हिंदी | गिलोय |
संस्कृत | गुडुची, अमृता, मधुपर्नी, कुंडलिनी, छिन्ना |
गुजराती | गलो |
पंजाबी | गलो, गिलो |
अंग्रेजी नाम | Tinospora |
वैज्ञानिक नाम(Botanical Name) | Tinospora Cordifolia |
कुलनाम (family) | Menispermaceae |
giloy ke fayde: गिलोय के सभी लाभ जो आपके लिए जानने अति जरूरी हैं उन सभी का वर्णन यहां पर हमने पूरी रिसर्च के बाद किया है
इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप अपने जीवन में गिलोय का इस्तेमाल कैसे करना है किस स्थिति में करना है यह सभी बातों को पूरी अच्छी तरह से जान जाएंगे
आयुर्वेद में गिलोय को अमृता भी कहा गया है ऐसा इसलिए है क्योंकि गिलोय अमृत के सामान फल देने वाली है
गिलोय का इस्तेमाल हजारों वर्षों से आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में अनेकों प्रकार के साध्य व असाध्य रोगों के इलाज के लिए सफलतापूर्वक किया जा रहा है
प्राचीन साहित्य ग्रंथों में यह लिखा गया है कि राक्षसों तथा देवताओं के द्वारा छीर सागर के मंथन के दौरान जो अमृत का कलश निकला था उस अमृत की बूंदें धरती पर जहां जहां गिरी उस जगह गिलोय उत्पन्न हुई
गिलोय के मुख्य गुणधर्म (giloy in hindi)…
गिलोय तीनों दोषों वात, पित्त तथा कफ का शमन करने वाली है
- कुष्ठ रोग (Leprosy) को दूर करने में सक्षम है
- वेदना (Pain) को हरने वाली है
- कृमियों (Anti-worm) का नाश करती है
- जठराग्नि (Appetizer) को प्रदीप्त करती है
- आहार के पाचन (Digestive) में सहायक है
- तृष्णा (Thirst) को दूर करती है
- पेट में अम्लता (Acidity) को कम करती है
- हृदय को बल (Heart tonic) देने वाली है
- पीलिया (Jaundice) के रोग में लाभकारी है
- रक्त के विकारों (Blood disorders) को दूर करने में सहायक है
- सभी प्रकार के ज्वर (Fever) का नाश करने वाली है
- मधुमेह (Diabetes mellitus) रोग में लाभकारी है गिलोय शरीर में इंसुलिन (Insulin) की उत्पत्ति तथा उसकी घुलनशीलता को बढ़ाकर रक्तशर्करा (Blood glucose) को कम करती है
- त्वचा के रोगों (Skin diseases) को दूर करती है
- आधुनिक चिकित्सा वैज्ञानिकों के अनुसार अनेक प्रकार के बैक्टीरिया तथा वायरस को खत्म करने में गिलोय सक्षम (Effective) है
- ट्यूबरक्लोसिस (TB) रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणु की वृद्धि को सफलतापूर्वक रोकने में गिलोय सक्षम है
- E. Coli नामक बैक्टीरिया जो मूत्रवह संस्थान (Urinary tract) तथा आंत (Intestine) में संक्रमण का मुख्य कारण है को नष्ट करती है
- गिलोय के एक्सट्रैक्ट (Extract) में जीवाणु भक्षी (Phagocytic) गुण होने के कारण यह सभी प्रकार के बैक्टीरिया तथा वायरस का नाश करने में सक्षम है
रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) को बढ़ाने वाली है
गिलोय के मुख्य 10 उपयोग (benefits of giloy in hindi)…
गिलोय का इस्तेमाल प्रमुख रूप से जूस, गिलोय सत्व व काढ़ा इत्यादि के रूप में होता है परंतु सबसे ज्यादा इस्तेमाल आजकल गिलोय के रस का किया जाता है जो कई कंपनियों द्वारा बनाया जाता है
किसी बीमारी की स्थिति में गिलोय की डंडी से काढ़ा बनाकर इस्तेमाल करने का प्रचलन भारत देश में बहुत है
1. डायबिटीज (Diabetes mellitus) को करे कंट्रोल…
जो लोग शुगर या मधुमेह रोग यानि डायबिटीज(Diabetes mellitus) से पीड़ित है जिनका रक्त शर्करा (Blood glucose) का स्तर सामान्य से बढ़ा हुआ रहता है
ऐसे व्यक्तियों को प्रतिदिन सुबह खाली पेट गिलोय के रस को 15 से 60 मिलीलीटर की मात्रा में ताजे गुनगुने पानी के गिलास में डालकर लगातार इसका इस्तेमाल करना चाहिए
ऐसा करने से कुछ ही दिनों में रक्त शर्करा के स्तर में सुधार होने लगता है
- शरीर में ऊर्जा (Energy) का संचार होने लगता है मधुमेह रोग के कारण होने वाली थकावट दूर होने लगती है
ऐसा इसलिए है क्योंकि गिलोय में अनेक प्रकार के ऐसे तत्व होते हैं जिनके कारण हमारे शरीर में इंसुलिन (Insulin) नामक हार्मोन की उत्पत्ति में बढ़ोतरी होती है
- साथ ही साथ गिलोय का सेवन इंसुलिन हार्मोन की संवेदनशीलता (Insulin sensitivity) को भी बढ़ाता है जिस से बढ़ा हुआ रक्त शर्करा (Blood sugar) का स्तर धीरे धीरे कम होने लगता है
- मधुमेह से पीड़ित रोगी बेफिक्र होकर अपने रोजाना की दिनचर्या में गिलोय का इस्तेमाल कर सकते हैं
इसके लिए किसी भी अच्छी ब्रांडेड कंपनी का गिलोय रस इस्तेमाल किया जा सकता है
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2. मोटापे में बहुत असरदार है गिलोय (giloy in hindi)…
यह बहुत ही कम लोग जानते हैं कि गिलोय के सेवन से मोटापे को कम करने में बहुत सहायता मिलती है
- गिलोय में मौजूद Leptin व Adiponectin नामक तत्व वजन को नियंत्रित करने में बहुत मददगार हैं
गिलोय का सेवन नियमित रूप से करने से शरीर में पानी के कारण बढ़ा हुआ वजन (Water weight) नियंत्रित होने लगता है
- Water weight बढ़ने के कारण हमारे शरीर में भारीपन, चेहरे पर Puffiness इत्यादि समस्याएं बढ़ने लगती है
गिलोय का नियमित सेवन शरीर में चयापचय (Metabolism) प्रक्रिया को बढ़ाकर वजन को नियंत्रित करने में काफी कारगर है
- इसके अलावा गिलोय की सेवन से शरीर में एकत्रित हुए अनेक प्रकार के विषैले पदार्थ (Toxins) धीरे-धीरे शरीर से बाहर (Excrete) निकल जाते हैं
Note-
- मोटापे से ग्रसित व्यक्ति रोजाना सुबह खाली पेट गिलोय के रस (15 से 60 ml की मात्रा लगभग) मे 10 से 20 ml एलोवेरा जूस को एक गिलास गुनगुने पानी में डालकर 2 से 3 महीने के लिए लगातार इस्तेमाल करें
ज्यादा अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए आहार में कम कैलरी खर्च (Calorie deficit) के नियम को भी अपनाएं
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3. रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) को बढ़ाने के लिए (giloy in hindi)…
ऐसे लोग जिनको बार-बार खांसी, जुकाम, बुखार या अन्य प्रकार के वायरल संक्रमण (Viral infections) होते हैं
जिनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम (Low immunity) है
- हेपेटाइटिस सी (Hepatitis C), कोविड-19 (Covid-19), HIV जैसे गंभीर वायरल रोगों से पीड़ित होने के कारण जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम हो गई है
ऐसे व्यक्तियों को रोजाना अपनी दिनचर्या में गिलोय का सेवन जरूर करना चाहिए ऐसा करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे बढ़ने लगती है
जिस कारण उस व्यक्ति का शरीर उस बीमारी से लड़ने में सक्षम होने लगता है ऐसा कई प्रकार के वैज्ञानिक अनुसंधान में पाया गया है
इसके लिए गिलोय के रस (15 से 60 ml लगभग) को सुबह खाली पेट (Empty stomach) एक गिलास गुनगुने पानी में डालकर इस्तेमाल किया जा सकता है
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4. मानसिक स्वास्थ्य (Mental health) में लाभदायक (giloy in hindi)…
किसी भी प्रकार की मानसिक समस्याएं जैसे याददाश्त में कमी होना (Low memory), मानसिक एकाग्रता (Mental alertness) कम होना, अवसाद (Depression), मानसिक तनाव (Stress) की स्थिति इत्यादि में गिलोय का नियमित सेवन बहुत लाभदायक है
- ऐसा कई प्रकार के वैज्ञानिक अनुसंधान में पाया गया है
5. पाचन तंत्र (Digestion) के रोगों में लाभकर (giloy in hindi)…

गिलोय का नियमित सेवन पाचन तंत्र की अनेकों समस्याएं जैसे आहार का सही से ना पचना, भूख ना लगना(Anorexia), कब्जियत (Constipation) की शिकायत रहना इत्यादि में बहुत लाभदायक है
- इसके सेवन से हमारे यकृत (Liver) को बल मिलता है जिस कारण पाचन तंत्र (Digestive system) अपना कार्य सुचारु रुप से करने लगता है
पाचन तंत्र के रोगों में गिलोय के सेवन को ज्यादा असरदार बनाने के लिए आप गिलोय के रस में थोड़ा आंवला रस मिलाकर इस्तेमाल कर सकते हैं
- इसके लिए सुबह खाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी में 15 से 30 मिलीलीटर गिलोय के रस में 10 से 20 मिलीलीटर आंवला रस को मिलाकर इस्तेमाल करें
ऐसा करने से कुछ ही दिनों में कम कोई भूख धीरे धीरे बढ़ने लगती है पाचन तंत्र सुदृढ़ होने लगता है
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6. Hay Fever, मौसमी बुखार को दूर करने में सहायक (giloy in hindi)…
कई प्रकार के अंदरूनी कारण (Intrinsic factors) जैसे आहार का सही से पाचन ना होने की वजह से आमरस की उत्पत्ति शरीर में होती है
जिसकी वजह से Hay fever जैसी एलर्जिक समस्याएं शरीर में उत्पन्न होने लगती है
ऐसी अवस्था में गिलोय का सेवन अपने दीपन तथा पाचक गुणों के कारण शरीर के अंदर पैदा हुए आमरस का निवारण कर इस प्रकार की समस्याओं से बचाता है
इसके अलावा मौसम में बदलाव तथा अन्य कारणों के कारण (Extrinsic factors) होने वाले मौसमी बुखार तथा एलर्जी की समस्याओं को दूर करने में गिलोय बहुत उपयोगी है
7. प्लेटलेट सेल (Platelet cells) को बढ़ाने के लिए (use of giloy in hindi)…
कई प्रकार के संक्रमण जैसे डेंगू बुखार आदि में खून में मौजूद प्लेटलेट कोशिकाएं कम हो जाती है ऐसी अवस्था में गिलोय का सही प्रकार से सेवन करने से प्लेटलेट कोशिकाओं में शीघ्र ही बढ़ोतरी हो जाती है
इसी गुण के कारण डेंगू के मरीजों में गिलोय के सेवन का प्रचलन काफी बढ़ गया है
कम हुई प्लेटलेट कोशिकाओं के मरीज गिलोय रस (15 से 20 ml) अकेला या इसमें एलोवेरा जूस (10 से 15 ml) को मिलाकर दिन में एक से दो बार कर सकते हैं
इसके अलावा गिलोय रस में बराबर मात्रा में पपीते के पत्तों का रस भी मिलाया जा सकता है
8. जोड़ों के दर्द में उपयोगी गिलोय (guduchi in hindi)…
गिलोय में anti-inflammatory गुण होने के कारण अनेक प्रकार ऑटोइम्यून डिसऑर्डर जैसे रयूमेटाइड आर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis) या गठिया, यूरिक एसिड (Uric acid) का बढ़ना इत्यादि रोगों में इसका नियमित सेवन बहुत लाभदायक है
आयुर्वेद में गिलोय को वात दोष शामक होने के कारण अनेक प्रकार के वात दोष से उत्पन्न हुए विकार जैसे वातरक्त, गठिया जोड़ों के दर्द के इलाज के लिए बहुत प्रभावी माना गया है
इसके लिए पीड़ित व्यक्ति गिलोय के रस का सेवन प्रतिदिन सुबह खाली पेट कर सकते हैं
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9. टाइफाइड के इलाज में कारगर (neem giloy ke fayde)…
आंत्र ज्वर जिसे टाइफाइड भी कहते हैं इस रोग के इलाज के लिए गिलोय बहुत फायदेमंद है
- अनेकों टाइफाइड के मरीज गिलोय अर्क का सेवन करने से कुछ ही दिनों में ठीक हो जाते हैं
टाइफाइड के इलाज में गिलोय अर्क का सेवन किस प्रकार से करना है तथा किन किन सावधानियों का पालन करना है इसके लिए टाइफाइड के मरीज को अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह मशवरा करना अति जरूरी है
ऐसी समस्या के निवारण में गिलोय के सेवन के साथ साथ सही आहार विहार का पालन करना भी अति जरूरी होता है
10. कोविड-19 के इलाज में सहायक (giloy ka ped)…
आयुष मंत्रालय (Ayush) द्वारा कोविड-19 (Covid-19) के इलाज में सहायक इम्यूनिटी को बढ़ाने वाला जो काढ़ा बताया गया है उस काढ़े (Decoction) का मुख्य घटक गिलोय है
गिलोय अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) को बढ़ाने वाले गुणों के कारण कोविड-19 के इलाज के लिए बहुत सहायक है
चोट लगने पर…
गिलोय में रोपण (Healing) तथा कषाय (Astringent) गुण होने के कारण यह चोट लगने की वजह से होने वाले जख्मों के इलाज के लिए बहुत कारगर औषधि है
इसके अलावा बाल झड़ने तथा डैंड्रफ को दूर करने के लिए गिलोय का External Use भी काफी आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा किया जाता है
नेत्र रोगों में लाभदायक…
गिलोय में कषाय (Astringent) गुण होने के कारण कई प्रकार के नेत्र रोग जिनमें आंखों में लालिमा, खुजली या आंखों मे Irritation होना इत्यादि समस्याओं को दूर करने में गिलोय का इस्तेमाल बहुत उपयोगी है
रक्त की कमी को करें दूर…
गिलोय के दो से तीन पत्तों का रस नियमित रूप से रोजाना सेवन करने से रक्त की कमी धीरे-धीरे दूर होने लगती है ऐसा कई प्रकार के वैज्ञानिक अनुसंधान में पाया गया है
गिलोय के सेवन का तरीका (giloy ke fayde)…
आयुर्वेदिक चिकित्सक गिलोय का इस्तेमाल गिलोय चूर्ण, गिलोय रस, गिलोय घनवटी, गिलोय सत्व, गिलोय क्वाथ तथा गिलोय अर्क के रूप में करते हैं
गिलोय चूर्ण मात्रा-

अगर कोई व्यक्ति किसी भी समस्या के लिए गिलोय चूर्ण का इस्तेमाल करना चाहता है
तो इसके लिए आधा चम्मच लगभग 2 से 3 ग्राम गिलोय चूर्ण दिन में दो बार शहद या गर्म पानी के साथ खाना खाने से आधा घंटा पहले या बाद लिया जा सकता है
giloy सत्व मात्रा-
- एक चुटकी गिलोय सत्व को शहद में मिलाकर सुबह खाली पेट सेवन कर सकते हैं यह मुख्य रूप से यकृत को बल देने वाला है

अगर कोई व्यक्ति गिलोय को टेबलेट या कैप्सूल के रूप में लेना चाहता है तो इसके लिए एक से दो गोली दिन में दो बार खाना खाने के 15 मिनट बाद ले सकता है
गिलोय जूस (Giloy juice benefits)-

Giloy जूस का सेवन 15 से 60 मिलीलीटर की मात्रा में रोगी अपने बल के अनुसार दिन में एक से दो बार बराबर मात्रा में पानी मिलाकर सेवन कर सकता है
ज्यादा बढ़िया परिणाम प्राप्त करने के लिए गिलोय जूस का सेवन सुबह खाली पेट करना चाहिए
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गिलोय क्वाथ-
इसके लिए दातुन के आकार की गिलोय की डंडी अच्छी प्रकार से कूटकर या एक से दो चम्मच गिलोय चूर्ण को दो गिलास पानी में धीमी आंच पर गर्म होने के लिए रख दें
जब इसका एक चौथाई हिस्सा शेष रह जाए तो इसे छानकर कांच के गिलास में डालें तथा धीरे-धीरे सिप सिप कर इसका इस्तेमाल सुबह खाली पेट दिन में एक से दो बार किया जा सकता है
गिलोय के सन्दर्भ मे पूछे जाने वाले जरूरी प्रशन (FAQ)…
Q.1 क्या गिलोय की पत्तियों का सेवन किया जा सकता है?
Ans- जी हां, गिलोय की पत्तियों को चबाकर जोड़ों के दर्द इत्यादि में इस्तेमाल किया जा सकता है इसके अलावा इसकी पत्तियों का रस सेवन करने से त्वचा के रोग भी दूर होते हैं
इसके अतिरिक्त गिलोय की पत्तियों का काढ़ा गाउट, अर्थराइटिस तथा पाचन संबंधी विकारों को दूर करने के लिए बहुत लाभदायक है
Q.2 क्या गिलोय का सेवन खांसी में भी लाभप्रद है?
Ans- जी हां, गिलोय में anti-inflammatory गुण होने के कारण यह खांसी रोग में आई हुई श्वसन तंत्र की सूजन को कम करता है तथा आयुर्वेदिक मत अनुसार वात व कफ दोष शामक होने के कारण खांसी में भी लाभप्रद है
Q.3 क्या गिलोय का सेवन वजन को कम करता है?
Ans- वजन बढ़ने का एक कारण शरीर में आम रस एकत्रित होना है गिलोय अपने दीपन व पाचक गुणों के कारण आमरस का निवारण कर शरीर में चयापचय की प्रक्रिया को बढ़ाकर वजन को कम करने में भी सहायक है
Q.4 क्या गिलोय का इस्तेमाल बच्चों में भी किया जा सकता है?
Ans- जी हां, गिलोय का सेवन बच्चों को थोड़े समय के लिए खासकर भूख ना लगना, पाचन संबंधी विकार तथा बुखार इत्यादि की समस्या को दूर करने के लिए करवाया जा सकता है
giloy ka ped (गिलोय का बाहरी रूप)…

गिलोय या गुडुची की बेल कुंडलाकार पेड़ों पर चढ़ी हुई मिलती है
- नीम के पेड़ों पर चढ़ी हुई गिलोय ज्यादा श्रेष्ठ मानी जाती है इसे नीम गिलोय भी कहा जाता है क्योंकि गिलोय जिस भी पेड़ पर चढ़ती है उसके गुणों को अपने अंदर ग्रहण कर लेती है
गिलोय बेल कभी भी नष्ट नहीं होती ना ही यह सूखती है गिलोय की विशिष्ट पहचान यह है कि इसकी बाहरी त्वचा या छाल हल्के भूरे रंग की कागज जैसी सलदार परतों में होती है खुरचने पर यह परतों में निकलती है इसका कांड अंदर से गुदेदार व हरा होता है
- गिलोय का कोई पेड़ नहीं होता बल्कि यह बेल के रूप में दूसरे पेड़ों पर लिपटी हुई रहती है
- इसके तने से एरियल जड़े (Aerial roots) निकलकर लमकी हुई रहती है जो भूमि मे घुस के नए पौधे को जन्म देती है
- गिलोय के पत्ते बहुत ही कोमल पान के आकार के हृद्याकार हल्के जालीदार व स्निग्ध होते हैं
- ग्रीष्म ऋतु में छोटे-छोटे पीले रंग के फूल गुच्छा रूप में आते हैं इसके फल भी गुच्छा रूप में होते हैं तथा पकने पर लाल हो जाते हैं
बीज चिकने सफेद कुछ टेढ़े मिर्च के दानों के सामान दिखते हैं
गिलोय की बेल की सबसे खास बात यह है कि इसके जितने मर्जी टुकड़े कर इसको मिट्टी में गाढ़ने पर उस जगह नई गिलोय बेल पैदा हो जाती है
दूर से गिलोय की बेल ऐसे लगती है जैसे किसी पेड़ या शाखा पर रस्सी लिपटी हुई हो
गिलोय के अन्य प्रयोग (giloy ke fayde)…
गठिया (Rheumatism) – गिलोय का चूर्ण दो से 5 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ दिन में दो से तीन बार देने से गठिया रोग में बहुत आराम मिलता है
कुष्ठ रोग (Leprosy) – गिलोय का रस 20 से 30 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में दो से तीन बार कुछ महीनों तक लगातार सेवन करने से कुष्ठ रोग में बहुत फायदा होता है
शीतपित्त (Urticaria) – गिलोय के रस में 10 से 20 ग्राम बावची को पीसकर इसका लेप करने से शीतपित्त में लाभ होता है
वातरक्त (Gout) – मुंडी के चूर्ण को दो से 5 ग्राम की मात्रा में दो चम्मच शहद तथा एक चम्मच देसी घी के साथ चाट कर उसके साथ 40 से 60 ग्राम गिलोय का कवाथ सुबह-शाम पीने से वात रक्त रोग में बहुत लाभ होता है
जीर्ण ज्वर (Chronic fever) – 20 ग्राम गिलोय का रस इसमें 1 ग्राम पीपली चूर्ण तथा एक चम्मच शहद को डालकर सुबह शाम सेवन करने से जीर्ण ज्वर दूर होता है या
6 दिन से भी अधिक समय से चले आ रहे ना टूटने वाले बुखार में 40 से 50 ग्राम गिलोय को अच्छी तरह कुचल कर मिट्टी के बर्तन में ढाई सौ ग्राम पानी मिलाकर रात भर रख देते हैं अगली सुबह इस मिश्रण को अच्छी प्रकार मसल कर छानकर 20 ग्राम की मात्रा में दिन में दो से तीन बार पीने से कई दिनों से चला आ रहा बुखार ठीक होने लगता है
अर्श रोग(Piles) –
- गिलोय, धनिया तथा हरड़ तीनों की सामान मात्रा प्रत्येक 20 ग्राम लेकर आधा किलो पानी में डालकर अच्छी तरह से पका कर जब एक चौथाई शेष रह जाए तो इस क्वाथ में गुड़ डालकर सुबह शाम कुछ दिन तक इसका सेवन करने से सभी तरह के अर्श रोग ठीक हो जाते हैं
संग्रहणी (IBS)– गिलोय, अतीस, मोथा तथा सोंठ इन चारों द्रव्यों को समान मात्रा में लेकर पानी में डाल के इनका काढ़ा तैयार करें
- फिर इस कांढ़े का 20 से 30 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करें ऐसा करने से कुछ ही दिनों में संग्रहणी, मंद अग्नि व आम दोष आदि विकार दूर होने लगते हैं
पीलिया रोग (Jaundice) – कटुकी, गिलोय, दारूहल्दी, पटोलपत्र, नीम की छाल, पुनर्नवा व सोंठ इन सभी द्रव्यों को बराबर मात्रा में लेकर लगभग आधा किलो पानी में डालकर हल्की आंच पर चढ़ा कर एक चौथाई हिस्सा शेष रहने पर छानकर रख लें
- इस काढ़े का सेवन 20 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह शाम करने से पांडु रोग, शोथ, उदर रोग इत्यादि व्याधियों दूर होती है
राज्यक्षमा (TB) – असगंध, गिलोय, शतावर, दशमूल, बल्लामूल, पुष्करमूल, अडूसा तथा अतीस आदि द्रव्यों को बराबर मात्रा में लेकर तैयार किया गया काढ़ा राज्यक्षमा से पीड़ित व्यक्ति को 50 से 60 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पिलाने से बहुत लाभ होता है
मूत्र कृचछ (Dysuria)- गिलोय के 10 से 20 ग्राम रस में पाषाणभेद का चूर्ण 2 ग्राम की मात्रा में तथा एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो से तीन बार चाटने से मूत्र कृचछ रोग में बहुत फायदा होता है
Note-
गिलोय के ऊपर लिखित सभी प्रयोग आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा आजमाए गए नुस्खों के आधार पर वर्णित किए गए हैं
- इन प्रयोगों के पीछे आधुनिक चिकित्सा विज्ञान का कोई परिणाम नहीं है
व्यक्ति अपनी मर्जी या आयुर्वेदिक चिकित्सक से मशवरा कर इन टोटकों का प्रयोग अपने दैनिक जीवन में कर सकता है यह प्रयोग ज्यादातर मामलों में बिल्कुल सुरक्षित होते हैं
परंतु अगर कोई व्यक्ति गंभीर गुर्दे के रोग या यकृत रोग या ह्रदय के रोग से पीड़ित है तो ऐसी अवस्था में बिना डॉक्टर की सलाह के इन टोटकों का प्रयोग ना करें अन्यथा लाभ की जगह हानि हो सकती है
गिलोय का बेस्ट घरेलू उपयोग (Home remedy of giloy)…
अनेक प्रकार की बीमारियों से बचने के लिए तथा अपने शारीरिक स्वास्थ्य को सही रखने के लिए नीचे लिखे गए गिलोय के काढ़े का इस्तेमाल हर एक व्यक्ति को जरूर करना चाहिए यह काढ़ा तैयार करने के लिए…
- गिलोय की डंडी लगभग 3 से 4 इंच लंबी
- एक छोटा टुकड़ा अदरक का
- एक से दो नए पत्ते गिलोय के
- एक चौथाई चम्मच हल्दी पाउडर
- 8 से 10 तुलसी के पत्ते
- एक गिलास पानी
इन सभी पदार्थों को मिलाकर ग्राइंडर में अच्छी प्रकार रगड़ ले उसके बाद इसमें एक गिलास पानी मिलाकर इसको हल्की आंच पर गर्म करें
जब यह मिश्रण आधा रह जाए तो इसे छानकर कांच के गिलास में डालें
- इस काढ़े का सेवन प्रतिदिन सुबह खाली पेट करने से शारीरिक स्वास्थ्य में बढ़ोतरी होती है तथा अनेक प्रकार के रोगों से छुटकारा मिलता है
इस काढ़े में एक से दो चम्मच एलोवेरा (Aloe Vera) को भी मिलाया जा सकता है
गिलोय सेवन के दौरान सावधानी (giloy ke fayde)…
अभ्यंतर सेवन (Internal use) के दौरान गिलोय के कारण अगर किसी व्यक्ति को एलर्जी के लक्षण दिखाई दें तो ऐसी स्थिति में गिलोय का सेवन बिना चिकित्सकीय सलाह नहीं करना चाहिए
दूसरा गिलोय के बाहरी प्रयोग (External application) में पहले थोड़ी सी गिलोय को त्वचा पर रगड़ कर यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि आपको इस से कोई एलर्जी तो नहीं है गिलोय का बाहरी उपयोग करते समय इसमें दूध या शहद को भी मिला सकते हैं
- गर्भवती स्त्रियां (Pregnant women) गिलोय का सेवन चिकित्सक की सलाह से ही करें
रक्त शर्करा का स्तर सामान्य से कम (Low blood glucose) रहने पर गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि गिलोय के सेवन से रक्त शर्करा का स्तर और भी कम हो सकता है
निष्कर्ष (giloy ke fayde)…
- शरीर में किसी भी बीमारी का मूल कारण आयुर्वेद के अनुसार आमरस (Toxic undigested juice) का बनना है
- खाया हुआ आहार जब सही से नहीं पचता तो ऐसी स्थिति में अमाशय में आमरस की उत्पत्ति होती है
- यह आमरस शरीर में घूमता हुआ अनेक प्रकार के रोगों को उत्पन्न करता है
- गिलोय अपने दीपन व पाचक गुणों के कारण शरीर में आमरस को एकत्रित नहीं होने देती
- इसलिए जो भी लोग गिलोय का इस्तेमाल नियमित रूप से अपने जीवन में करते हैं
ऐसे व्यक्ति अनेक प्रकार के रोग जैसे शुगर, उच्च रक्तचाप, जोड़ों के दर्द व त्वचा रोग इत्यादि से बचे रहते हैं आरोग्य प्राप्त करते हैं
इसलिए मेरी राय के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को अपने शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को सही रखने के लिए गिलोय का सेवन किसी भी रूप में प्रतिदिन जरूर करना चाहिए
- यह गिलोय अमृत के सामान गुणकारी है आयुर्वेद में गिलोय को रसायन की संज्ञा भी दी गई है
मैंने एक आयुर्वेदिक चिकित्सक होने के नाते गिलोय जड़ी बूटी के सेवन से कैसे शारीरिक व मानसिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है इसका वर्णन अच्छी प्रकार से इस आर्टिकल में कर दिया है
आप इसको पढ़कर अपने जीवन में इसका लाभ उठाएं तथा दूसरों को भी ज्यादा से ज्यादा शेयर करें
अस्वीकरण (giloy ke fayde)…
इस आर्टिकल में बताई गई बातें, उपचार के तरीके व खुराक की जो भी सलाह दी जाती है वह सब हेल्थ स्पेशलिस्टस के अनुभव पर आधारित होती है
किसी भी मशवरे को अपनाने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर कर ले, सेहत से जुड़े हुए आर्टिकल्स आपको अपने आप अपनी मर्जी से दवाइयां लेने की सलाह नहीं देते
सन्दर्भ:
https://www.thehealthsite.com/hindi/photo-gallery/diseases-conditions-how-giloy-increases-platelet-count-in-dengue-in-hindi-giloy-use-in-dengue-fever-what-is-health-benefits-of-giloy-in-hindi-676146/–giloy use in dengue fever
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/26467057/- Tinospora cordifolia inhibits autoimmune arthritis
https://www.sciencedirect.com/science/article/pii/S2221169115301738- Antidiabetic claims of Tinospora cordifolia
https://food.ndtv.com/food-drinks/from-weight-loss-and-immunity-5-reasons-why-you-must-add-giloy-to-your-diet-2584012– Tinospora cordifolia role in weight loss
https://www.sciencedirect.com/topics/biochemistry-genetics-and-molecular-biology/tinospora-cordifolia-Use of Ayurvedic Medicinal Plants as Immunomodulators in Geriatrics
Information Compiled- by Dr Vishal Goyal

Bachelor in Ayurvedic Medicine and Surgery
Post Graduate in Alternative Medicine MD(AM)
Email ID- [email protected]
Owns Goyal Skin and General Hospital, Giddarbaha, Muktsar, Punjab