paralysis in hindi

paralysis in hindi-जानिए लकवा या पक्षाघात के कारण,लक्षण,निदान व् सही समाधान

paralysis in hindi (Hemiplegia Paralysis): परिचय-इस रोग का आक्रमण अचानक होता है जिसमें शरीर का आधा दायाँ या बायाँ भाग या निम्नाँग बेकार हो जाते हैं।

आक्रमण से पूर्व रोगी को पता नहीं चलता हैं कि उसको पक्षाघात का आक्रमण होने ही वाला है या नहीं रोगी देखते ही देखते लड़खड़ा कर गिर जाता है।

यदि रोगी बैठा हो तो लुढ़क जाता है। यदि लेटा हो तो अचानक अपनी स्थिति को बदलने में असमर्थ हो जाता है। रोगी के शरीर का जो भाग बेकार हो जाता है उस भाग के अंगों को रोगी अपनी इच्छानुसार गतिशील करने में असमर्थ हो जाता है।

आक्रान्त भाग बेजान (संज्ञाहीन) होकर बेकार हो जाता है। वात व्याधि का ही यह परिवर्तित रूप है जो रोगी को बिस्तर पर लेटने को मजबूर कर देता है। इसका सम्बन्ध मस्तिष्क से होता है।

शोध एवं अध्ययन से स्पष्ट हुआ है कि यदि मस्तिष्क का बायाँ भाग रोगाक्रान्त है तो शरीर का दायाँ भाग प्रभावित हो जाता है। यदि दायाँ भाग पीड़ित होता है तो शरीर का बायाँ भाग प्रभावित हो जाता है।


reason of paralysis in hindi (पक्षाघात के सबसे प्रमुख कारण)

paralysis in hindi
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लकवा या पक्षाघात के सबसे प्रमुख कारण दो प्रकार के हैं

1. दिमाग के अंदर रक्त स्त्राव होना (Brain Hemorrhage)- यह स्थिति बहुत ही खतरनाक है इस स्थिति के कारण होने वाले पक्षाघात या लकवे के मामले लगभग 15 से 20% होते हैं

2. दिमाग के अंदर खून की नस का अवरुद्ध होना (Brain stroke)– यह स्थिति ऊपर वाली स्थिति से कम खतरनाक है 

पक्षाघात या लकवे के 80 से 85 प्रतिशत मामले इसी की वजह से होते हैं

इन दोनों ही मामलों में दिमाग के किसी खास हिस्से में खून की सप्लाई में कमी आ जाती है

लकवा- what is paralysis in hindi

इस खून की कमी के कारण दिमाग के उस हिस्से को ऑक्सीजन की सप्लाई सही से ना मिलने के कारण वह हिस्सा अपना कार्य करने में असमर्थ हो जाता है

  • कुछ ही मिनटों में ऑक्सीजन की कमी दिमाग के उस हिस्से की कोशिकाओं को मृत कर देती हैं

दिमाग का प्रभावित खास हिस्सा शरीर के जिस हिस्से को नियंत्रित करता है परिणाम स्वरूप वह हिस्सा भी अपना कार्य करने में असमर्थ हो जाता है इसी को लकवा या पैरालिसिस कहते हैं

  • लकवा या पैरालिसिस की स्थिति सामान्य से लेकर गंभीर तथा जानलेवा भी हो सकती है
  • यह बात इस बात पर निर्भर करती है कि दिमाग का खास हिस्सा कितना प्रभावित हुआ है 

अगर ज्यादा प्रभावित हुआ है तो ऐसी स्थिति में पैरालिसिस गंभीर होगा तथा इस स्थिति में पीड़ित व्यक्ति की जान भी जा सकती है 

अगर कम प्रभावित हुआ है तो पैरालिसिस की स्थिति सामान्य होगी जो कुछ ही दिनों में ठीक हो जाएगी

पैरालिसिस के जो वजह ऊपर बताई गई है उस वजह के उत्पन्न होने के अनेकों कारण शरीर में हो सकते हैं इनमें से सबसे प्रमुख कारण ब्लड प्रेशर का बढ़ना माना जाता है इसके अलावा अन्य कारण (Risk factors) नीचे लिखे गए हैं

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लकवा किस कारण होता है (लकवा के Risk factors)

प्रमुख कारण-

1. रक्तचाप वृद्धि (High blood pressure) के कारण मस्तिष्कगत रक्तस्राव होता है।

2. यदि मधुमेह का रोग अधिक दिन तक हो और चिकित्सा ना की हो। ‘

3. वात व्याधि का रोग अधिक दिनों तक चलते चलते पक्षाघात में परिवर्तित हो जाता है।

4. मेरुमज्जा प्रदाह (Spinal cord injury) एवं मस्तिष्क झिल्ली प्रदाह (Swelling in Brain) भी इसका कारण है।

5. इन्सेफेलाइटिस से भी पक्षाघात का होना सम्भव है।

6. पारदयुक्त (Mercury) औषधियों का सेवन करने से इस रोग की संभावना अधिक होती है।

7. मिरगी या हिस्टेरिया के रोगी कभी भी इसका शिकार हो सकते हैं।

8. हृदय रोग का उग्रावस्था या रोग पुराना होने पर पक्षाघात का आक्रमण होना सम्भव है।

9. बेहोशी के बाद होश में आने पर कई रोगियों को पक्षाघात से आक्रान्त पाया गया है।

10. सेरेब्रल अब्बसेस, मस्तिष्क का रक्तस्राव तथ thrombosis इस रोग के विशेष कारण है।

11. मस्तिष्क की चोट या आघात से भी पक्षाघात होना सम्भव है। इन कारणों के प्रति सजग होकर ही चिकित्सा की ओर अग्रसर होना सम्भव है।

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लकवा कितने प्रकार का होता है (paralysis in hindi)

पक्षाघात या लकवा के मुख्य रूप से चार प्रकार होते हैं जैसे कि…

1. मोनोप्लेजिया (Monoplegia)-

इस प्रकार के लकवे मे शरीर का कोई एक हिस्सा या अंग विशेष रूप से प्रभावित होता है यह स्थिति ज्यादा खतरनाक नहीं होगी

मोनोप्लेजिया का मुख्य कारण सेरेब्रल पाल्सी, ब्रेन स्ट्रोक, ट्यूमर या कोई मस्तिष्क की चोट इत्यादि हो सकता है

2. हेमीप्लेजिया (Hemiplegia)-

इस प्रकार के लकवे में शरीर का एक भाग दायां या बायां विशेष रूप से प्रभावित होता है

इसका भी मुख्य कारण ब्रेन हेमरेज, ब्रेन स्ट्रोक, रीड की हड्डी की चोट, मस्तिष्क की चोट, तंत्रिका तंत्र विकार इत्यादि हो सकते हैं

3. पैराप्लेजिया (Paraplegia)-

इस प्रकार के लकवे में कमर के नीचे का हिस्सा, दोनों पैर, कुल्हे, जननांग विशेष रूप से प्रभावित होते हैं

इसके लक्षण प्रत्येक व्यक्ति में थोड़े अलग हो सकते हैं

इस प्रकार के लकवे के मुख्य कारण रीड की हड्डी में संक्रमण, मस्तिष्क के ट्यूमर, मस्तिष्क में हुए संक्रमण, रीड की हड्डी की जन्मजात विकृति, कोई दिमागी चोट इत्यादि हो सकते हैं

4. क्वाड्रीप्लेजिया (Quadriplegia)-

लकवे की यह स्थिति बहुत ही खतरनाक है इस प्रकार की स्थिति में गर्दन का नीचे का सारा हिस्सा, दोनों हाथों, पैर, धड़ आदि सभी अंग लकवा ग्रस्त हो जाते हैं

इस प्रकार की स्थिति के मुख्य कारण मस्तिष्क के संक्रमण, मस्तिष्क की चो,टें ब्रेन स्ट्रोक, ब्रेन ट्यूमर, स्पाइनल ट्यूमर, रीड की हड्डी के संक्रमण, पैदाइशी असमानता, किसी भी दवा की एलर्जी प्रतिक्रिया इत्यादि कारण हो सकते हैं


लकवा होने के लक्षण (paralysis in hindi)

जैसा कि हम जान चुके हैं-इस रोग का आक्रमण अचानक होता है। रोगी मूर्छित होकर गिर जाता है। यह बेहोशी कुछ मिनट से लेकर काफी देर तक हो सकती है।

  • पक्षाघात से पूर्व रोगी को तीव्र सिरदर्द होता है। गर्दन में जकड़न अनुभव होती है। इसके पश्चात् रोगी मूर्छित हो जाता है। यदि खड़ा हो तो गिर पड़ता है। मूर्च्छित अवस्था में उल्टी या उबकाईयाँ आती हैं।

बेहोशी दूर होने के बाद भी रोगी बोलने में असमर्थ होता है। कुछ देर बाद रोगी धीरे-2 बोलता है लेकिन आवाज़ स्पष्ट नहीं निकल पाती है।

मुँह का टेढ़ा होना- मुंह का लकवा का इलाज 

रोगी का एक ओर का मुँह, जीभ, आधा जबड़ा, होंठ, आँख, हाथ तथा टाँग पक्षाघात का शिकार होकर अंग बेकार हो जाते हैं। गर्दन से नीचे का पक्षाघातग्रस्त शरीर रोगी अपनी इच्छा से हिला नहीं पाता है।

  • चिकित्सा अथवा बिना चिकित्सा के रोगी धीरे-2 अंगों को नहीं के बराबर हिलाता है।

रोगी को अपने शब्द उच्चारण पर नियंत्रण नहीं रहता है।

  • रोगी के श्वॉस से खर्राट जैसी आवाज़ निकालता है।

सर्वाग शरीर शिथिल और बेजान हो जाता है।

  • मुख से लार बहती रहती है।

रोगी खाने-पीने में लाचार हो जाता है।

  • बोलते समय मुहं टेढ़ा हो जाता है।

आक्रान्त (बायाँ या दायाँ) भाग ओर वाली आँख खुली रहती है।

  • रोगी होंठ गोल नहीं कर पाता है।

कभी-2 प्रथम दौरे के बाद रोगी धीरे-2 चलने-फिरने लगता है लेकिन दूसरे दौरे को झेल नहीं पाता है। यह जानलेवा भी हो सकता है। कुछ रोगी तो ऐसे होते हैं जो प्रथम आक्रमण के बाद ही जीवन भर के लिये खाट पकड़ लेते हैं।

  • रक्तस्राव से उत्पन्न पक्षाघात का दौरा धमनी अवरोध से हुये पक्षाघात के दौरे की अपेक्षा अधिक भयानक और कष्टदायक होता है

रक्तस्राव से उत्पन्न पक्षाघात में रोगी को मूत्र में एल्ब्यूमिन (Albumin) आता है। रक्तभार (BP) बढ़ जाता है। जैसे-2 रक्तस्राव होता जाता है रोगी कमजोर होता जाता है जिससे ब्लडप्रैशर लो हो जाता है

  • कई रोगियों की आक्रमण के बाद 1 से 4 सप्ताह के अन्दर मृत्यु हो जाती है।
  • जो रोगी प्रथम आक्रमण से बच जाते हैं उनका दूसरे आक्रमण में बचना कठिन हो जाता है। मृत्यु की संभावना अधिक होती है।

जो रोगी चिकित्सा से ठीक भी हो जाते हैं उनकी मृत्यु अधिकतर हृदय सम्बन्धी रोगों से हो जाती है।


पैरालिसिस का निदान (Diagnosis)

लकवा या पैरालिसिस से पीड़ित व्यक्ति की स्थिति का सही से पता लगाने के लिए सीटी स्कैन या एमआरआई स्कैन किया जाता है 

  • इस जांच से पीड़ित व्यक्ति की पैरालिसिस की स्थिति सामान्य या गंभीर है इसका अनुमान लगभग 100% हो ही जाता है

इसलिए पैरालिसिस का शक पड़ने पर जल्दी से जल्दी पीड़ित व्यक्ति का सीटी (CT Scan) या एमआरआई स्कैन (MRI Scan) हो जाना चाहिए

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लकवा का तुरंत इलाज- सहायक चिकित्सा (treatment and precautions in paralysis in hindi)

यदि श्वासारोध की स्थिति हो तो लगातार ऑक्सीजन दें।paralysis in hindi

आक्रान्त अंगों की मालिश करें। चिकनाई में महामाष तेल, महानारायण तेल, महाविष गर्म तेल एवं प्रसारिणी तेल आदि का प्रयोग करें। इन तेलों में समभाग तिलों का तेल मिलाकर प्रतिदिन दो बार मालिश करें।

  • यदि पक्षाघात का कारण मस्तिष्कगत रक्तस्राव हो तो सिर पर ठंडा पानी डालें। बर्फ की थैली भी सिर पर रखनी लाभकारी है। रोगी को सिर स्थिर रखने की सलाह दें।

लकवा में क्या खाना चाहिए?

ठोस भोजन की अपेक्षा तरल और सुपाच्य भोजन देना हितकर है। रोगी को निगलने में कष्ट हो तो स्टॉमिक ट्यूब से दूध, फलों का रस एवं अन्य पौष्टिक तरल आहार दें।

यदि रोगी औषधि पीने में असमर्थ हो तो स्टॉमक ट्यूब से दें।

  • रोगी को सर्दी से बचाकर रखें। ठण्ड के मौसम में गर्म कपड़े ओढ़ने की व्यवस्था करें। मौसम के अनुसार वस्त्रों का प्रयोग करना अच्छा होता है। गर्मी के मौसम में सूती एवं ठण्ड में गर्म कपड़ों का प्रयोग अनुकूल होता है।

रोगी के पेट में संचित स्राव को रायल्स ट्यूब द्वारा निकालते रहे। रोगी के नाक तथा मुख आदि को प्रतिदिन 3-4 बार नियमितता से साफ करते रहना चाहिये। लार भी साफ करते हैं।

मरीज़ का बिस्तरा साफ-सुथरा रखें।

  • रोगी को संक्रमण से बचाकर रखें। यदि पहले से कोई संक्रमण हो तो उसकी चिकित्सा करें। 

 बेकार हो चुके अंग विकृत न हों, इसके लिये अंगों के दोनों ओर रेत (बालू) की थैलियाँ रखना उपयोगी है।

 रोगी के आक्रान्त (संज्ञाहीन) अंगों को बिस्तर पर ज्यों का त्यों पड़ा छोड़ देना उचित नहीं है। उन्हें गतिशील बनाये रखें जिससे रक्त संचार होता रहे एवं शय्याक्षत (Bed Sores) का भी भय नहीं रहे।

लकवा का इलाज के बारे मे जरूरी बातें 

पक्षाघातग्रस्त अंगों का प्रतिदिन कम से कम दो बार व्यायाम अवश्य करें। व्यायाम और मालिश शरीर के लिये आवश्यक है।

  • रोगी की जीभ को बाहर खींचकर रखने से साँस लेने में कष्ट नहीं होता है।
  • यदि रोगी धमनी अवरोध से बेहोश हो तो उसकी चारपाई के पैरों की ओर 1-2 ईंटे रखकर चारपाई ऊँची कर देने से लाभ होता है।

यदि कुछ सुधार होने के बाद रोगी भोजन चबाकर खाने की स्थिति में हो तो पुराने चावल का भात, गेहूं की पतली रोटी दें। परवल, सहजन, लहसन, अदरक.देसी घी तथा गाय का दूध दे

  • इस रोग में जंगली कबूतर , तीतर मुर्गा आदि का माँस उपयोगी है। कई रोगिया को केवल कबूतर का माँस प्रतिदिन खाने से लाभ हो जाता है।
  • ठण्डा पानी पक्षाघात के रोगी को मत दें। रोगी गुनगुना पानी ही पिए 

रात का बासी तथा सड़ा-गला भोजन ना दें। भोजन साफ-सुथरा, ताजा एवं पाष्टिक दें। ठण्डा भोजन मत दें।

  • Cerebral थ्राम्बासिस के कारण पक्षाघात हो तो सेरेबिल वासोडायलेटर्स का प्रयोग डाक्टरों द्वारा करना चाहिए

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विशेष ध्यान दे…

  • यदि Cerebral थ्रोम्बोसिस में रोगी बेहोश हो जाये तो उसकी बेहोश रोगी के भांति चिकित्सा करनी उचित नहीं है। बल्कि कोमा (संयास) के रोगी को जिस प्रकार का चिकित्सा दी जाती है उसी के अनुसार चिकित्सा करें। हर चिकित्सक का कर्त्तव्य है कि वह आखरी क्षण तक हर सम्भव प्रयासों से रोगी के प्राणों की रक्षा करने की कोशिश करता रहे।

यदि रोगी किसी प्रकार के संक्रमण के कारण पक्षाघात से पीड़ित हो तो अपेक्षित एण्टीबायोटिक्स का प्रयाग करें।

  • रोगी का नाड़ी परीक्षण करते रहें। रोगी कमजोर न होने पाये। नाड़ी संस्थान को सबल बनाये रखने के लिये स्नायुशक्तिवर्धक औषधियों का प्रयोग करें।

शरीर का नीला हो जाना, ऑक्सीजन की कमी का सूचक है। यदि ऑक्सीजन की कमी हो जाये तो तत्काल ऑक्सीजन का प्रयोग करें एवं गहन चिकित्सा करें। –

ब्राण्डी की तरह औषधि को भी उचित मात्रा में दें।

  • रोगी के शरीर के तापमान की परीक्षा करते रहें। इसके लिये दैनिक तापमान का चार्ट बना लें। प्रत्येक 4-6 घण्टे बाद तापमान नोट करते जायें। सुधार होने पर 6-8 घण्टे बाद तापमान नोट कर लें।
  • मूल चिकित्सा के साथ-2 लाक्षणिक चिकित्सा भी करें।

मूत्र में एल्ब्यूमिन (Albumin) का परीक्षण बीच-2 में करते रहें।

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निष्कर्ष (paralysis in hindi)

अगर पैरालिसिस का कारण ब्रेन हेमरेज है तो यह स्थिति बहुत ही खतरनाक व जानलेवा है ऐसी स्थिति में डॉक्टरों के पास भी कोई खास उपचार या समाधान नहीं होता

परंतु इसमें अच्छी बात यह है कि पैरालिसिस के मात्र 15 से 20% मामले ही ब्रेन हेमरेज के कारण होते हैं

इसके अलावा 80% मामलों में दिमाग की नस का अवरुद्ध होना पक्षाघात का मुख्य कारण होता है जिसका इलाज समय के साथ कुछ प्रकार की कोशिशों से सम्भव है 

  • इसलिए पक्षाघात के रोगी को हमेशा Self Motivate रहना उसके ठीक होने के लिए सबसे जरूरी तथा अहम कदम है

अगर पक्षाघात से पीड़ित व्यक्ति यह सोच ले कि कैसे भी करके उसे ठीक होना है तो यह कोशिश भविष्य में उसके लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होती है ऐसा हमने अनेकों रोगियों में देखा है

जो पैरालिसिस से पीड़ित व्यक्ति समय से पहले ही हिम्मत छोड़ देते हैं ऐसे रोगियों का ठीक होना लगभग ना के बराबर होता है

इसलिए घबराए नहीं बल्कि अपने चिकित्सक की सलाह अनुसार इलाज करवाते रहें, पीड़ित अंगों की मालिश तथा एक्सरसाइज जैसे फिजियोथेरेपी की मदद लेते रहें

  • गलत खानपान तथा अस्वस्थ जीवन शैली को त्याग कर भविष्य में होने वाली गंभीर पैरालिसिस की स्थिति से पहले ही अपना बचाव करें

अगर किसी व्यक्ति को बोलने में या अपने शरीर के किसी भी हिस्से मे जरूरत से ज्यादा कमजोरी महसूस हो तो तुरंत ही अच्छे डॉक्टर से मिलकर इस स्थिति का सही से पता लगाएं 

ताकि भविष्य में होने वाली पैरालिसिस की स्थिति का पहले से ही अनुमान लगाया जा सके

मैंने यहां पर एक चिकित्सक होने के नाते पैरालिसिस या पक्षाघात से जुडी जरूरी बातों को अच्छी प्रकार से समझाया है कृपया इसे ध्यान से पढ़ें तथा आगे शेयर करें


अस्वीकरण (paralysis in hindi)

इस आर्टिकल में बताई गई बातें, उपचार के तरीके व खुराक की जो भी सलाह दी जाती है वह सब हेल्थ स्पेशलिस्टस के अनुभव पर आधारित होती है 

किसी भी मशवरे को अपनाने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर कर ले, सेहत से जुड़े हुए आर्टिकल्स आपको अपने आप अपनी मर्जी से दवाइयां लेने की सलाह नहीं देते


Information Compiled- by Dr Vishal Goyal

paralysis in hindi

Bachelor in Ayurvedic Medicine and Surgery

Post Graduate in Alternative Medicine MD(AM)

Email ID- [email protected]

Owns Goyal Skin and General Hospital, Giddarbaha, Muktsar, Punjab


सन्दर्भ :

https://my.clevelandclinic.org/health/diseases/14480-brain-bleed-hemorrhage-intracranial-hemorrhageब्रेन हेमरेज cause paralysis

https://www.portea.com/physiotherapy/stroke-paralysis/- brain stroke paralysis study


 

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