what is psoriasis in hindi: सोरायसिस त्वचा का बहुत अधिक परेशान करने वाला एक रोग है इस रोग में त्वचा के ऊपर लाल रंग के धब्बे तथा उनके ऊपर सफेद या चांदी के रंग की पर्पटी (Silvery scales) बनने लगती है
सोरायसिस मुख्य रूप से पीड़ित व्यक्ति की खोपड़ी की त्वचा (Scalp), कोहनी (Elbow) तथा घुटनों (Knee) को प्रभावित करता है परंतु यह रोग धीरे-धीरे पूरे शरीर पर फैल जाता है
- सोरायसिस रोग में त्वचा की कोशिकाएं बहुत तेजी से बढ़ने लगती हैं तेजी से त्वचा की कोशिकाओं के निर्माण के कारण त्वचा की कई परते (Multiple skin layers) बन जाती हैं
सोरायसिस (psoriasis meaning in hindi) रोग समय के साथ अपने आप ही घटता या बढ़ता रहता है सोरायसिस को छाल रोग भी कहा जाता है इस बीमारी का आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में अभी तक कोई भी पक्का या सफल इलाज नहीं है
- परंतु आयुर्वेद चिकित्सा के अनुसार इस रोग का मुख्य कारण व्यक्ति के गलत खानपान तथा गलत जीवनशैली से जुड़ा है
आधुनिक चिकित्सा विज्ञान सोरायसिस को इम्यून सिस्टम से जुड़ी हुई बीमारी मानता है
अपनी जीवन शैली तथा आहार विहार में परिवर्तन कर व नीचे लिखे कुछ उपाय करने से इस बीमारी से काफी हद तक छुटकारा पाया जा सकता है
सोरायसिस हिंदी (Psoriasis meaning in hindi)
छाल रोग को ही सोरायसिस (psoriasis in hindi) कहते हैं यह रोग दूसरी तरह के स्किन इनफेक्शंस की तरह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता
- इस रोग को क्रॉनिक असाध्य भड़काऊ त्वचा वाला रोग माना जाता है
- त्वचा में मोटे लाल रंग के धब्बे अकेले या उनके ऊपर चांदी या सफेद रंग की पपड़ी उत्पन्न होने लगती है
- सर्दियों के दिनों में सोरायसिस से पीड़ित व्यक्ति के लक्षणों में ज्यादा वृद्धि देखने को मिलती है
सोरायसिस की बीमारी बच्चे से लेकर बूढ़े तक कैसी भी स्थिति में रहने वाले किसी भी व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति मानसिक अवसाद (Depression), चिंता (Anxiety), परेशानी आदि मानसिक रोगों का शिकार हो जाते हैं
एक अध्ययन के अनुसार यह बात भी सामने आई है कि सोरायसिस से पीड़ित मरीजों में उच्च रक्तचाप, मधुमेह, ह्रदय रोग व कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना इत्यादि समस्याएं भी आम लोगों की तुलना में ज्यादा पाई जाती है
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Causes of psoriasis in hindi- सोरायसिस क्यों होता है?
सोरायसिस क्या है?
psoriasis in hindi: सोरायसिस रोग होने का सही कारण अभी तक पूरी तरह से आधुनिक चिकित्सा विज्ञान को भी ज्ञात नहीं है
परंतु आयुर्वेद के अनुसार निम्नलिखित कारण शरीर में मौजूद रस, रक्त, मांस तथा मेद आदि धातुओं को दूषित कर अनेक प्रकार के त्वचा रोगों को उत्पन्न करते हैं जैसे कि…
- विरुद्ध आहार का सेवन करना (Incompatible food habits)- जैसे मछली के साथ दूध का सेवन करना
- गरिष्ठ आहार (Heavy meal) का सेवन ज्यादा मात्रा में करना
- मल, मूत्र व उल्टी आदि के प्राकृतिक वेगो को लंबे समय तक रोक के रखने की आदत (Long term suppression of the Emesis and other Natural Evacuatory Reflexes of the body)
- ज्यादा गर्मी से आने पर तुरंत ही ज्यादा ठंडे जल का सेवन करना
- अपचन (Indigestion)
- जरूरत से ज्यादा शारीरिक परिश्रम
- खाने में रेड मास तथा नमक आदि का ज्यादा सेवन करना
इन सभी कारणों से शरीर में कई प्रकार के विषाक्त पदार्थ (Toxic substances) उत्पन्न हो जाते हैं जोकि रक्त के माध्यम से पूरे शरीर में फेल कर सोरायसिस तथा अन्य प्रकार के त्वचा रोगों को उत्पन्न करते हैं
इनके अलावा सोरायसिस का कारण अनुवांशिक(Hereditary) भी हो सकता है
आधुनिक चिकित्सा विज्ञान सोरायसिस रोग का मूल कारण ऑटोइम्यूनिटी (Auto Immune Disorder) को मानता है अर्थात शरीर की ऐसी स्थिति जिसमें शरीर की रक्षा करने वाली इम्यूनिटी (Immunity) ही शरीर का अंदर से नुकसान करने लगती है
सोरायसिस को बढ़ाने वाले कारण (सोरायसिस हिंदी)
इसके अलावा आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के अनुसार सोरायसिस रोग को बढ़ाने (Trigger) में निम्नलिखित मुख्य कारण है जैसे कि…
- त्वचा पर होने वाले बैक्टीरियल संक्रमण (Streptococcal Infections of Skin)
- आघात या चोट (Trauma)- किसी भी प्रकार की त्वचा पर लगने वाली चोट सोरायसिस को ओर भी बढ़ा सकती है
- दवाइयों के एलर्जिक रिएक्शनस (Drug eruptions)
- Endocrine factors
- Severe Emotional Upset- ज्यादा मानसिक तनाव की स्थिति सोरायसिस को बढ़ा सकती है
- शराब तथा धूम्रपान का ज्यादा सेवन
- कई प्रकार की दवाइयों का सेवन
- गर्मियों में त्वचा पर पड़ने वाली सीधी धूप (Sun Radiations) से सोरायसिस बढ़ सकता है
सर्दियों के मौसम की शुरुआत सोरायसिस को ओर भी बढ़ा सकती है इसलिए सर्दियां शुरू होने से पहले सोरायसिस के रोगी अपनी त्वचा पर किसी भी बढ़िया कंपनी की मॉइस्चराइजर क्रीम का इस्तेमाल दिन में दो से तीन बार जरूर करें
इसके अलावा किसी व्यक्ति में उच्च रक्तचाप, मोटापा, मधुमेह, ह्रदय रोग, कोलेस्ट्रोल तथा इंसुलिन बढ़ना इत्यादि समस्याएं भी सोरायसिस के रिस्क को ओर भी बढ़ा देती है
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सोरायसिस प्रकार- types of psoriasis in hindi
सोरायसिस की स्थिति को देखते हुए आधुनिक चिकित्सा विज्ञान मे इसे चार भागों में बांटा गया है अर्थात सोरायसिस मुख्य रूप से चार प्रकार का होता है जैसे कि…
1. Plaque Psoriasis or Psoriasis Vulgaris…
इस प्रकार के सोरायसिस मे मुख्य रूप से कोहनी, घुटने, खोपड़ी, कमर का निचला हिस्सा, कानों का पिछला हिस्सा प्रभावित होते हैं
इस प्रकार के सोरायसिस में त्वचा के ऊपर लाल रंग के बेस (Base) वाले मोटे, उभरे हुए चांदी या सफेद रंग की पपड़ी (Silvery scales) वाले खुजली युक्त (Itching) धब्बे उत्पन्न हो जाते हैं
नाखूनों का रंग (Discolored Nails) भी बदलने लगता है
2. Guttate Psoriasis…
यह मुख्य रूप से बच्चों तथा किशोरावस्था के लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है
- इस प्रकार के सोरायसिस में छोटे (Small), गोल-गोल, बुंदो (Drop like) की तरह दिखने वाले धब्बे (Lesions) छाती, पेट (Trunk) तथा पीठ (Back) पर ज्यादा होते हैं
अनेक प्रकार के बैक्टीरियल संक्रमण Guttate Psoriasis की स्थिति को ओर भी बढ़ा देते हैं
3. Pustular Psoriasis…
इस प्रकार की सोरायसिस बहुत ही कम परंतु जानलेवा किस्म की होती है
- मुख्य रूप से जवान लोगों में हाथों (Palms) तथा पैरों के तलवों (Soles) पर गोल गोल, पाकयुक्त (Non infectious pus) छाले दिखाई देते हैं
प्रभावित क्षेत्र लाल रंग के चमकदार (Shiny), सूजे हुए (Inflamed), मोटे (Thick) तथा छूने पर बहुत ही दर्द (Painful) करने वाले होते हैं
Pustular Psoriasis धीरे-धीरे पूरे शरीर को अपनी जकड़ में ले लेता है
4. Inverse Psoriasis…
यह एक Immune Mediated Condition है त्वचा पर छोटे-छोटे लाल रंग के दाने (Rash) उभर आते हैं
जांघो (Groin Area) तथा बगलो (Armpits) को मुख्य रूप से प्रभावित करता है
- कोई भी पक्का उपचार नहीं है उपचार करने पर कई बार इसके लक्षण ओर भी बढ़ जाते हैं प्रभावित क्षेत्र की त्वचा का रंग फीका (Skin discoloration) तथा खुजली युक्त (Itching) होता है
ज्यादा मोटापे से ग्रस्त लोगों में मोटापे के कारण त्वचा पर ज्यादा Skin Folds बन जाते हैं ऐसे लोगों को Inverse Psoriasis ज्यादा परेशान करता है इसके अलावा अन्य तरह के सोरायसिस भी होते है जैसे कि…
बालों में सोरायसिस (सिर में सोरायसिस का इलाज- scalp psoriasis in hindi)
खोपड़ी या सिर् मे होने वाला सोरायसिस बहुत आम कंडीशन है बहुत से रोगी तथा डॉक्टर सिर की सोरायसिस को डैंड्रफ (Dandruff) के साथ Confuse करते हैं
इसके लिए ज्यादातर पीड़ित व्यक्ति लंबे समय तक डैंड्रफ की दवाइयां तथा शैंपू का इस्तेमाल करते रहते हैं ऐसा करने से सिर के सोरायसिस में ज्यादा लाभ नहीं होता
इसलिए सर्वप्रथम अगर किसी व्यक्ति के सिर में जरूरत से ज्यादा डैंड्रफ (Dandruff) है तथा अनेक प्रकार की दवाइयां का इस्तेमाल करने के बावजूद भी यह ठीक नहीं हो रहा
तो ऐसी स्थिति में अच्छे चमड़ी के डॉक्टर के द्वारा सिर के सोरायसिस तथा डैंड्रफ की अवस्था का सही से निदान करना बहुत जरूरी है
पीड़ित व्यक्ति को अपना निदान करना मुश्किल होता है इसलिए एक्सपर्ट डॉक्टर की राय लेकर इस बात को सुनिश्चित करें
- सिर के सोरायसिस का इलाज भी उसी प्रकार से किया जाता है जिस प्रकार से अन्य सोरायसिस के मामलों में वर्णित है
बस फर्क है तो सिर्फ इतना की सिर के सोरायसिस में खास किस्म के शैंपू Steroid base वाले, कोल टार (Coal Tar Shampoos)
तथा विटामिन डी के उत्पादों का प्रयोग डॉक्टरों के द्वारा अलग से किया जा सकता है
- डैंड्रफ के मुकाबले सिर के सोरायसिस में बालों का झड़ना बहुत कम होता है जबकि डैंड्रफ में बाल बहुत ज्यादा झड़ते हैं
यह सोरायसिस धीरे धीरे पूरी खोपड़ी में फैल जाता है तथा कई व्यक्तियों के माथे तथा कानों के पीछे के क्षेत्र को भी प्रभावित कर देता है इसलिए इसका सही से निदान करवा कर सही उपचार लें
palmoplantar Psoriasis…
इस प्रकार का सोरायसिस प्रमुख रूप से हाथों तथा पैरों के तलवों को प्रभावित करता है
- त्वचा में लाल रंग के धब्बे, सफेद पपड़ी, त्वचा का कटना- छिलना तथा कम खुजली होना इत्यादि लक्षण प्रमुख रूप से मिलते हैं
इसका इलाज भी अन्य प्रकार की सोरायसिस की तरह ही किया जाता है
सोरायसिस के लक्षण (Psoriasis Symptoms in Hindi)
- छोटी बिंदु के आकार से लेकर बड़े-बड़े लाल रंग के धब्बो (Lesions) का त्वचा पर होना
- Skin Folds के क्षेत्र पर खुजली तथा दर्द होना
- शरीर की संधियों (Joint pains) में पीड़ा होना
- त्वचा पर जलन (Burning sensation), लालिमा (Redness) तथा खुजली होना
- हाथों तथा पैरों के तलवों में दर्द होना
- प्रभावित क्षेत्र की त्वचा सूखी (Dryness) पड़ जाना
- त्वचा को धोने तथा सुखाने पर इसमें से सफेद रंग की पाउडर नुमा (White Sloughs) गंदगी निकलना
- प्रभावित त्वचा का कई स्थानों से कटना (Fissures) तथा छिल जाना
खोपड़ी (Scalp-सिर में सोरायसिस) की त्वचा पर सफ़ेद पपड़ी का बनना
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सोरायसिस निदान
psoriasis in hindi: सोरायसिस का सही प्रकार से निदान करने के लिए बायोप्सी टेस्ट (Biopsy test) किया जाता है
ऐसे केसों में ज्यादातर डॉक्टर सोरायसिस को सामान्य स्किन इन्फेक्शन समझ कर लंबे समय तक इसका इलाज करते रहते हैं जिसके फलस्वरूप सोरायसिस की कंडीशन ओर भी बिगड़ जाती है
इसलिए इसका सही डायग्नोज (Diagnosis) करना बहुत ही जरूरी है
सोरायसिस ट्रीटमेंट- psoriasis treatment in hindi (psoriasis ka ilaj)
आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में सोरायसिस को नियंत्रित करने के लिए नीचे लिखी गई दवाइयों का इस्तेमाल प्रमुख रूप से किया जाता है…
1. Corticosteroids –
- 1. Cream Hydrocortisone Acetate IP (ब्राण्ड naam- Cortiler Cream)
- 2. Ointment Triamcinolone Acetonide USP 0.5%- Glenmark कंपनी द्वारा निर्मित
- 3. Clobetasol Propionate Cream USP 0.05 %
- 4. Propysalic NF ointment (Clobetasol propionate and Salicylic acid)
इन क्रीमस को सोरायसिस से प्रभावित त्वचा पर दिन में एक से दो बार लगाने से बहुत आराम मिलता है
1. SORVATE OINTMENT(Calcitriol Ointment 0.0003% w/w by Glenmark
- 2. सोरवेट सी SORVATE C ointment 20 ग्रामस (Calcitriol & Clobetasol propionate ointment 0.0003 % & 0.05 % w/w) By Glenmark
इन क्रीमस का इस्तेमाल चमड़ी के डॉक्टर की सलाह अनुसार दिन में एक से दो बार त्वचा के प्रभावित क्षेत्र पर किया जा सकता है
3. Calcineurin Inhibitors…
- 1. टेक्रोज़ फोर्ट ऑइण्टमेनट – Tacroz Forte – 10 ग्राम Ointment (Tacrolimus Ointment 0.1 % w/w)
- 2. ELIDEL 30 ग्राम क्रीम (Pimecrolimus 1 %)
इन क्रीम्स का इस्तेमाल भी डॉक्टर की सलाह अनुसार दिन में एक से दो बार प्रभावित त्वचा पर किया जा सकता है
4. Tazarotene…
- टेज़रेट जैल TAZRET Gel (Tazarotene Gel 0.05 % w/w) या
- TAZRET Forte cream 0.1 %- 15 ग्राम की पैकिंग में उपलब्ध है
इन क्रीम्स की निर्माता भी Glenmark कंपनी है
इनका इस्तेमाल भी सोरायसिस से पीड़ित त्वचा पर डॉक्टर के कहे अनुसार दिन में एक से दो बार किया जा सकता है
5. Anthralin- सोरायसिस के लिए बेस्ट क्रीम
1. Psoriatec (Anthralin cream 1 % USP)
2. डेरोबिन- DEROBIN 30 ग्राम By USV (Compound Dithranol Ointment)
सोरायसिस की अंग्रेजी दवा: ऊपर लिखी प्रमुख क्रीम्स के इस्तेमाल के अलावा भी अन्य प्रकार की ओर दवाइयां तथा क्रीम्स का इस्तेमाल सोरायसिस को ठीक करने के लिए किया जाता है इनमें से प्रमुख रूप से…
1. Salicylic Acid क्रीम का इस्तेमाल…
2. Light थेरेपी
3. Cyclosporin ग्रुप की खाने वाली दवाइयां- PSORID 100 mg Capsules – इस दवा का इस्तेमाल गंभीर सोरायसिस की स्थिति में केवल डॉक्टर के द्वारा ही किया जाना चाहिए
4. एलो एक्सट्रैक्ट से बनी क्रीम्स
5. Acitretin के कैप्सूल– Capsules Glacitret 10 mg – इसका भी इस्तेमाल गंभीर सोरायसिस की कंडीशन में केवल पढ़े-लिखे डॉक्टर द्वारा ही किया जाना चाहिए
विशेष ध्यान दें…
ऊपर लिखी सारी क्रीमस तथा खाने वाली दवाइयों का प्रयोग सोरायसिस से पीड़ित व्यक्ति को केवल डॉक्टर के दिशानिर्देश अनुसार ही करना चाहिए
अन्यथा कई तरह के गंभीर दुष्परिणामों का सामना पीड़ित व्यक्ति को करना पड़ सकता है
सोरायसिस में क्या क्या नहीं खाना चाहिए ?
1. मांसाहार- सभी प्रकार के मांसाहार खासकर रेडमीट जैसे – गाय या भैंस का मांस, Pork यानि सूअर का मांस, Mutton यानि बकरे का मांस का सेवन सोरायसिस से पीड़ित व्यक्ति के लिए हानिकारक है
2. दूध तथा दूध से बने उत्पाद जैसे पनीर, दही, मक्खन इत्यादि पदार्थों का सेवन कम से कम मात्रा में सोरायसिस से पीड़ित व्यक्ति को करना चाहिए
3. बेकरी में बनने वाले उत्पाद जैसे केक, बिस्किट, पेस्ट्री इत्यादि खाद्य पदार्थों से सोरायसिस से पीड़ित व्यक्ति को दूर रहना चाहिए
4. गेहूं, ज्वार, बाजरा,जौ या गेहूं से बने हुए उत्पाद जिनमें ग्लूटेन (Gluten) की मात्रा अधिक होती है ऐसे खाद्य पदार्थ सोरायसिस पीड़ित व्यक्ति के लिए हितकर नहीं है
5. रेडीमेड पैकिंग या Can के रूप में मार्केट में उपलब्ध खाने पीने वाली चीजें जैसे कोल्ड ड्रिंक्स या अन्य प्रकार के पैकेज्ड फूड सोरायसिस के मरीज को नहीं खाने चाहिए
6. टमाटर, आलू तथा काली मिर्च का सेवन सोरायसिस पीड़ित व्यक्ति के लिए हितकर नहीं है
7. कार्बोहाइड्रेट्स यानि शुगर या चीनी का इस्तेमाल चाहे किसी भी रूप में हो जैसे मिठाईयां इत्यादि सोरायसिस पीड़ित व्यक्ति को इस्तेमाल नहीं करनी चाहिए
इसके विपरीत शहद का सेवन किया जा सकता है
सोरायसिस में क्या खाएं क्या न खाएं- सोरायसिस डाइट
8. ज्यादा तले (Fried) हुए खाद्य पदार्थ जैसे पकोड़े, समोसे, भजिया इत्यादि पदार्थ सोरायसिस पीड़ित व्यक्ति को नहीं खाने चाहिए
9. चर्बी जैसे मक्खन, मलाई या देसी घी का ज्यादा सेवन मोटापे का कारण बनता है मोटापा सोरायसिस की स्थिति को ओर भी बिगाड़ देता है
ऐसा इसलिए है क्योंकि मोटापे के कारण त्वचा के Folds बढ़ने लगते हैं इन Skin Folds को सोरायसिस जल्दी प्रभावित करता है
इसके अलावा पिज़्ज़ा, बर्गर, केक, पेस्ट्री इत्यादि पदार्थ भी मोटापे का कारण है इसलिए ऐसे पदार्थों का सेवन भी सोरायसिस पीड़ित व्यक्ति को नहीं करना चाहिए
10. शराब तथा धूम्रपान का ज्यादा सेवन भी सोरायसिस को बढ़ा देता है इसलिए पीड़ित व्यक्ति को ऐसी चीजों का परहेज बहुत जरूरी है
11. सर्दियों का मौसम तथा सीधी ठंडी हवा (Extreme Cold) सोरायसिस को ओर भी बढ़ा सकती है इसलिए इस चीज का ध्यान मरीज को रखना चाहिए
ऐसा इसलिए है क्योंकि ठंडी हवा के संपर्क से त्वचा की रुक्षता (Dryness) बढ़ जाती है यह स्थिति सोरायसिस से पीड़ित व्यक्ति के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है
12. गर्मियों में सीधी धूप के संपर्क में आने से सनबर्न (Sun burn) का खतरा बढ़ जाता है जिससे सोरायसिस के लक्षणों में ओर भी वृद्धि हो जाती है
13. सोरायसिस के मरीज को ज्यादा गर्म पानी से नहाना नहीं चाहिए ऐसा करने से उसकी त्वचा के तेल बाहर निकल जाते हैं जिससे त्वचा ओर भी रुक्ष (Dry) हो जाती है
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सोरायसिस डाइट – पथ्य आहार तथा सावधानियां
मछली का सेवन सोरायसिस से पीड़ित मरीज के लिए अच्छा है ऐसा इसलिए है क्योंकि मछली में मौजूद ओमेगा 3 तथा ओमेगा 6 फैटी एसिड्स आपके शरीर में सोरायसिस से लड़ने की ताकत में बढ़ोतरी करते हैं
- जैतून का तेल(Olive Oil) या सनफ्लावर ऑयल का इस्तेमाल सोरायसिस पीड़ित व्यक्ति के लिए बहुत अच्छा है
- योग, प्राणायाम, शारीरिक व्यायाम तथा मेडिटेशन करना सोरायसिस मरीज के लिए बहुत गुणकारी है
- Whole wheat bread का सेवन सोरायसिस रोगी कर सकता है
- हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, ब्रोकली, गाजर, पत्ता गोभी, बंदगोभी इत्यादि का इस्तेमाल सोरायसिस पीड़ित व्यक्ति के लिए बहुत अच्छा है
- फलों में ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी, आम, अंगूर तथा चेरी का सेवन सोरायसिस पीड़ित व्यक्ति के लिए हितकर है
- अंकुरित (Sprouts) अनाज सोरायसिस रोगी के लिए लाभकारी होते हैं
ड्राई फ्रूट्स में बादाम तथा अखरोट का सेवन सोरायसिस पीड़ित रोगी के लिए बहुत लाभकारी है ऐसा इसलिए है क्योंकि बादाम तथा अखरोट में omega-3 तथा 6 फैटी एसिड्स होते हैं जो पीड़ित व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर सोरायसिस से लड़ने में मदद करते हैं
बीजों में अलसी (Flax seeds) तथा पेठे के बीज (Pumpkin seeds) सोरायसिस रोगी के लिए बहुत हितकर हैं
पानी का सेवन ज्यादा से ज्यादा मात्रा में करना सोरायसिस में लाभप्रद है
चिंता, परेशानी या स्ट्रेस को कम से कम रखें क्योंकि स्ट्रेस के बढ़ने से सोरायसिस के लक्षणों में भी बढ़ोतरी हो जाती है
सोरायसिस के मरीज को दिन में दो से तीन बार त्वचा पर मॉइश्चराइजर क्रीम का इस्तेमाल करना बहुत ही जरूरी है इसके लिए शुरू शुरू में Liquid paraffin का इस्तेमाल किया जा सकता है
मॉइस्चराइजर लगाने से त्वचा पर खुजली कम होगी, पपड़ी कम बनेंगे तथा त्वचा की रुक्षता (Dryness) भी कम होगी
सोरायसिस आयुर्वेदिक उपचार (पतंजलि में सोरायसिस का इलाज)
असलियत में सोरायसिस जैसे रोग का सही इलाज आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के द्वारा ही संभव है
ऐसा इसलिए है क्योंकि आयुर्वेदिक पद्धति में शरीर को अंदर से शुद्ध कर जड़ी बूटियों से बनी हुई शुद्ध आयुर्वेदिक दवाइयों का प्रयोग कर बीमारी को जड़ से ठीक किया जाता है
आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में सोरायसिस रोग के मूल कारण का इलाज अभी संभव नहीं है
आधुनिक दवाइयों से सोरायसिस के कारण होने वाली खुजली, जलन, दर्द तथा चमड़ी की रुक्षता को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है परंतु इस रोग को जड़ से ठीक नहीं किया जा सकता
आयुर्वेद में सोरायसिस का इलाज नीचे लिखे गए तरीके से किया जाता है…
संशोधन चिकित्सा (सोरायसिस ट्रीटमेंट)
इस चिकित्सा में सबसे पहले पीड़ित व्यक्ति के शरीर को अंदर से शुद्ध किया जाता है शरीर को अंदर से शुद्ध करने के लिए मुख्य रूप से तीन तरीकों का उपयोग किया जाता है
1. स्नेह का पान (Purificatory therapy)…
सोरायसिस से पीड़ित मरीज को सबसे पहले कुछ खास किस्म की जड़ी बूटियों से निर्मित किए गए घृत जैसे महातिक्त घृत, महा-खदिरा घृत, शतफला घृत,पंचतिक्त घृत आदि का सेवन रोग तथा रोगी की अवस्था के अनुसार आयुर्वेदिक चिकित्सक के द्वारा करवाया जाता है
2. वमन कर्म (Therapeutic emesis)…
इस विधि में कुछ खास किस्म की आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों जैसे मुलेठी, कुटज, पटोल, नीम या मदन फल इत्यादि का सेवन करवा कर वमन क्रिया (Emesis) के द्वारा शरीर को अंदर से शुद्ध किया जाता है
3. विरेचन कर्म (Purgation)…
कुछ खास किस्म की आयुर्वेदिक औषधियां जैसे त्रिफला, त्रिवृत इत्यादि का सेवन करवा कर मरीज को विरेचन करवाया जाता है
इस प्रकार सर्वप्रथम ऊपर लिखी विधियों से रोगी के शरीर को अंदर से बिल्कुल शुद्ध किया जाता है इस क्रिया के द्वारा मुख् या गुदा के मार्ग से शरीर के अंदर मौजूद सारी गंदगी बाहर निकल जाती है
इसे संशोधन चिकित्सा कहते हैं संशोधन चिकित्सा करने के बाद सशमन चिकित्सा जिसमें अनेक प्रकार की पेटेंट तथा शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन करवा कर रोगी को रोग मुक्त किया जाता है
सशमन चिकित्सा (नीम से सोरायसिस का इलाज)
सोरायसिस रोग के इलाज के लिए कई प्रकार के तेल तथा आयुर्वेदिक औषधियों का इस्तेमाल चिकित्सक की देखरेख में किया जाता है इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार है जैसे कि…
- महामारिचयादी तेल
- नीम तेल – त्वचा पर लगाने के लिए
- त्रिफला चूर्ण
- महामंजिष्ठादि क्वाथ
- खदिरारिष्ट
- गंधक रसायन
- स्वर्ण माक्षिक भस्म
- रस माणिक्य
- गुडुची चूर्ण
- आरोग्यवर्धिनी वटी
- महामंजिष्ठादि वटी
- वृहद पंचनिम्बादि चूर्ण इत्यादि
आयुर्वेदिक चिकित्सा के दौरान ज्यादा मात्रा में नमक तथा खट्टे आहार का सेवन मना है
ऊपर लिखे आयुर्वेदिक इलाज की मदद से सोरायसिस रोग को जड़ से ठीक किया जा सकता है इसके लिए व्यक्ति को पूरे एक्सपर्ट आयुर्वेदिक चिकित्सक से इलाज करवाने की जरूरत होती है
इन शास्त्रीय आयुर्वेदिक दवाइयों के अलावा भी बहुत सारी ब्रांडेड आयुर्वेदिक दवाइयां भी सोरायसिस को नियंत्रित करने में बहुत सहायता करती हैं
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सोरायसिस के लिए आयुर्वेदिक प्रिसक्रिप्शन (सोरायसिस के लिए टेबलेट)
वैसे तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह से ही पीड़ित मरीज को अपना इलाज करवाने से ज्यादा लाभ मिलता है परंतु फिर भी शुरुआती मामलों में नीचे दी गई आयुर्वेदिक प्रिसक्रिप्शन को सोरायसिस के रोगी ले सकते हैं यह इस प्रकार है…
Rx…
1. आरोग्यवर्धिनी वटी– दो गोली दिन में तीन बार (2 tablets TDS) खाने के आधा घंटा बाद
2. महामंजिष्ठादि वटी- दो गोली सुबह दोपहर शाम दिन में तीन बार (2 tab tds) खाने के बाद
3. वृहद निम्बादी चूर्ण– 2 ग्राम दिन में तीन बार गुनगुने पानी से
4. खदिरारिष्ट/सारिवाधासव – 20 ml की मात्रा बराबर मात्रा में पानी मिलाकर दिन में तीन बार खाना खाने के बाद लेना है
बाहरी प्रयोग के लिए…
त्वचा पर लगाने के लिए जात्यदि घृत का प्रयोग दिन में दो से तीन बार कर सकते हैं
इस व्यवस्था पत्र के साथ साथ ऊपर लिखे आहार-विहार का सही से पालन करने से सोरायसिस के रोगी को कुछ ही दिनों में बहुत लाभ होगा हमने अनेकों मरीजों को इन आयुर्वेदिक दवाइयों से लाभ होते देखा है
सोरायसिस को जड़ से खत्म करने के उपाय
महामंजिष्ठादि क्वाथ by पतंजलि आयुर्वेद – 10 से 15 ml की मात्रा में बराबर मात्रा में पानी मिलाकर खाना खाने से आधा घंटा बाद में दिन में दो बार सेवन करना है
इसके साथ…
- किशोर गूगल by बेधनाथ
- आरोग्य वटी by पतंजलि
दोनों की दो- दो गोलियां सुबह शाम महामंजिष्ठादि क्वाथ के साथ लेनी है
इसके अलावा…
- दिव्य कायाकल्प वटी- 20 ग्राम
- प्रवाल पिष्टी- 10 ग्राम by बैधनाथ
- ताल सिन्दूर- 1 ग्राम by बैधनाथ
- गिलोय सत्व- 10 ग्राम by बैधनाथ
- रस माणिक्य- 2 ग्राम by बैधनाथ
इन सभी पांच चीजों को कूटकर मिलाकर 60 पुड़िया बनानी है इसका सेवन सुबह-शाम खाना खाने से आधा घंटा पहले एक चम्मच शुद्ध शहद के साथ चाटकर करना है
इसका सेवन लगातार चार से 6 सप्ताह तक करें तथा साथ में आहार-विहार का सही से ध्यान रखें ऐसा करने से सोरायसिस के मामलों में बहुत लाभ होता है
यह इलाज एक आयुर्वेदिक चिकित्सक होने के नाते मेरा जाति इलाज advise है इसका सेवन करने से लाभ तभी होगा जब आप अपना आहार-विहार तथा परहेज सही से करेंगे अन्यथा नहीं
सोरायसिस के लिए साबुन-best soap for psoriasis in india
इनमे से किसी भी साबुन का इस्तेमाल सोरायसिस से पीडित व्याक्ति अपने डॉक्टर की सलाह अनुसार कर सकता है ये ऑन लाइन खरीदी जा सकती है इनके रिजल्ट्स बहुत ही बढ़िया है
सोरायसिस होम्योपैथिक ट्रीटमेंट इन हिंदी (homeopathic medicine for psoriasis in hindi)
आयुर्वेद के अलावा होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में भी अनेकों ऐसी औषधियां है जिनकी मदद से सोरायसिस को नियंत्रित किया जा सकता है
इन औषधियों का सेवन किसी भी एक्सपर्ट होम्योपैथिक चिकित्सक की सलाह अनुसार करने से ही ज्यादा लाभ होता है अपनी मर्जी से इनका सेवन कृपया ना करें, सोरायसिस के उपचार के लिए होम्योपैथिक औषधियां जो प्रमुख रूप से प्रयोग की जाती हैं वह इस प्रकार हैं जैसे कि…
1. Rhus Tox-
इस होम्योपैथिक औषधि का प्रयोग मुख्य रूप से तब किया जाता है जब सोरायसिस किसी व्यक्ति की संधियों (Joints) को ज्यादा प्रभावित करता है इस सोरायसिस को Psoriatic Arthritis कहते हैं
सोरायसिस के ऐसे मामले जिनमें सुबह उठने पर जोड़ों में Stiffness ज्यादा महसूस हो वहां पर इस दवा का प्रयोग बहुत लाभकारी है
2. Mezerium-
सोरायसिस की ऐसी अवस्था जिसमें त्वचा पर मोटी (Thick) पपड़ी मौजूद रहती है ऐसी पपड़ी को छेड़ने से इसमें पाक निकलने लगती है ऐसी सोरायसिस की अवस्था में इस दवा का प्रयोग बहुत लाभकारी है
खोपड़ी की त्वचा (Scalp skin-scalp psoriasis) पर इस प्रकार का सोरायसिस ज्यादा देखने को मिलता है
3. Arsenic Iodatum-
सोरायसिस के ऐसे मामले जहां पर त्वचा पर बड़े-बड़े लाल रंग के Lesions जिनके ऊपर चांदी रंग की पपड़ी बन जाए ऐसी अवस्था में इस दवा का प्रयोग बहुत लाभकारी है
4. Petroleum-
सर्दियों में बढ़ने वाले सोरायसिस के मामले जिनमें त्वचा पर गहरे जख्म (Deep cuts) होते हैं ऐसे मामलों में इस दवा का प्रयोग बहुत लाभकारी है
खासकर पैर की एड़ियों तथा हाथों की त्वचा पर जब सोरायसिस के कारण गहरे जख्म (Deep wounds) हो जाएं तो ऐसी अवस्था में इस दवा का प्रयोग फायदेमंद है
5. Antimonium Crud-
नाखूनों को विशेष रूप से प्रभावित करने वाले सोरायसिस के मामलों में इस दवा का प्रयोग मुख्य रूप से होम्योपैथिक चिकित्सकों के द्वारा किया जाता है
नाखूनों का टूटना, काला पड़ना या मुरझाना आदि समस्याओं में यह दवा बहुत प्रभावी है
6. Arsenic Album-
सोरायसिस की ऐसी अवस्था जहां पर इसका कारण अनुवांशिक (Hereditary) हो अर्थात इस बीमारी की फैमिली हिस्ट्री (Family history) मौजूद हो ऐसे केसों में इस दवा का प्रयोग सबसे ज्यादा किया जाता है
सर्दियों में बढ़ने वाली सोरायसिस की समस्या में भी यह दवा बहुत प्रभावी है
Guttate Psoriasis तथा Scalp Psoriasis के इलाज के लिए भी इस दवा का प्रयोग मुख्य रूप से होम्योपैथी के डॉक्टरों द्वारा किया जाता है
7. Graphites –
इस दवा का प्रयोग अन्य होम्योपैथिक दवाइयों के साथ मिलाकर खासकर जोड़ों तथा Skin folds (breast के नीचे) मे होने वाले सोरायसिस के मामलों में ज्यादातर किया जाता है
विशेष ध्यान दें…
होम्योपैथिक दवाइयों से सोरायसिस जैसी बीमारी का इलाज केवल होम्योपैथिक चिकित्सक की निगरानी में ही संभव है आप खुद से अपना इलाज करने का प्रयत्न कृपया ना करें
इस आर्टिकल का मकसद केवल सोरायसिस के बारे में जानकारी प्रदान करना है
सोरायसिस ठीक करने के घरेलू उपाय (सोरायसिस हिंदी)
1. कड़वा नीम, तुलसी पत्र तथा नारियल तेल का नुस्खा…
इसके लिए पीड़ित व्यक्ति कड़वे नीम के पत्तों का रस बराबर मात्रा में तुलसी के पत्तों का रस तथा नारियल का तेल इन तीनों चीजों को अच्छी प्रकार से मिलाकर जहां जहां पर सोरायसिस के कारण त्वचा क्षतिग्रस्त हुई है
वहां सारे स्थान पर इस दवा का लेप लगाकर आधा से एक घंटा सुबह के समय धूप में बैठने से कुछ ही दिनों में सोरायसिस के कारण होने वाली खुजली, जलन तथा पीड़ा के लक्षणों में बहुत ही सुधार होता है
यह घरेलू नुस्खा सोरायसिस के लिए प्रयोग की जाने वाली कई प्रकार की अंग्रेजी दवाइयों की तुलना में ज्यादा राहत प्रदान करता है ऐसा कई मामलों में देखा गया है
2. एलोवेरा या घृतकुमारी का प्रयोग…
घृतकुमारी का गूदा या एलोवेरा जेल मे लैवेंडर आयल को मिलाकर सोरायसिस के कारण प्रभावित त्वचा पर दिन में दो से तीन बार लगाने से त्वचा में होने वाली जलन, खुजली व रूक्षता (Dryness) मे बहुत राहत मिलती है
एलोवेरा में एंटीसेप्टिक तथा anti-inflammatory गुण होने के कारण यह त्वचा के लिए बहुत लाभदायक होता है
इसके अलावा एलोवेरा जूस बढ़िया कंपनी का 30 से 50 मिलीलीटर की मात्रा में हर रोज सुबह शाम गुनगुने पानी में मिलाकर कुछ दिन सेवन करने से शरीर के अंदर की सारी विषाक्तता (Toxicity) दूर हो जाती है जिससे सोरायसिस रोग को जड़ से खत्म करने में बहुत मदद मिलती है
इसके साथ-साथ आपको ऊपर बताए गए आहार नियमों का पालन करना अति आवश्यक है
3. सेब के सिरके का प्रयोग…
दो चम्मच सेब का सिरका आधा कप पानी में डाल प्रभावित त्वचा पर 10 से 15 मिनट तक रगड़े उसके बाद गुनगुने पानी से उस स्थान को धो ले
सेब के सिरके को फटी त्वचा वाले स्थान पर ना लगाएं इस बात का ध्यान रखें, यह प्रयोग हफ्ते में कम से कम 2 बार करें
सेब के सिरके में एंटीबैक्टीरियल गुण होने के कारण यह सोरायसिस के कारण होने वाली जलन, लालिमा तथा खुजली को कम करता है
4. नारियल के तेल का प्रयोग (सोरायसिस में कौन सा तेल लगाना चाहिए ?)…
नारियल का तेल त्वचा के विकारों को दूर करने के लिए बहुत ही अहम योगदान रखता है गुनगुने नारियल के तेल को रात को प्रभावित त्वचा पर लगाने से त्वचा की रुक्षता,जलन तथा खुजली के लक्षणों में बहुत कमी आती है
5. कैक्टस का प्रयोग…
स्वामी रामदेव जी के अनुसार सोरायसिस के कारण त्वचा में आई हुई रुक्षता (Dryness) को दूर करने के लिए कैक्टस को सरसों के तेल में अच्छी तरह से पका कर उस तेल को दिन में दो बार प्रभावित त्वचा पर कुछ दिन लगाने से त्वचा की रूक्षता से छुटकारा मिल जाता है
6. हल्दी तथा गुलाब जल का प्रयोग…
गुलाब जल मे थोड़ी हल्दी को मिलाकर लेप तैयार कर लें, इस लेप को सोरायसिस के कारण क्षतिग्रस्त हुई त्वचा पर दिन में दो बार लगाने से त्वचा में होने वाली जलन, खुजली तथा रुक्षता में बहुत आराम मिलता है
7. नीम से सोरायसिस का इलाज (psoriasis in hindi)…
एंटीवायरल तथा एंटीबैक्टीरियल गुण होने के कारण नीम के तेल का प्रयोग दिन में दो बार सोरायसिस से क्षतिग्रस्त हुई त्वचा पर करने से इस बीमारी के लक्षणों में बहुत सुधार होता है
नीम के पत्तों को पीसकर भी इस्तेमाल किया जा सकता है
8. गंधक रसायन फॉर सोरायसिस…
सल्फर से बनी हुई आयुर्वेदिक औषधि है इसका प्रयोग त्वचा रोगों में मुख्य रूप से किया जाता है एंटीवायरल तथा एंटीबैक्टीरियल गुण होने के कारण सोरायसिस में भी यह बहुत लाभकारी है
एक व्यस्क व्यक्ति दिन में दो से 3 ग्राम गंधक रसायन को दो से 3 मात्राओं में विभाजित कर शुद्ध शहद के साथ दिन सेवन कर सकता है ऐसा करने से सोरायसिस के लक्षणों में बहुत ही कमी आती है
इसका सेवन आप अपने आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह अनुसार भी कर सकते हैं
निष्कर्ष (psoriasis in hindi)
सोरायसिस असल में एक बीमारी ना होकर एक ऐसी Life Condition है जिसमें समय-समय पर पूरी सावधानी रखनी पड़ती है स्वस्थ जीवन शैली तथा खाने की सही आदतों का इस्तेमाल कर काफी हद तक सोरायसिस को कंट्रोल किया जा सकता है
इसके अलावा सोरायसिस के लक्षणों में Temporary राहत पाने के लिए आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की मदद भी ली जा सकती है
मेरी राय में सोरायसिस से पीड़ित व्यक्ति को आयुर्वेदिक पंच कर्म विधि का इस्तेमाल कर इस रोग से छुटकारा पाने की कोशिश करनी चाहिए
आयुर्वेद इलाज द्वारा शरीर के अंदर से सारी विषाक्तता को बाहर निकाल खून को साफ कर अनेक प्रकार के त्वचा रोगों से समूल निजात पाना संभव है
एलोपैथी चिकित्सा में प्रयोग की जाने वाली क्रीम्स के अंदर अनेक प्रकार के Steroids होते हैं जिनका इस्तेमाल लंबे समय तक करने से अनेक प्रकार के गंभीर दुष्परिणाम जैसे त्वचा का पतला होना, त्वचा पर झुर्रियां पड़ना, रोगी की रोग से लड़ने की ताकत कम हो जाना इत्यादि हो सकते हैं
इसलिए Alternatives चिकित्सा पद्धतियों की मदद से सोरायसिस रोग से मुक्ति पाने की कोशिश रोगी को करनी चाहिए
कृपया इसे भी पढ़े– “diabetes in hindi-डायबिटीज के कारण, लक्षण, निदान व उपचार”
अस्वीकरण (psoriasis in hindi)
इस आर्टिकल में बताई गई बातें, उपचार के तरीके व खुराक की जो भी सलाह दी जाती है वह सब हेल्थ स्पेशलिस्टस के अनुभव पर आधारित होती है
किसी भी मशवरे को अपनाने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर कर ले, सेहत से जुड़े हुए आर्टिकल्स आपको अपने आप अपनी मर्जी से दवाइयां लेने की सलाह नहीं देते
Information Compiled- by Dr Vishal Goyal
Bachelor in Ayurvedic Medicine and Surgery
Post Graduate in Alternative Medicine MD(AM)
Email ID- [email protected]
Owns Goyal Skin and General Hospital, Giddarbaha, Muktsar, Punjab
सन्दर्भ:
https://www.webmd.com/skin-problems-and-treatments/psoriasis/psoriasis-shampoo– Shampoo role in treating psoriasis
https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/psoriasis/multimedia/psoriasis-pictures/sls-20076486– study of types of psoriasis
https://www.webmd.com/drugs/2/drug-3747/anthralin-topical/details– Anthralin effects in psoriasis
management of Psoriasis through Ayurveda
https://www.cdc.gov/psoriasis/index.htm– Psoriasis auto immune disorder study
https://www.peacehealth.org/medical-topics/id/hn-2252009– role of homeopathy in treating psoriasis