गुर्दे की बिमारी कारण लक्षण व उपचार

गुर्दे की बिमारी कारण लक्षण व उपचार

किडनी या गुर्दे के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी…

शरीर में गुर्दे का क्या कार्य है? 

गुर्दे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग हैं। गुर्दे अपशिष्ट उत्पादों, विषाक्त पदार्थों, अपशिष्ट जल को बाहर निकालने और रक्त को फिल्टर की तरह साफ करने का काम करते हैं। 

गुर्दे कई तरह की बीमारियों से प्रभावित हो सकते हैं, जिससे वे खराब हो सकते हैं। इससे मरीज को दर्द होता है। 

दूसरा इसका इलाज भी काफी महंगा है। अगर हम उनका समय पर इलाज करवाएं तो वे जल्दी ठीक हो जाते हैं और मरीज को आराम मिलता है। आइए जानें किडनी रोग के लक्षण, मुख्य कारण और उपचार के बारे में।


गुर्दे की बीमारी के लक्षण…

1.भूख में कमी का होना 

  1. सुबह मतली और उल्टी होना 
  2. पैर तथा चेहरे पर सूजन का आना 
  3. थकान/कमजोरी और सांस की तकलीफ होना
  4. एनीमिया यानि खून की कमी
  5. कम उम्र में रक्तचाप में वृद्धि 
  6. पेशाब में खून या वसा का आना
  7. पेट के दायीं या बायीं तरफ दर्द व भारीपन महसूस होना

गुर्दे की बीमारी के प्रमुख कारण…

  1. मधुमेह 
  2. रक्तचाप की बीमारी 
  3. गुर्दे की पथरी 
  4. किडनी में पानी की थैलीयां(cysts) होना 
  5. गुर्दे का सिकुड़ना
  6. जन्मजात गुर्दे की विफलता या छोटा होना

गुर्दा परीक्षण / टेस्ट्स… 

  1. मूत्र परीक्षण (मूत्र में वसा, मवाद व रक्त कण देखने के लिए) 
  1. रक्त परीक्षण – यूरिया व क्रिएटिनिन (Urea, Creatinine) का स्तर चेक करने के लिए 
  2. अल्ट्रासाउंड – गुर्दे का आकार, पथरी, गांठें, सूजन आदि देखने के लिए

किडनी टेस्ट किन लोगों के बहुत जरूरी है?

भले ही ऐसे लोगों में कोई भी समस्या हो या न हो जैसे कि… 

  • मधुमेह के रोगी 
  • रक्तचाप के रोगी 
  • परिवार के किसी अन्य सदस्य को गुर्दा रोग होना
  • 50 वर्ष से अधिक आयु का होना
  • धूम्रपान करने वाले लोगों को किडनी फंक्शन टेस्ट जरूर करवाने चाहिए

“गुर्दे की बिमारी कारण लक्षण व उपचार” पढ़ते रहें…


गुर्दे की विफलता (kidney failure) का उपचार कैसे करते है?

किडनी दो तरह से फेल होती है जैसे कि… 

१.अस्थाई तोर पर (Temporary) किडनी खराब होना… 

इस स्थिति में किडनी कुछ देर के लिए अपना काम करना बंद कर देती है।

इसके मुख्य कारण इस प्रकार है…

  • लो बीपी (BP Low)
  • दस्त व उल्टी का ज्यादा होना   
  • डिहाइड्रेशन यानि शरीर में पानी की कमी का होना  
  • कम समय के लिए यूरिनरी रिटेंशन होना  

ऐसे में मरीज को शॉर्ट टर्म डायलिसिस की जरूरत होती है और किडनी 15-20 दिनों में ठीक हो जाती है और डायलिसिस की जरूरत भविष्य में नहीं रह जाती है।

२. स्थायी गुर्दा विफलता (Permanent kidney failure)…

ऐसी स्थिति में गुर्दे सिकुड़ जाते हैं और रोगी को स्वस्थ रखने के लिए नियमित डायलिसिस या गुर्दा प्रत्यारोपण सर्जरी की आवश्यकता होती है। यदि रोगी नियमित रूप से डायलिसिस करवाता रहता है, तो रोगी का स्वास्थ्य काफी हद तक अच्छा रहता है।


किडनी की बीमारियों के बारे में कुछ भ्रांतियां… 

  1. एक बार डायलिसिस शुरू हो जाने पर इसे बार-बार करवाना पड़ता है… 

बार-बार डायलिसिस तब करवाना पड़ता है जब किडनी स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो जाए ऐसे में मरीज को स्वस्थ रखने का यही एकमात्र सही तरीका है।

  1. डायलिसिस एक बहुत ही दर्दनाक उपचार है… 

डायलिसिस में रोगी की नस में एक सुई लगाना शामिल है, जो एक सामान्य सुई डालने जितना मुश्किल है। 

इसके अलावा डायलिसिस के दौरान और कोई तकलीफ या दर्द नहीं होता है। 

  1. फेल किडनी को देसी दवाओं से ठीक किया जा सकता है…

एक बार किडनी स्थायी (Permanent) रूप से खराब या फेल हो जाने के बाद सिकुड़ जाती है तो ऐसी स्थिति में उसे किसी भी दवा से ठीक नहीं किया जा सकता है।

दवाएं रोगी के स्वास्थ्य में कुछ हद तक सुधार कर सकती हैं। लेकिन जब 90% से ज्यादा किडनी काम करना बंद कर दे तो डायलिसिस की जरूरत पड़ती है व यही एकमात्र सही उपचार है।

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डायलिसिस समय पर न करवाने के नुकसान…

  • अचानक बैठे बैठे सांस लेने में तकलीफ होना या अचानक से सांस का रुकना (फेफड़ों में पानी भरने के कारण ऐसा होता है) 
  • दिल की धड़कन का धीमा होना या अचानक रुक जाना 
  • मिर्गी का दौरा पड़ना
  • बेहोशी या  तंद्रा की स्थिति अचानक उत्पन हो जाना

स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त गुर्दे का उपचार कैसे किया जाता है?

स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त गुर्दे का उपचार निम्नलिखित 3 तरीकों से संभव है।

१. मशीन से किया जाने वाला उपचार (Dialysis- HD)

२. घर बैठ कर किये जाने वाला उपचार (Dialysis- CAPD)

३. ऑपरेशन के द्वारा गुर्दे को बदलना (Renal transplant)


अस्वीकरण (disclaimer)… 

  • इस लेख की सामग्री व्यावसायिक चिकित्सा सलाह(professional medical advice), निदान(diagnosis) या उपचार(ट्रीटमेंट) के विकल्प के रूप में नहीं है।
  • चिकित्सीय स्थिति के बारे में किसी भी प्रश्न के लिए हमेशा चिकित्सीय(doctor कंसल्टेशन) सलाह लें।
  • उचित चिकित्सा पर्यवेक्षण(without proper medical supervision) के बिना अपने आप को, अपने बच्चे को, या किसी और का  इलाज करने का प्रयास न करें।

Image-creditधन्यवाद to www.pixabay.com

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