vitamin in hindi

vitamin in hindi- इसके स्त्रोतस, कमी से होने वाले रोग व् उनका इलाज़

vitamin in hindi: हमारे शरीर के लिये न्यून मात्रा में ही विटामिन आवश्यक होते हैं। ये कार्बन, हाइड्रोजन व ऑक्सीजन से मिलकर बनते हैं।

ये हमारे द्वारा खाये जाने वाले भोजन से प्राप्त होते हैं। ये निर्माण एवम वृद्धि में सहायक होते हैं। जब कोई चोट लगती है तो  विटामिन खून को जमने (थक्का बनने) से रोकता है। कुछ विटामिन ऊर्जा भी देते हैं।

vitamin in hindi को कम शब्दों में कहें तो विटामिंस हमारे आहार का सबसे जरूरी हिस्सा या पोषक तत्व जिनका निर्माण हमारा शरीर खुद से नहीं कर सकता बल्कि आहार के रूप में बाहर से इनको ग्रहण करना पड़ता है तथा शरीर के स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए विटामिंस की सही मात्रा का हमारे आहार में होना अति आवश्यक है अन्यथा इनकी कमी के कारण अनेक प्रकार के रोग हमारे शरीर को घेर लेते हैं vitamin in hindi का सही व् स्पष्ट वर्णन नीचे किया गया है 


विटामिन कितने प्रकार के होते हैं

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vitamin in hindi: विटामिन मुख्य रूप से दो तरह के होते हैं…

  1. वसा में घुलनशील (Fat soluble vitamins)
  2. जल में घुलनशील (Water soluble vitamins)

जब आप इस तरह का भोजन लेते हैं जिसमें वसा में घुलने वाले विटामिन्स होते हैं तो जब तक आपके शरीर को विटामिन्स की आवश्यकता रहती है वे आपके शरीर के वसायुक्त टीश्यूस में तथा लीवर में जमा रहते हैं। विटामिन ए, डी, ई और के सभी वसा में घुलनशील विटामिन हैं।

पानी में घुलने वाले विटामिन अलग हैं। जब आप इस तरह का भोजन लेते हैं जिसमें पानी में घुलने वाले विटामिन होते हैं तो ये विटामिन रक्तप्रवाह के साथ चलते हैं और यदि इनका उपयोग नहीं किया जाए तो ये मूत्र-मार्ग द्वारा शरीर से बाहर निकाल दिये जाते हैं। इस तरह के विटामिन को प्रायः बदलते रहने की आवश्यकता होती है।

विटामिन सी और विटामिन बी ग्रुप के विटामिन जैसे बी-1, विटामिन बी-2 (राइबोफ्लेविन), नाईयासिन, बी-6 (पयरिईडोक्साईन), फोलिक एसिड, बी-12 (कोबालामिन), बायोटिन और पैंटोथैनिक एसिड इस तरह के विटामिन हैं।

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प्रमुख विटामिन, उनके कार्य, उनकी कमी से होने वाले रोग तथा विटामिनों के स्रोत नीचे दिये गये हैं…

1. विटामिन ए (Vitamin-A –Retinol)

  • शरीर के विकास के लिये सहायक है।
  • इससे त्वचा सुंदर व आंखें चमकीली होती हैं।
  • छूत के रोगों से बचाता है।
  • कीटाणुओं द्वारा फैलने वाले विभिन्न रोगों से बचाता है।

विटामिन ए की कमी से निम्नलिखित रोग हो जाते हैं…vitamin in hindi

  • दृष्टि कमजोर होना
  • मन्दाग्नि
  • दांतों की चमक व सुंदरता नष्ट हो जाना
  • शक्ति की कमी
  • त्वचा का सूखापन
  • रतौंधी रोग
  • बार-2 खांसी व जुकाम होना
  • बच्चों को निमोनिया होना
  • जीरोप्थैरलमिया
  • Xerosis

स्रोत : पालक, टमाटर, गाजर, मटर, केला, पपीता, अनन्नास, – आम, पिस्ता, खजूर।


विटामिन बी (vitamin in hindi)

विटामिन बी आगे कई प्रकार का होता है जैसे Vitamin B 1,B 2, B 3, B 5, B 6, B 7, B 9 तथा विटामिन B 12

प्रमुख कार्य…

  • शरीर को स्वस्थ रखता है
  • पाचन शक्ति को बल देता है
  • साधारण स्वास्थ्य को उन्नत करता है
  • इससे शरीर में वृद्धि होती है
  • स्नायुमण्डल को शक्ति प्राप्त होती है तथा रोगों 1 से रक्षा मिलती है

विटामिन बी की कमी से होने वाले रोग

  • शरीर में निर्बलता
  • कब्ज
  • मांसपेशियों की कमजोरी
  • अन्तःस्रावी ग्रन्थियों (Endocrine Glands), क्लोमग्रन्थि (Pancreas) में व चुल्लिका ग्रन्थि (Thyroid Glands) में गड़बड़ी
  • यकृत में अनियमितता
  • आंतों में गड़बड़ी
  • हृदय की कमजोरी
  • पैरों की सूजन
  • स्नायुओं में पीड़ा
  • खून की कमी
  • मांसपेशियों की क्रियाशीलता में कमी
  • धड़कन, पाचन तंत्र की अनियमितता
  • पिंडलियों में भारीपन
  • बेरी-बेरी का रोग
  • पैरों में दर्द

स्रोत : गेहूँ का चोकर, हरी सब्जियां, दूध, सूखे मेवे, फल


vitamin b के अलग अलग प्रकारों का वर्णन इस प्रकार है …

विटामिन – b-1 (थियामिन- Thiamine)

  • इसकी कमी से होने वाले रोगबेरी-बेरी beri-beri
  • स्रोत –  सब्जियां, बिना धुली दालें, तिल, मूंगफली, सूखी मिर्च, अंडा, जिगर आदि

विटामिन – b-2 (राइबोलोविन- Riboflavin)

  • इसकी कमी से होने वाले रोग – आँखों का लाल होना, त्वचा का फटना, जीभ का फटना आदि
  • स्रोत – मांस, खमीर, यकृत, दूध, हरी सब्जियां आदि

विटामिन b-3 (Niacin)

  • इसकी कमी से होने वाले रोग – बालों का सफेद होना, मंदबुद्धि
  • स्रोत – गन्ना, टमाटर, दूध, मांस, मूंगफली आदि

विटामिन – b-5 (Pantothenic acid)

  • इसकी कमी से होने वाले रोग – पेलाग्रा -त्वचा पर लाल चकत्ते आदि
  • स्रोत –  पत्तेदार सब्जियां, मूंगफली, आलू, टमाटर आदि

विटामिन – b-6 (Pyridoxine)

  • इसकी कमी से होने वाले रोग – त्वचा रोग, रक्ताल्पता
  • स्रोत –अनाज, मांस, यकृत इतियादी

विटामिन – b-7 (Biotin-vitamin in hindi)

इसकी कमी से होने वाले रोग – शरीर में दर्द, लकवा, बाल झड़ना आदिvitamin in hindi

स्रोत – यकृत, दूध, मांस, अंडा इतियादी


विटामिन b-9 फोलिक एसिड – (Folate)

  • इसकी कमी से होने वाले रोग – पेचिश, रक्ताल्पता
  • स्रोत – सब्जियां, लीवर, बीन्स, अंडे, दाल इतियादी

b 12 vitamin in hindi (Cyanocobalamin)

इसकी कमी से होने वाले रोग – पांडुरोग, रक्ताल्पताvitamin in hindi

स्रोत- दूध, मांस, जिगर


विटामिन सी (Vitamin C-Ascorbic Acid)

प्रमुख कार्य…

  • यह रक्त वाहिनियों के कार्य को सुचारू ढंग से क्रियान्वित करता है।
  • यह जीवन के लिये अनिवार्य विटामिन है।
  • त्वचा को ठीक रखता है तथा रोग-प्रतिरोधक प्रणाली को बल देता है।
  • घाव को ठीक करता है।
  • नाड़ी संस्थान की रक्षा करता है।
  • घाव को ठीक करता है तथा विषैले कीटाणु से ग्रसित शरीर की रक्षा करता है।

यह विटामिन शरीर में संग्रहित नहीं होता इसलिये इसे दैनिक भोजन में ग्रहण करना अत्यन्त आवश्यक है। वजन घटाने में विटामिन सी सर्वाधिक सहायक होता है। यह शरीर की चयापचय (मैटाबोलिस्म) क्रिया को उचित तरह से संचालित करने में तथा थायरायड हार्मोन्स के निर्माण में सहायक होता है।

  • विटामिन सी चर्बी को घटाने वाले एक महत्वपूर्ण तत्व कार्निटाईन का निर्माण करता है।

इसकी कमी से आगे लिखे रोग हो जाते हैं…

  • हड्डियों का कमजोर हो जाना
  • मसूढ़ों में दांतों की जड़ें कमजोर पड़ जाना
  • मसूढ़े सूज जाना
  • दांतों के रोग
  • पायरिया
  • मसूढ़ों से खून आना
  • खून कमजोर हो जाना
  • स्कर्वी रोग (SCURVY)
  • रक्तचाप
  • त्वचा में नीले धब्बे पड़ जाना
  • रक्तस्राव
  • कोई घाव होने पर अधिक समय तक खून आना
  • मुख पीला
  • श्वास में दुर्गन्ध आना
  • नजला, जुकाम, सर्दी, निमोनिया आदि रोगों का बार-2 हो जाना
  • काम करने की शक्ति घट जाना
  • थोड़ा सा काम करने पर थक जाना
  • जवानी में बूढ़ा हो जाना

स्रोत : आँवला, नीम्बू, पालक, सन्तरा व टमाटर।


विटामिन डी (Calciferol-vitamin in hindi)

शरीर के भीतर फॉस्फेट व कैल्शियम जैसे खनिजों की क्रियाओं के लिये विटामिन डी आवश्यक है।

  • यह शरीर में कैल्शियम के संतुलन को ठीक रखता है तथा अन्य प्राकृतिक खाद्य तथा लवण के समीकरण में सहायक होता है।
  • इसका शरीर में सुंदरता, आकृति में संतुलन, दांतों की सफेदी व मजबूती, हाथ-पांव की सुंदरता व छाती का चौड़ापन आदि के निर्माण में बहुत महत्वपूर्ण योगदान है।vitamin in hindi

दांत व शरीर की अन्य हड्डियों का स्वास्थ्य इस पर ही निर्भर करता है।

  • सूखे के रोग में उपयोगी है।
  • स्नायुओं को आराम देने में सहायक होता है।

अन्य इसकी कमी से आगे लिखे रोग हो जाते हैं…

  • कब्ज
  • संक्रामक रोग
  • फेफड़ों के रोग
  • रोग प्रतिरोधक कमजोर पड़ जाना
  • कैल्शियम व फास्फोरस का पूर्ण उपयोग न होने के कारण रक्त कमजोर रहना
  • रिकेट (सूखे का रोग)
  • स्नायु कमजोर पड़ जाना
  • दांतों में कीडा लग जाना
  • शरीर की हड्डियों का टेढा-मेढा हो जाना

स्रोत : दूध, मक्खन, घी व अण्डा व् सूर्य की किरणों से भी प्राप्त होता है 

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विटामिन ई -टोकोफेरोल-Tocopherol

प्रजनन अंगों की वृद्धि व संतानोत्पत्ति के लिये इसकी आवश्यकता होती है। साधारण वृदि विकास व पीयूष ग्रन्थि (Pituitary Glands) के लिये भी यह आवश्यक है।

  • ये लोहा के समीकरण (Assimilation) में भी सहायक है।
  • यह ऊँचे तापक्रम पर भी नष्ट नहीं होता परन्तु खराब तेल में साधारण तापक्रम पर भी नष्ट हो जाता है।
  • यह खून की कमी को दूर करता है।

विटामिन ई के अभाव से होने वाले रोग निम्नलिखित हैं…

  • नसों में शुक्राणुओं तथा स्त्रियों में डिम्ब के स्वस्थ विकास में अवरोध
  • नपुंसकता
  • समय से पूर्व प्रसव होना
  • स्त्रियों में बन्ध्यत्व
  • सन्तानोत्पादक शक्ति में कमी
  • गर्भावस्था में गडबड
  • मानसिक शक्ति में कमी

स्रोत : दूध, गेहूँ, मांस व अण्डे 


विटामिन के – Phylloquinone (vitamin in hindi)

यह क्त-स्राव विरोधी विटामिन है।

  • इस विटामिन को बच्चे के जन्म से दो सप्ताह पूर्व गर्भवती महिला को अवश्य देना चाहिये।

इस विटामिन के अभाव से इस तरह के रोग हो जाते हैं…

  • रक्तस्राव
  • स्कर्वी की तरह त्वचा के नीचे मांसपेशियों के अंदर रक्तस्राव
  • उदर में रक्तस्राव
  • बच्चों में इस की कमी से रक्तस्राव आरम्भ होने से मृत्यु तक हो जाती है।

स्रोत : हरी सब्जियां, गाजर, सोयाबीन का तेल, मूंगफली, चावल व् व्हीट ग्रास इस विटामिन का भण्डार है।


विटामिन यू – पेट की झिल्लियों को सुरक्षा देने वाला पोषक पदार्थ है।

स्रोत : ताजी सब्जियां तथा पत्ता गोभी।


विटामिन चार्ट (vitamin in hindi)

1.विटामिन A – नाम रेटिनोल- रासायनिक नाम 600 mcg-Recommended Daily Intake 
2.विटामिन B 1थायमिन1.4 mg
3.विटामिन B 2राइबोफ्लेविन 1.6 mg
4.विटामिन B 3  नियासिन18 mg 
5.विटामिन B 5 पैंटोथैनिक एसिड 6 mg 
6.विटामिन B 6  पायरीडॉक्सिन2 mg 
7.विटामिन B 7  बायोटिन30 mcg 
8.विटामिन B 9  फोलिक एसिड या फोलेट400 mcg 
9.विटामिन B12  साइनोकोबालामिन6 mcg
10.विटामिन C   एस्कोरबिक एसिड75 mg
11.विटामिन D  कैल्सीफिरौल5 mcg 
12.विटामिन E   टोकोफीरोल10 mg
13.विटामिन K  फिलोक्वीनोन80 mcg

Vitamin की कमी होने के कारण

मानव शरीर में विटामिंस की कमी के अनेकों कारण हैं इनमें से जो प्रमुख हैं वह इस प्रकार हैं जैसे कि…

1. सही आहार का सेवन ना करना…

विटामिन का मुख्य स्त्रोत पौष्टिक आहार है जो लोग अपने आहार में हरी पत्तेदार सब्जियों तथा फलों का सेवन प्रतिदिन सही मात्रा में नहीं करते ऐसे लोगों में अलग-अलग प्रकार के विटामिंस की कमी हो जाती है जिसके कारण अनेक प्रकार के रोग उस व्यक्ति को घेर लेते हैं

2.  मालअब्जॉर्प्शन सिंड्रोम (Malabsorption syndrome)

यह एक प्रकार की शारीरिक विकृति है जिसमें खाए हुए आहार का छोटी आंत में सही से अवशोषण (Absorption) नहीं होता जिस कारण अनेक प्रकार के विटामिन तथा खनिजों की कमी पीड़ित व्यक्ति में हो जाती है

3. अन्य प्रकार के शारीरिक रोग…

अनेक प्रकार की शारीरिक समस्याएं खासकर आंतों से जुड़े हुए रोग जैसे क्रॉन रोग (Crohn disease), ग्लूटेन एंटरोपैथी (Celiac disease), यकृत (Liver diseases) से जुड़ी समस्याएं, पाचन संस्थान के रोग इत्यादि में भी कई प्रकार के विटामिंस की कमी मानव शरीर में हो सकती है

4. सूरज की धूप मे ना निकलना…

एनसीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में 50% से ज्यादा आबादी में विटामिन डी की कमी पाई गई है जिसका प्रमुख कारण सूरज की धूप का हमारी त्वचा के साथ पर्याप्त संपर्क की कमी है 

ऐसा इसलिए है क्योंकि सूरज की किरणों से हमारे खून में विटामिन डी का निर्माण होता है इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को दिन में थोड़े समय के लिए सूर्य के प्रकाश मे जरूर टहलना चाहिए

5. उम्र तथा जेंडर…

विटामिन डी की कमी का कारण उम्र से भी जुड़ा है यह देखा गया है कि स्तनपान कराने वाली महिलाएं, गर्भवती स्त्रियां तथा बच्चों में विटामिन की कमी का जोखिम अन्य की तुलना में ज्यादा होता है


Vitamin की कमी के सामान्य लक्षण (vitamin in hindi)

वैसे तो शरीर में अलग-अलग प्रकार के विटामिन की कमी के लक्षण अलग-अलग होते हैं फिर भी सामान्य लक्षण जो पीड़ित व्यक्ति में दिखाई देते हैं वह इस प्रकार हैं जैसे कि…

1. मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले लक्षण जैसे…

  • मानसिक अवसाद
  •  एंजाइटी
  • भावनात्मक तौर पर कमजोर होना
  • अत्याधिक चिड़चिड़ापन
  • हिंसात्मक प्रवृत्ति का बढ़ जाना
  • मन का अशांत रहना
  • मानसिक एकाग्रता में कमी होना इत्यादि 

2. शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले लक्षण जैसे कि…

  • हड्डियों का कमजोर पड़ना (ओस्टियोमलेशिया)
  • स्कर्वी रोग होना- मसूड़ों में सूजन या उनमें से खून आना, दांतो का कमजोर होना इत्यादि
  • खून की कमी (एनीमिया)
  • भूख कम लगना
  • नसों का कमजोर होना
  • शारीरिक विकास में गिरावट होना
  • पैलाग्रा रोग होना- नियासिन की कमी के कारण होने वाली विकृति जैसे कमजोरी, पेटदर्द, भूख की कमी इत्यादि
  • आंखों से कम दिखना
  • आंखों में खुश्की का बढ़ना तथा रड़क महसूस होना
  • रिकेट्स की बीमारी जिसमें हड्डियां कमजोर तथा नरम पड़ने लगती हैं
  • मुंह में छाले होना
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी होना
  • पैरों के तलवों से सेक निकलना
  • न्यूरोपैथी की समस्या होना
  • बालों का झड़ना तथा समय से पहले सफेद होना इत्यादि
  • त्वचा संबंधी समस्याएं होना
  • नींद ना आना

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मल्टीविटामिन सप्लीमेंट्स के फायदे (vitamin in hindi)

शरीर की ऐसी स्थितियां जिसमें कई बार आहार से पर्याप्त मात्रा में विटामिन तथा खनिज पदार्थ शरीर को नहीं मिलते ऐसी स्थिति में विटामिन सप्लीमेंट्स जोकि टेबलेट, कैप्सूल, पाउडर, पैकेट इत्यादि के रूप में मेडिकल स्टोर्स पर उपलब्ध है 

उनके सहारे विटामिन की कमी को पूरा भी किया जा सकता है तथा स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए जितनी मात्रा में इन खनिजों तथा विटामिन की जरूरत प्रतिदिन शरीर को होती है उसे भी इन सप्लीमेंट्स की सहायता से पूरा किया जा सकता है 

यह सप्लीमेंट्स किसी भी प्रकार की हानि नहीं करते परंतु ध्यान देने वाली बात यह है कि जरूरत से ज्यादा मात्रा में सेवन करने से यह सप्लीमेंट्स आपके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव भी डाल सकते हैं 

  • इसलिए सेवन से पहले अपने चिकित्सक से सलाह मशवरा करना बहुत जरूरी है

बाकी किसी भी व्यक्ति की उम्र, लिंग के आधार पर इन सप्लीमेंट्स की मात्रा अलग अलग हो सकती है यहां कुछ महत्वपूर्ण विटामिन सप्लीमेंट्स के बारे में जरूरी जानकारी आपको दी जा रही है


कैल्शियम तथा विटामिन डी सप्लीमेंट्स

ऐसे सप्लीमेंट्स का प्रयोग हड्डियों को मजबूत करने के लिए तथा अनेक प्रकार के रोगों से बचाने के लिए खासकर उन लोगों में किया जाता है जिनके शरीर में कैल्शियम तथा विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा में कमी होती है

इसके लिए कैल्शियम तथा विटामिन डी की गोलियां आसानी से उपलब्ध हो जाती है आप अपने चिकित्सक की सलाह अनुसार इन्हें शुरू कर सकते हैं


फोलिक एसिड सप्लीमेंट्स

इस प्रकार के विटामिन सप्लीमेंट का प्रयोग खासकर गर्भवती स्त्रियों में गर्भ में पल रहे बच्चे को अनेक प्रकार की मस्तिष्क संबंधी बीमारियों जैसे न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट इत्यादि से बचाने के लिए किया जाता है

इसके अलावा जिन व्यक्तियों मे खून की कमी पाई जाती है ऐसे लोगों को आयरन के साथ फोलिक एसिड के सेवन की सलाह डॉक्टरों द्वारा दी जाती है 

इनका सही सेवन करने से कुछ ही दिनों में रक्त में बढ़ोतरी होनी शुरू हो जाती है


विटामिन सी सप्लीमेंट का प्रयोग

खासकर त्वचा रोगों से पीड़ित, मुंह में छाले, मसूड़ों में से खून आना इत्यादि समस्याओं से ग्रसित व्यक्तियों को विटामिन सी सप्लीमेंट बहुत फायदा करता है


विटामिन ए सप्लीमेंट का प्रयोग

जिन लोगों को आंखों की समस्याएं जैसे आंखों में खुश्की का बढ़ना, आंखों में जलन, दृष्टि कमजोर होना, आंखों में रड़क पडते रहना इत्यादि समस्याओं से पीड़ित व्यक्तियों के लिए विटामिन ए सप्लीमेंट का प्रयोग बहुत ही लाभकारी है


बायोटीन सप्लीमेंट का प्रयोग- किस विटामिन की कमी से हेयर फॉल होता है

जिन व्यक्तियों के बाल समय से पहले ही झड़ने, सफेद होने व कमजोर हो जाते हैं ऐसे लोगों के लिए बायोटीन सप्लीमेंट जो कि एक विटामिन है बहुत ही फायदेमंद है 

इसका सेवन 2 से 3 महीने लगातार करने से ऐसी समस्याओं में बहुत लाभ होता है

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विटामिन ई सप्लीमेंट का प्रयोग

शुक्राणुओं की कमी या बांझपन इत्यादि की समस्या जिन स्त्रियों या पुरुषों में रहती है उनकी इस समस्या को दूर करने के लिए विटामिन ई सप्लीमेंट्स का सेवन बहुत फायदा करता है इसके लिए विटामिन ई के कैप्सूल मार्केट में उपलब्ध है जिनका सेवन 3 से 6 महीने लगातार निर्धारित मात्रा में किया जा सकता है


मल्टीविटामिन सप्लीमेंट के फायदे (vitamin in hindi)

जो व्यक्ति शारीरिक तथा मानसिक रूप से कमजोरी महसूस करते हैं

  • ऊर्जा की कमी हमेशा बनी रहती है
  • जल्दी थक जाते हैं
  • किसी भी कार्य को करने की हिम्मत नहीं होती
  • मामूली वायरल इन्फेक्शन से जल्दी बीमार पड़ जाते हैं
  • हाथों पैरों में दर्द रहता है
  • मानसिक एकाग्रता में कमी रहती है
  • सेक्स पावर कमजोर हो जाती है
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है

ऐसे व्यक्तियों के लिए मल्टीविटामिन सप्लीमेंट्स जोकि कैप्सूल या टेबलेट के रूप में उपलब्ध है इनका सेवन प्रतिदिन 4 से 6 महीने तक लगातार करने से शरीर को बहुत फायदा होता है

ऐसा इसलिए है क्योंकि मल्टीविटामिन सप्लीमेंट्स में सभी प्रकार के जरूरी विटामिंस जिनका वर्णन ऊपर किया गया है वह सारे के सारे बढ़िया मल्टीविटामिन सप्लीमेंट में मौजूद रहते हैं बस ध्यान देने वाली बात यह है कि जब भी आप किसी भी मल्टीविटामिन को खरीदें तो हमेशा बढ़िया ब्रांडेड कंपनी का ही प्रोडक्ट ले

उदाहरण के तौर पर आजकल बाजार में अनेक प्रकार के बहुत ही बढ़िया क्वालिटी के मल्टी विटामिन सप्लीमेंट्स उपलब्ध हैं जिनके कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं आप इन्हें ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं

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विटामिन की खोज (vitamin in hindi)

विटामिन का नाम   रासायनिक नामखोज का वर्ष
विटामिन A Retinol 1909
विटामिन B-1  Thiamine1912
विटामिन C  Ascorbic acid1912
विटामिन D  Cholecalciferol, Ergocalciferol1918
विटामिन B-2  Riboflavin1920
विटामिन E  Tocopherol,Tocotrienol1922
विटामिन -12  Cyanocobalamin, Methylcobalamin, Hydroxocobalamin1926
विटामिन K  Phylloquinone,Menaquinones1929
विटामिन B-5  Pantothenic Acid1931
विटामिन B-7  Biotin 1931
विटामिन B-6   Pyridoxine1934
विटामिन B-3  Niacin, Niacinamide1936
विटामिन B-9  Folic Acid, Folinic Acid1941

विटामिंन की कमी से होने वाले रोग चार्ट (vitamin in hindi)

क्रामंक विटामिन      कमी से होने वाले रोग
1विटामिन A रतौंधी, Night Blindness, Xerophthalmia, Xerosis 
2विटामिन B1 बेरी बेरी
3विटामिन B2 आंखों में लालीपन, त्वचा का फटना
4विटामिन B3 चमड़ी के रोग, बालों का सफेद होना
5विटामिन B5  पैलग्रा, Pellagra
6विटामिन B6 एनीमिया, चमड़ी रोग
7विटामिन B7 बालों का झड़ना, लकवा
8विटामिन C स्कर्वी (Scurvy) 
9विटामिन D रिकेट्स, ओस्टियोमलेसिया
10विटामिन E प्रजनन शक्ति में कमी (Infertility)
11विटामिन K रक्त का थक्का ना बनना (Clotting Disorders) 

खनिज लवण (Minerals)

शरीर की शुद्धि, रचना तथा वृदि के लिये लवणों की भी आवश्यकता है। अन्य खाद्य पदार्थों के समीकरण के लिये भी ये आवश्यक हैं। इनके बिना शरीर के किसी तन्तु का कोई कार्य नहीं चल सकता

इनकी सहायता के बिना शरीर की कोई ग्रन्थि पाचन तंत्र का कोई हिस्सा तथा पाचक रस स्राव आदि कोई भी अवयव रक्त संचार तथा मस्तिष्क सम्बन्धी कोई भी कार्य ठीक प्रकार से नहीं कर सकता।

खनिज लवण भोजन को स्वादिष्ट बनाते हैं। ये शरीर की शक्ति को बनाये रखने के लिये भी आवश्यक हैं। फास्फोरस व कैल्शियम के लवण अस्थियों और दांतों के बनाने में भी सहयोग करते हैं। सोडियम तथा लोहे के लवण रक्त की संरचना में सहायक हैं।

खनिज लवण हड्डियों को मजबूत बनाते हैं और नस-नाड़ियों के प्रवाह को सुचारू करते हैं। कुछ मिनरल्स हारमोन्स बनाने या हृदय गति को साधारण करने का कार्य भी करते हैं।


Minerals-खनिज लवणों के प्रकार 

मिनरल दो प्रकार के होते हैं –

मैक्रो मिनरल तथा ट्रेस मिनरल-

  • मैक्रो मिनरल समूह कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, सोडियम, पोटैशियम, क्लोराईड और सल्फर से निर्मित होता है।
  • ट्रेस मिनरल में लौह, मैग्नीस, कॉपर, आयोडीन, जिंक, कोबाल्ट, फ्लोरायड और सैलेनियम सम्मिलित होता है।

मैग्निशियम, सोडियम, लोहा, कैल्शियम, फास्फोरस, आयोडीन, पोटाशियम, तांबा, क्लोरीन, सिलिकन आदि आवश्यक प्राकृतिक खनिज लवण हैं। यहाँ इनका विवरण दिया गया है…

मैग्निशियम (Magnesium)

इसका चिकनाई के उपयोग में सहयोग मिलता है। इसकी कमी से थकान, मस्तिष्क की कमजोरी, पाचन में अनियमितता, चिड़चिड़ापन, स्नायु–कमजोरी, हृदय गति की तीव्रता, शारीरिक वृद्धि में कमी होती है।

स्रोत : दूध, पत्तेदार हरी सब्जियां, मटर, फलियां, सिंघाडा व अन्नकणों से यह पर्याप्त मात्रा में प्राप्त हो जाता है।


सोडियम (Sodium)

भोजन में सोडियम का बहुत महत्व है। यह प्रोटीन के पाचन के लिये आवश्यक है। बहुत से लवणों के घुलने के लिये भी इसकी आवश्यकता है। क्लोरीन का साथ होने से इसका महत्व है। इसकी कमी से वजन कम होना, नमक की भूख की गड़बड़ी, नाड़ी-विकार, शरीर में पानी का असंतुलन. साधारण कमजोरी जैसे समस्यायें हो जाती हैं।

स्त्रोत: हरी पत्तेदार सब्जियों, पालक, मूली, शलजम, चना, रोज़ खाये जाने वाले फल, सभी तरह के अन्न एवम छिलके

वाली दालें।


लोहा (iron)

भोजन में लोहा एवम् तांबा एक साथ ही होता है। लोहे के समीकरण हेतू भोजन में क्लोरोफिल तथा तांबे का होना जारी है।

  • यह ऑक्सीजन को एक स्थान से दूसरे स्थान तक लेजाने वाली हीमोग्लोबिन बनाने, तन्तुओं की श्वास-प्रश्वास प्रक्रिया का विकास करने हेतू सहायक है।
  • रक्त की कमी, पीलिया तथा पाचन सम्बन्धी समस्याओं को दूर करता है।

इसकी कमी से जीवन-शक्ति की कमी, रक्त की कमी, कमजोरी, रक्त कणों का कम होना, हीमोग्लोबिन की कमी, लालरक्तकणों की कमी आदि रोग हो जाते हैं।


कैल्शियम (Calcium)

रक्त के संतुलन को बनाये रखने के लिये तथा हडिडयों को मजबूत बनाने के लिये कैल्शियम की आवश्यकता होती है।

  • इसकी कमी से हड्डियों व दांतों का विकास नहीं होता। दांत सड़ने लगते हैं, हड्डियां लचीली हो जाती हैं, सूखे का रोग (रिकेट्स) हो जाता है, स्नायुओं में कमजोरी आ जाती है, पेशियों में फडफडाहट व कठोरपना हो जाता है।

भ्रूण के विकास एवम् निर्माण के लिये कैल्शियम की बहुत अधिक आवश्यकता होती है। इसलिये गर्भवती महिलाओं के लिये यह अत्यन्त अनिवार्य है।

स्रोत : दूध, गाजर, फूलगोभी, पत्तागोभी, शलजम, हरी व पीली सब्जियां, अजवाईन, चुकन्दर, नीम्बू, संतरा, मौसमी, सिंघाड़ा, बादाम, मसर, अंजीर, अन्न कण के चोकर। नोट – आधा लीटर दूध से 68 ग्राम कैल्शियम प्राप्त हो जाता है। तिल व व्हीट ग्रास कैल्शियम के भण्डार हैं।


फास्फोरस (Phosphorus)

यह शरीर के कोशों को ताकत देता है, कैल्शियम के साथ हडिडयों व दांतों तथा स्नायु-तंत्र को मजबूत करता है।

  • इसकी कमी से शरीर का, हड्डी एवम् दांत का उचित विकास नहीं हो पाता। वजन कम हो जाता है। सूखे का रोग हो जाता है। साधारण कमजोरी की अनुभूति होती है।

स्रोत : फलियां, सम्पूर्ण अन्न कण, दूध, सिंघाड़ा, काष्ठ फल, हल्दी तथा हरी सब्जियां।

नोट – फास्फोरस के साथ कैल्शियम अवश्य होता है।


आयोडीन (Iodine)

चुल्लिका ग्रन्थि (थायरोयड ग्लैंड) को स्वस्थ रखने के लिये इसकी आवश्यकता होती है। इसी चुल्लिका ग्रन्थि से शरीर की सारी क्रियायें प्रभावित होती हैं।

  • यह बुद्धि को तेज करता है। मोटापे और घेंघा रोग (गला सूजने का रोग) से बचाता है।

चिकनाई तथा प्रोटीन की ऑक्सीजन के लिये आवश्यक है। इसकी कमी से चुल्लिका ग्रन्थि का विकास रुक जाता है। घेंघा रोग हो जाता है। गले की थोड़ी सी सूजन को भी ध्यान से देखना चाहिये और उसे दूर करने के लिये आयोडीन युक्त आहार लेना चाहिये।

स्रोत- प्रत्येक प्रकार के अन्नकण, जल में उत्पन्न होने वाले खाद्य पदार्थ (जैसे सिंघाड़ा, कमलगट्टा, मखाना आदि), हरी सब्जियां, काष्ठ फल, हरी सब्जियां।


पोटाशियम (Potassium)

यकृत तथा मांसपेशियों में ग्लाइकोजन के निर्माण में इसका अत्यन्त महत्व है। इससे पेशियों व तन्तुओं में लचीलापन आ जाता है। यह शरीर में अम्लता का संतुलन बना कर रखता है।

  • मस्तिष्क तथा लाल रक्त कणिकाओं के लिये अत्यन्त आवश्यक है। स्नायु-तंत्र को शक्तिशाली बनाता है। यह शरीर में जमा विष को बाहर निकालता है। इसकी कमी से विकास की दर धीमी होती है, कब्ज, वायु-सम्बन्धी रोग, स्नायुविक रोग, आलस तथा अनिद्रा के रोग होते हैं।

स्रोत- पत्तेवाली हरी सब्जियां, अन्न कण, काष्ठ फल।


क्लोरीन (Chlorine)

यह शरीर की सफाई करता है। रक्त को शुद्ध करता है तथा गंदगी को बाहर निकालता है। इसकी कमी से पाचन में खराबी, मासिक स्राव सम्बन्धी रोग, शरीर में पानी को रोकने की कमी आदि रोग हो जाते हैं।

स्रोत – हरी सब्जियां, दूध, अन्न कणों व काष्ठ फलों में पाया जाता है। क्लोराईड के रूप में सभी खाद्य पदार्थों में पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।


सिलिकन (Silicon)

यह तन्तुओं व् त्वचा को लचीला बनाता है।

  • बालो को काला करन तथा बड़ा करने में सहायक होता है। इसकी कमी से शरीर का विकास रूक जाता है बाल सफेद होने लगते हैं। छोटी आँतों की पोषण शक्ति की कमी हो जाती है।

स्त्रोत – हरी सब्जियां, समस्त अन्न कण, आंवला तथा अन्य सभी फल।

लवण एवम् प्रोटीन दोनों का काम शरीर को सुंदरता प्रदान करना है। लोहे और कैल्शियम की कमी से जब शरीर में खून की कमी हो जाती है तो पूरे शरीर की कान्ति समाप्त हो जाती है और शरीर पीला पड़ जाता है। शरीर में लोहा और कैल्शियम भरपूर मात्रा में हो तो शरीर और चेहरे पर लाली रहती है।


खनिज लवण चार्ट 

क्रम नाम कमी से होने वाले रोग जरूरी दैनिक मात्रा
1मैग्निशियम (Magnesium)चिडचिडापन, कमजोरी, Tetany, Growth FailureMen- 420 MG

Women- 320 MG

2सोडियम (Sodium)शरीर मे पानी की कमी, अत्यधिक कमजोरी 2300 MG
3

लोहा (iron)

खून की कमी (Anemia)Men- 8 MG

Women- 18 MG

4कैल्शियम (Calcium)हड्डियाँ कमज़ोर होना, शरीर की वृद्धि रुकना 1000 MG
5

फास्फोरस (Phosphorus)

दांतों की कमजोरी, कमज़ोर हड्डियाँ 700 MG
6आयोडीन (Iodine)घेंघा रोग (Goitre)150 MCG
7

पोटाशियम (Potassium)

मांसपेशियों मे कमजोरी, लकवा 4700 MG
8क्लोरीन (Chlorine)शारीरिक कमजोरी 2300 MG
9सिलिकन (Silicon)नाख़ून, त्वचा तथा बालो की कमजोरी 5 से 20 MG
10 ताम्बा (Copper)खून की कमी, Pancytopenia, Ataxia900 MCG

FAQ (vitamin in hindi)

Q सबसे महत्वपूर्ण विटामिंस कौन से हैं?

A शारीरिक सुरक्षा की दृष्टि से देखा जाए तो सभी प्रकार के 13 विटामिंस पूरे महत्वपूर्ण है 

फिर भी प्रमुख रूप से विटामिन ए, विटामिन डी, विटामिन सी, विटामिन बी, विटामिन के सबसे ज्यादा महत्त्व रखते हैं


Q क्या विटामिंस को हर दिन लेना सुरक्षित है?

A जी हां, मेडिकल रिकमेंडेशन के अनुसार जो मात्रा विटामिंस की निर्धारित की गई है 

ऐसी मात्रा का सेवन प्रतिदिन करने से कोई भी नुकसान शरीर को नहीं होता बल्कि जरूरत से ज्यादा मात्रा में विटामिंस का सेवन शरीर के लिए हानिकारक है


Q क्या एक बार में सभी विटामिंस लेना संभव है?

A अगर आप संतुलित आहार खा रहे हैं जिसमें हरी पत्तेदार सब्जियां, दूध तथा फल पर्याप्त मात्रा में मौजूद हो ऐसे आहार से लगभग सभी प्रकार के जरूरी विटामिन शरीर को मिल जाते हैं 

बाकी मल्टीविटामिन सप्लीमेंट के सेवन से भी सारे प्रकार के विटामिंस की पूर्ति की जा सकती है


Q क्या वास्तव में विटामिन शरीर के लिए जरूरी है?

A जी हां, विटामिंस शरीर के लिए बहुत ही जरूरी होते हैं इनकी पर्याप्त मात्रा का अभाव मनुष्य शरीर को कई प्रकार की बीमारियों से ग्रसित कर देता है 

इसलिए संतुलित आहार जिसमें सभी तरह के विटामिन तथा खनिज लवन इत्यादि शामिल हो उसका सेवन प्रत्येक व्यक्ति को करना चाहिए


Q क्या मल्टीविटामिन सप्लीमेंट सुरक्षित होते हैं?

A जी हां, अगर आहार से आपके शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन नहीं मिल रहे तो ऐसी स्थिति में प्रतिदिन मल्टीविटामिन कैप्सूल या गोली का सेवन करना बिल्कुल सुरक्षित है 

हां, अगर आप जरूरत से ज्यादा मात्रा में इन सप्लीमेंट्स का प्रयोग करते हैं तो यह आपकी सेहत के लिए नुकसानदेह भी हो सकता है


Q क्या अपनी मर्जी से मल्टीविटामिन टेबलेट लेना सही है?

A जी नहीं, मल्टीविटामिन टेबलेट को शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है अन्यथा जरूरत से ज्यादा विटामिंस की मात्रा आपके शरीर के लिए हानिकारक हो सकती है


Q सबसे बढ़िया मल्टीविटामिन टेबलेट कौन सी है?

A इसका उत्तर देना थोड़ा कठिन है मार्केट में उपलब्ध किसी भी बढ़िया कंपनी की मल्टीविटामिन टेबलेट या कैप्सूल बढ़िया ही होता है 

उदाहरण के तौर पर टेबलेट जिंकोविट, कैप्सूल Absolute, टेबलेट सुप्राडिन, कैप्सूल कोबाडेक्स फोर्ट इत्यादि बढ़िया मल्टीविटामिन सप्लीमेंट्स है


Q क्या आयुर्वेदिक दवाइयों में भी मल्टीविटामिन सप्लीमेंट्स उपलब्ध है?

A अनेक प्रकार के आयुर्वेदिक ताकत के प्रोडक्ट जैसे मूसली पाक, अश्वगंधा पाक, क्रौंच पाक इत्यादि में भी लगभग सभी प्रकार के विटामिन तथा खनिज मौजूद रहते हैं 

इनका सेवन करने से भी शरीर को बहुत फायदा मिलता है


Q क्या मल्टी विटामिन सप्लीमेंट्स बच्चों को देना सुरक्षित है?

A जी हां जरूरत पड़ने पर डॉक्टरों के द्वारा कई प्रकार के विटामिन सप्लीमेंट जैसे सिरप जिंकोविट syrup, बीकासूल या हेल्थ ओके सिरप का इस्तेमाल बच्चों में किया जाता है परंतु यह डॉक्टर की सलाह अनुसार ही करना चाहिए


निष्कर्ष (vitamin in hindi)

स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए तथा रोगी व्यक्ति के रोग को दूर करने के लिए मानव शरीर में पर्याप्त मात्रा में विटामिन तथा खनिजों का होना बहुत ही जरूरी है 

  • वैसे तो संतुलित आहार का सेवन करने से लगभग सभी प्रकार के विटामिन तथा खनिज मानव शरीर को मिल जाते हैं परंतु फिर भी चिकित्सा की दृष्टि से मल्टीविटामिन सप्लीमेंट्स का इस्तेमाल करना बहुत ही बढ़िया विकल्प है
  • आपको अपने आहार में प्रतिदिन हरी पत्तेदार सब्जियों तथा फलों को जरूर शामिल करना चाहिए 

इसके साथ साथ इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि सब्जियों को सलाद के रूप में खाने से विटामिन तथा खनिजों की सही मात्रा शरीर को मिलती है 

  • ज्यादा पकाने से यह विटामिन नष्ट होने का खतरा बना रहता है

बाकी प्रतिदिन थोड़े समय के लिए सूर्य की रोशनी में टहलना भी जरूरी है इससे पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी का संश्लेषण रक्त में होता है 

अगर आपको आपके शरीर में किसी भी प्रकार के लक्षण जैसे नजर का कमजोर होना, अत्यधिक कमजोरी महसूस, करना पैरों में से सेक निकलना, शरीर में ऊर्जा का अभाव महसूस होना इत्यादि महसूस हो तो ऐसी स्थिति में अपने डॉक्टर से सलाह मशवरा कर विटामिन की कमी के कारणों का सही से निदान कर उसका समाधान करना चाहिए

मैंने यहां पर एक चिकित्सक होने के नाते vitamin in hindi के बारे में पूरे विस्तार से बताया है आप इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ें तथा आगे शेयर करें बाकी मैंने बढ़िया मल्टीविटामिन सप्लीमेंट्स के लिंक्स भी ऊपर दिए हैं आप इनको अपनी इच्छा अनुसार ऑनलाइन भी सकते हैं


Disclaimer (vitamin in hindi)

इस post में दी गई दवाइयों की जानकारी आपको या आपके द्वारा किसी और को खुद से (Self medication) अपनी मर्जी से दवा लेने की सलाह नहीं देती है

  • किसी भी प्रकार की स्थिति में कोई भी medicine लेने से पहले अपने doctor से परामर्श अवश्य करें

यदि कोई व्यक्ति इस post को पढ़कर खुद से किसी दवा का इस्तेमाल करता है तो ऐसी स्थिति में किसी भी प्रकार के नुकसान के लिए वह खुद ही जिम्मेदार होगा धन्यवाद


vitamin in hindi: Information compiled by– Dr. Vishal Goyal BAMS (Bachelor in Ayurvedic Medicine and Surgery) M.D.(A.M.)

Mail me at– [email protected]


सन्दर्भ (vitamin in hindi)-

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2666480/- vitamin d osteomalacia study

https://eyewiki.aao.org/Xerophthalmia- vitamin A study

https://medlineplus.gov/ency/article/000339.htm- vitamin b 1 def cause beri beri

https://www.healthline.com/health/biotin-hair-growth- biotin vs hairfall

https://www.nhs.uk/conditions/scurvy/- vitamin c study

https://www.health.ny.gov/publications/1335/folic acid to prevent birth defects

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK536983/- vitamin k prevent bleeding diseases in newborns

https://www.thyroid.org/iodine-deficiency/- iodine for thyroid functioning

https://my.clevelandclinic.org/health/diseases/22722-malabsorption- malabsorption synd. causes vitamin deficiency


 

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