पेट की गर्मी के लिए आयुर्वेदिक दवा

गर्मियों में पेट को ठंडा रखने के लिए 6 आयुर्वेदिक हर्ब्स

गर्मियों में पेट में गर्मी होने की प्रॉब्लम आम बात है जिसके कारण कई व्यक्तियों को पेट में जलन, अपचन की शिकायत हो सकती है आयुर्वेदिक उपायों की मदद से आप अपने पेट को गर्मियों में ठंडा रख सकते है।

  • गर्मियों के सीजन में हम अपने शरीर को ठंडा रखने के लिए कई ठंडी वस्तुएं खाते व पीते है। इसमें ज्यादातर लोग आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक का सेवन ज्यादा मात्रा में करते है।

परन्तु इन चीजों का ज्यादा यूज़ आपके पेट को ठंडा नही करता है बल्कि और भी ज्यादा गर्मी प्रधान कर सकता है।

इसलिए आज आपको आयुर्वेद में उपलब्ध कुछ ऐसी चीजों के यूज़ के बारे में बताएंगे जो आपके पेट को गर्मी में ठंडक प्रधान कर सकती है।

पेट में गर्मी बढ़ने का कारण-

पित्त दोष गर्मी से जुड़ा हुआ है तथा  इसका प्रभाव ख़ास रूप से तेज गर्मी के दौरान, जुलाई से लेकर अक्टूबर तक महसूस किया जाता है। जब पेट के अंदर पित्त बढ़ता है तो इससे पेट में जलन, अपचन जैसी प्रोब्लेम्स शुरू हो जाती है

  • आयुर्वेद में इसे पित्त दोष का बढ़ना या पित का प्रकोप कहा जाता है। बढ़े हुए पित्त दोष के संकेतों में पेट में ज्यादा एसिड का बनना, जलन, त्वचा का फटना तथा चिड़चिड़ापन आदि लक्षण शामिल हैं। पित्त के प्रकोप को शांत या शमन करने वाले आहार का यूज़ करने से इसे ज्यादा बढ़ने से रोका या कंट्रोल किया जा सकता है।

इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए हमने बात की न्यूट्रिशनिस्ट तथा आयुर्वेदिक वेलनेस एक्सपर्ट डॉक्टर वी. के. गोयल जी से।

उन्होने समझाया कि गर्मियों के सीजन के दौरान सही तंदुरूस्ती के लिए आंतो को ठंडा व शांत बनाए रखना बहुत जरूरी है। अपने पाचन सिस्टम को सही करने व इसे बेहतर ढंग से काम करने के लिए सरल तथा प्राकृतिक चीजों पर हमे ज्यादा ध्यान देना चाहिए।

कुछ आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों तथा सप्लीमेंट्स ऐसे है जो आपके शरीर के अंदर के तापमान को बैलेंस करने तथा पाचन स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने में मदद कर सकते हैं।

पेट को ठंडक प्रधान करने के आयुर्वेदिक उपाय-

1. एलोवेरा-

डा गोयल बताते है कि एलोवेरा शरीर के अंदर ठंडा प्रभाव डालता है तथा पाचन तंत्र को दुरुस्त करने में सहायता करता है।पेट की गर्मी के लिए आयुर्वेदिक दवा

पाचन तंत्र के स्वास्थ्य का समर्थन करने तथा आंतो में गर्मी को घटाने के लिए इसका जूस या जेल के रूप में हर दिन सेवन किया जा सकता है।


2. धनिया-

धनिया के बीज तथा पत्ते अपने ठंडे गुणों या ठंडी तासीर के लिए जाने जाते हैं।पेट की गर्मी के लिए आयुर्वेदिक दवा

उनका प्रयोग खाना बनाने में किया जा सकता है हर्बल चाय बनाने के लिए भी इसका यूज़ किया जा सकता है या पेट को ठंडक प्रधान करने तथा पाचन में मदद के लिए पाचन क्रिया में प्रयोग किया जा सकता है।


3. सौंफ-

सौंफ के बीजों का पाचन तंत्र पर ठंडा तथा बहुत ही अनुकूल प्रभाव पड़ता है।पेट की गर्मी के लिए आयुर्वेदिक दवा

इसे खाना खाने के बाद पाचन को सुचारू रूप से चलाने के लिए इसका यूज़ किया जा सकता है या ताज़ा सौंफ पानी में मिलाकर सौंफ के पानी के रूप में इसका यूज़ किया जा सकता है।


4. पुदीना-

पुदीने की पत्तियों की तासीर ठंडी तथा ठंडे गुणों से भरपूर होती है व आयुर्वेद में भी इसके गुणों के महत्व को बताया गया है। पुदीने को ठंडा तथा सुख-दायक गुणों के लिए प्रयोग किया जाता है।

पुदीना चाय या इन्फ्यूज्ड पानी पेट को ठंडा करने, पेट की सूजन को कम करने तथा पाचन सिस्टम को सही रखने में  मदद कर सकता है।


5. इलायची-

डा गोयल बताते है कि इलायची का शरीर पर ठंडा असर होता है तथा ये पाचन में भी बहुत सहायता करती है।पेट की गर्मी के लिए आयुर्वेदिक दवा

इसका प्रयोग खाना बनाने में किया जा सकता है हर्बल चाय जैसे पेय चीज़ों में इसका यूज़ किया जा सकता है या खाना खाने के बाद इसको चबाया भी जा सकता है ताकि सांसों को तरोताजा या फ्रेश किया जा सके तथा खाने को पचाने में भी सहायता मिल सके।


6. गुलाब की पंखुड़ियां-

गुलाब की पंखुड़ियों में पेट को ठंडक प्रधान करने की बहुत क्षमता होती है।पेट की गर्मी के लिए आयुर्वेदिक दवा

पानी में गुलाब की पंखुड़ियां डालकर या हर्बल चाय में गुलाब जल का यूज़ करने से शरीर को ठंडा रखने तथा पाचन सिस्टम को मजबूत करने में हेल्प मिल सकती है।

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