किडनी खराब होने लक्षण

किडनी खराब होने लक्षण – Symptoms of kidney Damage in Hindi

गुर्दे के बारे में जरूरी महत्वपूर्ण जानकारी:

1. गुर्दे क्या होते हैं और इनका शरीर में क्या काम होता है?

 गुर्दे शरीर का एक अंग होते हैं गुर्दे खून में से फालतू पदार्थ ,जहर फालतू पानी को बाहर निकालने का काम करते हैं और खून को फिल्टर की तरह साफ करते हैं

गुर्दों को कई तरह की बीमारियां लग सकती है जिसके कारण यह खराब हो जाते हैं जिस कारण मरीज को काफी तकलीफ होती है अगर हम समय रहते इनका इलाज करवा लेते हैं तो यह जल्दी ठीक हो जाते हैं और मरीज को काफी राहत भी मिलती है तो आईए जानते हैं गुर्दों की बीमारी के लक्षण उनके प्रमुख कारण और उनके इलाज के बारे मे थोडा संक्षेप में


किडनी खराब होने लक्षण (symptoms of kidney damage in hindi):

  • भूख कम लगना
  • सुबह के समय जी कच्चा होना 
  • उल्टी आना
  •  पैरों और चेहरे पर सोज आना
  •  थकावट कमजोरी लगना
  •  सांस फूलना
  •  खून की कमी होना (Anemia)
  • छोटी उम्र में ब्लड प्रेशर का बडना
  • पेशाब में चर्बी का आना  
  • पेट के निचले आसपास के हिस्से में दर्द होना

गुर्दे के रोग के प्रमुख कारण (Causes of kidney disease in hindi):

  • शुगर की बिमारी
  •  ब्लड प्रेशर का बडना
  •  गुर्दे की पथरी
  •  गुर्दे के बीच पानी की थैलीयां
  •  गुर्दे का छोटा होना 
  • जन्म के समय से ही गुर्दे ना होना/छोटा होना 

गुर्दों की जांच/ टेस्ट कैसे होती है

  1. पेशाब की जांच (Urine Test)- पेशाब में पस या चर्बी या खून का आना 
  2.  खून की जांच (Blood Test)- ब्लड में सीरम Cretanine तथा ब्लड Urea का बढ़ना 
  3.  अल्ट्रासाउंड- गुर्दे का साइज, पथरी, फ्लावट देखने के लिए

गुर्दों की जांच या टेस्ट किन लोगों के लिए जरूरी होते है ?

  • शुगर रोग से पीडित मरीजों के लिए 
  • ब्लड प्रेशर की बीमारी से पीडित लोग
  • 50 साल से ज्यादा उमर वाले लोगों के लिए 
  • अगर परिवार में पहले से किसी को शुगर रोग की शिकायत रही हो 
  • बीडी, सिगरेट ज्यादा पीने वाले लोग इतियादी

किडनी या गुर्दे फेल होने का इलाज़ 

किडनी या गुर्दे 2 प्रकार से फेल होते है जैसे कि…

आमतौर (Temporary) पर गुर्दे का फेल होना:

गुर्दे कुछ समय के लिए काम करना बंद कर देते हैं इसके मुख्य कारण है …

  • B.P (Blood pressure)काफी  low हो जाना
  • उल्टियां आना (Acute Vomiting)
  • टट्टियाँ लगना (Diarrhea)
  • शरीर में पानी खत्म होना (Dehydration)
  • थोड़े समय के लिए पेशाब का बंद होना।

इस हालत में मरीज को थोड़े समय के लिए डायलिसिस की जरूरत पड़ती है और 15 से 20 दिन तक गुर्दे ठीक हो जाते हैं और बाद में  डायलिसिस की जरूरत नहीं रहती है 

हमेशा (Permanent) के लिए गुर्दे का फेल होना :

कई बार गुर्दे  सुघड जाते हैं और मरीज को ठीक रखने के लिए लगातार डायलिसिस (Dialysis) करने पड़ते हैं या फिर गुर्दों का बदलने का ऑपरेशन करवाना पड़ता है

नियमित तौर पर अगर मरीज Dialysis करवाता रहे तो काफी हद तक मरीज की सेहत ठीक रहती है


किडनी रोगों के बारे में कुछ गलत धारणाएँ:

1. एक बार डायलिसिस शुरू करने के बाद इसे दोहराना पड़ता है:- जब किडनी स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो जाती है तो डायलिसिस को दोहराना पड़ता है, ऐसी स्थिति में रोगी को स्वस्थ रखने का यही एकमात्र तरीका है।


2. डायलिसिस बहुत दर्दनाक इलाज है:- डायलिसिस करने के लिए मरीज की नस में सुई डालनी पड़ती है, जो सामान्य सुई डालने जितना ही दर्दनाक होता है। इसके अलावा डायलिसिस के दौरान कोई अन्य असुविधा या दर्द नहीं होता है।


3. देसी दवाओं से ठीक होती हैं खराब किडनी:- एक बार जब किडनी स्थायी रूप से खराब हो जाती है या सिकुड़ जाती है तो उसे किसी भी दवा से ठीक नहीं किया जा सकता है। कुछ हद तक दवाएँ रोगी को स्वस्थ रख सकती हैं। लेकिन जब किडनी 90% से ज्यादा काम करना बंद कर दे तो डायलिसिस की जरूरत पड़ती है।


समय पर डायलिसिस न करवाने के नुकसान:

  • 1. उठते-बैठते समय अचानक सांस फूलना या सांस रुक जाना (फेफड़ों में तरल पदार्थ के कारण)।
    2. दिल की धड़कन का धीमा हो जाना बंद हो जाना
  • 3. मिर्गी का दौरा पड़ना।
  • 4. बेहोश/सुस्त हो जाना.

ये सारी परेशानियां कभी-कभी जीवन के लिए खतरा हो सकती है

स्थायी (Permanant kidney damage) रूप से क्षतिग्रस्त किडनी का उपचार निम्नलिखित 3 तरीकों से संभव है।

  1. मशीन के द्वारा इलाज़  डायलिसिस (एच.डी)
  2. स्व-प्रशासित होम डायलिसिस (सी.ए.पी.डी)
  3. किडनी रिप्लेसमेंट सर्जरी (गुर्दे का प्रत्यारोपण)

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