डेंगू बुखार क्या है? (what is dengue in hindi)
डेंगू बुखार कारण लक्षण रोकथाम परहेज़ व इलाज़: यह एक प्रकार का संक्रमण से फैलने वाला बुखार है जिसका संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में एक विशेष प्रकार के मच्छर के काटने से फैलता है,
- यह बहुत गंभीर बुखार है जिसमें विशेषता तेज बुखार, अत्यधिक शरीरदर्द, अत्यधिक सिरदर्द इत्यादि लक्षण होते हैं इसको डेंगू या डेन्गी बुखार भी कहते है,
इस बुखार के लक्षणों को देखते हुए इसे हड्डी तोड़ बुखार के नाम से भी जाना जाता है ऐसा इसलिए है क्योंकि इस बुखार में हड्डियों के टूटने जैसी पीड़ा महसूस होती है,
यह एक ऐसा रोग है जोकि महामारी के रूप में बहुत अत्यधिक देखा जाता है,
यूरोप महाद्वीप को छोड़कर यह बीमारी लगभग पूरे विश्व में पाई जाती है एक अनुमान के अनुसार हर वर्ष लगभग 2 करोड लोग पूरे विश्व में डेंगू बुखार से प्रभावित होते हैं,
डेंगू बुखार के सबसे ज्यादा केस विश्व के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं इसमें विशेष रुप से भारतीय उपमहाद्वीप, अफ्रीका, मध्य व दक्षिण अमेरिका, दक्षिण पूर्व एशिया व मेक्सिको के ज्यादातर हिस्सों की बड़ी आबादी इस रोग के कारण प्रभावित होती है
डेंगू के कारण क्या है? (causes of dengue in hindi)
इसका कारण विशेष प्रकार का विषाणु या वायरस होता है जिसकी चार किसमें पाई जाती हैं…
- पहला DENV-1
- दूसरा DENV-2
- तीसरा DENV-3
- चौथा DENV-4
डेंगू बुखार कब और कैसे फैलता है?
जिस प्रकार मलेरिया रोग एक मच्छर के द्वारा फैलाया जाता है ठीक उसी प्रकार डेंगू बुखार भी Aedes नामक मच्छरों की प्रजाति के द्वारा ही फैलाया जाता है
इन मच्छरों का नाम एडीज एज़िप्टी (Aedes Aegypti) व एडीज अल्बोपिक्टुस (Aedes albopictus) है,

डेंगू मच्छर कब काटता है?
यह मच्छर दिन के समय काटता है इस मच्छर के शरीर पर सफेद व काली धारियां होती हैं,
जब यह मच्छर डेंगू से पीड़ित किसी व्यक्ति को काटता है तो वे मच्छर डेंगू के विषाणु को उस व्यक्ति के खून से चूसकर संक्रमित हो जाता है,
इसके बाद जब वही मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो यह विषाणु या वायरस को उस व्यक्ति के खून में छोड़ देता है,
जिसके कारण एक स्वस्थ व्यक्ति डेंगू के वायरस से एक मच्छर के द्वारा संक्रमित हो जाता है,
इस प्रकार यह मच्छर इस बीमारी को फैलाने में एक कैरियर का काम करता है
मादा मच्छर ही क्यों फैलाती है डेंगू ?
इसमें एक बात ध्यान देने वाली यह है कि एडीज प्रजाति की मादा मच्छर इस बीमारी को फैलाती है नर नहीं, यह मच्छर शरीर के नीचे वाले हिस्सों को ज्यादातर काटती है क्योंकि यह मच्छर ज्यादा ऊंचाई तक नहीं उड़ पाते है
एक ओर बात ध्यान देने वाली इसमें यह है कि मादा (Female) एडिज मच्छर को अपने अंडों के विकास के लिए एक खास तरह की प्रोटीन की जरूरत होती है,
जो उसे मानव रक्त से मिलती है तथा यह अपने 14 से 21 दिनों के जीवन काल में लगभग 300 के करीब अंडे दे सकती है इसीलिए केवल मादा मच्छर ही व्यक्ति को काटती है
कौन से मौसम में डेंगू बुखार ज्यादा फैलता है?
- यह बुखार बरसात के मौसम में खासकर जुलाई-अगस्त सितंबर-अक्टूबर के महीनों में ज्यादा फैलता है क्योंकि इन महीनों में मच्छरों के पनपने के लिए परिस्थितियां अनुकूल रहती हैं,
डेंगू बुखार का संक्रामक काल (dengue incubation period in hindi)
- संक्रमित मच्छर के काटे जाने के बाद लगभग 3 से 5 दिनों के बाद मरीज में डेंगू के लक्षण दिखाई देने लगते हैं,
इसका संक्रामक काल 3 दिन से लेकर 10 दिन तक हो सकता है
डेंगू बुखार कारण लक्षण रोकथाम परहेज़ व इलाज़ आगे और पढ़े…
डेंगू कितने प्रकार का होता है? (types of dengue in hindi)
यह मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है जैसे…
- साधारण या क्लासिकल डेंगू बुखार
- डेंगू हेमोरेजिक बुखार (DHF)
- डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS)
इस बीमारी की तीव्रता को देखते हुए इसे तीन भागों में बांटा गया है इसका सही से निदान कर इलाज करना अनिवार्य है
डेंगू के लक्षण (dengue symptoms in hindi)
इस बुखार के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि रोगी को किस प्रकार का डेंगू बुखार है जैसे कि…
१. क्लासिकल डेंगू बुखार के लक्षण (डेंगू के लक्षण इन हिंदी)
यह डेंगू का पहला प्रकार है जोकि कुछ दिनों में अपने आप ही ठीक हो जाता है तथा यह खतरनाक नहीं होता इसके लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं…
- ठंड लगने के बाद अचानक से तेज बुखार का चढ़ना
बुखार आना - शरीर की मांसपेशियों में दर्द का होना (Myalgia)
- जोड़ों में दर्द का होना (Arthralgia)
- अत्याधिक सिर दर्द होना
- आंखों के पिछले भाग में दर्द (Retro-orbital pain) होना जोकि आंखों को हिलाने या दबाने से और भी बढ़ जाता है
- गर्दन, छाती तथा चेहरे पर लाल गुलाबी रंग के रैशज का दिखाई देना
- भूख ना लगना
- जी मिचलाना
- बहुत अत्यधिक कमजोरी महसूस होना
- मुंह का स्वाद बिगड़ जाना
- कई बार गले में हल्का दर्द का होना
लगभग 5 से 7 दिन के बाद क्लासिकल या साधारण डेंगू बुखार अपने आप ही ठीक हो जाता है,
इस प्रकार के बुखार में मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ती है डेंगू बुखार के ज्यादातर मामले इसी श्रेणी में आते हैं
२. डेंगू हेमरेजिक बुखार (DHF) के लक्षण (dengue ke lakshan in hindi)
- मसूड़ों से खून बहना
खून की उल्टी - नाक से खून बहना (Epistaxis)
- खून की उल्टी आना (Haematemesis)
- शौच में खून का आना (Melena)
- त्वचा पर नीले काले रंग के गहरे छोटे व बड़े चकत्ते पड़ जाना
इस प्रकार के बुखार का लेबोरेटरी में खून की जांच करवा कर इसकी पुष्टि की जा सकती है,
अगर किसी मरीज में क्लासिकल डेंगू बुखार के साथ-साथ इस प्रकार के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत ही अच्छे डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए क्योंकि यह स्थिति खतरनाक व जानलेवा भी हो सकती है
३. डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS) के लक्षण (dengue symptoms in hindi)
इस प्रकार के बुखार में मरीज शाक(Shock) की अवस्था में जाने लगते हैं जिससे मरीज की स्थिति बहुत ही खराब हो जाती है,
डेंगू हेमरेजिक बुखार के लक्षणों के साथ-साथ नीचे लिखे लक्षण भी दिखाई देने लगते हैं जैसे…
- मरीज की त्वचा ठंडी पड़ जाती है
- बेचैनी बहुत अधिक बढ़ जाती है
- तेज बुखार बना रहता है
- रक्तचाप गिरने लगता है
- नाड़ी की गति असामान्य हो जाती है कभी तेज कभी कम होने लगती है
- रोगी धीरे धीरे से अपना होश खोने लगता है
ऐसी स्थिति में एक बात ध्यान देने वाली यह है कि कई बार मरीज के मल्टी ऑर्गन फैलियर (Multi organ failure) हो जाता है,जिसमें उसके जिगर, लन्गस तथा गुर्दे की काम करने की क्षमता कम होने लगती है,
मरीज की कोशिकाओं के अंदर मौजूद तरल पदार्थ बाहर निकलने लगता है जिसके कारण पेट में पानी आदि भरने की समस्या पैदा हो सकती है यह स्टेज बहुत ही खतरनाक स्टेज है,
ऐसी अवस्था में अस्पताल में भर्ती होना लाजमी है, कई बार डॉक्टरों द्वारा लाख कोशिश करने के बाद भी ऐसी स्थिति में मरीज की जान चली जाती है,
इसलिए इस स्थिति का विशेष ध्यान रखना चाहिए
डेंगू टेस्ट नाम (diagnosis of dengue in hindi)
अगर किसी व्यक्ति को ठंड के साथ तेज बुखार आ रहा है और साथ में सिर दर्द, अत्यधिक बदन दर्द आदि लक्षण आ रहे हैं तो उसको जल्दी ही अपने डॉक्टर से संपर्क करें इसकी रक्त जांच करवानी चाहिए,
बुखार आने के शुरुआती दौर में डेंगू का निदान करने के लिए प्रयोगशाला में इसका एंटीजन टेस्ट जिसको-
Dengue NS 1 कहते हैं,
यह ब्लड टेस्ट शुरू शुरू के दिनों में पॉजिटिव आता है तथा बाद में धीरे धीरे इसकी पॉजिटिविटी रक्त में कम होने लगती है,
अगर बुखार आने के कुछ दिन बाद लगभग 3 से 4 दिन के बाद ब्लड टेस्ट करवाना हो तो डेंगू सेरोलॉजी टेस्ट करवाना चाहिए
इस टेस्ट को डेंगू एंटीबॉडी टेस्ट भी कहते हैं इसमें डेंगू वायरस की IgM एंटीबॉडी की जांच की जाती है, अगर IgM एंटीबाडी पॉजिटिव आती है तो इसका अर्थ है की मरीज़ को डेंगू बुखार है,
जो कि लगभग हर प्रयोगशाला में उपलब्ध होती है,
इनमें दो मुख्य ब्लड टेस्ट के अलावा खून में सफेद कोशिकाओं (WBC Count) तथा प्लेटलेट्स सेल्स (Blood platelets) को देखने के लिए सीबीसी (CBC) टेस्ट भी किया जाता है,

डेंगू में प्लेटलेट्स कितना होना चाहिए?
- ऐसा इसलिए है क्योंकि डेंगू बुखार में श्वेत रक्त कोशिकाएं तथा प्लेटलेट सेल्स कम होने लगते हैं तथा इन्हीं के आधार पर डेंगू की तीव्रता को मापा जाता है सामान्य ब्लड प्लेटलेट सेल्स 1 लाख से 400,000 (4 lakh) के बीच होते हैं,
परंतु डेंगू बुखार में प्लेटलेट सेल्स धीरे-धीरे कम होने लगते हैं कई बार तो यह संख्या 20,000 के नीचे आ जाती है ऐसी स्थिति में मरीज को ब्लड प्लेटलेट्स चढ़ाए जाने की आवश्यकता भी पड़ सकती है
डेंगू बुखार कारण लक्षण रोकथाम परहेज़ व इलाज़ पढ़ते रहें…
डेंगू बुखार में जान जाने का खतरा क्यों होता है?
- इसका मुख्य कारण खून में प्लेटलेट सेल्स की कमी होना है, क्योंकि यह प्लेटलेट सेल्स हमारे खून को रक्त वाहिकाओं में लीकेज (Leakage) से बचाते हैं,
तथा साथ ही साथ यदि चोट किसी को लग जाए तो यही ब्लड प्लेटलेट सेल्स उस जगह इकट्ठा होकर खून को बहने से रोक देते हैं अगर किसी भी कारण किसी व्यक्ति के लिए प्लेटलेट्स सेल्स जरूरत से ज्यादा कम हो जाते हैं,
तो ऐसी स्थिति में अगर उस व्यक्ति को कोई चोट लग गई तो उसका रक्त स्त्राव नियंत्रित करने में बहुत अत्यधिक कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है जिस कारण अत्यधिक रक्त बहने से मरीज की मृत्यु भी हो सकती है,
ठीक इसी प्रकार कई बार प्लेटलेट्स की कमी के कारण शरीर के अंदर रक्तस्त्राव की स्थिति (Internal hemorrhage) पैदा हो जाती है,
जिसके कारण धीरे धीरे शरीर के अंदरूनी अंग काम करना छोड़ देते हैं,
जिसको मल्टी ऑर्गन फैलियर भी कहा जाता है जिस वजह से मरीज की मौत हो जाती है या फिर मरीज Shock की अवस्था में चला जाता है,इसी वजह से डेंगू बुखार मे जान जाने का खतरा होता है
डेंगू की रोकथाम के उपाय क्या-क्या हैं?
- डेंगू बुखार को फैलने से रोकने के लिए सबसे जरूरी कदम मच्छरों को पनपने से रोकना है क्योंकि मच्छरों के द्वारा ही यह बीमारी फैलाई जाती है,
इसमें विशेष बात ध्यान देने वाली यह है कि एडिज मच्छर ठहरे हुए, छायादार व स्थिर पानी में अंडे देती है इसलिए सबसे जरूरी कदम स्थिर पानी के स्त्रोतों को खत्म करना है,
डेंगू बुखार के मच्छर (degu machar) के प्रजनन स्थान क्या क्या है ?
ऐसे सभी स्थानों को साफ करें जहां पर यह मच्छर प्रजनन करते हैं जैसे कि…
- पुराने टायर
- बिना ढके टैंक व गड्ढे
- खाली ड्रम, बैरल इत्यादि
- इस्तेमाल में ना आने वाली बाल्टियां व कंटेनर
- पालतू जानवरों के बर्तन
- खुली बोतलें
- टीन के डिब्बे
- निर्माण स्थल जहां पानी जमा होता हो
- पेड़ों के छेद और बांस
- दीवारों पर इंटों के बीच के खाली स्थान
- पुराने जूते
- छत व गली की नाली
- पुराने गमले
- फूलदान
- स्विमिंग पूल जो कई कई दिन प्रयोग ना होते हो
- पुराने कूलर
- बारिश का खड़ा हुआ पानी
- घर में पड़ा फालतू का कबाड़ इत्यादि
यह सभी स्थान मच्छरों का प्रजनन स्थान है इन सभी स्थानों को सही से साफ रखें,
- इसके अलावा हर दूसरे दिन गमलों व कूलर आदि का पानी जरूर बदले गमलों के पानी में रेतीले दानेदार कीटनाशक का प्रयोग जरूर करें
फ्लावर पॉट आदि के नीचे रखे प्लेटों को अच्छी प्रकार से साफ करें जरूरत पड़ने पर डीडीटी या अन्य कीटनाशक दवाइयां जैसे काला हिट आदि का छिड़काव इन स्थानों में जरूर ही करें

घर पर खाली पड़े बर्तनों, बाल्टियों व कंटेनरों को अच्छी प्रकार साफ कर उल्टा करके रखें
- घरों की छत पर बनी नालियों को बिल्कुल साफ रखें
- घर में पानी के निकास के स्थान में रुकावट ना होने दे
- महीने में कम से कम एक बार बीटी कीटनाशक का प्रयोग पानी की निकासी के स्थान पर तथा नालियों में जरूर करें
- टॉयलेट सीट को ढक कर रखें उसकी पूर्णता हर रोज सफाई करें
इस प्रकार हर एक स्थान को साफ रख कर तथा डेंगू को खत्म करने के लिए सरकार द्वारा दिए जा रहे भिन्न-भिन्न दिशा निर्देशों का पालन करके ही डेंगू बुखार को फैलने से रोका जा सकता है
डेंगू से बचाव के लिए हमें क्या करना चाहिए? (dengue se bachne ke upay)
यह मच्छर ज्यादातर शरीर के निचले हिस्सों को काटते हैं इसलिए जरूरी है कि …
- मोजे, जूते, लंबी बाजू की शर्ट, लंबी पेंट पहने और अपने शरीर को लगभग ढका हुआ रखें
मच्छरों को भगाने वाले आधुनिक उपकरण जैसे ऑल आउट आदि का इस्तेमाल करें-
रात को सोते समय अपने खुले अंगों पर मच्छरों को भगाने वाली क्रीम जैसे ऑडोमोज (Odomos) आदि लगाएं-
मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल भी कर सकते है इसके अलावा मच्छर क्वायल को जलाकर मच्छरों को भगाएं
डेंगू बुखार के उपचार (dengue treatment in hindi)
- इस बुखार का कोई विशेष इलाज या दवा नहीं है साधारण या क्लासिकल डेंगू बुखार 5 से 7 दिन में अपने आप भी ठीक हो जाता है
मरीज का लक्षणों के अनुसार ही इलाज किया जाता है इसमें सबसे जरूरी ध्यान देने वाले कदम इस प्रकार हैं
1. डेंगू की दवा (dengue medicine in hindi)
- डेंगू के प्रमुख लक्षणों में तेज बुखार लगभग 102 से 104 डिग्री फॉरेनहाइट हो जाता है इसलिए बुखार को कम करने के लिए पेरासिटामोल (PCM) 500mg से 650mg का प्रयोग किया जाता है,
यह गोली दिन में तीन से चार बार 6 से 8 घंटे के अंतराल में मरीज को चिकित्सक के दिशानिर्देश अनुसार दी जानी चाहिए,
इस दवा के अतिरिक्त रोगी को बढ़िया मल्टीविटामिन जैसे टेबलेट हेल्थ ओके, रिवाइटल आदि की खुराक भी देनी चाहिए,
इसके अलावा अगर जी मिचलाना तथा घबराहट है तो टेबलेट एमसेट- tab Emset (ondansetron) दे सकते हैं,
- डेंगू बुखार के रोगी को इबुप्रोफेन (Ibuprofen) व डिस्प्रिन आदि दवा नहीं देनी चाहिए
नोट- यह सभी दवाइयां अपने चिकित्सक की देखरेख में लें
2. हाइड्रेशन की स्थिति (डेंगू में नारियल पानी के फायदे)

डेंगू बुखार में तीव्र बुखार के होने के कारण मरीज में पानी की कमी होने की संभावना बनी रहती है,
अगर डेंगू के मरीज को उल्टी या दस्त लगे हैं तो यह संभावना और भी बढ़ जाती है,
- इसलिए पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन जैसे नारियल पानी, फ्रेश फ्रूट जूस आदि का सेवन ज्यादा मात्रा में करना बहुत जरूरी है,
अगर डेंगू का मरीज घर पर है तो वह इन सबके साथ साथ ओ आर एस (ORS) ग्लूकोस-डी आदि का सेवन भी कर सकता है,
रोगी की हाइड्रेशन की स्थिति जितनी ठीक रहेगी डेंगू बुखार भी उतनी जल्दी ठीक होगा,
अगर डेंगू बुखार का मरीज अस्पताल में है तो उसे आईवी ड्रिप जैसे ग्लूकोस 5% या आर एल (RL) आदि भी चढ़ाया जा सकता है यह सब चिकित्सक की देखरेख में होना अनिवार्य है
3. स्वास्थ्यवर्धक आहार – डेंगू में क्या खाना चाहिए?

डेंगू बुखार में मरीज को बहुत अत्यधिक कमजोरी व थकान महसूस होने लगती है इसलिए जरूरी है कि रोगी को पूरी हेल्दी डाइट दी जाए रोगी को हर दिन कीवी फल, सेब, संतरा, केला, पपीता आदि फ्रूट खाने को दिया जाना चाहिए,
यह सब फल विटामिन व खनिजों के भंडार है इनका सेवन करने से रोगी की स्थिति जल्दी सुधरती है,
इसके अतिरिक्त मरीज को सुपाच्य भोजन जैसे खिचड़ी, दलिया, पतली दाल, हल्की रोटी का सेवन जरूर करना चाहिए,डेंगू के मरीज को अपने आहार-विहार के लिए अपने चिकित्सक से सलाह मशवरा जरूर करना चाहिए
4. पर्याप्त आराम करना (Complete rest)

डेंगू के मरीज को कोई भी भारी शारीरिक परिश्रम करने से बचना चाहिए,
क्योंकि रोगी के शरीर की स्थिति अंदर से बहुत कमजोर होती है ऐसी स्थिति में पानी की कमी के साथ-साथ अन्य प्रकार की शारीरिक कमजोरी भी हो सकती है,
इसलिए अगर रोगी भारी भरकम परिश्रम करेगा तो उसकी स्थिति को संभालना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा इसलिए डेंगू के रोगी को जितने दिन हो सके संपूर्ण आराम करना चाहिए
डेंगू बुखार कारण लक्षण रोकथाम परहेज़ व इलाज़ आगे और पढ़े…
5.प्लेटलेट्स सेल्स चढ़ाना (dengue low platelet count treatment in hindi)
- डेंगू के मरीज में सबसे बड़ी कॉम्प्लिकेशन प्लेटलेट सेल का कम होना है अगर किसी मरीज के खून में प्लेटलेट सेल की संख्या 20,000 प्रति माइक्रोलीटर से कम हो जाती है,
तो ऐसी स्थिति में उसको ब्लड बैंक से प्लेटलेट सेल्स का इंतजाम कर नस के जरिए प्लेटलेट्स सेल्स चढ़ाए जाते हैं,
कई बार जो प्लेटलेट्स सेल चढ़ाए जाते हैं वह भी नष्ट हो जाते हैं इस प्रकार दोबारा फिर आपके डॉक्टर को प्लेटलेट सेल्स चढ़ाने पड़ते हैं ऐसा इसलिए है क्योंकि इन सेल की कमी होने के कारण शरीर के भीतर रक्त स्त्राव का खतरा बना रहता है,
- लेकिन यह तभी होता है जब प्लेटलेट्स सेल्स की संख्या 20,000 प्रति माइक्रोलीटर से कम हो जाती है तथा ऐसा बहुत ही कम रोगियों में देखा जाता है,ज्यादातर केसों में प्लेटलेट सेल्स थोड़े गिरते हैं फिर बढ़ने लगते हैं इस प्रकार अपने आप ही ठीक हो जाते हैं,
इसमें एक बात ध्यान देने वाली यह है कि प्लेटलेट सेल्स को बढ़ाने के लिए कोई भी प्रमाणित दवा बाजार में उपलब्ध नहीं है,
यह प्लेटलेट् सेल डेंगू बुखार की तीव्रता के अनुसार कम होते हैं तथा जैसे-जैसे मरीज ठीक होने लगता है यह सेल्स अपने आप ही बढ़ने लगते हैं
खून से प्लेटलेट सेल्स को बनाने के लिए पी आर पी (PRP-PLATELET-RICH-PLASMA) व बी सी आर (BCR-BUFFY-COAT-REMOVED) के तरीकों का सहारा लिया जाता है
डेंगू ट्रीटमेंट in Ayurveda
- आयुर्वेद में किसी भी बीमारी की चिकित्सा के लिए अनेक मापदंड है इसके लिए आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से मशवरा करना बहुत ही जरूरी है
ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति की प्रकृति अलग-अलग होती है आयुर्वेद के अनुसार सबसे पहले रोगी की प्रकृति का सही से आंकलन कर उसके बाद मरीज के रोग की व रोगी की परीक्षा की जाती है
यह सब करने के बाद रोगी के शारीरिक बल उसकी अग्नि आदि का सही से अवलोकन कर उसकी चिकित्सा का निर्धारण किया जाता है
- यह सब कार्य कोई एक एक्सपर्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर ही कर सकता है मरीज को कौन-कौन सी दवाई देनी है इसका निर्धारण आयुर्वेदिक डॉक्टर के द्वारा ही किया जाना चाहिए नहीं तो चिकित्सा के परिणाम सही से प्राप्त नहीं होंगे
आयुर्वेद में हजारों वर्षों से कई प्रकार की बीमारियां जिसमें बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण से होने वाले रोग जैसे टाइफाइड, ट्यूबरक्लोसिस, मलेरिया, डेंगू आदि का इलाज जड़ी बूटियों की मदद से सफलतापूर्वक किया जाता है
हालांकि इसके पीछे अभी तक कोई भी ठोस वैज्ञानिक अनुसंधान नहीं है फिर भी हजारों रोगी आयुर्वेदिक चिकित्सा को अपनाकर ठीक हुए हैं
- डेंगू बुखार में ब्लड प्लेटलेट सेल्स का कम होना सबसे बड़ी खतरे की निशानी है
आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में अभी तक ब्लड प्लेटलेट सेल्स को बढ़ाने के लिए कोई भी दवा बाजार में उपलब्ध नहीं है
परंतु आयुर्वेद में हजारों सालों से कई ऐसी जड़ी बूटियां है जिनका प्रयोग कर ब्लड प्लेटलेट सेल्स को बढ़ाया जाता है तथा साथ ही साथ रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाया जाता है
आजकल तो आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के डॉक्टर भी इनका समर्थन करने लगे हैं क्योंकि क्लिनिकल प्रैक्टिस में इन जड़ी-बूटियों के रिजल्ट ब्लड प्लेटलेट सेल्स को बढ़ाने के लिए दिखने लगे हैं
टैबलेट कैरिपिल का प्रयोग (caripill tablet uses in hindi)-

इसके अलावा बड़ी-बड़ी फार्मास्यूटिकल कंपनियां इन जड़ी बूटियों का प्रयोग कर कई तरह की दवाएं ब्लड प्लेटलेट सेल्स को बढ़ाने के लिए बना रही हैं तथा इनका प्रमोशन आधुनिक तरीके से कर रही हैं
जिस कारण बड़े-बड़े आधुनिक चिकित्सा के डॉक्टर ब्लड प्लेटलेट्स को बढ़ाने के लिए इन दवाइयों को लिख भी रहे हैं
उदाहरण के तौर पर टेबलेट कैरिपिल (Tab-Caripill) जोकि माइक्रो कंपनी द्वारा बनाई गई है जिसमें की पपीते के पत्ते का एक्सट्रैक्ट व अन्य आयुर्वेदिक द्रव्यों का इस्तेमाल किया गया है
इस प्रकार के उदाहरण ओर भी बहुत हैं इसमें सोचने वाली बात यह है कि अगर आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां ब्लड प्लेटलेट सेल्स को बढ़ाने में कारगर नहीं होती तो यह बड़ी-बड़ी कंपनियां इन जड़ी-बूटियों की मदद से आधुनिक दवाइयों के जैसी दिखने वाली दवाइयां क्यों बना रही हैं तथा बड़े-बड़े डॉक्टर डेंगू के मरीजों में इनको क्यों लिख रहे हैं?
डेंगू बुखार कारण लक्षण रोकथाम परहेज़ व इलाज़ पढ़ते रहें…
प्लेटलेट्स बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा by पतंजलि
डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, एनीमिया तथा ब्लड कैंसर इत्यादि की समस्याओं में सबसे ज्यादा प्रॉब्लम प्लेटलेट सेल की कमी का होना है
इसे मेडिकल भाषा में थ्रोंबोसाइटोपेनिया भी कहते हैं जिसके कारण पीड़ित व्यक्ति के ब्लड क्लोट बनने में तथा घाव भरने में समस्या होने लगती है
इसके अलावा शरीर में ऊर्जा का लेवल बनाए रखने के लिए भी उचित मात्रा में ब्लड प्लेटलेट काउंट सही रहना बहुत जरूरी है
पतंजलि आयुर्वेद में अनेक ऐसी प्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवाएं है जिनके सेवन से कम हुए प्लेटलेट सेल शीघ्र ही बढ़ने लगते हैं इनके कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं जैसे कि…
पतंजलि गिलोय घनवटी
- दिव्य गिलोय क्वाथ
- पतंजलि दिव्य पुनर्नवा मंडूर
- दिव्य डेंगूनिल वटी
- पतंजलि अश्वगंधा चूर्ण
- दिव्य गिलोय सत
इन दवाओं में से कोई भी दवा आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श के अनुसार इस्तेमाल करने से प्लेटलेट सेल की कम हुई संख्या में बहुत जल्दी सुधार होता है
प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए क्या खाना चाहिए?
जैसे कि…
डेंगू में गिलोय का प्रयोग (giloy juice ke fayde in dengue)-

आयुर्वेद में हजारों वर्षों से गिलोय का प्रयोग अनेक प्रकार के बैक्टीरियल और वायरल संक्रमण से होने वाले बुखार मे सफलतापूर्वक किया जाता है
- अगर किसी व्यक्ति को डेंगू है तो उसको दिन में दो बार गिलोय का काढ़ा जरूर सेवन करना चाहिए, इसको बनाने के लिए दातुन के आकार की गिलोय के तने का प्रयोग करना चाहिए
इस गिलोय के तने को कूट पीसकर एक गिलास पानी में डालकर धीमी आंच पर गर्म करना चाहिए तथा जब यह पानी तीसरा हिस्सा शेष रह जाए तो उसे कांच के गिलास में छानकर रख ले उसके बाद सिप सिप करके इस काढ़े का सेवन खाली पेट करने से रोगी के रोग में बहुत सुधार होता है
डेंगू मे पपीता का जूस पीने के फायदे (papaya benefits in dengue in hindi)-

ब्लड प्लेटलेट सेल्स को बढ़ाने के लिए पपीते के पत्तों का रस आयुर्वेद के हिसाब से बहुत ही कारगर है इसके लिए ताजा पपीते के पत्तों में थोड़ा सा पानी डालकर उसका रस तैयार कर ले
- डेंगू के मरीज को इस रस को 15 से 20 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह शाम दिन में दो बार देने से कम हुए प्लेटलेट सेल्स तेजी से बढ़ने लगते हैं
ऐसा क्लिनिकल प्रैक्टिस में पाया भी गया है आजकल तो पपीते के पत्तों के रस की गोलियां भी बाजार में उपलब्ध है
नीम के पत्तों का रस-

डेंगू बुखार या अन्य प्रकार के बुखारो में ताजा नीम के पत्तों का रस एक चम्मच सुबह एक चम्मच शाम को पीने से काफी लाभ मिलता है
- नीम को आयुर्वेद में एंटी बैक्टीरियल व एंटी वायरल माना जाता है इसके अतिरिक्त यह खून को साफ करता है तथा खून से विषैले तत्व शरीर से बाहर निकालता है
नीम के पत्तों के रस की जगह आप नीम के चार से पांच पत्ते चबाकर भी खा सकते हैं
कम प्लेटलेट्स मे एलोवेरा जूस पीने के फायदे (aloe vera juice benefits in dengue in hindi)

घृतकुमारी जिसको एलोवेरा भी कहते हैं इसके रस का सेवन करने से कम हुए प्लेटलेट्स धीरे-धीरे बढ़ने लगते हैं तथा रोगी के स्वास्थ्य में सुधार होने लगता है
ऐसा अनेक प्रकार के क्लीनिकल परीक्षणों में पाया गया है आयुर्वेद में अनेकों सालों से घृतकुमारी का प्रयोग कई प्रकार के रोगों में सफलतापूर्वक किया जाता रहा है
इसके अतिरिक्त यदि डेंगू के रोगी को कोई जिगर की समस्या है तो एलोवेरा जूस के सेवन से जिगर की स्थिति में भी सुधार होता है
क्योंकि यह जूस एक बहुत ही बढ़िया लिवर टॉनिक का काम भी करता है
- इसके लिए मरीज को 20 से 25 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह शाम दिन में दो बार बढ़िया क्वालिटी के एलोवेरा जूस (Aloe vera gel by Forever) का सेवन करना चाहिए
आजकल तो बाजार में बढ़िया से बढ़िया क्वालिटी के एलोवेरा जूस उपलब्ध हैं अगर कोई ताजा एलोवेरा जूस घर पर बना सकता है तो वह भी सही रहेगा,
इसके अलावा घृतकुमारी के गूदे का भी सेवन किया जा सकता है जूस के मुकाबले गुदे का सेवन करना थोड़ा मुश्किल है क्योंकि यह बहुत कड़वा होता है
बकरी का दूध (goat milk benefits in dengue)-

आयुर्वेद के हिसाब से बकरी के दूध का प्रयोग अनेक प्रकार की बीमारियों में किया जाता है आयुर्वेद में इस दूध को बहुत ही पुष्टिकर बताया गया है
आयुर्वेद में क्षय रोग जिसको ट्यूबरक्लोसिस भी कहते हैं ऐसे रोगों के इलाज में बकरी के दूध के प्रयोग का उल्लेख आयुर्वेदिक ग्रंथों में मिलता है
बकरी के दूध का सेवन करने से भी ब्लड प्लेटलेट्स सेल्स बढ़ते हैं ऐसा पाया गया है हालांकि इसके पीछे कोई ठोस वैज्ञानिक अनुसंधान नहीं है
डेंगू बुखार में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं?
- इन सब उपायों के अतिरिक्त फ्रेश फ्रूट जूस या ताजे फल जैसे कीवी, संतरा, मौसंबी, नींबू, सेब, केला, पपीता इत्यादि का सेवन करने से भी प्लेटलेट सेल्स जल्दी बढ़ने लगते हैं
आयुर्वेद में किसी भी रोग को ठीक करने के लिए उचित आहार-विहार की पालना करना अत्यंत जरूरी है ऐसा इसलिए है क्योंकि किसी भी प्रकार के बुखार में अग्निमांद्य होने के कारण मरीज को हल्के आहार का सेवन ही करना चाहिए
- बुखार के मरीज को गुरुवादी आहार का सेवन जैसे उड़द की दाल, फ्राइड फूड, चिकन, मटन, ज्यादा मसाले युक्त खाना इत्यादि के सेवन से बचना चाहिए
क्योंकि रोगी की अग्निमंद होने के कारण यदि वे इस प्रकार के आहार का सेवन करेगा तो उसके बहुत दुष्परिणाम हो सकते हैं जैसे कि आम का बनना, अजीर्ण आदि जिससे उसकी स्थिति ओर भी ज्यादा बिगड़ जाएगी
इसलिए सही आहार का सेवन करें
- जैसे कि हल्की मूंग की दाल, खिचड़ी, दलिया, सब्जियों के सूप, फ्रेश फ्रूट जूस इत्यादि
आधे से ज्यादा डेंगू के मरीज तो सही आहार विहार का पालन करने से ठीक हो जाते हैं इसलिए इस बात का ध्यान रखें
डेंगू का इलाज in होमियोपैथी
होम्योपैथी में अनेक ऐसी दवाइयां है जिनका सफलतापूर्वक प्रयोग डेंगू बुखार को ठीक करने के लिए किया जाता है,
इन दवाइयों की खास बात यह है कि इनका कोई दुष्परिणाम नहीं होता यह दवाइयां मरीज घर पर रहकर किसी होम्योपैथिक विशेषज्ञ के मशवरे से आसानी से प्रयोग कर सकता है ज्यादा सफल चिकित्सा पाने के लिए होम्योपैथिक डॉक्टर से मशवरा करना जरूरी है,
डेंगू बुखार के लिए होम्योपैथी में प्रयोग होने वाली मुख्य दवाइयां इस प्रकार हैं…
कलकेरिया कार्बनिका…
- इस दवा का प्रयोग रोगी में उस वक्त किया जाता है जब उसके शरीर पर छोटे-छोटे चकत्ते, रैशेज आदि दिखाई देने लगते हैं इसके अलावा दोपहर को एकदम से ठंड लगना, गले में सूजन का महसूस होना, छाती में भारीपन महसूस होना, मानसिक थकावट महसूस होना इत्यादि लक्षणों में यह दवा बहुत ही कारगर है
बेलाडोना…
- ये दवा को डेडली नाइटशेट के नाम से भी जाना जाता है डेंगू के जिन मरीजों को पेट में ऐठन होना, गर्दन में अकड़न होना और साथ साथ सांस लेने में कठिनाई का होना आदि लक्षण पाए जाते हैं उन मरीजों के लिए यह दवा बहुत ही असरदार है
नक्स वॉमिका…
- जिन मरीजों को ठंड लगने के बाद बुखार आता है साथ में गले में जकड़न महसूस होती है इसके साथ साथ चिड़चिड़ापन भी रहता है और खांसी के दौरान सर दर्द, मसूड़ों में सूजन का होना इत्यादि लक्षणों में यह दवा बहुत असरदार है
युपोरेतियम परफ़ोलिटियम (डेंगू होम्योपैथिक ट्रीटमेंट)
- इस दवा का प्रयोग ज्यादातर उन मरीजों में किया जाता है जिन मरीजों को आंखों की पुतलियों में दर्द होता है साथ ही साथ लेटने पर सिर दर्द होना, ज्यादा रोशनी में आंखों में दर्द होना, ठंड लगना, बदन दर्द होने के साथ-साथ हड्डियों में दर्द होना, रात को सोते समय खांसी का आना आदि लक्षण पाए जाते हैं ऐसे मरीजों में इस दवा का प्रयोग काफी लाभप्रद है
ब्र्योनीया…
- ये दवा को वाइल्ड हाप्स के नाम से भी जाना जाता है डेंगू के जिन मरीजों को आंखों में चुभन, मुंह का सूखना, मांसपेशियों में अत्यधिक दर्द का होना, चिड़ चिड़ा पन होना, तेज सिर दर्द होना, जोड़ों में दर्द होना इत्यादि लक्षण पाए जाते हैं उन मरीजों में यह दवा का प्रयोग काफी लाभप्रद है
लाइकोपोडियम…
इस दवा को क्लब मास के नाम से भी जाना जाता इस दवा का प्रयोग नीचे दिए गए लक्षणों वाले मरीज में किया जाता है जैसे कि…
- त्वचा पर छाले पड़ना
- स्किन में खुजली होना
- दोपहर को ठंड के साथ बुखार आना
- जिहवा (Tongue) पर छाले होना
- मांसपेशियों में दर्द होना
आर्सेनिक एल्ब्म्ं (डेंगू के उपचार इन हिंदी)

इस दवा को आर्सेनिक एसिड भी कहते हैं अगर किसी डेंगू मरीज को नीचे लिखे लक्षण दिखाई दें तो इस दवा का प्रयोग करना काफी असरदार पाया गया है जैसे कि…
- सिर में अत्यधिक दर्द होना
- ज्यादा रोशनी के प्रति संवेदनशीलता होना
- अत्यधिक चिड़चिड़ापन
- त्वचा का ठंडा होना
- मसूड़ों में से खून का आना
- खाने के बाद जी मिचलाना
- राइट साइड वाले फेफड़े में दर्द का होना
- पैरों में कंपन होना
- बहुत अत्यधिक थकावट का होना
- तेज बुखार का चढ़ना
- आंखों में, पेट में, सिर व छाती में जलन का होना
- जिहवा पर जलन का होना
- गले में दर्द
- निगलने में कठिनाई होना
- सूखी खांसी आना
- पल्पिटेशन (Palpitations) का होना अर्थात दिल की धड़कन का अनियमत होना आदि
होम्योपैथी की दवा का प्रयोग होम्योपैथिक विशेषज्ञ की सलाह से ही करना चाहिए क्योंकि यह दवाइयां थोड़े-थोड़े लक्षणों के आधार पर बदल जाती हैं खुद से इन दवाइयों का प्रयोग करने से कोई खास लाभ प्राप्त नहीं होता,
दवाइयों के साथ-साथ परहेज, आराम तथा भरपूर मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन इसके अलावा पोषक आहार का सेवन करना भी अनिवार्य है,
होम्योपैथिक विशेषज्ञ की सलाह से जो भी खाने पीने का परहेज हो वह भी करना जरूरी है तभी जाकर इन दवाइयों का सही से लाभ प्राप्त होगा
डेंगू बुखार कारण लक्षण रोकथाम परहेज़ व इलाज़ और आगे पढ़े…
किन किन व्यक्तियों में डेंगू के दुष्परिणाम (Complications) ज्यादा होते हैं?
छोटे बच्चों से लेकर ऐसे व्यक्ति जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) कम होती है जैसे कि…
- शुगर रोग के मरीज,
- गुर्दे के रोगी,
- जिगर की बीमारियों के मरीज,
- ज्यादा वृद्ध अवस्था वाले लोग,
- क्रॉनिक हार्ट डिजीज वाले रोगी,
- कैंसर के रोगी,
- क्षय रोग (TB) से पीड़ित होने वाले इत्यादि
इन सब प्रकार के मरीजों में बीमारी से लड़ने की ताकत कम होने के कारण इन व्यक्तियों में डेंगू के दुष्परिणाम ज्यादा हो सकते हैं, इसलिए ऐसे मरीजों को अपना विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है
क्या डेंगू बुखार की रोकथाम के लिए कोई विशेष टीकाकरण (Vaccine) उपलब्ध है?
- Dengvaxia नाम की वैक्सीन कुछ देशों में उपलब्ध है तथा वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन(WHO) के अनुसार एक विशेष आयु का वर्ग 9 साल से 45 साल तक की उम्र के लिए यह वैक्सीन लगाई जाती है,
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार यह वैक्सीन केवल उन्हीं लोगों को लगाई जा सकती है जिनको पहले डेंगू बुखार का संक्रमण निश्चित तोर पर हुआ हो
वर्ष 2017 में इस वैक्सीन को बनाने वाली कंपनी Sanofi Pasteur ने कहां था कि अगर किसी ऐसे व्यक्ति को यह वैक्सीन लगाई जाती है जिसको पहले डेंगू संक्रमण नहीं हुआ है अगर भविष्य में वैक्सीन लगने के बाद उसको डेंगू का संक्रमण हुआ तो वे संक्रमण काफी गंभीर हो सकता है,
इसीलिए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन का कहना है कि यह वैक्सीन केवल उन्हीं लोगों को लगनी चाहिए जिनको पहले डेंगू का संक्रमण निश्चित तौर पर हुआ है
- डेंग्वेक्सिया वैक्सीन को वर्ष 2019 में मई के महीने में एफडीए (FDA) के द्वारा इसके प्रयोग के लिए यूएसए (USA) में इसको मंजूरी दी है,
यह मंजूरी 9 से 16 वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिए तथा साथ ही साथ जिनको पहले डेंगू के संक्रमण की पुष्टि प्रयोगशाला में हुई है तथा जिस जिस जगह पर डेंगू वायरस का इन्फेक्शन ज्यादा फैलता है वहां पर रहते हैं उन बच्चों के लिए इस वैक्सीन को मंजूरी दी गई है,
वर्ष 2021 जून के महीने में ACIP (Advisory Committee on Immunization Practices) संस्था ने डेंगू की रोकथाम के लिए डेंग्वेक्सिया वैक्सीन के प्रयोग की अनुमति 9 से 16 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए जिनको पहले डेंगू के संक्रमण की पुष्टि लेबोरेटरी ने की है तथा साथ ही साथ वह उस जगह रहते हैं जहां पर डेंगू का संक्रमण ज्यादा फैलता है ऐसे बच्चों में इस वैक्सीन को लगाए जाने की अनुमति दी है
क्या डेंगू की वैक्सीन भारत में प्रयोग के लिए उपलब्ध है?
- भारत में अभी तक डेंगू की वैक्सीन डेंग्वेक्सिया (Dengvaxia) को प्रयोग के लिए पूरी तरह अनुमति नहीं मिली है बावजूद इसके कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने इस वैक्सीन की अनुमति मेक्सिको तथा अन्य कई देशों को प्रदान कर दी है,
इसके पीछे अनेकों कारण हैं जिन पर अनुसंधान चल रहा है इसके अतिरिक्त इस वैक्सीन की सुरक्षा पर भी अभी काफी प्रशन है इसीलिए भारत देश में इसका प्रयोग अभी शुरू नहीं हो पाया है
क्या किसी व्यक्ति को एक बार डेंगू का संक्रमण होने के बाद फिर से डेंगू हो सकता है?
जी हां, ऐसा इसलिए है क्योंकि डेंगू का संक्रमण डेंगू वायरस के कारण होता है तथा यह वायरस की 4 किस्में हैं…
- पहला DENV-1
- दूसरा DENV-2
- तीसरा DENV-3
- चौथा DENV-4
एक किस्म से संक्रमित होने के बाद उस किस्म के संक्रमण से शरीर में इम्यूनिटी बन जाती है परंतु जो दूसरी किस्मे है उनसे इम्यूनिटी नहीं बनती है,
इसलिए किसी व्यक्ति को एक बार डेंगू का संक्रमण होने के बाद डेंगू वायरस की किसी दूसरी किस्म से संक्रमण हो सकता है तथा उसको फिर से डेंगू बुखार हो सकता है
डेंगू बुखार कारण लक्षण रोकथाम परहेज़ व इलाज़ का निष्कर्ष
- डेंगू बुखार में बिल्कुल भी लापरवाही ना करें तथा साथ ही साथ दिन में एक बार निश्चित समय पर ब्लड प्लेटलेट सेल्स को जरूर चेक करवाएं,
शुरू के दिनों में ब्लड प्लेटलेट सेल्स कम होने लगते हैं किसी के एक लाख रह जाते हैं किसी के 50,000 तक कम हो जाते हैं इसलिए इन सेल्स का ध्यान रखना अति अनिवार्य है,
क्योंकि अगर किसी व्यक्ति के ब्लड प्लेटलेट सेल्स 20,000 की संख्या से कम होने लगे तो उसे तुरंत ही किसी बड़े अस्पताल में दाखिल हो पूरी तरह से डॉक्टरों की निगरानी में रखने की जरूरत पड़ती है,
ज्यादातर मामलों में ब्लड प्लेटलेट्स 50,000 की संख्या पर पहुंचने के बाद धीरे धीरे बढ़ने लगते हैं जिसके साथ साथ रोगी की सेहत भी सुधारने लगती है,
- इसलिए इन प्लेटलेट सेल्स का पूरा ध्यान रखें तथा साथ ही साथ मरीज का शारीरिक तापमान (Temperature), नाड़ी की गति(Pulse rate), ऑक्सीजन लेवल (O-2) तथा लिवर एंजाइम्स (SGOT,SGPT) भी चेक करवाने चाहिए,
ये सब टेस्ट आपके चिकित्सक की देख रेख में होने चाहिए
अस्वीकरण (disclaimer)
- इस लेख की सामग्री व्यावसायिक चिकित्सा सलाह(professional medical advice), निदान(diagnosis) या उपचार(ट्रीटमेंट) के विकल्प के रूप में नहीं है।
- चिकित्सीय स्थिति के बारे में किसी भी प्रश्न के लिए हमेशा चिकित्सीय(doctor कंसल्टेशन) सलाह लें।
उचित चिकित्सा पर्यवेक्षण(without proper medical supervision) के बिना अपने आप को, अपने बच्चे को, या किसी और का इलाज करने का प्रयास न करें।
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इसे भी पढ़ें– “टाइफाइड की जांच in हिंदी”
Information Compiled- by Dr. Vishal Goyal
Bachelor in Ayurvedic Medicine and Surgery
Post Graduate in Alternative Medicine MD (AM)
Email ID- [email protected]
Owns Goyal Skin and General Hospital, Giddarbaha, Muktsar, Punjab
“डेंगू बुखार कारण लक्षण रोकथाम परहेज़ व इलाज़” पढने के लिए धन्यवाद…
कृपया इन आर्टिकल्स को भी पढ़े–
१.”कमरदर्द का रामबाण इलाज़ हिन्दी में”
२.”कब्ज़ के कारण, लक्षण व् इलाज़ हिन्दी में”
३.”लिव 52 टेबलेट के सभी फायदे”
४.”बढे हुए sgot तथा sgpt को कम करने के उपाए”
सन्दर्भ:
https://www.fda.gov/vaccines-blood-biologics/dengvaxia– dengvaxia dengue vaccine study
https://www.vinmec.com/en/news/health-news/why-is-coconut-water-good-for-dengue-patients/- coconut-water-good-for-dengue-patients-study
https://www.1mg.com/ayurveda/giloy-24– giloy benefits in dengue fever
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/30146413/-Diabetic patients suffering dengue are at risk for development of dengue shock syndrome/severe dengue
https://www.bmj.com/content/351/bmj.h4661/rr-4- Carica papaya leaf extract for Dengue fever patients study
आपने बहुत अच्छा आर्टिकल लिखा, इस आर्टिकल के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. मुझे इस आर्टिकल से बहुत मदद हुई हे.