फैटी लिवर के कारण लक्षण परहेज़ व इलाज़

फैटी लिवर के कारण लक्षण परहेज़ व इलाज़

फैटी लिवर क्या होता है?

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1 फैटी लिवर क्या होता है?

लिवर जिसको हिंदी में यकृत, कलेजा या जिगर भी बोलते हैं तथा यह मनुष्य शरीर में दाई और पेट के ऊपर वाले हिस्से में डायाफ्राम के नीचे संख्या में केवल एक ही होता है, 

तथा यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है जिसके हमारे शरीर में अनेकों कार्य हैं जैसे कि कई प्रकार के प्रोटीन की संरचना करना, अनेक प्रकार के खनिजों को बनाना, खाए हुए आहार से विषैले तत्वों को बाहर निकालना, पित्त का निर्माण करना इत्यादि,

यकृत अंदरूनी अंग होने के साथ-साथ हमारे शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि भी है जोकि पित्तरस(Bile) का निर्माण करती है तथा यह पित्तरस छोटी आंत(Small intestine) में जाकर वसा के पाचन में बहुत मदद करता है,

यदि किसी भी कारणवश जिगर में वसा या चर्बी जम जाए तो उसे फैटी लिवर कहते हैं वैज्ञानिक भाषा में यकृत(Liver) के कुल वजन के 5% हिस्से में यदि वसा का जमाव होता है तो यह फैटी लिवर कहलाता है या यकृत की 5% कोशिकाओं(Hepatocytes) में यदि वसा(Fat) जम जाए तो उसे भी फैटी लिवर कहते हैं,

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन(WHO) के अनुसार दुनिया के मध्यम आयु वर्ग की कुल आबादी का यदि अल्ट्रासाउंड करवाया जाए तो लगभग 25% लोग फैटी लिवर से ग्रसित हैं,

दुनिया में जितने मरीज अर्थराइटिस(Joint pain) व शुगर(Diabetes) के कुल हैं उनसे कहीं ज्यादा संख्या फैटी लिवर से ग्रसित लोगों की है ऐसा अनुमान लगाया गया है,

अकेले भारत में पांच में से एक व्यक्ति फैटी लिवर से ग्रसित है


फैटी लिवर कितने प्रकार का होता है?

मुख्य रूप से यह दो प्रकार का होता है…

  • एल्कोहलिक फैटी लिवर
  • नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर

एल्कोहलिक फैटी लिवर क्या होता है?

यह उन लोगों को होता है जो शराब का सेवन जरूरत से ज्यादा करते हैं शराब का सेवन करने से यकृत की कोशिकाओं में सूजन(Inflammation) की स्थिति उत्पन्न हो जाती है जिसके चलते धीरे धीरे उनमें वसा का जमाव होने लगता है,

विज्ञान के अनुसार अगर कोई आदमी दो ड्रिंक(एक ड्रिंक लगभग 45ml का होता है) से ज्यादा तथा कोई महिला एक ड्रिंक से ज्यादा रोज पीते हैं तो उनमें एल्कोहलिक फैटी लीवर होने की संभावना काफी बढ़ जाती है, 

एल्कोहलिक फैटी लीवर में भी सबसे पहले लिवर में फैट जमा होती है उसकी अगली स्टेज एल्कोहलिक हेपिटाइटिस(Alcoholic Hepatitis) होती है, 

अगर फिर भी इसकी और ध्यान ना दिया जाए तो इसके बाद सिरोसिस ऑफ लिवर होने की संभावना काफी बढ़ जाती है,

सिरोसिस के कारण लिवर फेलियर(Liver failure) हो जाता है या लिवर कैंसर होने का खतरा काफी बढ़ जाता है इसका कोई इलाज नहीं है इसमें लगभग मरीजों की मृत्यु हो जाती है, 

अगर कुछ एक मरीज बचाए जाते हैं तो उसके लिए लिवर ट्रांसप्लांट(Liver transplant) करना पड़ता है जोकि बहुत महंगा व मुश्किल कार्य है, 

भारत जैसे देश में लिवर ट्रांसप्लांट का खर्चा लगभग 35 से 40 लाख के बीच में आता है जो कि एक सामान्य व्यक्ति के बस की बात नहीं है


नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज(NAFLD)क्या है?

यह उन लोगों में पाया जाता है जो शराब का सेवन बिलकुल नहीं करते फिर भी किसी ना किसी कारणवश ऐसे लोगों को भी फैटी लिवर की समस्या उत्पन्न हो जाती है विज्ञान ऐसा मानती है कि…

  • जिन लोगों का शारीरिक वजन नार्मल से ज्यादा है, 
  • जो लोग वसा का सेवन अत्यधिक मात्रा में करते हैं, 
  • जिन लोगों को कोलेस्ट्रोल के बढ़ने की समस्या रहती है या,
  • ऐसे लोग जो बिल्कुल भी व्यायाम इत्यादि नहीं करते ऐसे लोगों में नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर की समस्या उत्पन्न होने की संभावना बनी रहती है,

वैसे तो किसी भी व्यक्ति को इस बात का पता ही नहीं होता कि उसको फैटी लिवर की समस्या है ज्यादातर मामलों में फैटी लिवर कोई खास नुकसान शरीर को नहीं पहुंचाता परंतु अगर ठीक से इसकी ओर  ध्यान ना दिया जाए तो अनेकों प्रकार की जटिलताएं शरीर में उत्पन्न होने की संभावना बनी रहती है…

इन जटिलताओं को अलग-अलग स्टेजो में बांटा गया है जैसे कि…

1- सामान्य फैटी लिवर…

यह नॉन एल्कोहलिक फैटी लीवर की पहली स्टेज है इस स्थिति में थोड़ा फैट या चर्बी यकृत की कोशिकाओं में जमने लगती है, 

लेकिन यह चर्बी यकृत की कोशिकाओं को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाती व ना ही उनमें कोई सूजन उत्पन्न करती है यह स्थिति लगभग सुरक्षित होती है परंतु अगर इसकी और ध्यान ना दिया गया तो इसकी दूसरी स्टेज भी जल्दी ही आ सकती है

“फैटी लिवर के कारण लक्षण परहेज़ व इलाज़” आगे पढ़े…


2- नॉन-एल्कोहलिक स्टीटोहेपिटाइटिस(NASH)…

ऐसी स्थिति में जो चर्बी यकृत की कोशिकाओं में जमा है वह चर्बी यकृत की कोशिकाओं में सूजन उत्पन्न करने लगती है जिसके कारण यकृत की कोशिकाएं डैमेज होने लगती हैं,

जिस वजह से यकृत का आकार बढ़ने लगता है तथा सूजन की वजह से यकृत काफी खिंचा हुआ रहता है अगर इस स्थिति को नियंत्रित ने किया जाए तो इससे अगली स्टेज काफी भयानक हो सकती है जैसे…

3- सिरोसिस ऑफ लिवर(Cirrhosis of liver)…

यह स्थिति बहुत ही खतरनाक है तथा इसका इलाज लगभग असंभव है ऐसी स्थिति में यकृत सिकुड़ जाता है उसकी सतह बिल्कुल खुरदरी हो जाती है तथा धीरे-धीरे यकृत अपना कार्य करना बंद कर देता है जिसको लिवर फेलियर भी कहते हैं, 

ऐसी स्थिति में मरीज की जान बचाना डॉक्टर के लिए बहुत मुश्किल है सिरोसिस की वजह से अनेक प्रकार की अन्य जटिलताएं शरीर में उत्पन्न हो जाती है जैसे…

  • मरीज को पीलिया(Jaundice) हो जाता है
  • उसके पेट में पानी(Ascitis) भरने लगता है
  • सारे शरीर में सूजन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है
  • इसका सिर्फ एकमात्र इलाज लिवर ट्रांसप्लांट करना ही रह जाता है जो कि एक मुश्किल कार्य है

4- लिवर कैंसर(Liver cancer)…

सिरोसिस आफ लिवर के कई केसों में लीवर कैंसर का होना भी देखा जाता है इस प्रकार यकृत को क्षति पहुंचने के हिसाब से इसको चार श्रेणियों में बांटा गया है

इसमें एक बात ध्यान देने वाली यह है कि सिरोसिस ऑफ लीवर अर्थात यकृत का डैमेज होना एल्कोहलिक फैटी लिवर वाले व्यक्ति को भी हो सकता है


किन-किन व्यक्तियों में फैटी लिवर होने की संभावना ज्यादा रहती है?

ऐसी कुछ एक शारीरिक परिस्थितियां हैं जिनमें फैटी लिवर होने की संभावना ज्यादा रहती है जैसे कि…

फैटी लिवर के कारण लक्षण परहेज़ व इलाज़
मोटापा फैटी लिवर का प्रमुख कारण

1- मोटापा…

विज्ञान ऐसा मानती है कि जो लोग मोटापे से ग्रसित हैं जिनका बॉडी मास इंडेक्स(BMI) 30 से ऊपर है ऐसे लोगों को फैटी लीवर होने की संभावना एक नॉर्मल व्यक्ति से ज्यादा होती है

फैटी लिवर के कारण लक्षण परहेज़ व इलाज़
शुगर रोग से बढे फैटी लिवर

2- डायबिटीज अर्थात शुगर का होना…

फैटी लिवर का दूसरा प्रमुख कारण शुगर या मधुमेह रोग है विज्ञान के अनुसार टाइप टू डायबिटीज के कुल मरीजों में 40% से ऊपर के मरीजों में फैटी लीवर की समस्या होती ही है

3- खून में चर्बी का बढ़ना(Dyslipidemia)…

खून में चर्बी का बढ़ना मतलब अगर किसी व्यक्ति को कोलेस्ट्रोल बढ़ने की, ट्राइग्लिसराइड बढ़ने की या एलडीएल(LDL) कोलेस्ट्रोल बढ़ने की समस्या है ऐसे व्यक्ति जो डिस्लिपिडेमिया से पीड़ित है ऐसे लोगों में भी फैटी लिवर होने की संभावना काफी बढ़ जाती है ऐसा विज्ञान मानती है

4- अनेक प्रकार के संक्रमण…

काला पीलिया जिसको हेपेटाइटिस सी व हेपेटाइटिस बी कहां जाता है तथा यह एक प्रकार का वायरल संक्रमण है जिन व्यक्तियों को खासकर हेपेटाइटिस सी का संक्रमण होता है ऐसे व्यक्तियों में फैटी लिवर होने की संभावना ज्यादा होती है

5- दवाइयों के सेवन से…

कुछ एक दवाइयां जैसे खासकर स्टेरॉयड(Steroids drugs) चाहे इनको आप सांस की बीमारी के लिए खा रहे हैं चाहे त्वचा की इंफेक्शन के लिए खा रहे हैं या फिर किसी भी प्रकार की अंदरूनी सूजन के कारण खा रहे है लंबे समय तक इन दवाइयों के सेवन से भी फैटी लिवर होने की संभावना काफी ज्यादा बढ़ जाती है, 

इसलिए ऐसी दवाइयों का सेवन लंबे समय के लिए अगर आप कर रहे हैं तो समय-समय पर अपने लिवर की जांच जरूर करवाते रहें,इसके अतिरिक्त कुछ अन्य दवाइयां जैसे…

  • Tamoxifen 
  • Amiodarone
  • Methotrexate भी फैटी लीवर की स्थिति को बढ़ा सकती है

इन सभी के अतिरिक्त…

  • ज्यादा तले व मीठे पदार्थों का सेवन करना
  • अत्यधिक मात्रा में सैचुरेटेड फैट्स का सेवन करना

    फैटी लिवर के कारण लक्षण परहेज़ व इलाज़
    ज्यादा तले हुए खाने

  • व्यायाम न करना
  • रेड मीट का सेवन अत्यधिक मात्रा में करना आदि कारणों से भी फैटी लिवर होने की संभावना बढ़ जाती है 

विज्ञान ऐसा मानती है की फैटी लिवर की समस्या मध्यम आयु वर्ग के लोगों में जिनकी आयु 25 से 50 वर्ष के बीच होती है उनमें यह समस्या ज्यादा पाई जाती है, 

परंतु आजकल देखा गया है कि बच्चों में भी मोटापे के बढ़ने के कारण फैटी लीवर की समस्या हो सकती है

6. अनुवांशिक कारण…

वसायुक्त यकृत की समस्या के लिए कभी-कभी अनुवांशिकता भी जिम्मेदार होती है। अगर आपके घर में किसी को भी खास तौर से माता या पिता को यह रोग है तो आपके लिए आने वाले समय में इससे पीडित होने की संभावना काफी बढ़ जाती है।

फैटी लिवर के कारण लक्षण परहेज़ व इलाज़ पढ़ते रहें…


फैटी लिवर के क्या क्या लक्षण हो सकते हैं?

यकृत का वसायुक्त होना(Fatty liver) चाहे एल्कोहलिक हो या नॉन एल्कोहलिक(NAFLD) शुरुआती दौर में इसके कोई भी लक्षण(Asymptomatic) दिखाई नहीं देते,

अगर किसी व्यक्ति को सामान्य फैटी लीवर है जिसको ग्रेड 1 फैटी लिवर भी कहते हैं ऐसी स्थिति में कोई भी लक्षण प्रगट नहीं होते, 

जैसे-जैसे ग्रेड 1 से ग्रेड 2, ग्रेड 3 फैटी लिवर होता है वैसे वैसे ही लक्षण दिखाई देने लगते हैं शुरुआती दौर में कुछ व्यक्तियों में निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं…

  • पेट के दाएं तरफ़ खिचाव सा महसूस होना
  • भूख कम लगना
  • लेटते हुए पेट की दाई और परेशानी महसूस होना
  • थकावट बनी रहना 
  • पेट का फूलना 
  • पेट में गैस, अफारा बना रहना(Bloating,Flatulence)
  • शोच सही से न आना(Irregular bowel movements)इत्यादि

इसमें ध्यान देने वाली बात यह है कि जरूरी नहीं कि हर फैटी लिवर के मरीज में यह लक्षण हो हां अगर लिवर में डैमेज ज्यादा हो गया है तो निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं जैसे कि…

  • त्वचा व आंखों का पीलापन जिसे पीलिया(Jaundice)  भी कहते हैं का होना
  • पेट का फूलना(Ascites)
  • चेहरे तथा टांगों पर सूजन दिखाई देना(Edema)
  • भ्रम,उन्माद या पागलपन(Confusion) जैसी स्थिति उत्पन्न होना
  • त्वचा पर नील पड़ना(Bruise)
  • उल्टी या जी मिचलाना(Vomiting)
  • भूख बिल्कुल भी ना लगना(Anorexia)
  • पेशाब का बहुत अधिक पीला होना(Dark colour of urine)
  • लैट्रिन का रंग हल्का सफेद होना(Pale colour stool)

त्वचा पर खारिश का होना(Itching) इतियादी 


फैटी लीवर का निदान(Diagnosis) कैसे किया जाता है?

इसके निदान के लिए चिकित्सक के द्वारा मरीज का शारीरिक परीक्षण करने के बाद कुछेक टेस्ट जिसमें प्रमुख रूप से रक्त की जांच व अन्य ओर भी टेस्ट करवाए जाते हैं जैसे कि रक्त की जांच में प्रमुख रूप से…

  • लिवर फंक्शन टेस्ट(LFT) जिसमें एसजीओटी(SGOT), एसजीपीटी(SGPT) जीजीटी(GGT) इत्यादि की जांच की जाती है
  • शुगर का टेस्ट
  • थायराइड टेस्ट(Thyroid profile test)
  • हेपेटाइटिस सी व हेपेटाइटिस बी की जांच
  • लिपिड प्रोफाइल जिसमें टोटल कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड, एलडीएल केलोस्ट्रोल(LDL) की जांच की जाती है इत्यादि

इन सभी रक्त के परीक्षणों से फैटी लीवर की समस्या का कुछ हद तक पता लगाया जा सकता है अगर इन परीक्षाओं में कोई भी गड़बड़ आती है तो आपका चिकित्सक फैटी लीवर की पुष्टि करने के लिए अन्य ओर टेस्ट भी करवाता है जैसे कि…

  • अल्ट्रासाउंड(Ultrasonography)

    फैटी लिवर के कारण लक्षण परहेज़ व इलाज़
    अल्ट्रासाउंड

  • फाइब्रोस्कैन(Fibroscan)
  • सीटी स्कैन(CT Scan)
  • एम आर आई(MRI Scan)
  • लीवर का बायोप्सी टेस्ट(Biopsy test) इत्यादि

ऊपर लिखे टेस्टों की सहायता से फैटी लिवर के निदान की पुष्टि लगभग हो जाती है इससे यह भी पता चल जाता है कि लिवर में कितना डैमेज हुआ है अभी शुरुआत है या फिर सिरोसिस ऑफ लिवर हो चुका है, 

इन टेस्टों में सबसे सस्ता व बढ़िया टेस्ट अल्ट्रासाउंड है अगर अल्ट्रासाउंड में कोई गड़बड़ आती है तो मरीज का फाइब्रोस्कैन करवा कर यह भी देखा जा सकता है कि लिवर में कितना फैट जमा हुआ है तथा लिवर की कठोरता(Stiffness) को भी जाना जा सकता है


फैटी लिवर का क्या इलाज है?

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में फैटी लिवर के लिए कोई भी विशेष इलाज नहीं है सहायक दवाइयों की मदद से व अपनी रोज की जीवन शैली को सुधार कर कुछ हद तक फैटी लिवर का इलाज किया जा सकता है, 

अगर फैटी लिवर के चलते सिरोसिस ऑफ लिवर या लिवर डैमेज हो गया है तो इसका इलाज लगभग असंभव हो जाता है, 

लिवर डैमेज होने के कारण जो-जो लक्षण शरीर में दिखाई देते हैं उन लक्षणों का इलाज आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में किया जाता है डैमेज लिवर को तो लिवर ट्रांसप्लांट के द्वारा ही ठीक किया जा सकता है,

दवाइयां जो फैटी लिवर को ठीक करती हैं…

Eglow Vitamin E (400 mg) - Pack of 50 Capsules
Cap. Vitamin E

1- विटामिन ई के कैप्सूल…

फैटी लिवर के इलाज के लिए विटामिन ई का बहुत ही अधिक महत्व है फैटी लीवर का निदान होने के बाद विटामिन ई के कैप्सूल चिकित्सक द्वारा मरीज को दिए जाते हैं यह 400 मिलीग्राम से 600 मिलीग्राम की मात्रा में बाजार में उपलब्ध हैं, 

उदाहरण के तौर पर कैप्सूल Evion 400 mg रोजाना एक खाना खाने के बाद या सुबह शाम चिकित्सक की मर्जी के अनुसार दिया जाता है विटामिन ई नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट होने के कारण फैटी लिवर की चिकित्सा में बहुत उपयोगी है

2-टैबलेट Udiliv का प्रयोग…

यह दवाई यकृत(Liver) की किसी भी प्रकार की समस्या जैसे…

  • फैटी लिवर का होना

    Udiliv 300mg Strip Of 15 Tablets
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  • लिवर का साइज बढ़ जाना 
  • हेपेटाइटिस सी 
  • हेपेटाइटिस बी या 
  • किसी भी प्रकार का अन्य हेपेटाइटिस जैसे शराब के कारण होने वाला हेपेटाइटिस(Alcoholic liver disease) इत्यादि के इलाज में रामबाण औषधि है 

दुनिया भर के आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के चिकित्सक इस दवा का प्रयोग किसी भी प्रकार की लिवर की बीमारी में जरूर करते हैं साथ ही इसका सही से सेवन करने से तथा साथ में अपने आहार विहार तथा जीवन शैली में सुधार करने से फैटी लिवर की समस्या में आराम जरूर मिलता है, 

टेबलेट यूडिलिव 150 एमजी से 300 एमजी की मात्रा में बाजार में उपलब्ध है, 

यह गोली सुबह शाम चिकित्सक के दिशा निर्देश अनुसार किसी भी लिवर के रोगी को दी जा सकती है इस दवा का साल्ट Ursodeoxycholic acid है 


दवाइयों के अतिरिक्त फैटी लीवर से छुटकारा पाने के लिए अपनी जीवनशैली में निम्नलिखित परिवर्तन करने भी जरूरी हैं जैसे कि…

मोटापा कम करना…

विज्ञान ऐसा मानता है कि अगर आपको फैटी लिवर की समस्या है तथा आपका वजन जरूरत से ज्यादा है तो सबसे पहले अपने कुल वजन का 10% वजन कम करना जरूरी है, 

वजन कम करने से शरीर में अत्यधिक बढ़ी हुई चर्बी कम होने लगती है जिसके चलते धीरे धीरे फैटी लिवर की समस्या में सुधार होने लगता है, 

वजन कम करने के लिए अपने दैनिक आहार में परिवर्तन करना तथा रोजाना व्यायाम जैसे सुबह की सैर, जोगिंग, स्विमिंग, साइकिलिंग,रस्सी कूदना इत्यादि करना जरूरी है ये सभी एरोबिक एक्सरसाइजेज है 

एक हफ्ते में कम से कम ढाई घंटे(150 Minutes/week) की एरोबिक एक्सरसाइजेज(Aerobic Exercises)करना वजन कम करने के लिए जरूरी है तथा साथ में आहार में अत्यधिक मीठे पदार्थों का सेवन, तले पदार्थों का सेवन, ज्यादा कार्बोहाइड्रेट जैसे आलू, चावल, रोटी इत्यादि के सेवन को कम करके अपने वजन को कम किया जा सकता है,

इसके अतिरिक्त वजन को तेजी से कम करने के लिए नीचे दिए गए आर्टिकल पर जाकर उसको जरूर पढ़ें…

“कैसे तेजी से घटाएं अपना वज़न”


योग व प्राणायाम करना…

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योग करें निरोग रहें

हर दिन नियमित समय पर योग व प्राणायाम करने से भी फैटी लीवर की समस्या में सुधार होता है 

इसके अतिरिक्त योग व प्राणायाम से शरीर को अन्य अनेकों रोगों से भी छुटकारा मिलता है

कोलेस्ट्रोल को कम करना…

अगर आपके खून में कोलेस्ट्रोल की मात्रा ज्यादा है तो इसके लिए अपने चिकित्सक से सलाह मशवरा कर इसको कम करना बहुत जरूरी है इसके लिए आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में कुछ एक दवाइयां हैं जैसे…

  • Atorvastatin 10/20mg 
  • Rosuvastatin 10/20mg 

इन दवाइयों का सेवन करने से बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल कम होने लगता है परंतु इनके सेवन से पहले अपने चिकित्सक से मशवरा करना जरूरी है

दवाइयों के अलावा अपने आहार में सैचुरेटेड फैट्स देसी घी, मक्खन, मलाई, रेड मीट इत्यादि पदार्थों के सेवन को कम से कम कर देना चाहिए तथा अपने आहार में गुड फैट जैसे बादाम का तेल, जैतून का तेल, मूंगफली के तेल, कनोला तेल इत्यादि को शामिल करना चाहिए, 

ऐसे पदार्थों में गुड फैट जिसमें MUFA(Monounsaturated fatty acids) व PUFA(Polyunsaturated fatty acids) जो की वसा(Fat) के प्रकार ही होते हैं तथा इनको अपने आहार में शामिल करने से हमारी सेहत पर कोई भी बुरा प्रभाव नहीं पड़ता


शराब का सेवन ना करना…

अगर किसी व्यक्ति को शराब पीने की वजह से फैटी लिवर की समस्या हुई है तो उस व्यक्ति को शराब के सेवन को बिल्कुल बंद कर देना चाहिए ऐसा करने से फैटी लिवर में धीरे-धीरे सुधार होने लगता है


मधुमेह को नियंत्रित करना…

अगर किसी व्यक्ति को फैटी लिवर के साथ-साथ शुगर रोग है तो उसे अपनी रक्त शर्करा(Blood glucose) को सही से नियंत्रण में करना बहुत जरूरी है 

क्योंकि ऐसा देखा गया है की रक्त शर्करा के बढ़ने से फैटी लिवर की समस्या भी बढ़ जाती है रक्त शर्करा को नियंत्रित करने के लिए नीचे दिए गए आर्टिकल को विस्तार से पढ़ें…

“शुगर के कारण,लक्षण व सभी उपचार”

पर्याप्त मात्रा में निंद्रा लेना…

फैटी लिवर के कारण लक्षण परहेज़ व इलाज़
सुखद नींद लेना

फैटी लिवर को ठीक करने के लिए पर्याप्त मात्रा में यानी 8 से 10 घंटे की नींद लेना भी अति जरूरी है ऐसा इसलिए है क्योंकि सारा दिन आप कुछ ना कुछ खाते रहते हैं जिसके चलते हमारे लिवर को ज्यादा कार्य करना पड़ता है, 

लेकिन जब हम सोते हैं उस वक्त लिवर को आराम मिलता है तथा उस दौरान यह सेवन किए हुए आहार व अन्य दवाइयों के विषाक्त पदार्थों(Toxins) को बाहर भी निकालता है व अपनी मुरमम्त भी कर लेता है,

इसलिए लिवर को आराम की जरूरत होती है इसलिए सही समय पर सोना व समय पर उठना फैटी लिवर को ठीक करने के लिए बहुत जरूरी है

इन सभी कारणों के अलावा जो कोई भी कारण जैसे थायराइड की समस्या, हेपेटाइटिस सी का संक्रमण इत्यादि जिनके कारण फैटी लिवर की समस्या बढ़ जाती है उन सभी का सही से प्रबंधन करना भी जरूरी है

ऊपर लिखे सभी उपायों का सही से प्रयोग करने से फैटी लिवर की समस्या को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है

फैटी लिवर के कारण लक्षण परहेज़ व इलाज़ पढ़ते रहें…


फैटी लिवर का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?

आयुर्वेद में फैटी लिवर को यकृत विकार माना जाता है तथा इसका कारण यकृत के अंदर पित्तरस के सूखने के कारण यकृत की कोशिकाओं में वसा के जमाव के कारण होता है, 

यह पित्तरस(Bile) के सूखने का कारण प्रमुख रूप से शराब को माना जाता है आज भी जितने मामले फैटी लिवर के डायग्नोज होते हैं उनमें ज्यादातर संख्या शराब पीने वाले लोगों की ही होती है,

आयुर्वेद में फैटी लिवर को ठीक करने के लिए अनेकों औषधीय हैं जैसे कि…

Forever Living Aloe Vera Gel, 300ml Pack of 3
अलोएवेरा जूस

एलोवेरा जूस का सेवन…

एलोवेरा को आयुर्वेद में प्रमुख लिवर टॉनिक माना जाता है इसलिए इसके जूस का सेवन करने से यकृत में आए हुए विकार जल्दी ही ठीक हो जाते हैं, 

इसके लिए आप किसी भी ब्रांडेड कंपनी का एलोवेरा जूस का सेवन सुबह शाम खाना खाने से आधा घंटा पहले 25 से 30 मिलीलीटर की मात्रा में कांच के गिलास में डालकर बराबर की मात्रा में पानी डालकर कर सकते हैं, 

इसको सेवन करने से फैटी लिवर में निश्चित रूप से लाभ होता है

गिलोय रस का सेवन…

गिलोय रस
गिलोय रस

आयुर्वेद में गिलोय को रसायन की संज्ञा दी गई है तथा इसके रस का सेवन करने से शरीर में आए हुए अनेकों विकार दूर होते हैं ऐसा आयुर्वेद में कहा गया है, 

गिलोय रस का सेवन दिन में दो बार करने से फैटी लिवर में काफी सुधार होता है, 

इसके लिए आप ताजा गिलोय का काढ़ा बनाकर भी पी सकते हैं या फिर किसी भी ब्रांडेड कंपनी का गिलोय जूस मार्केट से खरीद कर भी प्रयोग कर सकते हैं

आंवला जूस का सेवन…

आयुर्वेद में आंवला भी रसायन माना गया है इसमें विटामिन ई के अलावा अनेकों प्रकार के खनिज पाए जाते हैं इसके जूस का सेवन करने से यकृत विकारों में लाभ होता है ऐसा उल्लेख आयुर्वेदिक संहिता ग्रंथों में मिलता है

करेले का जूस…

वसायुक्त यकृत को ठीक करने के लिए करेले के जूस का सेवन करना भी काफी लाभप्रद है जूस के साथ साथ करेले की सब्जी को भी अपने आहार में शामिल करने से लाभ और भी बढ़ जाता है, 

करेले में अत्यधिक मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट व अन्य खनिज होते हैं जोकि यकृत की सेहत के लिए बहुत अच्छे हैं इसके लिए आप मिक्सर जूसर में करेले का जूस निकालकर 20 से 25 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में एक या दो बार खाली पेट इसका सेवन कर सकते हैं यह जूस मधुमेह रोग को नियंत्रित करने में तथा त्वचा रोगों को दूर करने में भी काफी लाभदायक है,

करेले के जूस को तैयार करते समय आप उसमें पुदीना, धनिया, चुकंदर तथा अन्य हरी सब्जियों को भी थोड़ी मात्रा में डाल सकते हैं

मिल्क थिस्ल(Milk Thistle) का प्रयोग…

Silybon 140mg Tablet 10'S
टेबलेट Silybon 70/140mg

यह भी एक प्रकार की आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जोकि यकृत के रोगों में बहुत ही गुणकारी है आजकल तो आधुनिक चिकित्सा वाले भी इस द्रव्य का प्रयोग अनेक प्रकार की आधुनिक दवाइयों को बनाने के लिए करते हैं,

  • उदाहरण के लिए टेबलेट Silybon 70/140mg

इस दवाई में पाया जाने वाला प्रमुख तत्व Silymarin होता है जिसको मिल्क थिस्ल के बीजों में से निकाला जाता है यह एक विशेष प्रकार के पौधे के बीज होते हैं जिनमें कुदरती रूप से यकृत की कोशिकाओं को बचाने(Hepatoprotective) के गुण होते हैं

गोमूत्र का प्रयोग…

आयुर्वेद में फैटी लिवर के रोग के इलाज के लिए गोमूत्र का प्रयोग भी किया जाता है इसके लिए आप पतंजलि का गोवर्धन अर्क इस्तेमाल कर सकते हैं इसके भी अच्छे नतीजे यकृत रोगों में देखने को मिलते हैं

नारियल का पानी…

फैटी लिवर के कारण लक्षण परहेज़ व इलाज़
नारियल पानी

यकृत रोगों को ठीक करने में नारियल पानी भी एक अति उत्तम औषध है नारियल पानी में अनेकों प्रकार के खनिज तत्व तथा एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं

इसका नियमित रूप से सेवन करने से तथा साथ में अपना आहार-विहार व दिनचर्या का सही पालन करने से यकृत रोगों में काफी लाभ प्राप्त होता है

हल्दी का प्रयोग… 

हल्दी का प्रयोग हजारों सालों से अनेकों रोगों में आयुर्वेद में किया जाता है यह संक्रमण को दूर करने वाली तथा सूजन को कम करने वाली व अनेकों प्रकार के खनिज तत्वों से भरपूर होती है इसका सेवन भी यकृत रोगों में लाभ कर है

ग्रीन टी का इस्तेमाल…

फैटी लिवर के कारण लक्षण परहेज़ व इलाज़ग्रीन टी एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है तथा इसका नियमित रूप से सेवन करने से यकृत रोगों में बहुत लाभ होता है इसके साथ साथ मोटापा कम करने के लिए व मधुमेह रोग में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है

इसके अतिरिक्त कई आयुर्वेदिक ब्रांडेड दवाइयां बाजार में उपलब्ध है जिनका प्रयोग लिवर के रोगों में हजारों चिकित्सकों द्वारा सफलतापूर्वक किया जा रहा है इसमें प्रमुख उदाहरण इस प्रकार हैं जैसे…

Syp. Liv 52…

यह हिमालय कंपनी द्वारा बनाई गई यकृत विकारों के लिए प्रमुख आयुर्वेदिक दवा है इसका सेवन नियमित रूप में करने से अनेकों प्रकार के यकृत विकारों में लाभ जरूर मिलता है अनेकों आधुनिक एलोपैथी के चिकित्सक भी इस दवा का प्रयोग यकृत विकारों में करते हैं, 

इसका सेवन करने से फैटी लिवर की स्थिति में अवश्य ही सुधार होता है ऐसा हमने अनेकों रोगियों पर अजमाया भी है

Tab Liv 52 ds… Himalaya Liv.52 Tablets - 100 Counts

यह भी हिमालय कंपनी द्वारा यकृत विकारों के लिए बनाई गई प्रमुख आयुर्वेदिक दवाई है इस दवा की दो गोली सुबह दो गोली शाम को खाना खाने के आधा घंटा बाद नियमित सेवन करने से फैटी लिवर की स्थिति में बहुत सुधार होता है, 

इसका सेवन कोई भी व्यक्ति कर सकता है इस दवा का कोई भी दुष्परिणाम आज तक देखने को नहीं मिला,

फैटी लिवर के कारण लक्षण परहेज़ व इलाज़ कृपया आगे बढे…


फैटी लिवर को ठीक करने का बेस्ट घरेलू नुस्खा…

इसके लिए चार चम्मच घृतकुमारी जिसे एलोवेरा भी कहते हैं उसका रस ले तथा इसमें दो चम्मच नींबू व एक चम्मच अदरक के रस को मिलाएं इस मिश्रण को सुबह खाली पेट नियमित रूप से सेवन करें याद रखें इसको पीने के आधे से 1 घंटे तक कुछ भी ना खाएं,

यह नुस्खा 3 महीनों तक सेवन करने से तथा साथ में आहार-विहार का सही से ख्याल रखने से फैटी लिवर की बिमारी में बहुत आराम मिलता है


फैटी लिवर का होम्योपैथी में क्या इलाज है?

होम्योपैथी में फैटी लिवर के इलाज के लिए अनेकों दवाइयां है इन दवाइयों का प्रयोग होम्योपैथिक विशेषज्ञ से सलाह मशवरा करने के बाद कोई भी मरीज कर सकता है, 

इन दवाइयों की खास बात यह है कि इनके कोई भी दुष्परिणाम देखने को नहीं मिलते साथ ही साथ इन्हें लेने में भी आसानी रहती है फैटी लिवर के इलाज के लिए होम्योपैथी में भी सबसे जरूरी अपने आहार तथा जीवन शैली में सुधार करने की जरूरत होती है, 

फैटी लिवर का रोगी दवाइयों के साथ-साथ अपने आहार विहार व दिनचर्या पर सही से ध्यान दें तभी जाकर इन दवाइयों के अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं अन्यथा नहीं, 

होम्योपैथी में फैटी लिवर के इलाज में प्रयोग होने वाली प्रमुख 5 दवाइयां इस प्रकार है…

1. Lycopodium 

इस दवा का प्रयोग फैटी लिवर के रोगी में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देने पर किया जाता हैं जैसे कि…

  • सीने में जलन होना(Acidity)
  • खट्टी डकार आना(Belching)
  • पेट का तना हुआ रहना(Bloating)
  • छाती में दर्द होना
  • इसके साथ साथ फैटी लिवर के रोगी का मीठे पदार्थों(Sweets) तथा गरम तरल(Hot drinks) पदार्थों को पीने की तीव्र इच्छा होना

तथा यह लक्षण शाम के समय बढ़ जाना

2. Phosphorus… 

इस दवा का प्रयोग फैटी लिवर में तब किया जाता है जब फैटी लीवर के मरीज को निम्नलिखित लक्षण आते हैं जैसे कि…

  • शौच के समय अत्यधिक कमजोरी महसूस होना
  • पेट के दाएं तरफ पीड़ा होना
  • खट्टी डकार आना
  • उल्टी आना 
  • जी मिचलाना
  • बहुत ज्यादा गैस बनना
  • बार-बार गैस पास होना

3. Calcarea Carb… 

इस दवा का प्रयोग फैटी लिवर के उन रोगियों में विशेष रूप से किया जाता है जिनमें मोटापा अत्यधिक होता है

मोटापे के साथ-साथ…

  • कब्जी का रहना
  • पेट फूलना
  • रात को सोते समय ज्यादा पसीना आना
  • ठंडी हवा सहन करने की शक्ति कम होना
  • लेक्टोज इनटोलरेंट(Lactose intolerance) होना इत्यादि

4. Nux Vomica…

इस दवा का प्रयोग निम्नलिखित लक्षणों के आधार पर किया जाता है जैसे कि…

  • खाना खाने के बाद पेट में दर्द होना
  • शौच जाने के बाद दोबारा शौच जाने की इच्छा बने रहना
  • पेट में गैस बनना
  • पेट का सही से साफ ना होना
  • मरीज का ज्यादा शराब का सेवन करना
  • कभी खट्टी कभी कड़वी डकार आना(Sour and bitter belching)

5. Chelidonium…

इस दवा का प्रयोग फैटी लिवर के रोगी में निम्नलिखित लक्षण मिलने पर किया जाता है जैसे कि…

  • पेट में ऊपर दाई ओर पीड़ा रहना
  • पेट का साफ ना होना
  • कभी-कभी उल्टी आना
  • घबराहट होना
  • यकृत का आकार बड़ा हुआ होना(Hepatomegaly)
  • फैटी लिवर के रोगी का गरम पदार्थों(Craving for hot foods and drinks) को खाने की तीव्र इच्छा का होना इत्यादि

होम्योपैथी में खुद से लक्षणों के आधार पर फैटी लिवर का इलाज करना थोड़ा मुश्किल है इसके लिए जरूरी है कि आप किसी होम्योपैथिक विशेषज्ञ से मिलकर सही से अपना इलाज करवाएं


फैटी लिवर के कारण लक्षण परहेज़ व इलाज़ का निष्कर्ष… 

शराब का ज्यादा सेवन, मधुमेह रोग, मोटापा फैटी लिवर के प्रमुख कारण है बाकी इसके शुरुआती कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं इसलिए जो लोग ज्यादा शराब पीते हैं या जिनका वजन नॉर्मल से 20% ज्यादा है या जो व्यक्ति मधुमेह रोग से पीड़ित हैं साथ में शारीरिक वजन भी ज्यादा है ऐसे लोगों को साल में एक बार अपने चिकित्सक से सलाह मशवरा करके अपना अल्ट्रासाउंड करवा कर जरूर देखना चाहिए तभी उनको फैटी लिवर की समस्या अगर है तो उसका पता चलेगा, 

नहीं तो ज्यादातर मामलों में फैटी लिवर का निदान सही समय पर नहीं हो पाता जिसके चलते यह समस्या काफी बढ़ जाती है कई मरीजों को तो पीलिया होने के बाद यह पता चलता है कि फैटी लिवर की वजह से उनके यकृत में काफी क्षति(Damage) हो चुकी है,

आपका सही वजन कितना होना चाहिए इसको जांचने के लिए अपनी ऊंचाई(CM मे) में से 100 की संख्या को कम कर दे इससे आपको अपना सही वजन कितना होना चाहिए यह पता चल जाएगा, 

उदाहरण के तौर पर यदि किसी व्यक्ति की ऊंचाई 174 सेंटीमीटर है तो 174 में से 100 की संख्या को कम करने पर 74 की संख्या शेष रह जाती है इसका मतलब उस व्यक्ति का वजन 74 किलो होना चाहिए, 

यदि उसका कुल वजन इससे 20% ज्यादा है तो इसका मतलब है कि उसको मोटापा है जिससे उसको फैटी लिवर की समस्या भी हो सकती है,

इसलिए ऊपर लिखी गई सभी बातों का ध्यान रखें व फैटी लिवर की समस्या से बचें,

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फैटी लिवर के कारण लक्षण परहेज़ व इलाज़ का अस्वीकरण(disclaimer)… 

  • इस लेख की सामग्री व्यावसायिक चिकित्सा सलाह(professional medical advice), निदान(diagnosis) या उपचार(ट्रीटमेंट) के विकल्प के रूप में नहीं है।
  • चिकित्सीय स्थिति के बारे में किसी भी प्रश्न के लिए हमेशा चिकित्सीय(doctor कंसल्टेशन) सलाह लें।
  • उचित चिकित्सा पर्यवेक्षण(without proper medical supervision) के बिना अपने आप को, अपने बच्चे को, या किसी और का  इलाज करने का प्रयास न करें।

Image-creditधन्यवाद to www.pixabay.com

अधिक अपडेट के लिए कृपया hindi.curetoall.com पर जाएं और नीचे दिए गए लेखों को भी पढ़ें:

D-Dimer टेस्ट इन हिंदी


सन्दर्भ:फैटी लिवर के कारण लक्षण परहेज़ व इलाज़:

  1. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC554876/

2. Medline-plus Medical Encyclopedia,US नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन-fatty liver diseases

3. Better health channel department of health and human services(int) state govt of Victoria: liver-fatty liver disease

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