से अंदाजा चिकित्सक को लग जाता है इससे आपके चिकित्सक को शुगर के इलाज को करने में काफी आसानी हो जाती है


मधुमेह रोग के कारण होने वाली जटिलताओं को HbA1c टेस्ट की मदद से कैसे कम किया जा सकता है?

HbA1c का स्तर जितना नियंत्रण में रहेगा या कम रहेगा उतना ही शुगर या मधुमेह रोग के कारण होने वाली जटिलताएं होने का खतरा कम हो जाएगा,

अगर किसी व्यक्ति का HbA1c का स्तर ज्यादा आ रहा है तो उस व्यक्ति को भविष्य में शुगर रोग के कारण अनेक प्रकार की जटिलताएं हो सकती हैं, 

जैसे कि…

  • आंखों की रोशनी का कम होना(Diabetic Retinopathy)
  • गुर्दे खराब होना(Diabetic Nephropathy)
  • नसों का कमजोर होना(Diabetic Neuropathy)
  • दिल के रोग(Coronary Artery Disease)
  • त्वचा के रोग(Skin Diseases)
  • पैरों पर अल्सर की बीमारी(Diabetic Foot Ulcer)
  • दिमाग पर शुगर का असर(Diabetic Encephalopathy)
  • मधुमेह के कारण ऑप्टिक नर्व का डैमेज होना(Diabetic Papillopathy)
  • अल्जाइमर रोग
  • डिमेंशिया
  • सुनने की शक्ति कम होना इत्यादि 

इसलिए HbA1c के स्तर का सही से नियंत्रण में रहना बहुत मायने रखता है क्योंकि मधुमेह रोग दीमक की भांति शरीर को अंदर से बिल्कुल खोखला कर देता है


HbA1c का नॉर्मल स्तर क्या है?

यह इस प्रकार है

  • एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए- 5.7 % से नीचे,
  • पूर्व मधुमेह(Pre-diabetic) के रोगी में-5.7 से 6.4 % के बीच में,
  • शुगर या मधुमेह के मरीज में-6.5 % के बराबर या इस से अधिक,
  • अगर किसी व्यक्ति का HbA1c का स्तर 8 % से अधिक आता है तो इसका अर्थ है कि उस व्यक्ति का अपनी रक्त शर्करा पर नियंत्रण बिल्कुल भी नहीं है, 

ऐसी स्थिति में सही से चिकित्सक से सलाह मशवरा करके उचित दवा का प्रबंध किया जाना चाहिए,

HbA1c अगर 7% से ज्यादा आ रहा है तो मरीज को अपनी रक्त शर्करा के नियंत्रण के प्रति सावधान हो जाना चाहिए तथा किसी भी उपाय से इसको 7% से कम रखना ही मधुमेह के रोगी का लक्ष्य होना चाहिए,

प्रतिशत के अलावा इस जांच को mmol/mol के रूप में भी मापा जाता है, 

7 % = 53 mmol/mol के बराबर होता है


HbA1c जांच करने के लिए कितना समय लगता है?

इस रक्त जांच को पूरा करने में प्रयोगशाला के टेक्नीशियन को लगभग 40 से 50 मिनट का समय लगता है कई प्रयोगशाला में इस जांच को करने के लिए उचित व्यवस्था नहीं होती,

इसलिए वह मरीज के रक्त के नमूने को किसी और प्रयोगशाला में भेजते हैं इस प्रकार दो से 3 दिन के बाद HbA1c की रिपोर्ट आती है

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HbA1c जांच कराने में कितना खर्च आता है?

इस जांच को करवाने में लगभग 400 से 600 रुपए खर्च होते हैं यह अलग-अलग प्रयोगशाला के रेट पर निर्भर करता है


HbA1c जांच को करवाने से पहले किसी विशेष तैयारी की जरूरत होती है या नहीं?

इस जांच को करवाने के लिए किसी विशेष तैयारी की जरूरत नहीं होती मरीज के रक्त का नमूना किसी भी समय लिया जा सकता है इसके लिए खाली पेट रहना या खाना खाने के बाद ब्लड सैंपल देने का कोई खास निश्चित समय निर्धारित नहीं किया गया है, 

इसके लिए मरीज की बाजू की नस से थोड़ा रक्त का नमूना लिया जाता है जिसमें हल्का सा दर्द व चुभन का एहसास होता है इसके अतिरिक्त इस जांच को करवाने में कोई भी दिक्कत परेशानी नहीं होती


किन किन लक्षणों के आधार पर HbA1c टेस्ट करवाया जाता है?

यह टेस्ट उन लोगों का करवाया जाता है जिन लोगों में नीचे लिखे लक्षण पाए जाते हैं जैसे कि…

  • बहुत ज्यादा प्यास का लगना
  • बार बार पेशाब का आना
  • बहुत अत्यधिक थकावट महसूस होना
  • घावों का जल्दी ना भरना
  • आंखों से धुंधला दिखाई देना इत्यादि

इसके अतिरिक्त गर्भावस्था में होने वाली डायबिटीज का पता लगाने के लिए भी इस टेस्ट को किया जाता है 

इस टेस्ट के माध्यम से गर्भाधान से पहले शुगर का अनुमान लगाया जाता है ऐसा इसलिए है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान कई स्त्रियों को डायबिटीज या शुगर रोग की शिकायत हो जाती है


HbA1c लेवल अगर ज़्यादा है तो उसको कम करने के लिए क्या करें?

इसको कम करने के लिए सिर्फ और सिर्फ एक ही उपाय अपनी बड़ी हुई रक्त शर्करा को नियंत्रित करके किया जा सकता है इसके लिए कोई भी दवा चाहे एलोपैथिक हो या आयुर्वेदिक हो या फिर होम्योपैथी हो किसी का भी सहारा लिया जा सकता है इसके लिए आपको अपने चिकित्सक से सलाह मशवरा करना चाहिए, 

दवाइयों के साथ-साथ उचित आहार-विहार व स्वस्थ जीवन शैली, रोजाना की सेर, व्यायाम या योगा आदि करके किया जा सकता है,

अत्याधिक मीठे पदार्थों के सेवन से बचना सबसे जरूरी बात है अगर किसी व्यक्ति का HbA1c का स्तर बढ़ जाता है उसके बाद वह व्यक्ति अपनी रक्त शर्करा को किसी भी उपाय से नियंत्रित कर लेता है, 

तो ऐसा करने से उसका बड़ा हुआ HbA1c कम होने लगता है इसको कम करने के लिए आप नीचे दिए गए आर्टिकल को पढ़ सकते हैं जिसमें अनेक प्रकार के घरेलू उपायों का वर्णन रक्त शर्करा को कम करने के लिए काफी विस्तार से समझाया गया है…

“शुगर के कारण,लक्षण व सभी उपचार”


HbA1c टेस्ट इन हिंदी का निष्कर्ष… 

HbA1c एक बहुत ही महत्वपूर्ण रक्त की जांच है जो कि किसी भी व्यक्ति की पिछले 2 से 3 महीने की औसत रक्त शर्करा के बारे में सही रिपोर्ट पेश करती है इस जांच के सहारे शुगर के रोगियों की शुगर की स्थिति, शुगर के कारण होने वाली शारीरिक जटिलताओं का तथा डायबिटीज या शुगर रोग की उचित दवा प्रबंधन करने में चिकित्सक को बहुत मदद मिलती है,

इसके साथ साथ जिन लोगों की खानदानी हिस्ट्री अर्थात जिनके माता-पिता को शुगर होती है उन लोगों को इस जांच की मदद से अपनी रक्त शर्करा के बारे में बिल्कुल सही जानकारी समय समय पर प्राप्त होती है जिस से वह भविष्य में इस रोग से पीड़ित होने से बच सकते हैं

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HbA1c टेस्ट इन हिंदी का अस्वीकरण(disclaimer)… 

  • इस लेख की सामग्री व्यावसायिक चिकित्सा सलाह(professional medical advice), निदान(diagnosis) या उपचार(ट्रीटमेंट) के विकल्प के रूप में नहीं है।
  • चिकित्सीय स्थिति के बारे में किसी भी प्रश्न के लिए हमेशा चिकित्सीय(doctor कंसल्टेशन) सलाह लें।
  • उचित चिकित्सा पर्यवेक्षण(without proper medical supervision) के बिना अपने आप को, अपने बच्चे को, या किसी और का  इलाज करने का प्रयास न करें।

Image creditधन्यवाद to www.pixabay.com

अधिक अपडेट के लिए कृपया hindi.curetoall.com पर जाएं और नीचे दिए गए लेखों को भी पढ़ें:

संदर्भ:

  1. National Diabetes Education Initiative http://www.ndei.org/ADA-2013-Guidelines-Criteria-Diabetes-Diagnosis.aspx.html
  2. National Diabetes Education Initiative http://www.ndei.org/ADA-diabetes-management-guidelines-glycemic-targets-A1C-PG.aspx.html
  3. Nordwall M, Arnqvist HJ, Bojestig M, Ludvigsson J. Good glycemic control remains crucial in the prevention of late diabetic complications–the Linköping Diabetes Complications Study. Pediatr Diabetes. 2009 May;10(3):168-76. doi: 10.1111/j.1399-5448.2008.00472.x. Epub 2008 Oct 22. PubMed PMID: 19175900.
  4. Friis AM, Johnson MH, Cutfield RG, Consedine NS. Kindness Matters: A Randomized Controlled Trial of a Mindful Self-Compassion Intervention Improves Depression, Distress, and HbA1c Among Patients With Diabetes. Diabetes Care. 2016 Nov;39(11):1963-1971. Epub 2016 Jun 22. PubMed PMID: 27335319.

 

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