दैनिक आहार में फाइबर का महत्व

दैनिक आहार में फाइबर का महत्व

कितना फाइबर है जरूरी रोजाना हमारे आहार में ?

फाइबर की दैनिक मात्रा आहार में कितनी होनी चाहिए यह जानने से पहले यह जानना आवश्यक है कि आखिर फाइबर होता क्या है

क्या होता है फाइबर…

जैसा कि सभी जानते हैं कि हमारे आहार में मुख्य घटक तीन प्रकार के होते हैं जैसे कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटींस तथा चर्बी, इन तीनों को मैक्रोन्यूट्रिएंट्स भी कहते हैं

फाइबर मुख्य रूप से कार्बोहाइड्रेट की श्रेणी में आता है फर्क सिर्फ इतना है कि जो कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं वह पचने के बाद ग्लूकोस में परिवर्तित हो जाते हैं जिससे हमारे शरीर को अपना कार्य करने के लिए ऊर्जा की प्राप्ति होती है 

जबकि फाइबर का पाचन हमारे पाचन तंत्र के द्वारा नहीं होता यह मुख्य रूप से हमारी आंतों की सफाई के लिए बेहद जरूरी होते हैं इसे हम ना पचने वाला कार्बोहाइड्रेट भी कह सकते हैं

अगर किसी के आहार में सही पर्याप्त मात्रा में फाइबर ना हो तो ऐसी स्थिति में कॉन्स्टिपेशन या कब्जियत की शिकायत उस व्यक्ति को हो जाती है ऐसी स्थिति में मल का त्याग करना बहुत ही कठिन हो जाता है

दैनिक आहार में फाइबर का महत्व
constipation

 

जिसके चलते अनेक प्रकार के अन्य रोग जैसे पाइल्स जिसे बवासीर भी कहते हैं तथा अन्य गुदा तथा पेट के रोग होने की संभावना काफी बढ़ जाती है 

इसलिए दैनिक आहार में पर्याप्त मात्रा में फाइबर का होना अति आवश्यक है

फाइबर के बारे में यह बात भी याद रखें की जिंदा रहने के लिए फाइबर जरूरी नहीं है जैसे कि प्रोटींस तथा फैट जरूरी होते हैं 

क्योंकि फाइबर एक गैर जरूरी पोषक तत्व है परंतु इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि फाइबर के हमारे शरीर को स्वास्थ्य वर्धक लाभ नहीं है शरीर के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए फाइबर बहुत जरूरी है


कहां से प्राप्त होता है फाइबर?

फाइबर मुख्य रूप से उन पदार्थों में पाया जाता है जो पेड़ पौधों से प्राप्त होते हैं जैसे कि फलों तथा सब्जियों में भरपूर मात्रा में फाइबर होता हैदैनिक आहार में फाइबर का महत्व 

इससे उलट जो खाद्य पदार्थ जानवरों से प्राप्त होते हैं उनमें फाइबर की मात्रा ना के बराबर होती है जैसे दूध में, अंडे में, मांस, मछली इत्यादि में फाइबर नहीं पाया जाता

इसीलिए चाहे कोई व्यक्ति मांसाहारी हो उस व्यक्ति को पेट के रोगों से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में फल,अनाज तथा सब्जियों का सेवन जरूर करना चाहिए

“दैनिक आहार में फाइबर का महत्व” आगे पढ़े…


फाइबर है Nature’s Broom…

फाइबर का पर्याप्त मात्रा में रोजाना सेवन करने से हमारी आंतों की सफाई बहुत बढ़िया तरीके से होती है तथा आहार के पाचन के बाद जो भी waste products हमारे शरीर में बनते हैं उनको मल के रूप में आसानी से गुदा मार्ग के द्वारा बाहर निकालने के लिए फाइबर बहुत जरूरी होता है 

इसीलिए फाइबर को नेचर का ब्रूम भी कहते हैं अर्थात कुदरत के द्वारा दिया गया शरीर को अंदर से साफ करने वाला झाडू


 फाइबर कितने प्रकार का होता है?

आहार से मिलने वाला फाइबर मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है…

१. घुलनशील फाइबर…

इस प्रकार का फाइबर पानी में घुल जाता है तथा आंतों में जाकर पाचन में काफी मदद करता है तथा आहार के पोषक तत्व के अवशोषण में बहुत सहाई होता है 

आंतों में रहने वाले अच्छे बैक्टीरिया की यह खुराक है इसे प्रीबायोटिक(Prebiotic) भी कहते हैं

इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे पेट भरने  (Feeling of Fullness) का एहसास तथा खाने की संतुष्टि(Satiety) महसूस होती है 

यह संतुष्टि लेप्टिन (Leptin) नामक हार्मोन के खून में रिलीज होने के कारण होती है जिसको यह घुलनशील फाइबर उत्पन्न होने के Stimulate करता है

जों, मटर, नट्स तथा दालों में यह प्रचुर मात्रा में पाया जाता है

२. अघुलनशील फाइबर…

इस प्रकार का फाइबर पानी में डिसोल्व नहीं होता इसका प्रमुख कार्य आंतों को अंदर से लुब्रिकेट करना तथा आहार के पचने के बाद जो गंदगी है उसको बिना किसी रूकावट आंतों से गुदा मार्ग की तरफ ले जाकर शरीर से बाहर निकालना होता है 

इसके प्रमुख उदाहरण जैसे गेहूं, गेहूं का छिलका, आलू तथा इसबगोल इत्यादि हैं 

  • आंतों में पोषक तत्वों के अवशोषण में भी यह मददगार है 
  • यह कब्जियत से बचाव करता है 
  • आजकल इस प्रकार के फाइबर सप्लीमेंट मार्केट में आसानी से मिल जाते हैं

फाइबर के स्वास्थ्यवर्धक लाभ…

  • पर्याप्त मात्रा में फाइबर का सेवन करने से खून में कोलेस्ट्रोल की मात्रा सही रहती है
  • फाइबर खून में ग्लूकोस की मात्रा को भी नियंत्रित करने में मदद करता है
  • शरीर की गंदगी को मल के रूप में शरीर से बाहर निकालने में सबसे ज्यादा मददगार फाइबर है
  • भूख को नियंत्रित करता है पर्याप्त मात्रा में फाइबर का सेवन

मोटापा कम करने में सहायक है फाइबर…

फाइबर का उचित मात्रा में सेवन करने से पेट भरा भरा महसूस(Promotes Satiety and Fullness) होता है 

जिससे भूख को नियंत्रित करने में काफी मदद मिलती है जोकि मोटापा कम करने के लिए बहुत जरूरी है

ऐसा इसलिए है क्योंकि मान लो अगर कोई व्यक्ति 100 कैलरी का बिना फाइबर वाला खाना जैसे कि  आइसक्रीम इत्यादि खाता है तो उसकी जगह अगर 100 कैलरी वाला आहार फल या सब्जी के रूप में खाया जाए तो उससे पेट भरा भरा रहेगा तथा भूख भी कम लगेगी जिससे मोटापा कम करने में मदद मिलेगी

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ज्यादा फाइबर खाने के नुकसान…

जरूरत से ज्यादा मात्रा में फाइबर का सेवन करने से पेट फूलना(Bloated Belly) की समस्या होती है जिससे पेट थोड़ा दिक्कत परेशानी मे रहता है

ज्यादा फाइबर का सेवन आहार के मुख्य पोषक तत्वों की Absorption मे रुकावट पैदा कर सकता है


फाइबर की उचित मात्रा क्या है?

अगर कोई व्यक्ति 2000 से 3000 कैलरी वाला आहार दिन भर में लेता है तो उस व्यक्ति को प्रतिदिन 30 से 45 ग्राम फाइबर की मात्रा पर्याप्त है

आसान भाषा में कहें तो कम से कम 20 ग्राम फाइबर की मात्रा रोजाना आपके आहार में होनी ही चाहिए


किस आहार में कितना फाइबर होता है?

जैसा कि ऊपर बताया गया है कि फाइबर केवल पेड़ पौधों से मिलने वाले आहार में पाया जाता है 

प्रत्येक आहार में फाइबर की मात्रा भिन्न भिन्न प्रकार की होती है उदाहरण के लिए…

  • एक मीडियम रोटी या चपाती में 2 से 3 ग्राम फाइबर मौजूद रहता है
  • ऐसे ही एक मीडियम कटोरी दाल, राजमा या चने(Lentils, Beans) मे 8 से 10 ग्राम फाइबर होता है
  • एक मीडियम आकार के सेब या केले में 2 से 3 ग्राम फाइबर होता है

फाइबर की कैलरी वैल्यू क्या है?

फाइबर खासकर इनसोल्युबल फाइबर की कैलरी वैल्यू 0 कैलरी प्रति ग्राम है


निष्कर्ष…

अगर कोई व्यक्ति सामान्य मीडियम आहार खा रहा है तो उस आहार में कम से कम 5 ग्राम फाइबर होना चाहिए तथा अगर कोई व्यक्ति हैवी आहार लेता है तो उस आहार में कम से कम 10 ग्राम की मात्रा फाइबर की होनी चाहिए 

फाइबर गैर जरूरी पोषक तत्व जरूर है परंतु हमारे पाचन तंत्र के लिए यह वरदान से कम नहीं है 

इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन भरपूर मात्रा में फल तथा सब्जियों का सेवन जरूर ही करना चाहिए साथ ही यह बात भी ध्यान में रखनी चाहिए कि पकाने की बजाए बिना पकाए सब्जियां जैसे खीरा, मूली, टमाटर, चुकंदर, शलगम इत्यादि को सलाद के रूप में खाने से उचित मात्रा में फाइबर शरीर को मिलता रहता है


अस्वीकरण (disclaimer)… 

  • इस लेख की सामग्री व्यावसायिक चिकित्सा सलाह(professional medical advice), निदान(diagnosis) या उपचार(ट्रीटमेंट) के विकल्प के रूप में नहीं है।
  • चिकित्सीय स्थिति के बारे में किसी भी प्रश्न के लिए हमेशा चिकित्सीय(doctor कंसल्टेशन) सलाह लें।
  • उचित चिकित्सा पर्यवेक्षण(without proper medical supervision) के बिना अपने आप को, अपने बच्चे को, या किसी और का  इलाज करने का प्रयास न करें।

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